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मोटे अनाजों को देश-विदेश में लोकप्रिय बनाने के लिए मोदी सरकार ने तैयार किया सात सूत्री रोडमैप, किसानों और आम लोगों को होगा फायदा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर उनकी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट ईयर घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। भारत के प्रस्ताव को 72 देशों ने समर्थन दिया और यूएन महासभा ने साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित कर दिया। इस सिलसिले में अब केंद्रीय कृषि मंत्रालय मोटे अनाजों को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने में जुट गया है। इसके तहत देश-विदेश में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही इसका उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा।

केन्‍द्रीय कृषि और किसान कल्‍याण मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने अंतरराष्‍ट्रीय बाज़रा वर्ष विषय पर मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए कहा कि साल 2023 में मोटे अनाजों को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। मोटे यानी पोषक अनाजों के उत्पादन, खपत, निर्यात, ब्रांडिंग आदि को बढ़ाने की रणनीतियों पर केंद्रित कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाजरा को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।

केंद्रीय कृषि मंत्री के मुताबिक पोषक अनाजों को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों और नीतियों की निगरानी के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गई है। सरकार ने इंटरनेशनल मिलेट ईयर के ‘सात सूत्र’ (विषय) विकसित किए हैं, जिन्हें संबंधित मंत्रालयों द्वारा लागू किया जाएगा। उत्पादन/उत्पादकता में वृद्धि पर कृषि मंत्रालय काम करेगा। मोटे अनाजों से पोषण और स्वास्थ्य लाभ को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय काम करेगा। मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और पकाने की विधि के विकास पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग काम करेगा।

गौरतलब है कि सरकार मोटे अनाजों खासतौर पर बाजरा को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रही है। बाजरा में प्रोटीन, फाइबर, खनिज, आयरन, कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत होता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इससे उपभोक्ताओं को पोषक तत्व प्राप्त होगा। मोटे अनाजों के उत्पादन और उसकी मांग बढ़ने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। भारत बाजरे का एक प्रमुख उत्पादक है, जो एशिया के उत्पादन का 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है। भारत में बाजरे की औसत उपज 1239 किलो प्रति हेक्टेयर है। जो वैश्विक औसत उपज 1229 किग्रा प्रति हेक्टेयर से अधिक है। भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख बाजरा फसलें और उनके उत्पादन की हिस्सेदारी प्रतिशत की बात करें तो पर्ल मिलेट (बाजरा)- 61 प्रतिशत, ज्वार- 27 प्रतिशत और फिंगर मिलेट (मडुआ/रागी)- 10 प्रतिशत है।

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