कांग्रेस और उसके नेताओं को बस मोदी सरकार के खिलाफ कुछ भी छोटा-मोटा मुद्दा मिल जाए तो वो राई का पहाड़ बना देते हैं। कांग्रेस इसके लिए दुष्प्रचार का भी सहारा लेती है और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी अपने फायदे के लिए फरेब के हथकंडे अपनाते हैं। झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने का ताजा उदाहरण है जलगांव में दो दलित नाबालिगों की पिटाई का मामला। आइये पहले राहुल गांधी का ये ट्वीट देखते हैं।
महाराष्ट्र के इन दलित बच्चों का अपराध सिर्फ इतना था कि ये एक “सवर्ण” कुएं में नहा रहे थे।
आज मानवता भी आखरी तिनकों के सहारे अपनी अस्मिता बचाने का प्रयास कर रही है।
RSS/BJP की मनुवाद की नफरत की जहरीली राजनीति खिलाफ हमने अगर आवाज़ नहीं उठाई तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा pic.twitter.com/STeBSkI1q1
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) 15 June 2018
15 जून को राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि “महाराष्ट्र के इन दलित बच्चों का अपराध सिर्फ इतना था कि ये एक ‘सवर्ण’ कुएं में नहा रहे थे… आज मानवता भी आखिरी तिनकों के सहारे अपनी अस्मिता बचाने का प्रयास कर रही है… RSS / BJP की मनुवाद की नफरत की ज़हरीली राजनीति के खिलाफ हमने अगर आवाज़ नहीं उठाई, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा…”
मामले की सच्चाई
महाराष्ट्र में जलगांव के वकाडी गांव में दलित वर्ग के दो नाबालिग बच्चों को निर्वस्त्र कर पिटाई की गई। 10 जून की घटना में उनका कसूर ये था कि किसी दूसरे व्यक्ति के कुएं में वो नहा रहे थे। इसके बाद कुछ लोगों ने निर्वस्त्र पिटाई का वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डाल दिया। मामला जब संज्ञान में आया तो पुलिस ने दो आरोपियों- ईश्वर जोशी और उसके कर्मचारी प्रहलाद लोहार को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद ही राहुल गांधी ने इसे दलित और सवर्ण का मुद्दा बनाने का कुत्सित प्रयास किया।
हालांकि जल्दी ही सच्चाई सामने आ गई कि पीड़ित और पीटने वाला दोनों ही दलित है। इस बात की पुष्टि जलगांव के एसपी दत्तात्रेय कराले ने भी की। इसकी रिपोर्ट टाइम्स ऑफ इंडिया में भी छपी है।
दरअसल यह जाति का मुद्दा ही नहीं था, क्योंकि यह सिर्फ पीने के पानी को खराब करने का मामला था। गौरतलब है कि बच्चों को मना करने के बाद भी वे इस कुएं में तैरते हैं इसलिए दलित बिरादरी के लोगों ने उन्हें पकड़ा और पीटा। यह भी स्पष्ट है कि जिसे पीटा गया वह पीड़ित अनुसूचित जाति और पीटने वाला ईश्वर जोशी और प्रहलाद लोहार अनुसूचित जन जाति से ताल्लुक रखते हैं।
its not relatexd to caste. well is for drinking water .some kids r swiming in it even after knowing it .so owner caught some of them & beaten . both owner & kids belong to same caste .no issue between upper caste & dalit kids
— avadhut (@YatikY) 15 June 2018
महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने भी इस बात की पुष्टि की कि पीड़ित अनुसूचित जाति से हैं और आरोपी अनुसूचित खानाबदोश जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। चंद्रकांत पाटिल ने अपने ट्वीट पर लिखा, राहुलगंधी को जलगांव घटना पर प्रतिक्रिया देने के लिए हर किसी से माफी मांगनी चाहिए। क्योंकि घटना के पीड़ित अनुसूचित जाति और कानून हाथ में लेने वाले लोग अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं।
जळगावच्या घटनेवरील प्रतिक्रियेवर @RahulGandhi नी सर्वांची माफी मागावी. कारण, घटनेतील पीडित मुलं अनुसूचित जाती व अनुसूचित जमाती वर्गातील आहेत. तर कायदा हातात घेणारा व्यक्ती भटक्या जाती/ विमुक्त जमातीतील आहेत. https://t.co/YgOvI26d1h
— Chandrakant Patil (@ChDadaPatil) 15 June 2018
जाहिर है यह प्रकरण बताता है कि किस तरह किसी भी घटना को दलित-सवर्ण के मुद्दे में तब्दील कर दिया जाता है। राहुल गांधी आजकल इसकी अगुआई कर रहे हैं। हैरत की बात देखिये कि वह सच्चाई सामने आने के बाद भी माफी तक मांगने की जहमत नहीं उठाते हैं।
जाहिर है ऐसे में राहुल गांधी की मंशा पर सवाल उठते हैं। सवाल ये कि क्या उन्होंने जान बूझकर लोगों को भड़काने की कोशिश की?
स्पष्ट है कि दलितों और सवर्ण जातियों के बीच घृणा फैलाने के उद्देश्य से ही राहुल गांधी ने झूठी खबर फैलाई। दरअसल देश में जातियों का टकराव एक संवेदनशील मुद्दा है ऐसे में एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का ये गैर जिम्मेदाराना रवैया देश के लिए घातक परिणाम सामने ला सकता है।
दरअसल यह केवल राजनीति नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश है। यह पूरी प्लानिंग है, जो कांग्रेस पार्टी ने कैंब्रिज एनालिटिका से मिलकर तैयार की है। आरोप है कि 2019 में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने कैंब्रिज कंपनी को ठेका दिया है। ये वही कंपनी है जो हाल ही में दुनिया भर में फेसबुक पर लोगों के डेटा चोरी करने के मामले में पकड़ी गई है।
जातियों में टकराव पैदा कर राजनीति चमका रही कांग्रेस
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की राजनीति ने करवट ली और देश नकारत्मकता को त्याग कर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ने लगा। जिम्मेदारी, जवाबदेही और नैतिकता की राजनीति का परिणाम यह रहा कि कांग्रेस पार्टी अस्तित्वहीन होने लगी। हालांकि कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए एक बार फिर से Divide and rule की राजनीति अपना ली है और जातियों के बीच टकराव की साजिश रच रही है।
सवर्णों के नाम पर हिंसा की खतरनाक प्लानिंग
आरक्षण विरोध के नाम पर बीते 10 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया गया। महत्पूर्ण तथ्य ये है कि भारत बंद किस संगठन ने बुलाया इसका ठीक-ठीक पता ही नहीं लग पाया। सोशल मीडिया को इस दुष्प्रचार के लिए हथकंडा बनाया गया और अफवाह फैलाई गई। देश को आरक्षण विरोध और समर्थन की आग में झोंकने की साजिश रची गई। इन सबके बीच यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि न तो किसी सवर्ण संगठन ने इस बंद को बुलाया और न ही ओबीसी महासभा ने इसका समर्थन किया।
दलितों को बदनाम करने की ‘डर्टी पॉलिटिक्स’
2 अप्रैल को हुए दलितों के भारत बंद के पीछे भी कैंब्रिज एनालिटिका का हाथ माना जा रहा है। उसने देश भर में कई दलित संगठनों और राजनीतिक दलों को मिलाकर बंद की रणनीति तैयार की थी। दलित आंदोलन में हिंसा की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उससे साबित हो गया है कि तोड़-फोड़, लूटमार और महिलाओं से छेड़खानी एक साजिश के तहत की गई थी और बदनामी दलितों को झेलनी पड़ी थी।
हालांकि कांग्रेस दलितों के प्रति कितनी संवेदनशील है इसका पता तो 09 अप्रैल के उपवास के दौरान पता लग ही गया था, जब कांग्रेस के नेता पेट पूजा कर उपवास पर बैठे थे।
सवर्ण-दलित टकराव की साजिश रच रही कांग्रेस
आरक्षण विरोध के नाम पर तथाकथित कांग्रेसी नेताओं की सक्रियता भी संदेह पैदा कर रहा है। ऐसी खबरें हैं कि कैंब्रिज एनालिटिका के एजेंटों ने अलग-अलग शहरों में असमाजिक तत्वों की मदद से आंदोलन की तैयारी की। इसके लिए झंडे, बैनर और दूसरे खर्चों के लिए मोटी रकम भी दी गई। तरह से हर उस राज्य में लोगों को हिंसा फैलाने का काम सौंपा गया, जहां पर आने वाले दिनों में चुनाव होने हैं।
टकराव पैदा करने के लिए करणी सेना-कांग्रेस की मिलीभगत
कांग्रेस ने विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग संगठनों को ‘आग’ लगाने की जिम्मेदारी सौंपी। राजस्थान में तो करणी सेना के नेता सुखदेव सिंह गोगामेडी ने खुलेआम धमकी दी। गौरतलब है कि गोगामेड़ी वही हैं जिसने राजस्थान उपचुनाव में राजपूतों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी। आनंदपाल के एनकाउंटर को राजपूतों की अस्मिता से जोड़ने और पद्मावती फिल्म के विरोध में भी यही गुट सक्रिय था।
सोशल मीडिया के जरिये टुकड़े-टुकड़े करने की साजिश
कैंब्रिज एनालिटिका की शह पर कांग्रेस ने फेसबुक और ट्विटर पर सवर्ण, दलित और ओबीसी नामों वाले ढेरों प्रोफाइल बनवाए हैं। इसके माध्यम से एक-दूसरे के लिए गालियां लिखी जा रही हैं। हाल में ही ही फेसबुक ने एक ऐसे ‘ब्राह्मण फेसबुक ग्रुप’ को ब्लॉक किया है, जिसका एडमिन एक मुसलमान था। इस ग्रुप में सिर्फ दलितों ही नहीं, बल्कि हिंदुओं की दूसरी सभी जातियों को गालियां दी जा रही थीं। इस ग्रुप ने महाराणा प्रताप और भीमराव आंबेडकर के लिए अपमानजनक तस्वीरें और पोस्ट शेयर की थीं।
देश की जनता कांग्रेस की साजिश को पहचानेगी?
कुछ दिन पहले कैंब्रिज एनालिटिका के एक पूर्व अधिकारी क्रिस्टोफर विली ने माना था कि कंपनी को भारत में जातीय आधार पर गृहयुद्ध कराने की तैयारी है। जाहिर है लोग कांग्रेस की इस साजिश को समझना पड़ेगा और यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि लोग इस साजिश का मोहरा न बनें!