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मोदी सरकार में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को मिला बढ़ावा, माइनॉरिटी स्टेटस देने के मामले में पिछली सरकारों के मुकाबले ज्यादा हुआ काम

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन का मूल मंत्र है- सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। इस मंत्र का असर है कि पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में मोदी सरकार ने समाज के हर वर्ग के लिए ज्यादा काम किया है। उनकी सभी योजनाएं भेदभाव रहित होती हैं और उनमें देश की 130 करोड़ जनता का कल्याण निहित होता है। इसकी पुष्टि अल्पसंख्यक आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से होती है। मोदी सरकार में जितनी तेजी से देशभर में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को माइनॉरिटी स्टेटस देने का काम किया गया है, उसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी।

नेशनल कमिशन फॉर माइनारटीज एजुकेशन इंस्टीट्यूशन की तरफ से महज कुछ ही दिनों में 8 शैक्षणिक संस्थानों को माइनॉरिटी स्टेटस दिया गया। इनमें इंदौर का रहीमिया पब्लिक स्कूल, कटिहार में मौजूद सीमांचल माइनॉरिटी बीएड कॉलेज, तमिलनाडु का एलिट पब्लिक स्कूल, चेन्नई का गेटवे इंटरनेशनल स्कूल, पुदुक्कोत्तई का यूनिटी नर्सरी एंड प्रायमरी स्कूल शामिल है। इनके अलावा तीन संस्थान ऐसे हैं जिनको आने वाले चंद दिनों में माइनॉरिटी स्टेटस मिल जाएगा, उसकी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके माध्यम से मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को बढ़ावा देने के साथ ही अल्पसंख्यक बच्चों को बेहतर शैक्षिक माहौल देने का काम किया है।  

मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों का शैक्षणिक विकास

किसी भी शैक्षणिक संस्थान को माइनॉरिटी स्टेटस मिलने से उसे कई तरह के फायदे मिलते हैं। उसे अपने टीचर रखने से लेकर संस्थानों में कई दूसरे काम कराने की स्वायत्ता मिल जाती है। संस्थान उसे नियमन करने के लिए अपने कायदे-कानून लागू करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। नेशनल कमिशन फॉर माइनारटीज एजुकेशन इंस्टीट्यूशन के सदस्यों के मुताबिक मौजूदा मोदी सरकार अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के विकास के मामलों में कोई भेदभाव नहीं कर रही है। 

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