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अमेरिकी डॉलर को टक्कर देने के लिए मोदी सरकार का मास्टर प्लान, भारत के फैसले से अमेरिका भी हैरान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर चुनौती का आगे बढ़कर सामना करते हैं। जब भारतीय रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमत आसमान छूने लगी तो प्रधानमंत्री मोदी ने इसे चुनौती के रूप में लेकर भारतीय रुपये को मजबूत करने का फैसला किया। हाल ही में मोदी सरकार की ओर से कुछ ऐसे फैसले लिए गए हैं, जिनसे आने वाले सालों में डॉलर की तुलना में रुपये को मजबूती मिल सकती है। मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में करने की संभावना तलाश रही है। इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनसे रुपये को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बनाने में मदद मिलेगी।   

दरअसल भारत ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में करने की मुहिम तेज कर दी है। भारत कुछ देशों से लगातार बातचीत भी कर रहा है। इस बीच कुछ देशों ने रुपये में व्यापार करने में सहमति भी जता दी है। श्रीलंकाई बैंकों ने भारतीय रुपये में व्यापार के लिए कथित रूप से स्पेशल वोस्ट्रो रुपी अकाउंट्स या SVRA नामक स्पेशल रुपी ट्रेडिंग अकाउंट खोला है। इसके साथ ही श्रीलंका और भारत के नागरिक एक दूसरे के बीच अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर की बजाय भारतीय रुपये का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं भारत के इस कदम और उसे मिल रहे समर्थन से अमेरिका भी हैरान है।

भारत की इस मुहिम में रूस भी शामिल हो सकता है जो कि आने वाले दिनों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल कर सकता है। भारत के साथ रुपये में कारोबार करने के लिए अब कई देश आगे आ सकते हैं। भारत ब्राजील, मैक्सिको, बांग्लादेश, ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्समबर्ग और सूडान समेत कई दूसरे देशों के साथ रुपये में कारोबार करने के अवसर तलाश रहा है। रुपये के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बनने से भारत का व्यापार घाटा कम होगा और वैश्विक बाजार में इसे मजबूत करने में मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। इससे डॉलर को रुपये के मुकाबले ज्यादा मजबूती मिलती है। इसको देखते हुए भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को रुपये में करने के लिए विदेश व्यापार नीति में बदलाव किया था। इन बदलावों के बाद अब सभी तरह के पेमेंट, बिलिंग और आयात-निर्यात में लेन-देन का निपटारा रुपये में हो सकता है। इस बारे में डायरेक्टोरेट ऑफ फॉरेन ट्रेड यानी DGFT ने एक नोटिफिकेशन भी जारी किया था। ये रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया की तरफ मोदी सरकार का पहला और बड़ा कदम था।

भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल जुलाई में बैंकों को आयात-निर्यात के सौदे रुपये में करने के लिए जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद DGFT ने एक अधिसूचना में कहा था कि आरबीआई के 11 जुलाई, 2022 के निर्देश के मुताबिक पैराग्राफ (डी) को अधिसूचित किया गया है, जो रुपये में आयात-निर्यात सौदों के पूरा होने, बिल बनाने और पेमेंट की मंजूरी देता है। इस निर्देश के बाद अब व्यापार सौदों का निपटारा रुपये में भी किया जा सकता है। इसके लिए भारत में अधिकृत डीलर बैंकों को विशेष वोस्ट्रो खाते खोलना अनिवार्य होगा। इस व्यवस्था से आयात का भुगतान भारतीय रुपये में मिल सकेगा।

मोदी सरकार का इरादा साल 2047 तक इंडियन करेंसी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर स्थापित करने की है। इसका उद्देश्य स्पष्ट तौर पर देश को आजाद हुए 100 साल होने पर भारतीय मुद्रा रुपये को दूसरी करेंसियों के बराबर ताकतवर बनाना है। इस बारे में भारत सरकार के तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों यानी वित्त, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बैठक की थी। इस बैठक में रुपये को ग्लोबल करेंसी के तौर पर स्थापित करने पर गहन चर्चा की गई थी। 

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