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केजरीवाल का राजघाट पर फोटोशूट ड्रामा, दिल्ली से पंजाब तक बापू की तस्वीर हटाई, पहले किया अपमान, अब गांधी समाधि पर जा बैठे!

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कितने बड़े ड्रामेबाज हैं यह पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर नजर डालें तो पता चलता है। भ्रष्टाचार में डूबे अपने मंत्रियों सत्येंद्र जैन एवं मनीष सिसोदिया को बचाने के लिए वह जिस बेशर्मी से प्रशंसा करते रहे यह सभी लोगों ने देखा। जेल में दिन गुजार रहे मंत्री और शराब घोटाले में सीबीआई छापेमारी का सामना कर चुके मंत्री को पद्म पुरस्कार और भारत रत्न देने की वकालत करने को क्या कहा जाए…ड्रामा ही तो है। जब शराब घोटाले में केजरीवाल का विरोध शुरू हो गया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग बढ़ने लगी तो उन्होंने आपरेशन लोटस का ड्रामा शुरू कर दिया। दरअसल केजरीवाल घोटालों और भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों से इतने घबरा गए हैं कि उन्हें खुद ही भरोसा नहीं हो रहा कि सभी विधायक उनके साथ हैं या नहीं। इसी बात की पुष्टि करने के लिए उन्होंने अपने आवास पर विधायकों की बैठक बुला ली। फिर बीजेपी पर आपरेशन लोट्स का आरोप लगा दिया और जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए सभी विधायकों के साथ गांधी समाधि स्थल राजघाट जा पहुंचे। यह केजरीवाल की तुच्छ मानसिकता को ही दर्शाती है कि जिस बापू को उन्होंने दिल्ली और पंजाब सरकार के दफ्तरों से बेदखल कर दिया…घोटालों, भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने एवं ड्रामेबाजी लिए के बापू की शरण में पहुंच जाते हैं। अब ड्रामा को आगे बढ़ाते हुए विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव का नाटक खेला जा रहा है।

दिल्ली सरकार पर जब घोटालों एवं भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लग रहे थे और जनता इनके विरोध में उतर आई तो कट्टर ईमानदार केजरीवाल घबरा गए। उन्हें यह भय सताने लगा कि कुर्सी बचेगी या नहीं। उन्होंने 25 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास पर पार्टी के सभी विधायकों की बैठक बुला ली, जिसमें 53 विधायक मौजूद रहे। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 8 विधायक दिल्ली से बाहर होने की वजह से नहीं आ पाए तो स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन जेल में होने की वजह से नहीं आ पाए। हालांकि, बैठक से पहले आप सूत्रों ने मीडिया में यह हवा भी उड़ा दी कि पार्टी के कुछ विधायकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। मीटिंग के बाद प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जो विधायक नहीं आ पाए हैं, उनसे सीएम की फोन पर बात हुई है और सभी ने कहा कि वह आखिरी सांस तक साथ हैं। यानी यह सब एक ड्रामा के तहत ही किया गया जिसकी पटकथा पहले से तैयार थी। विधायकों की बैठक बुलाना, कुछ विधायकों से संपर्क नहीं हो रहा है यह फैलाना, फिर आपरेशन लोट्स का नैरेटिव गढ़ना और राजघाट पहुंचना, यह सब तय योजना के तहत किया गया। अब इसके बाद उन्होंने विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव का ड्रामा भी रच दिया। जब किसी पार्टी ने अविश्वास जताया ही नहीं तो फिर विश्वासमत प्रस्ताव का मतलब। यानी यह भी एक ड्रामा ही है जिससे मीडिया की सुर्खियां बटोरी जा सके।

केजरीवाल के आपरेशन लोट्स की कहानी की सच्चाई जब लोगों को समझ में आई तो अब लोग कह रहे हैं कि कम से कम झूठ से अच्छे से बोलना सीख लो। अब आपरेशन लोट्स की स्क्रिप्ट लिखने वालों से गलती हुई या केजरीवाल के नेता उत्साह में आ गए इसकी बानगी देखिए। पहले AAP विधायक दिलीप पांडेय ने कहा कि 40 विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो रही है। इसके बाद AAP प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा ने 12 विधायकों को पार्टी छोड़ने के लिए आफर दिया। इसके बाद केजरीवाल के करीबी नेता संजय सिंह कहते हैं कि AAP के चार विधायकों को 20-20 करोड़ रुपये का आफर दिया गया। अब बताइए किस पर भरोसा किया जाए पहले 40 विधायक फिर 12 और बाद में 4 विधायक पर आ गए। झूठ की खेती करने वाले केजरीवाल इसी तरह बेनकाब होते रहे हैं और जनता इनकी करतूत समझ चुकी है।

सोशल मीडिया पर केजरीवाल के राजघाट जाने को लोग नौटंकी करार दे रहे हैं। महात्मा गांधी जी के आदर्शों को ताक पर रख कर, राजघाट पर जा कर ड्रामा करने वाले केजरीवाल के हाथ शराब घोटाले में पूरी तरह सने हुए हैं। गांधी जी की समाधि पर जाकर घोटाले को सही ठहराने की कोशिश अरविंद केजरीवाल की तुच्छ मानसिकता को दर्शाती है।

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