प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के फैसलों के विरोध में विपक्षी दल खूब हायतौबा मचाते हैं। यहां तक कि कोर्ट में उनके फैसलों को चुनौती देते हैं। लेकिन हर बार विपक्ष का यह दांव फेल हो जाता है। ताजा मामला सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का है। दिल्ली हाई कोर्ट ने मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना पर रोक से इनकार कर दिया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
Delhi HC dismisses a plea seeking direction to suspend all construction activity of the Central Vista Avenue Redevelopment Project in view of the second wave of the COVID19 pandemic.
The court imposed Rs 1 lakh fine on petitioners & says it’s a motivated plea. It was not a PIL pic.twitter.com/vsIzqFjWLW
— ANI (@ANI) May 31, 2021
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह किसी मकसद से ‘‘प्रेरित’’ थी और ‘‘वास्तविक जनहित याचिका’’ नहीं थी। जाहिर है कि यह विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस द्वारा प्रेरित जनहित याचिका थी।
यह कोई पहली बार नहीं है, जब मोदी सरकार के विकास कार्यों या इससे जुड़ी योजनाओं पर अड़ंगा लगाने के लिए विपक्ष ने कोर्ट का सहारा लिया हो और कोर्ट से उसे मुंह की न खानी पड़ी हो। इससे पहले भी कई मौकों पर कोर्ट की तरफ से मोदी सरकार के पक्ष में फैसले सुनाए जा चुके हैं। डालते हैं एक नजर-
राफेल डील पर मोदी सरकार को मिली क्लीन चिट
राफेल लड़ाकू विमान के मुद्दे पर भी कांग्रेस पार्टी को सुप्रीम कोर्ट से जोरदार झटका लगा था। राफेल के सौदे में करोड़ों की घपलेबाजी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी ने जमकर झूठ बोला, मोदी सरकार के निशाने पर लिया। इतना ही नहीं कांग्रेस की शहर पर राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया। लेकिन नवबंर, 2019 में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मोदी सरकार क्लीन चिट दे दी थी। कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए अपने बयानों के लिए माफी मांगने को भी कहा था।
ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों से मिलान पर 21 विपक्षी दलों को झटका
ईवीएम के मुद्दे पर भी विपक्षी दलों को कोर्ट से झटका लग चुका है। मई, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी ईवीएम की वीवीपैट से मिलान की मांग कर रहे 21 विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया था। कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों के औचक मिलान को लेकर दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। आपको बता दें कि चुनाव में पारदर्शिता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले प्रत्येक विधानसभा के पांच बूथों की ईवीएम का वीवीपैट से मिलान करने का फैसला दिया था, जिसके खिलाफ विपक्षी दलों ने समीक्षा याचिका दायर की थी।
आधार की संवैधानिकता पर कांग्रेस को कोर्ट से झटका
इससे पहले आधार के मुद्दे पर भी विपक्ष के मंसूबों पर सुप्रीम कोर्ट पाने फेर चुका है। कांग्रेस ने आधार की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन इस पर भी उसे मुंह की खानी पड़ी थी। 26 सितंबर, 2018 को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए कहा था कि यह निजता का उल्लंघन नहीं करता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि आधार पूरी तरह से सुरक्षित है।
इस सभी मुद्दों से साफ है कि कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां हमेशा मोदी सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश में जुटी रहती हैं और इसके लिए वे कोर्ट जाने से भी नहीं चूकती हैं। लेकिन देश में विकास के एजेंडे को पूरी ताकत के साथ लागू करने में जुटे प्रधानमंत्री मोदी हर बार विपक्ष के मंसूबों पर पानी फेरकर विजेता बनकर सामने आते हैं।