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शाहीन बाग के धरने पर देखिए केजरीवाल का दोगलापन

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अरविंद केजरीवाल के बयान और उनके कारनामों से लगता है कि वह दिल्ली की जनता को मूर्ख समझते हैं और उनकी आंखों में धूल झोंकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। एक तरफ वह शाहीन बाग में सड़क बंद होने से आम लोगों को हो रही दिक्कतों पर आंसू बहा रहे हैं, वहीं उनके उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उनके ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान शाहीन बाग में नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ महीनेभर से ज्यादा समय से जारी विरोध-प्रदर्शन का समर्थन करते हैं।

केजरीवाल का घड़ियाली आंसू

केजरीवाल के दोगलेपन को उनके इस ट्वीट से समझा जा सकता है। ट्वीट में केजरीवाल ने कहा, ‘शाहीन बाग में सड़क बंद होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी नहीं चाहती है कि रास्ता खुले। वह गंदी राजनीति कर रही है।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बीजेपी नेताओं को शाहीन बाग जाना चाहिए और बातचीत करके सड़क को दोबारा खुलवाना चाहिए।

अपनी जिम्मेदारियों से भागता दिल्ली का मालिक 

केजरीवाल के इस ट्वीट से पता चलता है कि जो व्यक्ति खुद को दिल्ली का मालिक कहता हो, वह अपनी जिम्मेदारी दूसरों के कंधों पर डालकर तमाशा देखना चाहता है। अगर केजरीवाल को लोगों की इतनी चिंता है, तो उन्हें खुद शाहीन बाग जाना चाहिए और लोगों से धरना खत्म करने की अपील करनी चाहिए। ऐसे में सवाल उठता है कि केजरीवाल खुद धरना खत्म करने की अपील क्यों नहीं कर रहे हैं ? क्या शाहीन बाग जाकर लोगों को समझाने की जिम्मेदारी उनकी नहीं है ? 

खिसकते वोट बैंक से टेंशन में केजरीवाल  

शाहीन बाग से नजदीकी बढ़ाने या दूरी बनाने के इस राजनीतिक खेल में अरविंद केजरीवाल उलझ गए हैं। जहां उनकी पोल खुलती जा रही है। वहीं उन्हें मुस्लिम वोटों के लिए कंपीटिशन में पिछड़ने का डर सताने लगा है। उन्हें कांग्रेस से चुनौती मिल रही है। शाहीन बाग में कांग्रेस के नेताओं के दौरे और मुस्लिम वोटबैंक खिसकने के डर से कुछ दिनों तक चुप्पी साधे रखने वाले केजरीवाल भी मैदान में आ गए। अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 सभी को विरोध करने का अधिकार देता है।

मैं शाहीन बाग के लोगों के साथ खड़ा हूं- सिसोदिया

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन पर एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘मैं शाहीन बाग के लोगों के साथ खड़ा हूं।’ 

सीएए के विरोध के नाम पर हिंसा का समर्थन

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में कई जगहों पर हिंसा हुई। जब दिल्ली जल रह थी और जामिया में हिंसक भीड़ बसों में आग लगा रही थी, तब मनीष सिसोदिया आग भड़काने में लगे थे। यहां तक उन्होंने घटना की सच्चाई जाने बिना ट्वीट कर पुलिस पर ही बस को जलाने का गंभीर आरोप लगा दिया। इसके अलावा जलती बस का एक वीडियो वायरल करने से हिंसा अन्य इलाकों और विश्वविद्यालयों में भी फैल गई। बाद में दिल्ली पुलिस ने एक अन्य वीडियो जारी किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि पुलिस ने बस को आग नहीं लगाई गई थी। सिसोदिया ने हिंसा को रोकने की अपील करने के बजाय पुलिस को कसूरवार ठहरा दिया और हिंसा करने वाले के साथ खड़े नजर आए।

शाहीन बाग प्रदर्शन की मैं खुद अगुवाई करूंगा-अमानतुल्लाह

ओखला से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान भी शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने खुलकर प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया और उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा कि यदि पुलिस यहां से लोगों को हटाने आएगी, तो वह सबसे आगे आकर पुलिस से बातचीत करेंगे। उन्होंने वादा किया कि अब से इस प्रदर्शन की वह खुद अगुवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन स्थल से कुछ ही कदम की दूरी पर स्थित वह अपने कार्यालय पर चौबीसों घंटे मौजूद रहेंगे। वह राजनीति में रहें या न रहें, सत्ता में रहें या बेदखल कर दिए जाएं, उन्हें फर्क नहीं पड़ता। वह क्षेत्र की महिलाओं के इस सत्याग्रह के साथ खड़े रहेंगे। 

प्रदर्शन में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए देने की घोषणा

सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने बड़ी घोषणा की। आम आदमी पार्टी के विधायक और बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्ला ने कहा कि हर एक मृतक के परिवार को वक्फ बोर्ड की ओर से 5-5 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। अमानतुल्ला ने देशभर में हो रहे सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शन में मारे गए 20 लोगों की एक सूची जारी की। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा में अपनी एक आंख गंवाने वाले छात्र मिन्हाजुद्दीन को अमानतुल्ला खान ने 5 लाख रुपए की सहायता राशि का चेक और वक्फ बोर्ड में पक्की नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा।

अमानती-गुंडे को भेजकर बिठाओ तुम और उठाएं दूसरे ? – विश्वास

केजरीवाल के पूर्व सहयोगी और AAP के संस्‍थापकों में से एक कुमार विश्‍वास ने सीएम केजरीवाल पर इस मुद्दे को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्‍होंने सीएम केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है, ‘अपने अमानती-गुंडे को भेजकर बिठाओ तुम और उठाएं दूसरे? तुम्हारा निर्वीर्य नायब शाहीन बाग के साथ खड़ा हूं, तुम कह रहे हो हटाओ। अपनी हर ग़ैर-मुनासिब सी जहालत के लिए, बारहा तू जो ये बातों के सिफ़र तानता है, छल-फरेबों में ढके सच के मसीहा मेरे, हमसे बेहतर तो तुझे, तू भी नहीं जानता है।’

शाहीन बाग की धरना से बढ़ी परेशानी

अरविंद केजरीवाल शाहीन बाग के चूल्हे पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, वहीं दिल्ली की आम जनता परेशान है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए अभी तक केजरीवाल ने आम आदमी और छात्रों का सहारा लिया था लेकिन अब वो महिलाओं को मोहरा बना रहे हैं। अब शाहीन बाग के धरने के पीछे की राजनीति खुलकर सामने आ गई है। यह धरना बिल्कुल प्रायोजित है। इसका समर्थन करने वाला हर शख्स और हर दल सवालों के घेरे में है। संविधान बचाने के नाम पर उस कानून का हिंसक विरोध किया जा रहा है, जिसे संविधान संशोधन द्वारा खुद संसद ने ही बहुमत से पारित किया है। जो लोग महीने भर तक रास्ता रोकना अपना संवैधानिक अधिकार मानते हैं, उन्हें उन लोगों के संवैधानिक अधिकारों की चिंता नहीं है, जो लोग उनके इस धरने से परेशान हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सड़क पर इस प्रकार से धरने पर बैठे हैं कि लोगों के लिए वहाँ से पैदल निकलना भी दूभर है। लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे, स्थानीय लोगों का व्यापार ठप्प हो गया है,आधे घंटे की दूरी तीन चार घंटों में तय हो रही है जिससे नौकरी पेशा लोगों का अपने कार्यस्थल तक पहुंचने में असाधारण समय बर्बाद हो रहा है। ऑफिस देर से पहुंचने पर कई लोगों की नौकरी जा चुकी है। एंबुलेंस को रास्ता नहीं दिए जाने के कारण मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में केजरीवाल का ट्वीट घड़ियाली आंसू के अलावा कुछ भी नहीं है।

इसके अलावा कई ऐसे मौके आए जब केजरीवाल ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए अपने दोगलेपन का प्रदर्शन किया। आइए एक नजर डालते हैं- 

CAA और NRC पर भी जनता को किया गुमराह

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल टाउन हॉल कार्यक्रम में ABP न्यूज़ से खास बातचीत की और लोगों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने सीएए और एनआरसी को अजीब और गैर-जरूरी कानून बताते हुए कहा कि यह लोगों को सिर्फ परेशान करने के लिए है। केजरीवाल ने सीएए और एनआरसी को लेकर कई झूठ बोला।

पहला झूठ : तीन देशों से जो आएंगे उन्हें नागरिकता दी जाएगी

केजरीवाल ने कहा कि ये कानून कहता है कि तीन देशों से जो आएंगे उन्हें नागरिकता दी जाएगी। जबकि सीएए या नागरिकता संशोधन कानून में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आ चुके हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों पर लागू होगा।  

दूसरा झूठ : सब लोगों को नागरिकता साबित करना होगा

केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह पर तंज कसते हुए कहा, “एनआरसी कहता है कि सब लोगों को नागरिकता साबित करना होगा। आप क्रोनोलॉजी समझने की कोशिश कीजिए। सभी को कहा जाएगा कि नागरिकता साबित करें। आप कहेंगे कि आधार-पैन है तो वह कहेंगे यह काफी नहीं है, इसको नहीं मानते हैं।” जबकि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह इस मामले में स्पष्ट कर चुके हैं कि एनआरसी को लेकर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी तक कोई नियम और प्रक्रियाएं तय नहीं की गई हैं। 

तीसरा झूठ : हिन्दू-मुसलमानों से देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा

केजरीवाल ने आगे कहा, ”आपको कहा जाएगा कि सरकार द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र दिखाएं। आपको कहा जाएगा कि आप अपना और अपने माता-पिता का दस्तावेज दिखाएं। अगर आपने दिखा दिया तो आपको नागरिकता मिल जाएगी, चाहे आप हिंदू हों या मुसलमान हों। अगर आप अपना और माता पिता का दस्तावेज नहीं दिखा पाए तो अगर आप मुसलमान हैं तो आपको भारत छोड़ना होगा और अगर हिंदूं हैं तो आपसे पूछा जाएगा कि आप पाकिस्तान से आएं हैं तो आप अगर हां कहते हैं तो आपको नागरिकता मिल जाएगी। अगर आप कहेंगे कि हम पाकिस्तान से नहीं आए हैं तो आपको भी नागरिकता नहीं मिलेगी। आपको देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा। यह गलतफहमी है कि सिर्फ मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा। इसमें जिन हिंदूओं के पास कागज नहीं हैं उन्हें भी देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा।” इस मामले में भी मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि सीएए किसी की नागरिकता छीनता नहीं बल्कि नागरिकता देता है। इसका भारतीय नागरिकों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय नागरिकों को संविधान में जो मूल अधिकार मिले हैं, उस पर कोई खतरा नहीं है।

चौथा झूठ : सीएए को एनआरसी के लिए ही लाया गया है

अरविंद केजरीवाल ने कहा,  “सीएए को एनआरसी के लिए ही लाया गया है। देश को इस तरह के कानून की जरूरत नहीं है। महंगाई बढ़ी हुई है। अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है। बेरोजगारी काफी बढ़ी हुई है। प्रधानमंत्री से थोड़ा रह गया, वह कह देते कि एनआरसी नहीं आएगा।” इस मामले में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कई मंचों पर स्पष्ट तौर पर बता चुके हैं कि सीएए और एनआरसी दोनों अलग-अलग है। सीएए का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।

पांचवां झूठ : सीएए की ज़रूरत नहीं, विदेश से करीब 2 करोड़ लोग आ सकते हैं

केजरीवाल ने कहा, ”सीएए और एनआरसी की ज़रूरत नहीं, क्योंकि पहले से ही हमारे देश में करोड़ों बेरोजगार है। विदेश से करीब 2 करोड़ लोग आ सकते हैं। उन्हें कहां से सरकार नौकरी देगी। कहां से उन्हें सुविधाएं दी जाएगी।” इस मामले में केजरीवाल ने पूरी तरह झूठ बोला है। जब सीएए के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक आ चुके लोगों को नागरिकता मिलेगी, इसमें आने वाले नए लोगों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, तो विदेशों से आने वाले 2 करोड़ लोगों को कैसे नागरिकता मिल सकती है। 

छठा झूठ : पाकिस्तान से हिन्दू बताकर जासूस भेजा जाएगा 

केजरीवाल ने कहा कि अगर पाकिस्तान से हिन्दू बताकर जासूस भेज दिया गया तो आप क्या करेंगे ? केजरीवाल के इस सवाल से स्पष्ट होता है कि उन्हें पाकिस्तान में उत्पीड़न से परेशान भारत आए लोगों की पीड़ा की परवाह नहीं है। उन्हें तो बस अपने वोट बैंक की चिंता है। केजरीवाल पीड़ित हिन्दुओं को जासूस बताकर उनकी संवेदना से खेलने से बाज नहीं आए।  

मुस्लिम वोट बैंक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार

केजरीवाल की नजर मुस्लिम वोट बैंक पर है। इस वोट बैंक को पाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है। उनका हमेशा प्रयास रहा है कि मुस्लिम वोट नहीं बंटे और पूरे वोट उसे ही मिले। लोकसभा चुनाव-2019 के दौरान केजरीवाल ने सिविल लाइन स्थित अपने निवास पर ऑल इंडिया शिया सुन्नी फ्रंट के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस मौके पर केजरीवाल ने कहा कि मुस्लिम वोट बैंक नहीं बंटे इसके लिए हम कांग्रेस से गठबंधन करना चाहते थे। गठबंधन के लिए हर संभव प्रयास किए। मगर कांग्रेस ने गठबंधन नहीं किया। 


चुनाव के समय खेला ‘जाति कार्ड’

पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आने वाले आशुतोष ने भी आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया। आशुतोष ने ट्वीट कर ये आरोप लगाया कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी नेताओं ने उनसे उनकी जाति का इस्तेमाल करने को कहा था। उन्होंने लिखा, ’23 साल के पत्रकारिता करियर में मुझे कभी अपनी जाति का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा, लेकिन जब मैं आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा, तब मुझे जाति का इस्तेमाल करने को कहा गया।’ साफ है आशुतोष को पता चल गया था कि आम आदमी पार्टी जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देती है। फिर भी वो चार साल तक पार्टी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते रहे, लेकिन फैसला तब जाकर किया जब राज्यसभा सांसद बनने के उनके अरमानों पर अरविंद केजरीवाल ने पानी फेर दिया।

ashutosh

@ashutosh83B

In 23 years of my journalism, no one asked my caste, surname. Was known by my name. But as I was introduced to party workers as LOKSABHA candidate in 2014 my surname was promptly mentioned despite my protest. Later I was told – सर आप जीतोगे कैसे, आपकी जाति के यहाँ काफी वोट हैं ।

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बच्चों की कसम के बावजूद कांग्रेस का लिया समर्थन 

2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित को हराने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से ही पहली बार सरकार बनायी। भाजपा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने पहले तो बड़े-बड़े दावे किए और अब सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए उन्होंने अपने बच्चों की भी परवाह नहीं की। वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केजरीवाल ने विश्वसनीयता को त्याग कर कांग्रेस का समर्थन लिया और अपने बच्चों की कसम तोड़ी। 49 दिन तक सरकार में रहने के बाद केजरीवाल जब दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल लेकर आए तो कांग्रेस ने समर्थन नहीं किया। यह बिल पास नहीं हुआ। इसके बाद केजरीवाल ने सरकार से इस्तीफा दे दिया।

 

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