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CAG की रिपोर्ट : लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को दिल्ली से भागना पड़ा, क्योंकि मजदूरों के लिए बने फंड का 3200 करोड़ रुपये खा गई केजरीवाल सरकार

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केजरीवाल सरकार के तमाम दावों के बावजूद लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर दिल्ली से पलायन कर रहे थे। इस पलायन पर सवाल भी उठ रहे थे कि आखिर दिल्ली सरकार मजदूरों को इतनी सुविधा दे रही है, तो मजदूर क्यों पलायन कर रहे हैं। इस सवाल का जवाब दिल्ली बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की ऑडिट रिपोर्ट से मिला है, जिसे भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की बेरहम केजरीवाल सरकार ने इस मुश्किल वक्त में भी प्रवासी मजदूरों को उनका हक देने के बजाय उनके 3200 करोड़ रुपये के फंड में गड़बड़ी की।  

दिल्ली सरकार के लेबर मिनिस्ट्री के दिल्ली बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के अधीन ये तमाम गड़बड़ियां हुई हैं। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के फंड में हेराफेरी कर इसे दिल्ली सरकार के स्टाफ और टैक्सी ड्राइवरों में बांट दिया गया।

प्रवासी मजदूरों के 3200 करोड़ के फंड में हेराफेरी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गयी थी। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड को इस मामले में नोटिस दिया था। कोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा था।

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं और दिल्ली सरकार के अधिकारियों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों की वजह से लोग अपनी जान जोखिम में डालकर अपने घरों की ओर निकलने के लिए मजबूर हुए। दिल्ली के आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर अचानक लोगों की भीड़ देखी गई। हजारों की संख्या में लोग अपने घर जाने के लिए निकल पड़े। दिल्ली छोड़कर अपने घरों की तरफ कूच करने वाले लोगों ने जो बातें बतायी थीं, वह अब सच साबित हो रही है। लोगों ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने बिजली-पानी के कनेक्शन काट दिए। लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोजन, दूध नहीं मिला जिस कारण भूखे लोग सड़कों पर उतरे। यहां तक कि दिल्ली सरकार के अधिकारी बक़ायदा एनाउंसमेंट कर अफ़वाह फैलाते रहे कि यूपी बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं, जो उन्हें यूपी और बिहार ले जाएंगी।

 

 

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