कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का दोहरा चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है। एक तरफ राहुल गांधी पेट्रोल-डीजल के बढ़ी कीमत पर हायतौबा मचाकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की धमकी देते हैं लेकिन कर्नाटक में अपनी ही सरकार में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने में भूमिका अदा करते हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमत को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी का दोहरापन एक बार फिर देश के सामने आया है।
Dear PM,
Glad to see you accept the @imVkohli fitness challenge. Here’s one from me:
Reduce Fuel prices or the Congress will do a nationwide agitation and force you to do so.
I look forward to your response.#FuelChallenge
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 24, 2018
दाम कम करने को दी थी राष्ट्रव्यापी आंदोलन की धमकी
पेट्रोल डीजल के दाम को लेकर कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी आए दिन प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर रहते हैं, हाय तौबा मचाते रहते हैं। पेट्रोल-डीजल के रोज बढ़ते-घटते दामों को लेकर राहुल गांधी ने 24 मई, 2018 को ट्वीट करके प्रधानमंत्री मोदी को इसके दाम कम करने की चुनौती दी और ऐसा नहीं करने पर देशव्यापी आंदोलन करने की धमकी दी थी। हालांकि राहुल गांधी को पता है कि पेट्रोल-डीजल के दाम तय करना सरकार के हाथ में नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत पर रोजाना घटता-बढ़ता है।
Live: Karnataka budget has increased rate of tax on #petrol from the present 30% to 32% https://t.co/CAmzZ4mh6B
— The Hindu (@the_hindu) July 5, 2018
टैक्स बढ़ाकर कर्नाटक की जनता के साथ धोखा
पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं करने पर पीएम मोदी को धमकी देने वाले राहुल गांधी ने कर्नाटक सरकार को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने की मंजूरी दी है। कांग्रेस की अगुवाई में बनी कर्नाटक राज्य सरकार ने बजट में पेट्रोल और डीजल पर राज्य का 2 प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया है। कर्नाटक में पेश हुए बजट में पेट्रोल पर 30 से बढ़ाकर 32 प्रतिशत टैक्स जबकि डीजल पर 19 प्रतिशत से बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर दिया गया है। टैक्स बढ़ाने पर अब कर्नाटक में पेट्रोल के दाम 1.14 रुपए जबकि डीजल 1.12 रुपए बढ़ जाएंगे। यह कर्नाटक की जनता के साथ धोखा है।
यूपीए 1 व 2 में ढाई गुणा बढ़े थे पेट्रोल-डीजल के दाम
कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल भले ही हायतौबा मचा रहे हैं कि मोदी सरकार के चार वर्षों के कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंच गए लेकिन कांग्रेस और यूपीए सरकार के दौरान उसके सहयोगी रहे राजनीतिक दलों को शायद अपना कार्यकाल याद नहीं है। आपको बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोल के दाम करीब ढाई गुना बढ़े।
यूपीए सरकार से पहले 29 रुपये प्रति लीटर था पेट्रोल
कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में 2004 में जब यूपीए-1 की सरकार बनी थी, उससे पहले 2003 में देश में पेट्रोल के दाम सिर्फ 29 रुपये प्रति लीटर थे। यूपीए की सरकार बनने के बाद ही पेट्रोल के दाम बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ जो कभी थमा नहीं। 2004 से लेकर 2014 तक दस वर्षों तक देश में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए की सरकार रही, लेकिन अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह भी पेट्रोल की कीमतों पर लगाम नहीं लगा सके। इन दस वर्षों में पेट्रोल के दाम 29 रुपये से 73 रुपये प्रतिलीटर पहुंच गए। यानी यूपीए के कार्यकाल में पेट्रोल के दामों में करीब 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। यदि औसत देखा जाए तो पेट्रोल की कीमत में प्रतिवर्ष करीब 4.4 रुपये प्रतिलीटर का इजाफा हुआ। 2013 के सितंबर महीने तो पेट्रोल की कीम 76 रुपये प्रति लीटर के पार भी पहुंच गई थी।
यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोल में लगी थी आग | |
वर्ष | पेट्रोल के दाम प्रति लीटर (रुपये में) |
2003 | 29 |
2004 | 33 |
2006 | 47 |
2010 | 51 |
2012 | 65 |
2013 (सितंबर) | 76.06 |
2014 (अप्रैल) | 73 |
प्रति वर्ष 4.4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी |
मोदी सरकार के 4 साल में सिर्फ 3.5 रुपये प्रति लीटर बढ़े दाम
आपने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पेट्रोल के दामों में बेतहाशा वृद्धि तो देख ली। अब आपको बताते हैं मोदी सरकार के चार वर्ष में पेट्रोल के कीमतों में कितनी वृद्ध हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली थी तब दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73 रुपये प्रतिलीटर थी और आज 4 साल बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 76.57 रुपये प्रति लीटर है। यानी चार वर्षों में सिर्फ साढ़े तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
मोदी सरकार के 4 वर्ष में बहुत कम बढ़े पेट्रोल के दाम | |
वर्ष | पेट्रोल के दाम प्रति लीटर (रुपये में) |
2014 | 73 |
2018 | 76.57 |
प्रति वर्ष सिर्फ 90 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी |