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राजस्थान में कोरोना वॉरियर्स के साथ नाइंसाफी, कोरोना से हुई 347 कर्मचारियों की मौत, सिर्फ 6 को मिला मुआवजा

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कोरोना वॉरियर्स अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने में लगे हैं, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों में उनके हितों की अनदेखी की जा रही है।राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार कोरोना ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की मौत पर भी लापरवाही और भेदभाव कर रही है। करीब 350 कर्मचारियों की मौत को सामान्य मौत मान कर उन्हें मुआवजे से वंचित कर रही है।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कोरोना ड्यूटी में लगे अलग-अलग विभाग के 347 कर्मचारियों की मृत्यु हो गई, लेकिन इनकी मृत्यु का कारण कोरोना को मानने के बजाय मृत्यु प्रमाण पत्र में हार्ट अटैक, डायबिटीज और दूसरे कारण बताए जा रहे हैं।

दरअसल, राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कोविड ड्यूटी में लगे कर्मचारी की मौत पर उनके परिजनों को 50 लाख की सहायता का आदेश जारी किया था। हालांकि, इस आदेश के अनुसार अब तक मात्र 6 कर्मचारियों की मृत्यु पर उनके परिजनों को सहायता दी गई है।

हालांकि, शिक्षक और कर्मचारी संघ लगातार मांग कर रहे हैं कि दायित्व का निर्वहन करते हुए किसी भी कारण से कर्मचारी की मृत्यु हो, उसे सरकार की सहायता मुहैया करानी चाहिए। राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के प्रमुख महामंत्री अर्जुन शर्मा ने तो यहां तक कह दिया है कि कर्मचारियों की मौत को लेकर पशु पालन विभाग पर आपराधिक केस दर्ज कराया जाएगा।

उधर बीजेपी ने इस मुद्दे पर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा है। राजस्थान बीजेपी ने ट्वीट करके कहा कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार की असंवेदनशीलता ही है कि सरकार कोविड ड्यूटी के दौरान कर्मचारियों की मौत को कोविड डेथ नहीं मान रही है।

गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में इसी तरह का मामला सामने आया था, जब राज्य की बघेल सरकार ने बॉण्डेड डॉक्टरों का वेतमान कम कर दिया था, जिससे डॉक्टरों ने नाराजगी जतायी थी। अपना वेतनमान कम किए जाने के कारण लगभग 800 बॉण्डेड डॉक्टरों ने इस्तीफे की धमकी दी थी। 

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