फ़्रांस में संसदीय चुनाव हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा सीटें वामपंथी गठबंधन को मिली हैं और अब उनके गठबंधन से ही सरकार बनेगी। लेफ्ट वालों को पता है कि अब सरकार में उनकी भगादारी होनी तय है इसके बाद वामपंथियों ने जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया और जगह-जगह आगजनी और दंगे हुए। इसके बाद उन्होंने अपना एजेंडा लागू करना शुरू कर दिया है। उनकी सबसे पहली योजना है कि 4 लाख यूरो सालाना से ज्यादा कमाने वाले लोगों पर 90 प्रतिशत wealth tax लगाने का प्रस्ताव। यह एक तरह का संपत्ति का फिर से बंटवारा यानी Wealth redistribution ही है जिसमें अमीरों पर मोटा टैक्स लगाकर उस पैसे को अपने वोट बैंक में बांटना है। पिछले दिनों भारत में भी चुनाव से पहले राहुल गांधी और इंडी गठबंधन ने इसी तरह के Wealth Redistrubution की बात कही थी। इंदिरा गांधी की सरकार ने 1973-74 में अमीरों और उद्योगपतियों पर 97.5 प्रतिशत वेल्थ टैक्स थोप दिया था, इससे उद्योग चरमरा गए थे। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता और राहुल गांधी ने जितनी आबादी उतना हक की बात कही थी। वहीं उनके करीबी सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स लगाने की बात कही थी। कुल मिलाकर जो आज फ्रांस में हो रहा है वही भारत में भी देखने को मिलता अगर इंडी गठबंधन चुनाव जीत जाता। यह सब विदेशी ताकतों के डीप स्टेट के इशारों पर हो रहा है।
फ्रांस में 90 प्रतिशत टैक्स लगाने की तैयारी
फ्रांस वामपंथी पार्टियों द्वारा 4 लाख यूरो सालाना से ज्यादा कमाने वाले लोगों पर 90 प्रतिशत wealth tax लगाने का प्रस्ताव है। यह एक तरह का संपत्ति का फिर से बंटवारा यानी Wealth redistribution ही है जिसमें अमीरों पर मोटा टैक्स लगाकर उस पैसे को अपने वोट बैंक में बांटना है। पिछले दिनों भारत में भी चुनाव से पहले राहुल गांधी और इंडी गठबंधन ने इसी तरह के Wealth Redistrubution की बात कही थी। फ़्रांस में आयकर की दर वर्तमान में 177,106 यूरो से अधिक आय पर 45 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान है।
Congrats France!
Communists who won French elections have revealed new plan of 90% tax on Rich earning above €4 Lakh. This’ll destroy French Economy with Talent fleeing France.
“India” has already gone through this when in 1970, Indira Gandhi increased direct tax rate to as… pic.twitter.com/5xjs1UNnnM
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) July 10, 2024
उल्टा पड़ा मैक्रों का दांव
फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा दांव खेला था। उन्होंने कहा था कि एक बार फिर मतदाताओं के बीच जाने से स्थिति ‘स्पष्ट’ होगी। हालांकि, उनका यह दांव लगभग हर पड़ाव पर उल्टा पड़ता दिखा है।
🇫🇷 France’s left wing New Popular Front (NPF) calls for a 90% tax on all income above €400,000. pic.twitter.com/FRQTsr4jJj
— BRICS News (@BRICSinfo) July 9, 2024
वामपंथी गठबंधन की जीत की जश्न में हुए दंगे
वामपंथी गठबंधन को संसदीय चुनाव में जीत की खबरें आने के बाद पेरिस में जश्न और अशांति दोनों का माहौल रहा। सर्वेक्षणों में कहा जा रहा था कि दक्षिणपंथी पार्टी चुनाव जीतने जा रही है वहीं अचानक वामपंथी गठबंधन के आगे निकलने की खबरों के बाद पूरे फ्रांस में हिंसा भड़क उठी। पेरिस की सड़कों पर उग्र दृश्य देखे गए, जिसमें दंगा नियंत्रण गियर में अधिकारी भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे, जबकि झड़पों के बीच आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर मोलोटोव कॉकटेल फेंके और धुएं के बम फोड़ दिए। वीडियो फुटेज में नकाबपोश प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर भागते, आग जलाते और उपद्रव करते हुए देखा गया।
In the world of Leftists Rioting, Arson, violence is what they call as healing touch.#France https://t.co/FRf06XExEp pic.twitter.com/wTp0RWh2do
— Naina 🇮🇳 (@NaIna0806) July 8, 2024
फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस
अभी भले ही फ़्रांस में किसी एक गठबंधन के सरकार बनाने के आसार कम ही हैं। मगर वामपंथी नेता ज्यां ने बड़ा एलान कर दिया है। ज्यां ने कहा कि उनका गठबंधन फिलिस्तीन को मान्यता देने की दिशा में काम करेगा। हाल ही में यूरोप के चार देशों ने फिलिस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी थी। ये चार देश स्पेन, नॉर्वे, आयरलैंड और स्लोवेनिया हैं। ज्यां के सोशल मीडिया हैंडल से लिखा गया है, ”प्रधानमंत्री न्यू पॉपुलर फ्रंट से होगा। हम कई चीज़ों पर फ़ैसला कर सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें फिलिस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने पर सहमत होना होगा।”
French politician Jean-Luc Mélenchon who is sweeping to a shock victory in the French election has called for the recognition of a “State of Palestine”…
“France must recognize the Palestinian state now…. The balance of power must show that the whole world condemns this… pic.twitter.com/tuIrnlnK85
— Pelham (@Resist_05) July 7, 2024
अल्पसंख्यकों को उनका बकाया हक दिलाएंगेः राहुल गांधी
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान 6 अप्रैल 2024 को हैदराबाद में कहा कि अगर वह सत्ता में आए, तो उनकी कांग्रेस पार्टी आर्थिक और संस्थागत सर्वेक्षण के साथ-साथ जाति जनगणना भी कराएगी ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि किसके पास क्या है और वह कितना कमाता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद, मोदी सरकार द्वारा 22 बड़े व्यवसायियों को दिए गए 16 ट्रिलियन रुपये ($192 बिलियन) के लाभ का एक हिस्सा देश के 90 प्रतिशत लोगों को हस्तांतरित किया जाएगा, जो सामाजिक न्याय प्रदान करने के शुरुआती बिंदु के रूप में होगा। उन्होंने जाति जनगणना को भारतीय समाज में “एक्स-रे” करार दिया था। गांधी ने कहा, “यह मेरे लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह मेरे जीवन का मिशन है।” “आप लिख सकते हैं; कोई भी ताकत जाति जनगणना को नहीं रोक सकती।”
6 अप्रेल 2024 हैदराबाद में राहुल गांधी कोंग्रेस का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा “हम देश का एक्स-रे करेंगे और तब अल्पसंख्यकों को पता चलेगा कि उनकी भागीदारी कितनी है।🤔
देश में आर्थिक सर्वेक्षण कर मुसलमानों को उनका बकाया हक दिलाने की बात करता राहुल गांधी🙄🤨 @ajitanjum @ravishndtv pic.twitter.com/cvX3cu3ENY— प्रकाश जोशी💧 🇮🇳 (@Prakash12Joshi) April 23, 2024
भारत में कांग्रेस पहले ही 90 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स लगा चुकी है अब एक बार फिर कांग्रेस उसी नीति पर चलने की बात कह रही है…
इंदिरा गांधी ने अमीरों पर थोपा था 97.5 प्रतिशत टैक्स
तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस का यह फार्मूला कोई नया नहीं है। इंदिरा गांधी की सरकार ने 1971-72 में 10 लाख से अधिक आय वाले किसी भी व्यक्ति को 85 प्रतिशत टैक्स और 10 प्रतिशत सरचार्ज का भुगतान करना होता था। यानी कुल मिलाकर उन्हें 95 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता था। 1973-74 में इंदिरा सरकार ने अमीरों और उद्योगपतियों के लिए 97.5 प्रतिशत टैक्स स्लैब बनाया था। यही कारण ही भारत में ब्लैक मनी, हवाला, तस्करी और समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी हुई थी।
भारत में 1976 में था 66 फीसदी टैक्स
1976 में भारत के वित्त मंत्री चिदंबरम सुब्रमण्यम थे। इस दौरान आयकर 60 फीसदी था और सरचार्ज 10 फीसदी। यानी भारत में कुल आयकर 66 फीसदी था। बेहतर कर अनुपालन के लिए उन्होंने टैक्स में कटौती की थी।
नेहरू ने 1958-59 में लगाया था गिफ्ट टैक्स
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1958-59 का बजट पेश किया था। इस बजट में जवाहरलाल नेहरू ने डायरेक्ट टैक्स के तहत पहली बार गिफ्ट पर टैक्स का प्रावधान पेश किया. इसे ‘गिफ्ट टैक्स’ कहा गया। इसमें 10 हजार रुपये से ज्यादा की संपत्ति के ट्रांसफर पर गिफ्ट टैक्स (Gift Tax) का प्रावधान किया गया।
नेहरू के समय वेल्थ टैक्स से गिफ्ट टैक्स तक
आजादी के बाद जब कांग्रेस की सरकार थी तब 1957 में वित्त मंत्री टी टी कृष्णमचारी ने पहली बार वेल्थ टैक्स और एक्सपेंडिचर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा। फिर अगले ही साल प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के हाथों आया वह बजट, जिसमें पहली बार गिफ्ट टैक्स (Gift Tax) का प्रावधान किया गया। वेल्थ टैक्स के बारे में कृष्णमचारी ने कहा था, ‘इससे आगे चलकर टैक्स चोरी की गुंजाइश घट जाएगी।’ एक्सपेंडिचर टैक्स के बारे में उन्होंने कहा था कि इससे लोगों की अनापशनाप खर्च करने की आदत पर लगाम लगेगी और उनमें बचत की आदत बनेगी।