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Year Ender 2022 : अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूरे साल छाये रहे पीएम मोदी, बयान का हुआ व्यापक असर, विदेश यात्राओं और वैश्विक मंचों पर उपस्थिति से बढ़ी भारत की धमक

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फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व से भारत की अंतर्राष्ट्रीय साख और भूमिका में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वर्ष 2022 के पन्ने पलटते हैं तो पाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लिए यह वर्ष उपलब्धियों भरा रहा। कोरोना संकट के दौरान और वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी अपने दमदार नेतृत्व से पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते नजर आए। इससे दुनिया भर में भारत के कद और सम्मान में बढ़ोतरी हुई। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति का केंद्र बन गया और विश्व के लगभग सभी देश प्रधानमंत्री मोदी व भारत की ओर आशा की दृष्टि से देख रहे हैं। आइए एक नजर डालते हैं वर्ष 2022 में किस तरह प्रधानमंत्री मोदी अपने प्रयासों, बयानों और उपलब्धियों को लेकर पूरे वर्ष छाये रहे…

‘आज का युग युद्ध का नहीं’ बयान को मिली वैश्विक मान्यता

जी-20 के बाली शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए ‘आज का युग युद्ध का नहीं’ संदेश की गूंज सुनाई दी। जी-20 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया। इसमें कहा गया कि आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO समिट से अलग राष्ट्रपति पुतिन से  मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट रूप से पुतिन से कहा कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को वैश्विक मान्यता मिली। अमेरिका, जर्मनी और यूरोपियन समुदाय के सभी देशों के प्रमुख नेताओें ने प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत व प्रशंसा की। प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लिए यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि आज रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन दोनों ही भारत के प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं।

शांति दूत बनकर पीएम मोदी ने पूरी दुनिया को दिखाई राह

वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद इतना ऊंचा हो चुका है कि वो आज पूरी दुनिया को राह दिखा रहे हैं। उनके विचार को शक्तिशाली देश भी पूरे ध्यान से सुन रहे हैं और उस पर अमल भी कर रहे हैं। अब प्रधामंत्री मोदी को विश्व शांति दूत के रूप में देखा जाने लगा है। इसकी झलक सबसे पहले अमेरिका में देखने को मिली, जहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए प्रधानमंत्री मोदी के शांति संदेश ने खूब सुर्खियां बटोरीं। अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन ने भी बयान जारी कर प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ्रांस के राष्ट्रपति मैनुएल मैक्रों ने भी जमकर तारीफ की। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक सत्र में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। उनकी यह बात एकदम सही थी। उन्होंने आगे कहा कि यह पश्चिम से बदला लेने और उसे पूर्व के खिलाफ खड़ा करने का समय नहीं है। यह वक्त है कि हम सभी संप्रभु राष्ट्र हमारे समक्ष मौजूद चुनौतियों का एकजुट होकर मुकाबला करें। 

पीएम मोदी और पुतिन के बीच टेलीफोन पर पांच बार बातचीत

इस साल प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच टेलीफोन पर पांच बार बातचीत हुई। सबसे पहले 24 फरवरी,2022 को बातचीत हुई थी। इसके बाद दोनों नेताओं ने 2 मार्च, 7 मार्च, 1 जुलाई और 16 दिसंबर, 2022 को बातचीत की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन संकट को बातचीत और कूटनीति के जरिये सुलझाने के भारत के पुराने रुख को दोहराया। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है और उसने रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर मतदान में हिस्सा लेने से परहेज किया है।

भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का दिखा असर

इस वर्ष प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत अपने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए स्वतंत्र विदेश नीति को और धार दी। इसका असर भी देने को मिला। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने रूस का समर्थन नहीं किया लेकिन पश्चिम देशों की भाषा और उसके प्रतिबंधों को देखते हुए उसने ये भी कहा कि ये मामला इस तरह से सुलझेगी नहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति के साथ बातचीत में साफ कहा कि ये युद्ध का समय नहीं है। लेकिन भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों के निंदा प्रस्तावों का समर्थन भी नहीं किया। यही वजह है कि रूस को एक बहुध्रुवीय व्यवस्था में भारत एक धुरी नजर आ रहा है।

रूस ने माना बहुध्रुवीय व्यवस्था में भारत भी एक अहम ध्रुव

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि दुनिया अब बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। इसमें भारत भी एक अहम ध्रुव है। उन्होंने कहा कि दुनिया में आर्थिक ग्रोथ के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां तक कि अर्थव्यवस्था के मामले में भी वह लीडर है। उन्होंने कहा कि भारत के पास तमाम कूटनीतिक समस्याओं के समाधान का एक लंबा अनुभव है। 7 दिसंबर को मास्को में प्रिमाकोव रीडिंग इंटरनेशनल फोरम में सवालों के जवाब देते हुए, रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि भारत एससीओ में अहम रोल अदा करता है, जो पूरी दुनिया को उम्मीद बंधाता है। लावरोव ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो न केवल मल्टीपोलर वर्ल्ड बनाने की ना सिर्फ आकांक्षा रखता है, बल्कि वह इसके लिए उसमें क्षमता भी है। 

यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए 6 घंटे तक रूका युद्ध

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के ताकतवर नेताओं में शुमार किए जाते हैं। उनका सभी देशों के नेता पूरा सम्‍मान करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से भारत की छवि को पूरी दुनिया में पेश किया है, उससे भारत की बात को पूरी गंभीरता से लिया जाता है। उसकी बात को विश्व के शक्तिशाली देश भी अनदेखा नहीं कर पाते हैं। इसका ताजा प्रमाण रूस और यूक्रेन के बीच आठ दिनों से जारी युद्ध में मिला। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे ताकतवर देश रूस से युद्ध रोकने की मांग कर रहे हैं, लेकिन रूस उनकी बात नहीं सुनी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 घंटे तक युद्ध रोकने के लिए तैयार हो गए। भारत की पहल पर रूस ने यह बड़ी मोहलत दी। इसे भारतीय कूटनीति और प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों की बड़ी सफलता माना गया। 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 02 मार्च, 2022 की रात को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने का मुद्दा उठाया था। रूस के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी को भरोसा दिलाया था कि रूस हर संभव मदद करने को तैयार है। इसके बाद भारतीय छात्रों को वॉर जोन से सुरक्षित निकालकर उन्हें भारत भेजने के लिए सभी जरूरी निर्देश जारी किए गए। खारकीव में छह घंटे के लिए हमले रोक दिए गए। खबरों के मुताबिक ये हमले बुधवार रात 9.30 बजे से रोके गए थे। इस दौरान भारतीय छात्रों के फौरन रेस्क्यू के लिए रूसी सेना द्वारा खारकीव से रूस तक एक सुरक्षित कॉरिडोर बनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध के बीच ये दूसरा मौका था जब बातचीत हुई थी। 

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान वैश्विक कूटनीति का केंद्र बना भारत

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में मची उथल-पुथल के बीच भारत अचानक वैश्विक कूटनीति के केंद्र में आ गया। मार्च 2022 में विश्व के प्रमुख देशों के नेताओं ने भारत का दौरा किया। एक महीने में 20 से अधिक ग्लोबल लीडर्स के भारत दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना गया। भारत की राजधानी दिल्ली में रूस के विदेश मंत्री सर्गी लावरोव, ब्रिटेन की तत्कालीन विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस और अमेरिका के डिप्टी एनएसए दिलीप सिंह की मौजूदगी से भारत की कूटनीतिक ताकत के बारे में पता चलता। 25 मार्च, 2022 को चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी भारत आए थे और उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की थी। इसके आलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने भी भारत का दौरा किया था। इन यात्राओं को लेकर विदेश मामलों के जानकार कहते हैं कि जिस प्रकार से भू राजनीति बदल रही है, उसके मद्देनजर हर ताकतवर देश चाहता है कि भारत के साथ उसके हित प्रभावित नहीं हों। 

वर्ष 2022 अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की उपस्थिति की दृष्टि से सबसे खास रहा…

भारत को मिली G-20 की अध्यक्षता

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने बाली शिखर सम्मेलन में 16 नवंबर, 2022 को G-20 की अध्यक्षता आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दी। भारत एक साल के लिए इसकी अध्यक्षता संभालेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समूह की अध्यक्षता स्वीकार करना भारत के हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। हम G-20 के हर सदस्य देश के प्रयासों के साथ इसे वैश्विक कल्याण के लिए लाभाकरी बनाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने G-20 सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत यह जिम्मा ऐसे समय पर उठा रहा है, जब विश्व जियो पॉलिटिकल तनाव, आर्थिक मंदी, खाद्यान्नों और ऊर्जा की बढ़ रही कीमतों और कोरोना के दीर्घकालीन दुष्प्रभावों से एक-साथ जूझ रहा है। ऐसे समय में विश्व G-20 की ओर आशा की नजर से देखता है। 

जी-20 में एक राय बनाने में पीएम मोदी ने निभाई अहम भूमिका

जी-20 समिट के दौरान सभी देशों की एक राय बनाने में प्रधानमंत्री मोदी ने अहम भूमिका निभाई। भारत ने अंतिम बयान की प्रस्तावना का मसौदा तैयार करने के लिए सभी विकासशील देशों और उभरते बाजारों के साथ साझेदारी में काम किया। भारत अपने सकारात्मक और रचनात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से एक नेता, समाधान प्रदाता और आम सहमति निर्माता के रूप में उभरा। जी-20 विज्ञप्ति में कहा गया कि शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाले अंतरराष्ट्रीय कानून और बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखना आवश्यक है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों का बचाव करना और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना शामिल है। अमेरिका ने 18 नवंबर, 2022 को कहा, ‘इंडोनेशिया में हाल में संपन्न हुए जी-20 शिखर सम्मेलन की बाली घोषणा पत्र संबंधी बातचीत में भारत ने अहम भूमिका निभाई। 

ग्लोबल मुद्दों पर काम करने वाले नेताओं में पीएम मोदी

इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया, जिसके मुरीद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के करीबी और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन फाइनर भी हो गए। उन्होंने बाली घोषणापत्र संबंधी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका की जमकर तारीफ की। वाशिंगटन में भारतीय अमेरिकियों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी जोनाथन फाइनर ने बताया कि बाइडेन भारत के प्रधाममंत्री मोदी के बड़े प्रशंसक है और उनको ग्लोबल मुद्दों पर काम करने वाले नेताओं में मानते हैं। रविवार (20 नवंबर, 2022) को जोनाथन फाइनर अमेरिकी सरकार के कई अधिकारियों के साथ इंडिया हाउस पहुंचे और वहां भारत और अमेरिका के रिश्तों की सराहना की। उन्होंने भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू से मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि उन्होंने विश्व स्तर पर अच्छी भूमिका अदा की है।

शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता

इससे पहले 16 सितंबर, 2022 को भारत को शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता सौंपी गई थी। इस संगठन में 8 देश भारत, चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं। जबकि ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया चार पर्यवेक्षक देश हैं। इस समय SCO को दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। इस संगठन में यूरेशिया यानि यूरोप और एशिया का 60 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्रफल है। भारत 2023 तक इसका अध्यक्ष बना रहेगा। भारत एससीओ में चीन-पाकिस्तान धुरी से भिड़ने और उसे निष्प्रभावी बनाने के लिए ईरान, रूस और सीएआर के साथ अपने पुराने रिश्तों का इस्तेमाल कर सकता है। भारत का बढ़ता आर्थिक प्रभाव और उसकी युवा आबादी एससीओ में उसकी स्थिति मज़बूत बनाने में मदद कर सकते हैं। 

दिसंबर में भारत को मिली UNSC की अध्यक्षता

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने दो वर्ष के कार्यकाल में दिसंबर 2022 में दूसरी बार अध्यक्ष बना। भारत ने 1 दिसंबर 2022 से एक महीने के लिए UNSC की अध्यक्ष रहा। गौरतलब है कि भारत इसका अस्थायी सदस्य है। हर महीने UNSC की अध्यक्षता बदलती रहती है। इसी के अनुरूप 1 दिसंबर से भारत इसकी अध्यक्षता ग्रहण किया। भारत ने जनवरी 2021 में UNSC के एक अस्थायी सदस्य के रूप में अपना दो वर्ष का कार्यकाल शुरू किया। UNSC में यह भारत का आठवां कार्यकाल था। भारत इससे पहले 1950, 1967, 1972, 1977, 1984, 1991, 2011 और 2021 में निर्वाचित हुआ था। भारत ने दिसंबर 2022 में 2028-29 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थाई सदस्यता के लिए उम्मीदवारी की घोषणा की। यूएनएससीमें 15 सदस्य होते हैं। चीन, अमेरिका, रूस, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम स्थायी सदस्य हैं। शेष 10 अस्थाई सदस्य 2 वर्ष की अवधि के लिए चुने जाते हैं। 

भारत में हुई UNSC की आतंकवाद निरोधी समिति की बैठक

भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी बैठक की मेजबानी करने का गौरव मिला। 2015 के बाद से पिछले सात सालों में यह पहली बार हुआ जब संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति (सीटीसी) की बैठक न्यूयॉर्क स्थित हेडक्वार्टर से बाहर भारत में हुई। इस बैठक का आयोजन क्रमश: 28 अक्टूबर और 29 अक्टूबर, 2022 को मुंबई और नई दिल्ली में हुई। आतंक के खिलाफ रणनीति के लिए भारत को चुना जाना अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दृष्टि से भारत के लिए बड़ी सफलता मानी गई। सबसे खास बात यह थी कि मुंंबई में इस बैठक का आयोजन होटल ताजमहल पैलेस में किया गया, जो 26/11 के भीषण आतंकी हमले और आतंकवाद का सबसे बड़ा गवाह है।

जी-7 शिखर सम्मेलन में दिखा पीएम मोदी का जलवा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26-27 जून को जर्मनी में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 बैठक में जलवायु परिवर्तन से लेकर यूक्रेन युद्ध पर दुनिया के 7 सबसे अमीर देशों को दो-टूक सुनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन में ‘बेहतर भविष्य में निवेश: जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य’ के मुद्दे पर भारत की बात तर्कों के साथ रखी। यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन संकट पर रूस की आलोचना करने वाले जी-7 के बयान से भी किनारा करते हुए इस मुद्दे का समाधान बातचीत से निकालने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्बन उत्सर्जन से लेकर जलवायु को लेकर भारत के रुख को साफ किया। उन्होंने कहा कि भारत ने तो कई लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिए हैं। जी-7 बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने यहां भी अमीर देशों को खूब सुना दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये बेहद अहम है कि ऊर्जा पर केवल अमीर देशों का एकाधिकार नहीं हो। उन्होंने कहा कि इसपर गरीब परिवारों का भी उतना ही हक है।

मुक्त, स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्वाड देशों का साझा लक्ष्य- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मई, 2022 को टोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। अपने प्रारंभिक भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्वाड ने बहुत कम समय में विश्‍व पटल पर एक महत्‍वपूर्ण स्‍थान बना लिया है। उन्‍होंने कहा कि आज क्‍वाड का दायरा काफी व्यापक और स्वरूप प्रभावी हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपसी विश्‍वास और क्‍वाड देशों का दृढ़ संकल्‍प लोकतांत्रिक शक्तियों को नई ऊर्जा और उत्‍साह दे रहा है। क्‍वाड स्‍तर पर आपसी सहयोग के साथ मुक्‍त, स्‍वतंत्र और समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र को निरंतर प्रोत्‍साहन मिल रहा है। उन्‍होंने कहा कि सभी क्‍वाड देशों का यही साझा लक्ष्‍य है। शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान क्वाड देशों के बीच सहयोग को लेकर कहा कि कोरोना संकट काल में विपरित परिस्थितियों के बावजूद वैक्सीन डिलीवरी, सप्लाई, आपदा प्रबंधन और आर्थिक सहयोग जैसे कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ाया है। इससे हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित हो रही है।

आईपीईएफ कार्यक्रम में शामिल हुए प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 23 मई, 2022 को टोक्यो में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF- आईपीईएफ) कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ आर बाइडेन और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो भी शामिल हुए। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक समावेशी और लचीले ‘इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक मॉडल’ के निर्माण के लिए आप सभी के साथ काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘भारत आईपीईएफ के लिए सभी हिन्‍द-प्रशांत देशों के साथ काम मिलकर काम करेगा। मेरा मानना है की हमारे बीच लचीली आपूर्ति श्रृंखला के तीन मुख्य आधार होने चाहिए- Trust (विश्वास), Transparency (पारदर्शिता) और Timeliness (समयबद्धता)। मुझे विश्वास है कि यह फ्रेमवर्क इन तीनों स्तंभों को मजबूत करने में सहायक होगा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।’

पीएम मोदी ने की पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 27 जनवरी, 2022 को पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई। भारत ने इसकी मेजबानी की। इस वर्चुअल सम्मेलन में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिज गणराज्य के राष्ट्रपति ने हिस्सा लिया। इस शिखर सम्मेलन का पहला सत्र सभी देशों के शासनाध्यक्ष के ओपनिंग रिमार्क्स के साथ शूरू हुआ। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत और मध्य-एशियाई देशों के राजनयिक संबंधों ने 30 सार्थक वर्ष पूरे कर लिए हैं। पिछले तीन दशकों में हमारे सहयोग ने कई सफलताएं हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि अब इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर, हमें आने वाले सालों के लिए भी एक महत्वकांक्षी विजन परिभाषित करना चाहिए। क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए हम सभी की चिंताएं और उद्देश्य एक समान हैं।

2022 में प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं ने भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूती प्रदान की और भारत का सम्मान बढ़ाया… 

जर्मनी में पीएम मोदी ने गिनाईं बदलते भारत की खूबियां

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिवसीय यूरोप दौरे के पहले चरण में जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंचे। बर्लिन में प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए गए। प्रधानमंत्री ने इस यात्रा के क्रम में बर्लिन में भारत व जर्मनी के बिजनेस लीडर्स से बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के सुधारों को गिनाते हुए बिजनेस लीडर्स से भारत में निवेश करने की अपील भी की। प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ एक बिजनेस राउंड टेबल में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान जर्मनी और भारत ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट को लेकर कई डील साइन किए। इन डील के तहत भारत को क्लीन एनर्जी का इस्तेमाल करने के लिए जर्मनी से 2030 तक 10.5 बिलियन डॉलर मिलेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर के साथ इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशन (IGC) के छठे प्लेनरी सेशन में हिस्सा लिया।

पीएम मोदी की डेनमार्क यात्रा से मजबूत हुए भारत के संबंध

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के कार्यकाल में भारत-डेनमार्क के संबंध काफी मजबूत हुए हैं। अपनी डेनमार्क यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने समकक्ष फ्रेडरिक्सन के साथ आपसी मामलों पर बातचीत के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी की। प्रधानमंत्री मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री भारत-डेनमार्क व्‍यापार मंच की बैठक में भी शामिल हुए। इसके बाद प्रधानमंत्री ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के साथ कोपेनहेगन स्थित बेला सेंटर में भारतीय समुदाय को संबोधित किया और उनके साथ बातचीत की। बाद में डेनमार्क की महारानी मार्गरेट द्वितीय से भी कोपेनहेगन के ऐतिहासिक अमालियनबोर पैलेस में मुलाकात हुई। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का डेनमार्क पहुंचने पर जोरदार स्‍वागत किया गया। प्रोटोकोल तोड़ते हुए पीएम फ्रेडरिक्सन खुद एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए मौजूद थी।

फ्रांस में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, वैश्विक विकास के कई मुद्दों पर हुई चर्चा

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी तीन देशों की अपनी यूरोप की यात्रा के अंतिम चरण में 5 मई, 2022 को पेरिस पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर उनका भव्‍य स्‍वागत किया गया। प्रधानमंत्री के होटल प्लाजा एथनी के बाहर बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग मौजूद थे। इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल थे जिन्होंने प्रधानमंत्री से आटोग्राफ भी लिए। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बेहद गर्मजोशी से उनसे मिले। फ्रांस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एलिसी पैलेस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले मैक्रों ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत की। इस दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय एवं आपसी हितों के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक विकास के कई मुद्दों पर चर्चा की। भारत और फ्रांस के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह पांचवीं फ्रांस यात्रा थी इससे पहले उन्‍होंने अगस्त 2019, जून 2017, नवंबर 2015 और अप्रैल 2015 में फ्रांस का दौरा किया था। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भी मार्च 2018 में भारत आए थे।

शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल हुए पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 27 सितंबर,2022 को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल हुए। राजकीय अंतिम संस्कार के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने अकासाका पैलेस में स्वर्गीय प्रधानमंत्री आबे की पत्नी श्रीमती अकी आबे के साथ एक निजी बैठक की। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीमती आबे के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने अपनी स्नेहपूर्ण मित्रता और भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में पूर्व प्रधानमंत्री आबे द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के साथ एक “सार्थक बैठक” भी की। इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने में दिवंगत जापानी नेता के योगदान के साथ ही एक स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के उनके दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया।

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