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मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का कमाल, 2030 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय में होगी 70% की बढ़ोतरी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती और तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों और सुधारों का लाभ अर्थव्यवस्था के साथ ही देश की आम जनता को मिल रहा है। जहां भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है, वहीं प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके साथ ही कई आर्थिक संगठनों और अर्थशास्त्रियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था और लोगों के प्रति व्यक्ति आय को लेकर भी बेहतर भविष्य का आकलन किया है। इस आकलन के मुताबिक जहां भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2027-28 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, वहीं 2030 तक प्रति व्यक्ति आय में 70 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है। 

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2030 तक लगभग 70 प्रतिशत यानी अगले सात साल में सात गुना बढ़ने का अनुमान है और मौजूदा स्तर 2,450 डॉलर से बढ़कर 4,000 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। प्रति व्यक्ति आय के पिछले 20 साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो 2001 के बाद से प्रति व्यक्ति आय में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2011 में 460 डॉलर से बढ़कर 1,413 डॉलर और 2021 में 2150 डॉलर हो गया। इस तरह प्रति व्यक्ति आय में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। रिसर्च में कहा गया है कि आय में बढ़ोतरी से देश को 6 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी और इसका आधा हिस्सा घरेलू खपत से आएगा। इस बढ़ोतरी में सबसे बड़ा योगदान बाहरी व्यापार होगा। 

रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2030 तक आज के डॉलर के हिसाब से भारत की प्रति व्यक्ति आय 329122.40 रुपये हो जाने की संभावना है। इसके साथ ही राज्यों की प्रति व्यक्ति आय में भी बदलाव होने का अनुमान है। प्रति व्यक्ति आय के आधार पर रैंकिंग में गुजरात टॉप पर आ सकता है। इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, हरियाणा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश रहने वाला है। वहीं वर्तमान में वित्त वर्ष 2023 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में तेलंगाना 2.75 लाख रुपये के साथ शीर्ष स्थान पर है। इसके बाद कर्नाटक 2.65 लाख रुपये, तमिलना़डु 2.41 लाख रुपये, केरल 2.30 लाख रुपये और आंध्र प्रदेश 2.07 लाख रुपये है। 

आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

पीएम की गारंटी 2027 तक होगी पूरी-एसबीआई रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘भारत मंडपम’ का उद्घाटन करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ी गारंटी दी। उन्होंने कहा कि मेरे तीसरे कार्यकाल में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी के एक दिन बाद भारत का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया कि भारत 2027 तक दुनिया की तीससी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत के जीडीपी की वृद्धि दर (स्तिर मूल्य पर) 2023-24 में 6.5 प्रतिशत रहेगी। देश ने 2014 के बाद से जिस रास्ते को चुना है, उससे पता चलता है कि भारत मार्च 2023 के वास्तविक जीडीपी आंकड़े के आधार पर वित्त वर्ष 2027-28 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। इससे पहले की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत दो साल पहले ही प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी को पूरा कर लेगा। पिछले अनुमान में एसबीआई ने 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना जताई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2022-27 के दौरान अर्थव्यवस्था के आकार में 1800 अरब डॉलर की वृद्धि ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था के मौजूदा आकार से ज्यादा होगी।

2027-28 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा-आईएमएफ
तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जो अनुमान व्यक्त किया था, उसके मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था, जो वर्तमान में लगभग 3.75 ट्रिलियन डॉलर है, वित्त वर्ष 2027-28 तक 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएगी। भारत 5.2 ट्रिलियन डॉलर के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इस दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था 31 ट्रिलियन डॉलर के साथ शीर्ष पर रहेगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत होगी। इसके बाद चीन 25.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर रहेगा और वैश्विक जीडीपी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।

मौजूदा वित्त वर्ष में 6 से 6.3 % और अगले दो साल में 7 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर
दुनिया भर में जारी मंदी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। मोदी राज में आर्थिक मोर्चे पर एक और अच्छी खबर आई है। दुनिया की प्रमुख फाइनेंशियल एडवाइजर फर्म डेलॉयट ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक टिप्पणी की है। मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6-6.3 प्रतिशत रहने की संभावना जताते हुए डेलॉयट इंडिया ने कहा है कि वैश्विक अनिश्चितताएं कम होने पर अगले दो साल में इसकी वृद्धि दर सात प्रतिशत से भी अधिक रह सकती है। डेलॉयट इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितताएं जारी रहने के बावजूद भारत में मजबूत आर्थिक गतिविधियां जारी हैं। डेलॉयट ने कहा है कि अगर वैश्विक अनिश्चितता में कमी आती है तो भारत की वृद्धि दर अगले दो वर्षों में 7 प्रतिशत को पार कर सकती है।

आईएमएफ ने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर किया 6.1 प्रतिशत
देश की इकोनॉमी पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF आईएमएफ) का भरोसा बढ़ा है। वैश्विक निकाय ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ अनुमान को बढ़ा दिया है। आईएमएफ ने 2023 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह अप्रैल में बताए गए अनुमान से 0.2 प्रतिशत ज्यादा है। आईएमएफ ने कहा है कि मजबूत घरेलू निवेश के परिणामस्वरूप 2022 की चौथी तिमाही में उम्मीद से अधिक मजबूत वृद्धि दिखी है। इसके साथ ही उसने अपने ताजा अनुमान में भारत के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का टैग भी बरकरार रखा है। चीन की वृद्धि दर भारत से कम 2023 में 5.2 प्रतिशत और 2024 में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक वृद्धि 2023 और 2024 में 3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

चुनौतियों के बाद भी सबसे तेज रहेगी भारत की आर्थिक वृद्धि
दुनिया भर के तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि भारत आने वाले समय में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी एक बार फिर कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 6.1 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है। आईएमएफ के अनुमान के अनुसार रूस-यूक्रेन संकट, कोरोना महामारी और महंगाई जैसी चुनौतियों के बाद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहेगी।

आईएमएफ ने कहा है कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में भारत की हिस्सेदारी 2028 तक फ्रांस और ब्रिटेन को पार कर जाने की उम्मीद है। इससे भारत वैश्विक आर्थिक विकास को चलाने में एक प्रमुख देश बन जाएगा। वैश्विक विकास में 75 प्रतिशत योगदान देने वाले 20 देशों में अमेरिका और चीन के साथ भारत शीर्ष योगदानकर्ताओं में बना हुआ है। 2023 में वैश्विक विकास में भारत का योगदान 15 प्रतिशत रहने की भी उम्मीद जताई गई है।

कई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है भारत
इसके पहले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की उपप्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की कई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को लेकर दुनियाभर में पॉजिटिव सेंटीमेंट है। बहुत सारे बिजनेस और कंपनियां भारत को एक निवेश डेस्टिनेशन के रूप में देख रही हैं, क्योंकि वे चीन सहित दूसरे देशों से निकलने की कोशिश कर रहे हैं।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
इसके पहले आईएमएफ ने कहा था कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

भारत वैश्विक मंदी के बीच चमकता सितारा, आर्थिक मोर्चे पर मजबूत- एडीबी
दुनिया इस समय मंदी की चपेट में हैं। अमेरिका जैसे विकसित देशों की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है। इनके विकास दर में गिरावट आ रही है और महंगाई चरम पर है। ऐसी स्थिति में भारत एक चमकता हुआ सितारा बन गया है। इसकी पुष्टि एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के एशियन डेवलपमेंट आउटलुक अपडेट में की गई है। इसमें भारत की विकास दर का अनुमान 2023-24 के लिए 6.4 प्रतिशत और 2024-25 के लिए पहले की तरह 6.7 प्रतिशत बरकरार रखा गया है। इस दौरान भारत का विकास दर चीन से अधिक रहेगा।

2075 तक भारत बनेगा दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- गोल्डमैन सैश
भारत फिलहाल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अमेरिका, जापान, चीन, जर्मनी से पीछे है, लेकिन भारत तेजी से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है। गोल्डमैन सैश की रिपोर्ट के अनुसार भारत 2075 तक दूनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार भारत जापान, जर्मनी और अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। गोल्डमैन सैश के रिसर्च इकोनॉमिस्ट शांतनु सेनगुप्ता के मुताबिक भारत की आबादी में दुनिया की आबादी की तुलना में सबसे बेहतरीन मिश्रण मौजूद है। कामगारों, बच्चों और बुजुर्गों की आबादी भारत में अन्य देशों की तुलना में सबसे अच्छी है। इस कारण भारत मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने तकनीक और अनुसंधान के क्षेत्र में अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर काम किया है। ये दोनों ही क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा कैपिटल निवेश भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बड़ी मदद कर रहा है।

इस साल भी सबसे तेजी से बढ़ेगी देश की अर्थव्यवस्था- एसएंडपी
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत की वृद्धि दर सबसे अधिक रहेगी। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने एशिया-प्रशांत के लिए अपनी तिमाही आर्थिक समीक्षा में कहा है कि घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती के कारण भारत की वृद्धि दर छह प्रतिशत रहेगी। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) लुइस कुइज ने कहा कि मध्यम अवधि के लिए वृद्धि अनुमान अपेक्षाकृत ठोस बना हुआ है। एशिया की उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं 2026 तक हमारे वैश्विक वृद्धि परिदृश्य में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बनी हुई हैं। एसएंडपी ने 2023 के लिए चीन की वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया है।

एसएंडपी को आर्थिक वृद्धि दर 2024-26 में बढ़कर 6.9 प्रतिशत होने की उम्मीद
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद भी जताई है। एसएंडपी के मुताबिक 2024-25 और 2025-26 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। वहीं 2026-27 में यह बढ़कर 7.1 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

2023-24 में 6.5 प्रतिशत रहेगी जीडीपी ग्रोथ रेट- आरबीआई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2023-24 में 6.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। गवर्नर दास ने कहा कि हमने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। हमें इसको हासिल करने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर को लेकर हमने संतुलित रुख लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि, वैश्विक स्तर पर कमजोर मांग, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता, लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव और अल नीनो प्रभाव की आशंका से जोखिम भी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का संभावना है। रिजर्व बैंक ने इस महीने पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में भी जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को बरकरार रखा है।

फिच रेटिंग्स ने बढ़ाया भारत की जीडीपी का अनुमान
वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। ग्लोबल एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया। फिच ने विकास का अनुमान वित्त वर्ष 2023 के 7.2 प्रतिशथ को देखते हुए किया है। फिच ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापक रूप से मजबूत है। 2023 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह सालाना आधार 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। हाल के महीनों में वाहन बिक्री के आंकड़े बेहतर रहे हैं। इसके अलावा पीएमआई सर्वे और ऋण की वृद्धि भी मजबूत रही है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष के लिए हमने वृद्धि दर के अनुमान को 0.3 प्रतिशत बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही फिच ने कहा कि 2024-25 और 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

वैश्विक मंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर नहीं- फिच
रेटिंग एजेंसी फिच ने इसके पहले भारत की संप्रभु रेटिंग के परिदृश्य को स्थिर बताते हुए कहा कि देश का विकास मजबूत दिख रहा है। फिच रेटिंग्स ने भारत की दीर्घकालिक विदेशी मुद्रा जारीकर्ता डिफॉल्ट रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी’ के स्तर पर रखा है। फिच ने कहा कि भारत की रेटिंग अन्य देशों की तुलना में मजबूत ग्रोथ और बाहरी वित्तीय लचीलापन दर्शा रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को पिछले साल के बड़े बाहरी झटकों से पार पाने में मदद मिली है।

FY23-24 में भारत की ग्रोथ रेट हो सकती है 6.5 प्रतिशत से अधिक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था रूस- यूक्रेन संकट और कोरोना महामारी काल में भी मजबूत बनी हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। टाटा कैपिटल के एमडी और सीईओ राजीव सभरवाल ने कहा है कि सभी इकॉनोमिक इंडीकेटर्स बताते हैं कि FY23-24 में भारत की ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इंडियन इकोनॉमी लंबी अवधि में हर साल 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। राजीव सभरवाल ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर यह भी लगता है कि ये ग्रोथ 6.75 प्रतिशत तक रह सकती है।

वित्त वर्ष 2023-24 में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था- विश्व बैंक
विश्व बैंक का कहना है कि भारत सबसे बड़े उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सकल और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दोनों के मामले में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहेगी। विश्व बैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावनाओं पर अपनी ताजा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उभरती हुई प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में भारत कुल मिलाकर और प्रति व्यक्ति जीडीपी दोनों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। विश्व बैंक ने कहा कि भारत में निजी उपभोग और निवेश में अप्रत्याशित जुझारूपन देखने को मिल रहा है। साथ ही सेवाओं की वृद्धि भी मजबूत है। अपनी ताजा रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है कि 2023 में वैश्विक वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत रहेगी, जो इससे पहले 2022 में 3.1 प्रतिशत रही थी। इसके साथ ही साथ ही यह भी कहा है कि चीन के अलावा उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में वृद्धि दर इस वर्ष 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

भारत ‘ब्राइट स्पॉट’ के रूप में बरकरार, 2024 में 6.7 प्रतिशत रहेगी वृद्धि दर
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ‘ब्राइट स्पॉट’ के रूप में बरकरार है। यूएन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय आर्थव्यवस्था के संबंध में कई सकारात्मक चीजें दिख रही हैं और यह कैंलेडर वर्ष 2024 में 6.7 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार घरेलू मांग में लचीलापन बरकरार रहने से भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग में वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा, आर्थिक विश्लेषण और नीति प्रभाग के प्रमुख हामिद राशिद ने कहा है कि हम इस साल के लिए अपने पूर्वानुमान को लेकर काफी आश्वस्त हैं।

वित्तवर्ष 23-24 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा है कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद विकास दर 6.5 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका और यूरोपीय बैंकिंग संकट का भारत के वित्त क्षेत्र पर कोई प्रभाव पड़ेगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन, भारत मिलकर करेंगे आधा योगदान
चीन के अग्रणी शोध संस्थान ‘बाओ फोरम फॉर एशिया’ (बीएफए) ने 28 मार्च, 2023 को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि 2023 में एशियाई अर्थव्यवस्थाएं दुनिया के समग्र आर्थिक पुनरुद्धार की रफ्तार को बनाए रखे हुए हैं। इस साल की ग्रोथ में भारत और चीन मिलकर करीब आधा योगदान देंगे जिससे एशिया ‘असाधारण प्रदर्शन’ करने वाला महाद्वीप बनकर उभरेगा। ‘एशियाई आर्थिक परिदृश्य एवं एकीकरण में प्रगति’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत और चीन इस साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि में मिलकर आधा योगदान देने वाले हैं। इस तरह एशियाई अर्थव्यवस्थाएं वर्ष 2023 में समग्र आर्थिक वृद्धि को तेज करने में प्रमुख इंजन बनी हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 में एशिया की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर वर्ष 2022 के 4.2 प्रतिशत से बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।

सात प्रतिशत रहेगी भारत की विकास दर- एक्यूइट
दुनिया भर के सभी अंतरराष्ट्रीय संगठन और अर्थशास्त्री भारत की आर्थिक तरक्की का लोहा मान रहे हैं। तमाम सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि भारत आने वाले समय में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। अब क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने भी वित्त वर्ष 23 में सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने की बात कही है। एक्यूइट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 23 में जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 24 में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। एजेंसी ने कहा कि भारत की औद्योगिक विकास दर में वृद्धि हुई है। उद्योग उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में भी मजबूती देखी गई है।

भारत की विकास दर पूरी दुनिया में होगी सबसे तेज 
पूरे विश्व में भारतीय अर्थव्यवस्था का डंका बज रहा है। विदेशी उद्योगपति और निवेशक भी भारत के आर्थिक विकास का लोहा मान रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट 2023 में भारत के आर्थिक सुधारों की तारीफ करते हुए अमेरिका के मशहूर निवेशक रे डालियो ने कहा कि भारत की विकास दर पूरी दुनिया में सबसे तेज होगी। अमेरिकी कारोबारी डेलियो ने ‘सरकार और बदलती विश्व व्यवस्था’ सत्र के दौरान इस बात पर जोर दिया कि भारत आने वाले वर्षों में सबसे ज्यादा तरक्की करेगा। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है। मोदी सरकार में हुए सुधारों की तारीफ करते हुए डालियो ने कहा कि एक दशक में दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत में सबसे तेज और बड़े बदलाव हुए हैं। अब भी तेज रफ्तार से बदलाव जारी हैं। पिछले 10 वर्षों के अध्ययन से और जो हम देश के लिए देख रहे हैं उसके आधार पर, भारत में सबसे बड़ी और सबसे तेज विकास दर होगी। 

2030 तक विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनेगा भारत
स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) 2023 में वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट का सामना करने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था साल 2028 में 5 लाख करोड़, 2036 में 10 लाख करोड़ के पड़ाव को पार करते हुए साल 2047 तक 26 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। वहीं प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय बढ़कर छह गुना हो जाएगी। वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई द्वारा ‘इंडिया एट 100 : रीयलाईजिंग द पोटेंशियल ऑफ 26 ट्रिलियन इकोनॉमी’ नाम से पेश रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2030 तक भारत जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुका होगा। 6 प्रतिशत की सालाना औसत वृद्धि दर के आधार पर आंकलन किया गया कि 2047 में प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय 15 हजार डॉलर यानी मौजूदा विनिमय दर के लिहजा से करीब 12.25 लाख रुपये पहुंच जाएगी, यह आज के स्तर से 6 गुना से अधिक होगी। 

बिजनेस लीडर्स को उम्मीद 2023-24 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी जीडीपी
मोदी सरकार की नीतियों के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है। Deloitte Touche Tohmatsu India (डीटीटीआई) के सर्वेक्षण के अनुसार देश के 60 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का मानना है कि 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इंडस्ट्री लीडर्स ने यह भी कहा कि इंडस्ट्री, केमिकल, कैपिटल गुड्स और ऊर्जा सेक्टर में उच्च वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, पीएलआई और रिजर्ब बैक की अनुकूल मौद्रिक नीतियां, बुनियादी ढांचे पर खर्च में वृद्धि और रिसर्च व इनोवेशन इस गति को और आगे बढ़ाएंगे। उद्योगपतियों का यह भी कहना था कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है और 7 प्रतिशत विकास दर की राह पर है।

सात प्रतिशत से ज्यादा रहेगी आर्थिक वृद्धि दर
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ेगी। इतना ही नहीं 2023-24 में भी यह वृद्धि दर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि मंदी की आशंका कुछ समय से बनी हुई है, लेकिन अभी तक न तो अमेरिका और न ही यूरोपीय संघ इसकी चपेट में आया है। भारत के लिए सबसे खराब दौर खत्म हो चुका है। अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों के बीच ऊंची और जुझारू क्षमता का प्रदर्शन कर रही है। 

देश में कई साल रह सकता है 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट
मोदी राज में विकास की स्थिति यह है कि देश में कई साल तक 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट रह सकता है। राजस्थान के उदयपुर जिले में जी-20 अध्यक्षता के तहत आयोजित पहली शेरपा बैठक में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत कई वर्षों तक 9 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि दुनिया लगातार उच्च वृद्धि दर हासिल करे। सान्याल ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल 2,200 अमेरिकी डॉलर है और यह कई वर्षों की उच्च वृद्धि दर के बाद हासिल की गई है। विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में एसडीजी हासिल करने के लिए जीडीपी विकास दर को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा भारत
भारत 2023 में जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा कि राजकोष के स्तर पर भारत का मजबूत रुख बरकरार है और आने वाले समय में राजस्व के साथ कर्ज के स्थिर होने के मामले में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी गुजमैन ने कहा कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि भारत 2023 में जी-20 में तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाला देश होगा। मूडीज ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि 4.8 और 2024 में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। जबकि मूडीज ने जी-20 अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर 2023 में 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।

देश में मंदी की आशंका नहीं, छह से सात प्रतिशत रहेगी वृद्धि दर- राजीव कुमार
दुनियाभर में मंदी की आशंकाओं के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि भारत में इसका कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन की अर्थव्यवस्थाएं नीचे आ रही हैं। ऐसे में यह स्थिति आने वाले महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जा सकती है। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित तो जरूर हो सकती है, लेकिन 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत में मंदी की ऐसी कोई आशंका नहीं है, क्योंकि भले ही हमारी वृद्धि वैश्विक परिस्थितियों से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है, इसके बावजूद 2023-24 में हम 6-7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने में कामयाब रहेंगे।”

विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद- पीएचडीसीसीआई
देश के लिए अच्छी खबर यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है। पीएचडीसीसीआई के नए अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि उत्पादन में तेजी आई है और देश में मजबूत मांग है। डालमिया ने यह भी कहा कि उद्योग मंडल ने अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और रसायनों जैसे 75 संभावित उत्पादों की पहचान की है, ताकि वर्ष 2027 तक 750 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सके।

विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान- मुख्य आर्थिक सलाहकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवी बड़ी आर्थिक शक्ति बना है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन वास्तव में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में और एक दशक तक भारत की आर्थिक विकास दर सात प्रतिशत के आसपास रह सकती है।

ADB को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद
एशियाई विकास बैंक- (एडीबी-ADB) को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अपनी फ्लैगशिप एडीओ रिपोर्ट में कहा कि जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

एशिया की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
भारत वर्ष 2030 तक जापान को पीछे छोड़कर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएचएस मार्किट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया कि वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जीडीपी 2030 में बढ़कर 84 खरब डॉलर होने का अनुमान है, जो फिलहाल 27 खरब डॉलर है। वर्ष 2030 तक भारत की जीडीपी की साइज जर्मनी और ब्रिटेन से ज्यादा होकर अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन सकती है। आईएचएस मार्किट ने दावा किया कि कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मजबूत और स्थिर दिख रहा है, जिससे अगले एक दशक तक यह सबसे तेज बढ़ती जीडीपी वाला देश बना रहेगा।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वे के अनुसार 2023 में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के 2023 में मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

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