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केजरीवाल मॉडल : अराजकता फैलाओ और चुनाव जीतो, अब गुजरात में चली यह चाल

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सत्ता में अगर लोभ आ जाए तो वह कहीं का नहीं छोड़ती है। यह बात भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल पर पूरी तरह लागू होती है। आज केजरीवाल और उनके करीबी साथी भ्रष्टाचार, शराब घोटाला, मनी लांड्रिंग में इस कदर फंस चुके हैं यह विश्वास ही नहीं होता कि जिसने कभी सरकार में शामिल नहीं होने की कसमें खाई, जिसने सरकार बनाने पर सरकारी गाड़ी-बंगला नहीं लेने की बात कही, जिसने खुद को आम आदमी कहा, जिसने खुद को कट्टर ईमानदार कहा वही इंसान आज भ्रष्टाचार में इस कदर डूबा हुआ है। अब लोगों के सामने केजरीवाल का एक नया रूप सामने आ चुका है। भ्रष्टाचारी केजरीवाल भ्रष्टाचार करने वाले अपने साथियों को पुरजोर तरीके से बचाने की वकालत ही नहीं करते उन्हें भारत रत्न दिलाने की बात भी करते हैं। केजरीवाल सत्ता के लिए इस स्तर तक गिर सकते हैं, यह किसी ने शायद ही कल्पना की होगी। केजरीवाल ने चुनाव जीतने के लिए पहले अपने अराजक मॉडल का इस्तेमाल दिल्ली में किया और इसमें सफलता मिल जाने के बाद उन्होंने पंजाब में अराजकता में भ्रष्टाचार का तड़का भी लगा दिया एवं देश विरोधी तत्वों से भी हाथ मिला लिया। केजरीवाल ने दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए अराजकता का भरपूर इस्तेमाल किया। रोज धरना-प्रदर्शन करके कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने का काम करते रहे और दिल्ली पुलिस उनसे सख्ती न करे इसलिए पुलिसकर्मियों को अपना साथी बताकर उनकी सहानुभूति बटोरी। अब केजरीवाल ने गुजरात चुनाव जीतने के लिए अराजकता मॉडल सामने किया है। गुजरात पुलिस की एक बेटी की कथित चिट्ठी को दिखाते हुए उन्होंने गुजरात पुलिस से अपील की कि वे खुलकर नहीं तो अंदरखाने आम आदमी पार्टी को सपोर्ट करें और सरकार बनते ही उनके वेतन बढ़ा दिए जाएंगे।

अरविंद केजरीवाल ने पुलिसकर्मी की बेटी के खत का किया जिक्र

गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) अपनी जगह बनाने के लिए पूरा दम लगा रही है। दिल्ली व पंजाब में मुफ्त बिजली, युवकों को रोजगार जैसी लुभावनी गारंटी के साथ गुजरात में आप ने आदिवासियों को जंगल-जमीन के अधिकार देने व महिलाओं को एक-एक हजार रुपये का भत्ता देने जैसी घोषणाएं भी की हैं। पिछले महीने अगस्त में अहमदाबाद में आप के महिला सम्मेलन में अरविंद केजरीवाल ने पुलिसकर्मी की बेटी के खत का जिक्र करते हुए गुजरात में आप की सरकार बनने पर पुलिसकर्मियों को बेहतर वेतन-भत्तों का भरोसा देने के साथ उनसे यह अपील किया कि खुलकर नहीं कर सकते तो अंदरखाने आप की मदद करें, ताकि गुजरात में भी आप की सरकार बनाई जा सके। पुलिसकर्मी की बेटी ने गुजरात के पुलिसकर्मियों की दयनीय हालत को लेकर केजरीवाल के नाम कथित पत्र लिखते हुए कहा कि गुजरात में आप का सत्ता में आना तय है, पुलिसवाले व उनके परिवार के लोग काफी परेशान हैं, उन्हें जरूर न्याय दिलाना। केजरीवाल जिस तरह पिछले 10 सालों से झूठ पर झूठ बोलते आए हैं उसे देखते हुए यह शंका पैदा होती है कि यह पत्र वास्तविक है भी या नहीं। यह भी हो सकता है कि चुनाव में गुजरात पुलिस की सहानुभूति बटोरने के लिए केजरीवाल ने यह पत्र अपने पक्ष में लिखवाया हो।

केजरीवाल को लिखे खत में क्या लिखा था

पुलिसकर्मी की बेटी ने सीएम केजरीवाल को खत में लिखा कि, “प्रिय अरविंद केजरीवाल जी, जय हिंद। आप जिस तरह का काम कर रहे हैं, उसके लिए पूरे देश को आप पर गर्व है। यदि आपको समय मिले तो कृपया गुजरात में पुलिसकर्मियों के काम करने की स्थिति, वेतन और दुरुपयोग पर गौर करें। इस सेक्टर में काफी सुधार की गुंजाइश है। आप 2023 में गुजरात में सरकार बनाएंगे इसलिए, मैंने अपनी चिंताओं को आपके साथ साझा करने के बारे में सोचा।” हम आपके साथ खड़े हैं। पुलिसकर्मी की बेटी।

केजरीवाल ने दिया ये आश्वासन

इस पर केजरीवाल ने कहा कि देश के बाकी हिस्सों की तुलना में गुजरात में पुलिसकर्मियों को सबसे कम वेतन मिलता है। “कोई व्यक्ति सिर्फ 20,000 रुपये महीने में अपना घर कैसे चला सकता है? गुजरात में पुलिसकर्मियों के वेतनमान और काम करने की स्थिति में सुधार की उम्मीद है। हम एक अच्छे वेतन और एक स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन का आश्वासन देते हैं। मैं सभी पुलिसकर्मियों को अपना काम करने के लिए धन्यवाद देता हूं और उनसे आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने में मदद करने का आग्रह करता हूं।”

केजरीवाल ने किया खालिस्तानियों के साथ गठजोड़

केजरीवाल सत्ता प्राप्ति के लिए किसी भी निचले स्तर तक जा सकते हैं। पंजाब में खालिस्तानियों के साथ आप का गठजोड़ तो पूरे देश ने देख लिया और अब यह पार्टी यही मॉडल अन्य चुनावी राज्यों में भी अपनाने की कोशिशों में लगी हुई है। गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी के साथ हुआ आप का गठजोड़ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। ट्राइबल पार्टी के मुताबिक देश में दो ही वर्ग ऐसे हैं जिनका शोषण होता आया है और हो रहा है, वो हैं आदिवासी और मुस्लिम। इसके नेता खुद को नक्सली तक कहते रहे हैं। दरअसल, अरविंद केजरीवाल परिवर्तन वाली राजनीति के साथ आम आदमी पार्टी को लेकर आए थे पर यह परिवर्तन कुछ ऐसा होने वाला था इसका अंदेशा तो किसी को नहीं था। गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जिस तरह भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ गठबंधन किया है उससे यह सिद्ध हो रहा है कि आम आदमी पार्टी और विशेषकर केजरीवाल की राजनीति केवल फूट डालो राज करो वाले सिद्धांत पर आधारित है।

अंबेडकर की केवल फोटो लगाते हैं, उनके आदर्शों पर नहीं चलते

दलितों के महानायक और भारत के महान चिंतकों में से एक बीआर अंबेडकर ने 60 साल पहले ‘अराजकता’ की निरर्थकता के बारे में बहुत खुलेपन के साथ अपने विचारों को सामने रखा था। अंबेडकर ने कहा था कि भारत को सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों को पाने के लिए ‘क्रांति के रक्तरंजित तरीकों,’ सविनय अवज्ञा, असहयोग और सत्याग्रह का रास्ता छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा था, “जहां संवैधानिक रास्ते खुले हों, वहां असंवैधानिक तरीकों को सही नहीं ठहराया जा सकता है।” उनके अनुसार, “यह तरीके और कुछ नहीं केवल अराजकता भर हैं और इन्हें जितना जल्दी छोड़ दिया जाए, हमारे लिए उतना ही बेहतर है।” लेकिन लगता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऐसा नहीं सोचते। वह तो अराजकता में भरपूर विश्वास करते हैं।

हां मैं अराजक हूँ: अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल सरकार के काम करने के तौर-तरीक़ों पर जब कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी तब 2014 में उन्होंने कहा, ”वे कहते हैं कि मैं अराजक हूँ। हां मैं मानता हूं कि मैं अराजक हूं। आज महंगाई ने हर घर में अराजकता फैला रखी है। मैं गृहमंत्री के घर में अव्यवस्था फैला दूंगा।”

 

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