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वैश्विक स्तर पर फिर बढ़ा भारत का कद, यूरोपीय संघ,अमेरिका और यूएन अध्यक्ष की असहमति के बावजूद COP-26 में अपनी बात मनवाने में सफल रही मोदी सरकार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व के हर प्रभावशाली मंच पर भारत की दमदार उपस्थिति दिखाई दे रही है। ग्लासगो में निर्धारित समय से एक दिन आगे तक चले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में भी भारत को उस समय बड़ी कूटनीतिक जीत मिली, जब ग्लोबल वार्मिंग को लेकर हुए समझौते के दौरान भारत अंतिम समय में 200 देशों को यह समझाने में कामयाब रहा कि कोयला, पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से कम किया जाए। भारत ने समझौते के अंतिम समय में कोयले को ‘फेज आउट’ के बजाय ‘फेज डाउन’ में शामिल करवाया। 

स्कॉटलैंड में शनिवार (13 नवंबर, 2021) का दिन भारत के लिए खास रहा। सभी देश पहली बार जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी लाने पर राजी हुए। भारत ने आखिरी समय में समझौते में कोयले का उपयोग ऊर्जा उत्पादन में रोकने के बिंदु पर आपत्ति जताई। इसके बाद ‘रोकने’ शब्द को ‘घटाने’ से बदला गया। इस पर चीन व ईरान ने भारत का साथ दिया, हालांकि यूरोपीय संघ व अमेरिका सहित कई देश और संयुक्त राष्ट्र संघ अध्यक्ष इससे खुश नजर नहीं आए, लेकिन उन्हें भारत के तर्कों के सामने आखिरकार सहमत होना पड़ा।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘विकासशील देशों को वैश्विक कार्बन बजट में अपने उचित हिस्से का अधिकार है और वे इस दायरे में जीवाश्म ईंधन के जिम्मेदार उपयोग के हकदार हैं। ऐसी स्थिति में, कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि विकासशील देश कोयला और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के बारे में वादा कर सकते हैं, जबकि विकासशील देशों को अब भी अपने विकास एजेंडा और गरीबी उन्मूलन से निपटना है।’

यूएन अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि पृथ्वी का भविष्य कमजोर धागों से बंधा है। हम जलवायु त्रासदी की ओर बढ़ रहे हैं। भारत द्वारा समझौते में करवाया गया बदलाव हैरान करने वाला है। ऑस्ट्रेलिया के जलवायु विज्ञानी बिल हेर ने कहा कि भारत पहले भी ऐसे कदम उठाता रहा है, लेकिन यह पहली बार है कि उसने सार्वजनिक रूप से ऐसा किया। समझौते में भारत द्वारा करवाए बदलाव से कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष भारतीय मूल के ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री आलोक शर्मा समापन वक्तव्य के समय असहमत दिखे। उन्होंने इसके लिए सभी देशों से माफी मांगी। हालांकि उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि कम से कम कोयले व अन्य जीवाश्म ईंधन का युग खत्म करने पर चर्चा तो हो रही है।

 

 

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