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दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक पैकेजों में से एक है मोदी सरकार का पैकेज, देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर

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कोरोना संकट की वजह से पूरे देश में अबतक तीन बार लॉकडाउन की घोषणा की जा चुकी है। नियमों में कुछ बदलाव और राहत के साथ चौथे लॉकडाउन की घोषणा भी जल्द होने वाली है। ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की चुनौती है। कोरोना संकट के समय प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को पांचवीं बार देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था को रिवाइव करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक आर्थिक पैकेज की घोषणा की। यह दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा अब तक घोषित बड़े आर्थिक पैकेजों में से एक है। यह देश की जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर का राहत पैकेज है। यह राहत पैकेज चीन, इटली और ब्रिटेन द्वारा घोषित पैकेज से बड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह पैकेज भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए घोषित किया जा रहा है।

अब तक अमेरिका अपनी जीडीपी का 13 प्रतिशत और जापान 21 प्रतिशत से ज्यादा का पैकेज दिया है। जापान और अमेरिका के बाद स्वीडन ने जीडीपी का 12 प्रतिशत, जर्मनी ने 10.7 प्रतिशत के राहत पैकेज की घोषणा की है। भारत के बाद फ्रांस 9.3 प्रतिशत, स्‍पेन 7.3 प्रतिशत, इटली 5.7 प्रतिशत, ब्रिटेन 5 प्रतिशत, चीन 3.8 प्रतिशत, और दक्षिण कोरिया 2.2 प्रतिशत के राहत पैकेज दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस विशेष आर्थिक पैकेज में भूमि, श्रम, नकदी और कानून पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार से विशेष आर्थिक पैकेज से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा करेंगी। भारत सरकार की ओर से घोषित इस पैकेज में गरीबों के लिए अनाज उपलब्ध कराने तथा गरीब महिलाओं व बुजुर्गों को नकद मदद देने के लिए घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज शामिल हैं। इस पैकेज में गरीबों को मुफ्त अनाज, महिलाओं और बुजुर्गों को उनके बैंक खाते में नकद राशि दी गई। कोविड- 19 के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में रहकर लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिये 50 लाख रुपये का बीमा कवर, तीन करोड़ गरीब वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिब्यांगों को नकद राशि सहित कई राहतों की घोषणा की गई। यह पैकेज मार्च अंतिम सप्ताह में घोषित किया गया।

ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसके तहत अब तक 39 करोड़ लाभार्थियों को 34,800 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा चुकी है। वहीं अप्रैल माह के लिये 36 राज्यों संघ शासित प्रदेशों ने 67.65 लाख टन खाद्यान्न का उठाव किया है। इसमें 16 लाख टन खाद्यान्न वितरित किया जा चुका है। इससे सभी राज्यों के 60.33 करोड़ लाभार्थियों का फायदा पहुंचा है।

मार्च के आखिर में आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती के साथ विभिन्न सेक्टर्स के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने और इंडस्ट्री के लिए किश्तों के भुगतान में तीन माह की राहत जैसे उपायों की घोषणा की। सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा अब तक घोषित ये सभी उपाय 7.79 लाख करोड़ रुपये होता है।

पिछले पैकेजे के आंकड़ों को देखते हुए ऐसा लगता है कि मोदी सरकार 12- 13 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि अर्थव्यवस्था में डालेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने पैकेज के बारे में कुछ संकेत भी दिए। उन्होंने कहा कि पैकेज में छोटे उद्योगों को कर राहत, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करने पर जोर होगा। इसके साथ ही चीन छोड़कर अन्यत्र जाने वाली कंपनियों को लुभाने की कोशिश हो सकती है। दवा और चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण में आने वाली कंपनियों को कर छूट दी जा सकती है।

 

 

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