Home समाचार आज भारत की प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं, इसलिए इसे प्रोग्रेस करने से कोई...

आज भारत की प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं, इसलिए इसे प्रोग्रेस करने से कोई रोक नहीं सकता- प्रधानमंत्री मोदी

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 1 अप्रैल 2024 को मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम आरबीआई@90 के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि जिस देश की प्राथमिकताएं स्पष्ट हों, उसे प्रोग्रेस करने से कोई नहीं रोक सकता। हमने कोरोना के दौरान वित्तीय विवेक की चिंता भी की और सामान्य नागरिक के जीवन को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी। यही वजह है कि भारत का गरीब, भारत का मिडिल क्लास उस आपदा से उबरकर अब अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े देश जहां अभी तक उस झटके से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं इंडियन इकोनॉमी नए रिकॉर्ड बना रही है। भारत की इस सफलता को आरबीआी वैश्विक स्तर पर ले जा सकता है। किसी भी विकासशील देश के लिए मुद्रास्फीति नियंत्रण और विकास के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि आरबीआई इसके लिए एक मॉडल बन सकता है और विश्‍व के नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपने अस्तित्व के 90 वर्ष पूरे होने पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरबीआई ने आजादी से पहले और बाद के दोनों ही युग देखे हैं और इसने अपने पेशेवर रूख और प्रतिबद्धता के आधार पर पूरे विश्‍व में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि अगला दशक विकसित भारत के संकल्पों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था, हमारी जीडीपी काफी हद तक मौद्रिक और वित्तीय नीतियों के समन्वय पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि मैं जब 2014 में रिजर्व बैंक के ‘80वें’ वर्ष के कार्यक्रम में आया था, तब हालात एकदम अलग थे। भारत का पूरा बैंकिंग सेक्टर समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। एनपीए को लेकर भारत के बैंकिंग सिस्टम की स्थिरता और उसके भविष्य को लेकर हर कोई आशंका से भरा हुआ था। हालत इतने खराब थे कि पब्लिक सेक्टर बैंक्स देश की आर्थिक प्रगति को जरूरी गति नहीं दे पा रहे थे। हम सभी ने वहां से शुरुआत की। और आज भारत के बैंकिंग सिस्टम को दुनिया में एक मजबूत और टिकाऊ बैंकिंग प्रणाली माना जा रहा है। जो बैंकिंग सिस्टम कभी डूबने की कगार पर था, वो बैंकिंग सिस्टम अब प्रॉफिट में आ गया है और क्रेडिट में रिकॉर्ड वृद्धि दिखा रहा है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ 10 साल में इतना बड़ा परिवर्तन आना आसान नहीं था। ये बदलाव इसलिए आया, क्योंकि हमारी नीति, नियत और निर्णयों में स्पष्टता थी। ये बदलाव इसलिए आया क्योंकि हमारे प्रयासों में दृढ़ता थी, ईमानदारी थी। आज देश देख रहा है, जब नियत सही होती है तो नीति सही होती है। जब नीति सही होती है, तो निर्णय सही होते हैं। और जब निर्णय सही होते हैं, तो नतीजे सही मिलते हैं। यानी- नियत सही, तो नतीजे सही।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमने सेंट्रल बैंक, बैंकिंग सिस्टम और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के बीच एक कनेक्ट कायम किया है। गरीबों का वित्तीय समावेशन आज इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। आज देश में 52 करोड़ जनधन खाते हैं। इनमें भी 55 परसेंट से ज्यादा खाते महिलाओं के नाम पर हैं। उन्होंने कहा कि आज 7 करोड़ से अधिक किसानों, मछुआरों और पशु मालिकों की पीएम किसान क्रेडिट कार्ड तक पहुंच है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिला है। उन्होंने यूपीआई के माध्यम से हुए 1200 करोड़ से अधिक के मासिक लेनदेन का जिक्र करते हुए कहा कि इससे यह विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मंच बन गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले 10 साल के टारगेट को तय करते हुए हमें एक बात और ध्यान रखनी है। भारत आज दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। भारत के युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने में आरबीआई की अहम भूमिका है। बीते 10 साल में सरकार की पॉलिसीज की वजह से नए-नए सेक्टर्स बने हैं। इन सेक्टर्स में देश के युवाओं को नए अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने हरित ऊर्जा क्षेत्रों के विस्तार का उदाहरण दिया और सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और इथेनॉल सम्मिश्रण का जिक्र किया। उन्होंने स्वदेशी 5जी तकनीक और रक्षा क्षेत्र में बढ़ते हुए निर्यात का भी उल्‍लेख किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अगले 10 वर्षों में भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाने पर भी जोर दिया ताकि वैश्विक मुद्दों के प्रभाव को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि आज भारत वैश्विक जीडीपी वृद्धि में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वैश्विक विकास का इंजन बन गया है। उन्होंने पूरे विश्‍व में रुपये को अधिक सुलभ और स्वीकार्य बनाने के प्रयासों पर जोर दिया।

Leave a Reply