Home समाचार क्लाइमेट एक्शन को अंत्योदय का पालन करना चाहिए जिससे समाज के अंतिम...

क्लाइमेट एक्शन को अंत्योदय का पालन करना चाहिए जिससे समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान और विकास सुनिश्चित हो- प्रधानमंत्री मोदी

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 28 जुलाई को वीडियो संदेश के माध्यम से चेन्नई में आयोजित जी20 पर्यावरण और जलवायु मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु कार्रवाई को ‘अंत्योदय’ का अनुपालन करना चाहिए जिसका अर्थ है समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान और विकास सुनिश्चित करना। उन्होंने लगभग दो हजार वर्ष पहले हुए महान कवि तिरुवल्लुवर का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि मेघ धरा से ग्रहण किए गए जल को बारिश के रूप में लौटाते नहीं है तो महासागर भी सूख जाएंगे। प्रधानमंत्री ने एक और संस्कृत श्लोक को उद्धृत किया और समझाया ”न तो नदियां अपना पानी स्वयं पीती हैं और न ही पेड़ अपने फल खाते हैं। बादल भी अपने पानी से पैदा होने वाले अन्न को नहीं खाते हैं।” प्रधानमंत्री ने प्रकृति के लिए वैसे ही प्रावधान करने पर जोर दिया जैसे प्रकृति हमारे लिए करती है।

उन्होंने कहा कि धरती माता की रक्षा और देखभाल करना हमारी मौलिक जिम्मेदारी है और आज इसने ‘जलवायु कार्रवाई’ का रूप ले लिया है क्योंकि बहुत लंबे समय से कई लोगों द्वारा इस कर्तव्य को नजरअंदाज किया गया हैं। यह देखते हुए कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों से बहुत प्रभावित हैं, प्रधानमंत्री ने ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन’ और ‘पेरिस समझौते’ के तहत प्रतिबद्धताओं पर अधिक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि ऐसा करना ग्लोबल साउथ की जलवायु-अनुकूल तरीके से विकासात्मक आकांक्षाओ को पूरा करने मे सहायता करने में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अपनी स्थापित विद्युत क्षमता को वर्ष 2030 के लिए निर्धारित लक्ष्य से 9 साल पहले ही हासिल कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के रूप में आज भारत विश्व के शीर्ष 5 देशों में से एक है और बताया कि देश ने वर्ष 2070 तक ‘नेट जीरो’ हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

प्रधानमंत्री ने जैव विविधता संरक्षण, सुरक्षा, बहाली और संवर्धन के बारे मे लगातार किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा “भारत एक विशाल विविधता वाला देश है”। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि जंगल की आग और खनन से प्रभावित प्राथमिकता वाले परिदृश्यों की बहाली को ‘गांधीनगर कार्यान्वयन रोडमैप और प्लेटफॉर्म’ के माध्यम से मान्यता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट टाइगर के परिणामस्वरूप आज दुनिया के 70 प्रतिशत बाघ भारत में पाए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की पहल जनता की भागीदारी से संचालित होती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मिशन अमृत सरोवर’ एक विशिष्ट जल संरक्षण पहल है जिसके तहत एक वर्ष में 63,000 से अधिक जल निकाय विकसित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस मिशन को पूरी तरह से सामुदायिक भागीदारी और प्रौद्योगिकी की सहायता से लागू किया गया है। उन्होंने ‘कैच द रेन’ अभियान का भी जिक्र किया, जिससे 250,000 पुन: उपयोग और पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण के साथ-साथ जल संरक्षण के लिए 280,000 से अधिक जल संचयन संरचनाओं के निर्माण को बढावा मिला है। यह सब लोगों की भागीदारी और स्थानीय मिट्टी और पानी की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करके अर्जित किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा नदी को साफ करने के लिए ‘नमामि गंगे मिशन’ में सामुदायिक भागीदारी का प्रभावी रूप से उपयोग करने के बारे में बताया जिसके परिणामस्वरूप इस नदी के अनेक क्षेत्रो में गंगा डॉल्फिन के दोबारा प्रकट होने की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। प्रधानमंत्री ने आर्द्रभूमि संरक्षण में रामसर स्थलों के रूप में नामित 75 आर्द्रभूमियों का उल्लेख करते हुए कहा कि एशिया में भारत के पास रामसर स्थलों का सबसे बड़ा नेटवर्क उपलब्ध है।

प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ ‘मिशन लाइफ -पर्यावरण के लिए मिशन लाइफस्टाइल’ की शुरुआत को स्मरण किया और कहा कि मिशन लाइफ पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में किसी भी व्यक्ति, कंपनी या स्थानीय निकाय द्वारा किए जा रहे पर्यावरण-अनुकूल कार्यों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी हाल में घोषित ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ के तहत अब ग्रीन क्रेडिट अर्जित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण, जल संरक्षण और टिकाऊ कृषि जैसी गतिविधियां अब व्यक्तियों, स्थानीय निकायों और अन्य लोगों के लिए राजस्व जुटा सकती हैं

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने यह दोहराया कि हमें प्रकृति माता के प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जी20 पर्यावरण और जलवायु मंत्रियों की यह बैठक उपयोगी और सफल सिद्ध होगी। “प्रकृति माता किसी खंडित दृष्टिकोण को पसंद नहीं करती हैं बल्कि “वसुधैव कुटुंबकम” – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” को प्राथमिकता देती है।

Leave a Reply