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जोशीमठ संकट पर पीएम मोदी ने संभाली कमान, लगातार ले रहे अपडेट, राहत और बचाव की कोशिशें तेज, भूस्खलन और दरार से दहशत में लोग

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उत्तराखंड के जोशीमठ में भूस्खलन और भू-धंसाव से लोगों में काफी दहशत है। स्थानीय लोग अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगह पर शरण लेने के लिए मजबूर है। जोशीमठ के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भू-धंसाव वाले इलाके को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। ऐसे संकट के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद कमान संभाल ली है। वे हालात पर लगातार नजर रख रहे हैं और पल-पल की अपडेट ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने टेलीफोन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बातकर जोशीमठ के ताजा हालात और उजड़ चुके लोगों के पुनर्वास के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी ली और राज्य को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने जोशीमठ आपदा को लेकर पीएमओ में बैठक की। पीएमओ ने बताया कि उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने जानकारी दी है कि केंद्रीय विशेषज्ञों के सहयोग से राज्य और जिले के अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर आकलन किया है। केंद्र सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ भी जोशीमठ की स्थितियों से निपटने के लिए योजनाएं तैयार करने में उत्तराखंड सरकार की मदद कर रहे हैं। पीएमओ के मुताबिक एनडीएमए, आईआईटी रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के विशेषज्ञों की एक टीम स्थितियों का अध्ययन करेगी और सिफारिशें देंगी। एनडीआरएफ की एक टीम और राज्य आपदा मोचन बल की चार टीमें पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने भू-धंसाव का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई है। यह टीम रविवार शाम (08 जनवरी, 2023) को ऋषिकेश पहुंची। यह टीम निरीक्षण करने के बाद तीन दिन में भू-धंसाव के कारण और प्रभाव पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को सौंपेगी। यह टीम गंगा अलकनंदा नदी से हो रहे भूकटाव के अलावा निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग और जलविद्युत परियोजनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन भी करेगी। जोशीमठ की स्थिति पर सैटलाइट से भी नजर रखी जाएगी। उत्तराखंड सरकार ने नैशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) हैदराबाद और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (IIRS), देहरादून से आग्रह किया है कि सैटलाइट तस्वीरों के जरिए जोशीमठ का आकलन करके एक रिपोर्ट सौंपी जाए। 

जोशीमठ में जमीन धंसने और मकानों में दरारें बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड सरकार ने राहत-बचाव कार्य तेज कर दिया है। जोशीमठ धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए लगातार स्वास्थ्य जांच शुरू की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि राहत शिविरों में राशन बांटे जा रहे हैं। इसके अलावा, चिकित्सा दल घर-घर जाकर लोगों का स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं और उन्हें आवश्यक दवाएं और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने सोमवार को कहा कि उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र को आपदा-क्षेत्र घोषित किया गया है।

गौरतलब है कि जोशीमठ के नौ वार्डों, नगरपालिका क्षेत्रों को ‘सिंकिंग जोन’ घोषित किए गए हैं। जोशीमठ में कुल 4,500 इमारतें हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें पड़ गई हैं। जोशीमठ में कुछ होटल, एक गुरुद्वारे और दो इंटर कॉलेजों में अस्थाई राहत केंद्र बनाए गए हैं। इनमें लगभग 1,500 लोग रह सकते हैं। स्थानीय लोग अपना घर छोड़कर जाने के नाम से घबरा रहे हैं। जिला प्रशासन ने जिन घरों में दरारें मिली है उन परिवारों को तुरंत शिफ्ट कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना खुद लोगों से मिले। 60 से ज्यादा परिवारों को दरार वाले घरों से शिफ्ट किया गया। डीएम हिमांशु खुराना ने कहा कि नुकसान को देखते हुए, कम से कम 90 और परिवारों को घर जल्द से जल्द खाली करना होगा। सेना इसमें मदद कर रही है। 

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