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राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की, नई उम्मीदों की और नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है : प्रधानमंत्री मोदी

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली है। पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया, हर व्यवस्था बदल गई। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही थी। पुरानी शिक्षा व्यवस्था को बदलना उतना ही आवश्यक था जितना किसी खराब हुए ब्लैकबोर्ड को बदलना आवश्यक होता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे पिछले चार-पांच वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है।“ प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात शुक्रवार को 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा विषय पर आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करत हुए कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अभी ये काम पूरा नहीं हुआ है। बल्कि अब तो काम की असली शुरुआत हुई है। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है। और ये काम हम सब मिलकर करेंगे प्रधानमंत्री कहा कि हमें अपने स्टूडेंट्स को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है। ये 21वीं सदी की स्किल्स क्या होंगी? ये होंगी: क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलेबोरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन। श्री मोदी ने कहा कि एनईपी को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि सिलेबस को कम किया जा सके और फंडामेंटल चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। लर्निंग को इंटिग्रेटिड एवं इंटर-डिसिप्लीनेरी, फन बेस्ड और कंप्लीट एक्सपीरियंस बनाने के लिए एक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में विजिट करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे स्किल्ड लोगों को बुलाया जा सकता है। हमें आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा। हमारे ये प्रयोग, न्यू एज लर्निंग का मूलमंत्र होना चाहिए- इंगेज, एक्सप्लोर, एक्सपीरियंस, एक्सप्रेस और एक्सेल।

श्री मोदी ने कहा कि मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा। जब शिक्षा को आस-पास के परिवेश से जोड़ दिया जाता है तो, उसका प्रभाव विद्यार्थी के पूरे जीवन पर पड़ता है, पूरे समाज पर भी पड़ता है। आज हम देखें तो प्री-स्कूल की प्लेफुल एजुकेशन शहरों में प्राइवेट स्कूलों तक ही सीमित है। ये शिक्षा व्यवस्था अब गांवों में भी पहुंचेगी, गरीब के घर तक पहुंचेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना से बने हालात हमेशा ऐसे ही नहीं रहने वाले हैं। बच्चे जैसे-जैसे आगे बढ़ें, उनमें ज्यादा सीखने की भावना का विकास हो। बच्चों में मैथेमेटिकल थिंकिंग और साइं और साइंटिफिक टेंपरामेंट विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है। पीएम मोदी ने कहा कि बच्चों में मैथेमेटिकल थिंकिंग और साइंटिफिक टेंपरामेंट विकसित होना बहुत आवश्यक है और मैथेमेटिकल थिंकिंग का मतलब केवल यही नहीं है कि बच्चे मैथेमेटिक्स के प्रॉब्लम ही सॉल्व करें, बल्कि ये सोचने का एक तरीका है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के टीचर्स से माय गोव पर उनके सुझाव मांगे थे। एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं। ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे।

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