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शिशु मृत्यु दर के मामले में राजस्थान देश के 10 सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल: हवा हो रहा बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संकल्प के साथ काम करने का गहलोत सरकार का दावा

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राजस्थान में अशोक गहलोत राज में न तो सरकार को छात्रों की चिंता है और न ही महिलाओं और बच्चों की। गहलोत राज में 1000 में से 35 बच्चे पैदा होते ही काल की गाल में समा जाते हैं। पिछले एक साल के आंकड़े पर नजर डालें तो दुनिया के सबसे गरीब 100 देशों में जितनी शिशु मृत्यु दर है उससे ज्यादा शिशु मृत्यु दर राजस्थान में है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ता बजट फिर भी लोगों का हाल बेहाल

कुपोषण के मामले में भी राजस्थान सबसे पिछड़ा है और देश के 10 सबसे कमजोर राज्यों में शामिल है। केंद्र सरकार ने जो रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) बुलेटिन जारी का है उसके मुताबिक राजस्थान में महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चेतावनी सामने आई है । ये हाल तब है जब राजस्थान का स्वास्थ्य बजट हर साल तेजी से बढ़ रहा है ।

साल      बजट (करोड़)
2017-18   10,000
2018-19     11,861
2019-20    13,039
2020-21      14,700
2021-22   16,269

 

 क्या कहते हैं नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के आंकड़े         

अब जरा नजर नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों पर डालिए, राजस्थान में स्वास्थ्य को लेकर गहलोत सरकार की चिंता और दावों की हकीकत खुद ब खुद सामने आ जाएगी। इस सर्वे के मुताबिक

  • कच्ची उम्र में गर्भावस्था के चलते शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा
  • राजस्थान में 35% लड़कियों की शादी के तय उम्र 18 साल से पहले
  • कुपोषण के तीनों पैमानों पर राजस्थान देश में पीछे
  • देश के सबसे कमजोर 10 राज्यों में शामिल है राजस्थान
  • राज्य में 1% बच्चे कम कद के पैदा होते हैं
  • 23% निर्बलता और 7% बच्चों में कम वजन होता है
  • 13% गर्भवतियों की डिलीवरी एक्सपर्ट डॉक्टरों द्वारा नहीं
  • जन्म के एक घंटे में सिर्फ 4% बच्चों को ही मां पहला दूध मिलता है

राजस्थान में दावों के उलट है स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत  

राजस्थान सरकार का दावा है कि वो लोगों के बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संकल्प के साथ काम कर रही है। पत्थरों पर नाम लिखवाकर धड़ाधड़ शिलान्यास का काम जारी है। 

लेकिन इस कोरोना काल में भी आम लोगों की भीड़ अस्पतालों में कैसे धक्के खा रही है, उसकी एक बानगी देखिए। 

राजस्थान में कोरोना के बाद डेंगू का कहर 

राजस्थान में कोरोना से राहत के बाद अब डेंगू कोहराम मचा रहा है। डेंगू के मरीजों का आंकड़ा हर दिन नए रिकार्ड बना रहा है। हैरत की बात तो यह है कि सरकार का चिकित्सा विभाग डेंगू के मरीजों के इलाज के समुचित इंतजाम करने के बजाए आंकड़ों को छिपाने की बाजीगरी करने में लगा है। चिकित्सा विभाग पूरे राज्य में डेंगू से जितनी मौतें बता रहा है, उससे दस गुना ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।डेंगू से लड़ने के लिए कागजी इंतजाम
राज्य में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा शून्य होने के बाद लोगों ने अभी राहत की सांस ली ही थी कि डेंगू ने हमला बोल दिया। दीवाली से पहले इस मौसम में डेंगू का डंक लगभग हर बार आता है, लेकिन चिकित्सा विभाग पहले के ही इंतजाम न कर इसके फैलने का इंतजार करता है। ऐसा ही इस बार भी हुआ। फोगिंग आदि की याद डेंगू के पूरी तरह पांव पसार लेने के बाद आई।

राजधानी जयपुर में ही डेंगू के 25 लोगों की मौत
हैरानी की बात यही है कि सरकार अब भी इसे गंभीरता से लेती नजर नहीं आ रही। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अभी लगभग 7894 डेंगू के मरीज हैं और अब तक इस बीमारी के केवल दस लोगों की मौत हुई है। वास्तविकता इसके ठीक उलट है। अकेले राजधानी जयपुर में ही डेंगू के 25 लोगों की मौत हो चुकी है।प्रदेश में डेंगू के 100 के ज्यादा मौतें
चिकित्सा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि डेंगू के सर्वाधिक मरीज 1915 जयपुर में हैं। इसके बाद बड़े शहरों में से कोटा में 838, अलवर में 482, धौलपुर में 432, बीकानेर में 324, भीलवाड़ा में 270 मरीज हैं। पड़ताल में सामने आया है कि अकेले जयपुर जिले में ही छह हजार से ज्यादा डेंगू के मरीज सरकारी और निजी अस्पतालों में हैं। प्रदेश में करीब 20 हजार मरीजों में से सौ के ज्यादा लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है।

चिकित्सा विभाग कम बता रहा है आंकड़े
दरअसल, चिकित्सा विभाग डेंगू के एलाइजा टेस्ट वाले मरीजों को ही गिनकर आंकड़े कम बता रहा है, जबकि प्रदेश में कार्ड टेस्ट वाले मरीज, प्लेटरेट कम और बुखार के हजारों मरीज इस समय मौजूद हैं। हालात यह है कि मानसरोवर, सांगानेर, वैशाली, कोटपुतली के कुछ निजी अस्पतालों को तो डेंगू के मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था करनी पड़ रही है।मंत्री का विभाग के काम पर पूरा ध्यान नहीं
बीमारियों की रोकथाम की दिशा में प्रभावी कदम न उठाए जाने की एक वजह चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी हैं। कांग्रेस ने जब के उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया है, तब के ही उन्हें मंत्री पद के हटाने के कयास चल रहे हैं। इसलिए शर्मा अनमने मन के ही विभाग का काम देख रहे हैं। इस बीच डेंगू के अलावा चिकनगुनिया, स्क्रब टायफस, स्वाइन फ्लू ने भी प्रदेश भर में आंखें दिखाना शुरू कर दिया है।

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