प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने असम का दशकों पुराना बोडोलैंड विवाद सुलझाने में कामयाबी हासिल की है। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम सरकार के साथ नेशनल डेमोक्रेटिक फेडरेशन ऑफ बोडोलैंड (NDFB) ने समझौता किया है, जिसके तहत अब बोडोलैंड की मांग नहीं की जाएगी। असम में पिछले लंबे समय से अलग बोडोलैंड की मांग करने वाले चार गुटों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला लिया है। यानि अब पूर्वोत्तर में एक अलग राज्य की लंबे समय से जारी मांग थम गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए आज के दिन को भारत के लिए विशेष बताया है।
Ushering in a new dawn of peace, harmony and togetherness!
Today is a very special day for India.
The Accord with Bodo groups, which has been inked today will lead to transformative results for the Bodo people. pic.twitter.com/Y0QYlWvYqU
— Narendra Modi (@narendramodi) January 27, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को लेकर खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट किया, “यह समझौता कई वजहों से महत्वपूर्ण है। इस समझौते के बाद जो लोग सशस्त्र हथियारबंद समूहों से जुड़े थे, वे अब मुख्यधारा में प्रवेश करें और देश की प्रगति में योगदान देंगे।”
Bodo Accord inked today stands out for many reasons.
It successfully brings together the leading stakeholders under one framework.
Those who were previously associated with armed resistance groups will now be entering the mainstream and contributing to our nation’s progress. pic.twitter.com/h7hCRI1o5H
— Narendra Modi (@narendramodi) January 27, 2020
जाहिर है कि NDFB की अगुवाई में असम में अलग राज्य की मांग काफी अर्से से की जा रही थी। लेकिन मोदी सरकार की ओर से सख्त रुख अख्तियार करने के बाद वहां स्थित पूरी तरह से बदल चुकी है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज भारत सरकार, असम सरकार और बोडो संगठन के चार समूहों के बीच समझौता हुआ है, ये सुनहरे भविष्य का दस्तावेज है। साल 1987 से ये आंदोलन हिंसक बना, इसमें 2823 नागरिक संघर्ष में मारे गए है। हिंसा में 949 बोडो काडर के लोग और 239 सुरक्षाबल भी मारे जा चुके हैं।
The Accord with Bodo groups will further protect and popularise the unique culture of the Bodo people.
They will get access to a wide range of development oriented initiatives.
We are committed to doing everything possible to help the Bodo people realise their aspirations. pic.twitter.com/icZFHD1J04
— Narendra Modi (@narendramodi) January 27, 2020
समझौते के मुताबिक सरकार की ओर से बोडो गुटों की एक अलग यूनिवर्सिटी, कुछ राजनीतिक आधार, बोडो भाषा के विस्तार की मांग मान ली है। समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान NDFB संगठन के रंजन दैमिरी, गोविंदा बासुमैत्री, धीरेन बोरे और बी. सारोगैरा समेत अन्य प्रतिनिधि मौजूद थे। जाहिर है कि दो दिन पहले ही पूर्वोत्तर में सैकड़ों की संख्या में अलगाववादियों ने आत्मसमर्पण किया था। इसमें असम के आठ प्रतिबंधित संगठनों से ताल्लुक रखने वाले कुल 644 उग्रवादी शामिल थे। सरेंडर करने वाले उग्रवादियों का संबंध उल्फा (I), NDFB, आरएनएलएफ, केएलओ, सीपीआई (माओवादी), एनएसएलए, एडीएफ और एनएलएफबी से था।