प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के बाद खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को फिर से हासिल करने और उनके संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। पीएम मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से ऐसे सैकड़ों प्राचीन वस्तुओं एवं मूर्तियों को विदेशों से वापस लाने में सफलता मिली है, जिन्हें दशकों पहले चोरी और तस्करी के जरिए विदेश भेज दिया गया था। वहीं पीएम मोदी की पहल से देश में विरासत संरक्षण पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। आज मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि भारत के कई विरासत स्थल यूनेस्को के विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया है। यह एक ओर जहां देश के लिए गौरव की बात है वहीं इससे पर्यटन को भी बढा़वा मिलेगा। अब भारत के तीन नए सांस्कृतिक स्थलों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया गया है। इसमें मोढेरा का ऐतिहासिक सूर्य मंदिर, गुजरात का ऐतिहासिक वडनगर शहर और त्रिपुरा में उनाकोटी की चट्टानों को काटकर बनाई गई मूर्तियां शामिल हैं। इससे भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बहुत प्रोत्साहन मिलेगा। यह पीएम मोदी के प्रयासों का ही परिणाम है कि 2014 से 2021 के बीच भारत के 10 विरासत स्थलों को यूनेस्को ने अपनी विरासत सूची में शामिल किया है। वर्ष 2021 में गुजरात के धोलावीरा और तेलंगाना के रामप्पा मंदिर को यूनेस्को ने अपनी विरासत सूची में शामिल किया था। इसे मिलाकर यूनेस्को की विरासत सूची में अब भारत के 40 विरासत स्थल हो गए हैं। वर्ष 2014 के पहले तक यूनेस्को की सूची में भारत के 30 विरासत स्थल थे जबकि पीएम मोदी के देश की बागडोर संभालने के बाद 10 विरासत स्थलों को इस सूची में शामिल किया गया है।
Congratulations India!
India adds 3 more sites to UNESCO’s Tentative List:
01 Vadnagar- A multi-layered Historic town, Gujarat
02 Sun Temple, Modhera and its adjoining monuments
03 Rock-cut Sculptures and Reliefs of the Unakoti, Unakoti Range, Unakoti District pic.twitter.com/lhwrTDZzDn
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) December 20, 2022
A Magnificent architectural Marvel Created by the ancestors.
Modhera Sun temple ,Patan, Gujarat. pic.twitter.com/Ejfwhm6HdO
— Itishree (@Itishree001) December 21, 2022
विश्व प्रसिद्ध है गुजरात के मोढेरा का सूर्य मंदिर
यह सूर्य मंदिर प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में स्थित है, यह बहुत प्राचीन मंदिर हैं, इसका एतिहासिक महत्व भी है। मोढेरा में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण 1026 ई. में सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर ग्याहरवीं शताब्दी का है। इस मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के समय तक इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं। यह एक पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। इसकी दीवारों पर नक्काशी से पौराणिक कथाओं का चित्रण किया गया है। यह मंदिर तीन हिस्सों में विभाजित है। इस मंदिर में सूर्य कुंड, सभा मंडप और गूढ़ मंडप बना है, कुंड में जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। यह मंदिर विश्वप्रसिद्ध है, इस मंदिर में वास्तुकला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसको बनाने में चूने का प्रयोग नहीं किया गया है। राजा भीमदेव के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था जिसमें सभामंडप और गर्भगृह आता है। सभा मंडप के आगे की ओर को एक कुंड बना हुआ है जिस सूर्यकुंड या रामकुंड कहा जाता है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है। इसकी देख-रेख अब पुरातत्व विभाग के द्वारा की जाती है।
करीब 2500 साल पुराना है गुजरात का ऐतिहासिक वडनगर शहर
वडनगर गुजरात का प्राचीन शहर है। इसका इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक, यहां हजारों साल पहले खेती होती थी। खुदाई के दौरान यहां से हजारों साल पहले के मिट्टी के बर्तन, गहने और तरह-तरह के औजार-हथियार भी मिल चुके हैं। कई पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि यह हड़प्पा सभ्यता के पुरातत्व स्थलों में से एक है। हड़प्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीनतम सभ्यता मानी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर में खुदाई में यहां से बौद्ध स्तूप मिले थे। खनन के दौरान अब यहां से करीब 2 हजार साल पुराने दो बौद्ध कक्ष और चार दीवारें मिली हैं। ये दीवारें करीब 2 मीटर ऊंची और 1 मीटर चौड़ी हैं। आसपास के हालात देखकर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने यहां बौद्ध विहार होना का अनुमान लगाया है। महेसाणा जिले के वडनगर में चल रही खुदाई के दौरान हाल ही में तीसरी व चौथी सदी के बौद्ध स्तूप के अवशेष और सातवीं-आठवीं सदी का एक मानव कंकाल भी मिला था। यह मानव कंकाल सातवीं-आठवीं सदी का बताया गया है। खुदाई के दौरान तीसरी व चौथी सदी के समय का सांकेतिक बौद्ध स्तूप भी मिला था।
#NewsKiPathshala: पहाड़ पर 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां… उनाकोटी में है अंकोरवाट जैसा भव्य और प्राचीन मंदिर@SushantBSinha की 'न्यूज़ की पाठशाला' में देखिए, उत्तर-पूर्व भारत का 'अंकोरवाट' मंदिर #PMModi #G20India #IncredibleIndia #Unakoti #AngkorWat pic.twitter.com/eF3JA8F5MD
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) December 12, 2022
त्रिपुरा के रघुनंदन हिल्स में उनाकोटी की मूर्तियां काफी मशहूर
पूर्वोत्तर के त्रिपुरा राज्य में उनाकोटी की मूर्तियां काफी मशहूर हैं। यह मूर्तियां त्रिपुरा के रघुनंदन हिल्स के एक पहाड़ के चट्टानों को काटकर बनाई गईं हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां एक, दो या दस मूर्तियां नहीं हैं बल्कि इनकी संख्या 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां हैं। बंगाली भाषा में उनाकोटी का मतलब ही होता है एक करोड़ से एक कम। रिसर्चर्स की मानें तो इन मूर्तियों को करीब 8वीं या 9वीं शताब्दी में बनाया गया होगा लेकिन इसे किसने बनाया इस बात की कोई ठोस जानकारी नहीं हैं। हालांकि कुछ मूर्तियां इसमें से खराब भी हो गई हैं। उनाकोटी में ज्यादातर मूर्तियां हिंदू देवी-देवताओं की हैं। इनमें भगवान गणेश, भगवान शिव और दूसरे देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं। फिलहाल इस जगह के संरक्षण की जिम्मेदारी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास है। इसके बाद से यहां कि हालत में कुछ सुधार देखने को मिला है। यहां मौजूद कई मूर्तियां इतनी विशाल हैं कि इनके ऊपर से झरने बहते हैं। यहां देश के कई हिस्से से लोग घूमने के लिए भी आते हैं। गौरतलब है कि कुछ खास मूर्तियों के पास आमजनों को जाने की अनुमति नहीं है। यहां नंदी बैल भी है। यह नंदी बैल भगवान शिव के नजदीक है। इन नंदी बैलों की संख्या तीन है। अप्रैल के महीने में इस जगह पर एक बहुत बड़ा मेला भी लगता है जिसे अशोकाष्टमी का मेला कहा जाता है। उनाकोटी में बनी भगवान शिव की मूर्ति को उनाकोटिश्वरा काल भैरवा नाम से पुकारा जाता है जो करीब 30 फीट के आस-पास ऊंची है। भारत सरकार अब इस जगह को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का टैग दिलाने की तैयारी कर रही है क्योंकि सरकार का कहना है कि यह एक अनोखी सांस्कृतिक धरोहर है।
वर्ष 2014 के पहले तक यूनेस्को की सूची में भारत के 30 विरासत स्थल थे जबकि पीएम मोदी के देश की बागडोर संभालने के बाद 10 विरासत स्थलों को इस सूची में शामिल किया गया है। उन पर एक नजर-
31. ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान
ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और विश्व विरासत स्थल है इसे वर्ष 1999 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह राष्ट्रीय उद्यान अपने जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि इस राष्ट्रीय उद्यान में 800 प्रकार के पौधे, लगभग 25 प्रकार के वन और 185 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
चालुक्य नरेश राजा भीमदेव प्रथम की रानी उदयमती जी द्वारा बनवाई गई रानी की वाव (पाटन – गुजरात) pic.twitter.com/wQCHMdNFgd
— The Rajputana Voice (@rajputana_voice) August 8, 2022
32. रानी की वाव
रानी की वाव गुजरात राज्य के पाटण में स्थित एक प्रसिद्ध बावड़ी अर्थात सीढ़ीदार कुऑं है। इस बावड़ी का निर्माण सन् 1063 में सोलंकी शासक भीमदेव प्रथम की पत्नी रानी उदयामती ने राजा भीमदेव प्रथम की याद करवाया था। यह वाव 20 मीटर चौड़ा 64 मीटर लंबा और 27 मीटर गहरा है। यह वाव सोलंकी शासनकालीन वास्तु कला का सुप्रसिद्ध उदाहरण है क्योंकि यह भारत का एक अनोखा वाव है। 22 जून 2014 को इस बावड़ी को यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया।
प्राचीन विश्व के ज्ञान के केन्द्र
नालन्दा विश्वविद्यालयबख्तियार खिलजी ने जब इसके ज्ञान को नष्ट करने के लिए इस विश्वविद्यालय में आग लगवाया तो इसके पुस्तकालय लगभग 6 महीने तक जलते रह गये थे! pic.twitter.com/OGUEucP0yP
— Ŕàj (@raj7322995771) December 15, 2022
33. नालंदा विश्वविद्यालय – बिहार
नालंदा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य के राजगीर में स्थित है। यह विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक विख्यात केंद्र था जिसका निर्माण महान गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम ने करवाया था। यह एक बौद्ध विश्वविद्यालय था जिसमें बौद्ध धर्म के भग्नावशेष मिले हैं लेकिन इस विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म के साथ ही दूसरे अनेक धर्मों के छात्र भी पढ़ते थे। इस विश्वविद्यालय की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम के द्वारा किया गया तथा इसे वर्ष 2016 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।
सिक्किम के कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान विश्व विरासत स्थल घोषित।#Sikkim pic.twitter.com/FOVhgrNaIr
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 18, 2016
34. कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान – सिक्किम
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के सिक्किम राज्य में स्थित एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्य है। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1977 में की गई थी इस राष्ट्रीय उद्यान का संपूर्ण क्षेत्रफल 1784 वर्ग किलोमीटर है जो सिक्किम राज्य के कुल क्षेत्रफल का 25.14 है। इस राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुए, काले भालू, कस्तूरी मृग, जंगली गधा और लाल पांडा निवास करते हैं। वर्ष 2016 में इस राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।
35. ली. कार्बुजिए के वास्तुशिल्प
चंडीगढ़ में स्थित ली कार्बुजिए के वास्तुशिल्प कार्य को आधुनिक आंदोलन के लिए उत्कृष्ट योगदान के हिस्से के रूप में वर्ष 2016 में UNESCO ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी। सात अलग-अलग देशों के 17 स्थलों में ली कार्बुजिए के रचनात्मक एवं वास्तुशिल्प कार्य मौजूद हैं। यूनेस्को ने इन सभी स्थलों को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में मान्यता दी है।
36. अहमदाबाद के ऐतिहासिक शहर
अहमदाबाद के ऐतिहासिक शहर जिसे पुराना अहमदाबाद भी कहा जाता है, यह शहर अहमदाबाद का ही एक हिस्सा है जो भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। इस शहर की स्थापना की 11वीं सदी में राजा आशा भील के द्वारा आशावल नाम से की गई थी तब से यह गुजरात सल्तनत का महत्वपूर्ण राजनैतिक और वाणिज्य केंद्र बना रहा। वर्तमान समय में भी यह ऐतिहासिक शहर आधुनिक अहमदाबाद शहर का हृदय है। इसे वर्ष 2017 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।
37. मुंबई के विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल
महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर के फोर्ट इलाके में स्थित विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल का निर्माण 19वीं सदी में विक्टोरियन नियो गोथिक शैली में किया गया था जो विक्टोरियन नियो गोथिक सार्वजनिक भवनों एवं आर्ट डेको भवनो का संग्रह है। इसे वर्ष 2018 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया।
38. गुलाबी शहर जयपुर
जयपुर भारत के राजस्थान राज्य का सबसे बड़ा शहर है। इस नगर की स्थापना महाराजा जयसिंह द्वितीय के द्वारा की गई थी। यह शहर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। इस शहर में महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों के कारण इस शहर को भारत का पिंक सिटी या गुलाबी शहर कहा जाता है। इस शहर को जुलाई 2019 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
पालमपेट, तेलंगाना में प्राचीन रामप्पा मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में वर्णित किया गया है।
जय श्री राम ? pic.twitter.com/OOwYG0yEgJ
— subhash pandey T.A.B.?? (@sp_subhash) July 26, 2021
39. रामप्पा मंदिर – तेलंगाना
रामप्पा मंदिर या रुद्रेश्वर मंदिर भारत दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य के मुलुंड जिले के पालमपेट गांव में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में स्थित शिलालेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सन् 1213 ईसवी में काकतीय साम्राज्य शासक गणपति देव के सेनापति रेचारला रुद्रदेव ने करवाया था। यूनेस्को ने वर्ष 2021 में इस मंदिर को अपनी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जोड़ा।
गुजरात के हड़प्पा कालीन नगर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना प्रसन्नता का विषय है। pic.twitter.com/bZH9GjCKYX
— Chetas Sukhadia (@ChetasSukhadia) July 28, 2021
40. धोलावीरा
धोलावीरा गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रसिद्ध पुरास्थल एवं विश्व धरोहर स्थल है। यह स्थल अब तक ज्ञात सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े स्थलों में से एक है। यहां सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित कई अवशेष और स्थल पाये गये हैं।