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मेवात में शोभायात्रा पर हमला व पथराव पूर्वनियोजित, जिहादी लगा रहे थे- पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे

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हरियाणा के मेवात इलाके को मिनी पाकिस्तान कहा जाता है। यह मुस्लिम बहुल इलाका अपराधियों के गढ़ के रूप में भी जाना जाता है। मेवात के नूंह जिले में विश्व हिंदू परिषद द्वारा 31 जुलाई 2023 को ब्रजमंडल यात्रा निकाली जा रही थी। यह शोभायात्रा शांतिपूर्ण थी लेकिन इसी दौरान अचानक कुछ युवकों की भीड़ आई और उन्होंने यात्रा को रोकने की कोशिश करते हुए कुछ कारों में आग लगा दी। इसके बाद शोभायात्रा पर पथराव किया गया और इलाके के मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। इस हिंसा में दो होमगार्ड्स के जवानों के साथ ही पांच लोगों की मौत हो गई वहीं करीब 60 लोग घायल हो गए। शोभायात्रा में शामिल हजारों हिंदुओं को मंदिरों में शरण लेना पड़ा। इस दौरान करीब 50 से ज्यादा गाड़ियों में आग लगा दी गई। जिस तरह छतों से पत्थर फेंके गए और गाड़ियों को आग के हवाले किया गया उससे साफ पता चलता है कि जिहादी मानसिकता के लोगों का शोभायात्रा पर हमला पूर्वनियोजित था। आजादी के समय जब देश का बंटवारा हो रहा था तब मेवात के मुसलमान पाकिस्तान जाना चाहते थे लेकिन उस वक्त महात्मा गांधी ने उन्हें भारत में ही रोकने के लिए 19 दिसंबर 1947 को झरसा गांव गए। गांधीजी ने एक सभा की और मेव मुसलमानों से भारत में ही रुकने का आग्रह किया। यह सब उन्होंने तब किया जबकि उन्हें पता था कि मेवात के मुसलमान जरायम पेशा जाति (अपराध करके आजीविका चलाने वाली जाति) है। अब इसका खामियाजा देश भुगत रहा है कि हिंदू शांतिपूर्ण शोभायात्रा भी नहीं निकाल सकते।

2,500 लोगों ने हिंसा के बाद गुरुग्राम के पास मंदिर में ली शरण
हरियाणा के मुस्लिम बहुल नूंह इलाके में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़कने के बाद 31 जुलाई 2023 को बच्चों सहित लगभग 2,500 लोगों ने गुरुग्राम के पास एक मंदिर में शरण ली। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसूगैस का इस्तेमाल करना पड़ा। पुलिस ने हवाई फायर भी किए। तनावग्रस्‍त इलाके में अतिरिक्‍त बलों की तैनाती की गई है।

पहाड़ियों से मंदिर पर की गई फायरिंग, लग रहे थे अल्लाहू अकबर-पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित हिंदुओं का कहना है कि नल्हड़ शिव मंदिर पर करीब 150 कट्टरपंथियों की भीड़ फायरिंग कर रही थी। उन्होंने यह मंदिर तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा है। पहाड़ियों से करीब 150 लोगों की भीड़ मंदिर पर फायरिंग कर रही थी। जैसे-जैसे शाम ढलती गई फायरिंग तेज होती गई। उनके अनुसार शाम के करीब आठ बजे उन लोगों को प्रशासन ने मंदिर से बाहर निकाला था। लेकिन जब पुलिस लोगों को नूहं के पुलिस लाइन ले जा रही थी, तब भी मुस्लिमों की भीड़ ने पत्थरबाजी की थी। इस मंदिर में सैकड़ों की संख्या में लोग फंसे हुए थे, जिन्हें पुलिस-प्रशासन ने 31 जुलाई की रात बाहर निकाला था। प्रत्यक्षद​र्शियों के अनुसार हिंदुओं को निशाना बनाने वाली भीड़ ‘अल्लाह-हू अकबर’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगा रही थी।

मेवात हिंसा में अब तक 5 लोगों की मौत
हरियाणा के नूंह जिले में विश्व हिंदू परिषद की यात्रा को रोकने की कोशिश करने पर भड़की हिंसा में अब तक कुल पांच लोगों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद नूंह जिले के मेवात समेत कई इलाकों में तनाव की स्थिति है। जिसके चलते गुरुग्राम समेत हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है और इंटरनेट पर पाबंदी है। इसके अलावा तमाम स्कूलों को बंद करने का आदेश भी जारी हुआ है।

अभिषेक को पहले गोली मारी, फिर गला काट पत्थर से कुचला
हरियाणा के नूहं इलाके में 31 जुलाई 2023 को जलाभिषेक यात्रा निकाल रहे हिन्दुओं पर हमला किया गया था। इस हमले में सबसे पहले 2 होमगार्ड सहित मिठाई विक्रेता शक्ति सैनी की हत्या की गई। इसके अलावा, अभिषेक राजपूत नाम के बजरंग दल कार्यकर्ता को गोली मार दी गई। उसके बाद उनका गला काटकर सिर को पत्थरों से कूच दिया गया। यह सब ISIS और तालिबान के स्टाइल में किया गया। ऑपइंडिया के मुताबिक 31 जुलाई को अभिषेक पानीपत से नल्हड मंदिर में जल चढ़ाने आए थे। इस दौरान वह मुस्लिमों भीड़ के हमले की चपेट में आ गए। भारत भूषण के मुताबिक, दंगाइयों ने अभिषेक को पहले गोली मारी और बाद में उनका गला रेत दिया।

हिंसा में दो होमगार्ड के जवान की मौत
हरियाणा के नूंह जिले में शोभा यात्रा के दौरान भड़की हिंसा में घायल हुए दो और लोगों ने दम तोड़ दिया है। मृतकों की पहचान होमगार्ड नीरज और गुरसेवक और भादस गांव निवासी शक्ति के रूप में हुई है। हिंसा में मारे गए एक अन्य व्यक्ति की अभी पहचान नहीं हो पाई है। नूंह में हिंसा के दौरान घायल हुए लोगों में 10 पुलिसकर्मी शामिल हैं। पुलिस ने इस मामले में 11 एफआईआर दर्ज की हैं और 27 लोगों को हिरासत में लिया है। हिंसा के दौरान करीब 50 वाहनों को फूंक दिया गया। फिलहाल पूरे जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट बंद है।

नूहं हिंसा की तैयारी 6 महीने पहले से हो रही थी
नूहं हिंसा को लेकर यह बात सामने आई है कि इसकी तैयारी 6 महीने से की जा रही थी। हमले के दौरान मंदिर परिसर में घिरे लोगों पर एके-47 से फायरिंग की गई थी। 14 साल के छोटे-छोटे बच्चे गोली चला रहे थे। छतों पर पहले से ही पत्थर जमा करके रखे गए थे।

नूंह में भड़की हिंसा गुरुग्राम तक पहुंची
नूंह में हिंसा के बाद गुरुग्राम के सेक्टर-57 में भीड़ के हमले में एक शख्स की मौत हो गई। इसके बाद पूरे इलाके में धारा-144 लागू कर दी गई। इस घटना को लेकर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि भीड़ ने गोलियां चलाईं, जिसके कारण दो लोग घायल हो गए और इनमें से एक ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। मृतक की पहचान बिहार निवासी साद के रूप में हुई है।

हिंसा की लपटें सोहना इलाके तक में पहुंच गई 
मुस्लिम बहुल नूंह में हिंसा की खबर फैलते ही, पास के ही सोहना इलाके से भी हिंसा की घटनाएं सामने आने लगीं। भीड़ ने कई वाहनों और एक दुकान को आग के हवाले कर दिया। इस घटना के बाद सोहना में भी भारी पुलिसबल भेजा गया। नूंह और अन्य प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कई कंपनियां तैनात हैं।

अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात
कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरियाणा के नूंह में अर्धसैनिक बलों की 15 कंपनियां तैनात की गई हैं। नूंह में हिंसा के बढ़ते मामले को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अर्धसैनिक बलों को तैनात करने का फैसला किया। राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इसकी मांग की थी। इसके अलावा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की नूंह जिले में होने वाली एक और दो अगस्त की परीक्षा स्थगित की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा- दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी
नूंह और आसपास के इलाकों में हुई हिंसा की घटनाओं पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘‘आज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं सभी लोगों से प्रदेश में शांति बनाए रखने की अपील करता हूं। दोषी लोगों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।’’

महात्मा गांधी ने मेवात के मुसलमानों को पाकिस्तान जाने से रोका
बंटवारे के समय 1947 में मेवात के मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे। ऐसे माहौल में इन्हें भारत में ही रोकने के लिए गांधीजी 19 दिसंबर 1947 को झरसा गांव गए। गांधीजी ने एक सभा की और मेव मुसलमानों से भारत में ही रुकने का विनम्र आग्रह किया। गांधीजी ने जो भाषण उस दिन दिया था वो प्रकाशित हुआ है “संपूर्ण गांधी वांग्मय के खंड 90 के पेज नंबर 252” पर।

गांधीजी ने कहा था- मेव मुसलमान भारत की प्रजा है, सरकार उन्हें बसाए
गांधीजी ने मेव मुसलमानों के सामने इस सभा में कहा- “मुझसे ये कहा गया है कि मेव करीब-करीब ‘जरायम पेशा जाति (अपराध करके आजीविका चलाने वाली जाति)’ की तरह हैं। अगर ये बात सही है तो आप लोगों को अपने आपको सुधारने की कोशिश करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि आप मेरी इस सलाह पर नाराज़ नहीं होंगे। केंद्र सरकार से मैं ये कहूंगा कि अगर मेवों पर ये आरोप (अपराधी होने के) सही हैं तो भी इस दलील के आधार पर उन्हें निकालकर पाकिस्तान नहीं भेजा जा सकता। मेव लोग भारत की प्रजा हैं इसलिए सरकार का ये कर्तव्य है कि वो मेवों को शिक्षा की सुविधा देकर, उन्हें बसाने के लिए बस्तियां बनाकर अपने आपको सुधारने में मदद करे।”

गांधीजी ने कहा था- मेव मुसलमानों को शराफत का रास्ता बताना चाहिए
गांधीजी के विनम्र आग्रह और सरकार पर बने दवाब की वजह से मेव मुसलमान पाकिस्तान नहीं गएष फिर इसी शाम को गांधी ने दिल्ली के बिड़ला भवन में अपनी प्रार्थना सभा में जो कहा वो भी “संपूर्ण गांधी वांग्मय के खंड 90 के पेज नंबर 254” पर दर्ज है। गांधीजी ने तब कहा- “ऐसा कहने से तो काम नहीं चलेगा कि मेव गुनाह करने वाली कौम है। गुनाह करने वाला कौन है और कौन नहीं… ये कौन जानता है? क्या जो लोग गुनाह करते हैं क्या उनको आप भारत से बाहर निकाल देंगे? यहां से निकाल देंगे या मार डालेंगे? तुम यहां से चले जाओ, ये कहने से तो काम नहीं हो सकता। इनको (मेव मुसलमानों) तो सुधारना चाहिए और अच्छी शिक्षा देना चाहिए। जो शराफत का रास्ता है वो इनको बताना चाहिए।”

एक दिन तो हिंदुओं के सब्र का बांध भी टूट ही जाएगा!
भारत में हिंदू बहुसंख्यक हैं, लेकिन वे शोभायात्रा नहीं निकाल सकते, रामनवमी नहीं मना सकते, होली पर डीजे नहीं बजा सकते, दुर्गा विसर्जन नहीं कर सकते, शिवरात्रि नहीं मना सकते, कांवर यात्रा नहीं निकाल सकते क्योंकि हर जगह मुसलमानों के पत्थर हैं जो किसी भी बात पर बरस जाते हैं। हिंदू बेटियों के वीडियो हॉस्टलों में मुस्लिम लड़कियां बना रही हैं, श्रीकांत पासवान के शव को मुस्लिम आरोपित पीटता है, उस पर पेशाब करता है, लेकिन कोई दलित चिंतक आवाज नहीं उठाता, चर्चा तक नहीं होती! तब कोई मानवता लज्जित नहीं होती। राम-लक्ष्मण-सीता के कार्टून में नग्न सीता हो, मुहर्रम पर पत्थरबाजी हो, भगवा झंडे देख कर हमला हो, ताजिए के जुलूस में बच्ची का रेप हो, कोई कुछ नहीं बोलता। अब मीलार्ड भी यूरोपीय संसद को खुश करने के लिए स्वतः संज्ञान लेते हैं। लेकिन इस देश के बहुसंख्यक कब तक यह सब सहते रहेंगे, कब तक बर्दाश्त करेंगे…आखिर कब तक? एक दिन उनके सब्र का बांध भी टूट ही जाएगा! 

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