प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया को शांति का संदेश दिया है। ऑस्ट्रिया के विएना में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा है कि भारत ने दुनिया को बुद्ध दिए, युद्ध नहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है। प्रवासी भारतीयों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज भारत के बारे में पूरी दुनिया में बहुत चर्चा हो रही है। हजारों वर्षों से हम दुनिया के साथ ज्ञान और विशेषज्ञता शेयर करते रहे हैं। हमने युद्ध नहीं दिए, हम सीना तान करके दुनिया को कह सकते हैं, हिन्दुस्तान ने युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं। जब मैं बुद्ध की बात करता हूं तो इसका मतलब है कि भारत ने हमेशा शांति और समृद्धि ही दी है। इसलिए 21वीं सदी की दुनिया में भी भारत अपनी इस भूमिका को सशक्त करने वाला है।’
The world sees India with great hope. pic.twitter.com/Pu0bXptnO3
— Narendra Modi (@narendramodi) July 10, 2024
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत और ऑस्ट्रिया के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने में भारतीय प्रवासियों के योगदान पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जब भारत और ऑस्ट्रिया दोनो मित्र राष्ट्र राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे थे उस समय यहां की यात्रा ने इस अवसर को वास्तव में विशेष बना दिया। दोनों देशों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ उन्होंने हाल के चुनावों के बारे में बात की, जिसमें उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए ऐतिहासिक जनादेश मिला।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमने तो दुनिया में कोविड बाद वाले समय में चारों तरफ राजनीतिक अस्थिरता देखी है। ज्यादातर देशों में सरकारों के लिए बने रहना आसान नहीं रहा। दोबारा चुनकर आना तो एक प्रकार से बहुत बड़ा चैलेंज रहा है। ऐसी स्थिति में भारत की जनता ने मुझ पर, मेरी पार्टी पर, एनडीए पर भरोसा किया। ये जनादेश इस बात का भी प्रमाण है कि भारत स्थिरता चाहता है, भारत निरंतरता चाहता है। ये निरंतरता बीते 10 साल की पॉलिसी और प्रोग्राम्स की है। ये बड़े संकल्पों के लिए समर्पित होकर के काम करने की है।’
The people of India voted for stability and continuity. pic.twitter.com/PVyfWnxmwF
— Narendra Modi (@narendramodi) July 10, 2024
प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में देश की प्रगति के बारे में बात करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि भारत निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित देश बनने के मार्ग पर है। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे हरित विकास और नवाचार में ऑस्ट्रियाई विशेषज्ञता भारत के साथ साझेदारी कर सकती है। जिससे इसकी उच्च विकास गति और विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का लाभ उठाया जा सकता है।
उन्होंने भारत के विश्वबंधु होने और वैश्विक प्रगति और कल्याण में योगदान देने पर भी बल दिया। उन्होंने प्रवासी भारतीय समुदाय से आग्रह किया कि वे अपनी मातृभूमि के साथ अपने सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंधों से जुड़े रहें, भले ही वे अपनी नई मातृभूमि में समृद्ध हों। न्होंने भारतीय दर्शन, भाषाओं और विचारों में गहरी बौद्धिक रुचि का जिक्र किया जो सदियों से ऑस्ट्रिया में मौजूद है।
उन्होंने कहा कि ‘ऑस्ट्रिया में रह रहे भारतीयों की संख्या बहुत बड़ी नहीं है। लेकिन ऑस्ट्रिया के समाज में आपका योगदान प्रशंसनीय है। खासतौर पर यहां के हेल्थकेयर सेक्टर में आपके रोल की बहुत प्रशंसा होती है। हम भारतीयों की पहचान ही केयर और कंपैशन के लिए होती है। मुझे खुशी है कि ये संस्कार आप अपने प्रोफेशन में यहां भी साथ लेकर चलते हैं। आप सभी इसी तरह ऑस्ट्रिया के विकास में सहभागी बने रहिए।’