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चीन को उसी की भाषा में जवाब देगा भारत, तिब्बत की 30 जगहों का नाम बदलेगा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तीसरा कार्यकाल अभी शुरू ही हुआ है। 4 जून को लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद पीएम मोदी ने कहा था तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा। अभी इस बात के 10 दिन भी नहीं हुए हैं और भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की शुरुआत कर दी है। चीन जिस तरह से अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों के नाम बदलकर अपना बताने की चाल चलता रहा है ठीक उसी तरह अब भारत तिब्बत के 30 स्थानों का नाम बदलकर उसे जवाब देगा। भारत अपने LAC के अंदर के इलाकों का नाम बदल कर वेबसाइट पर डालेगा। बताया जाता है कि विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की पहली बैठक में तिब्बत के 30 इलाकों के नाम बदले जाने का फैसला किया गया। भारत के इस कदम को जवाबी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे चालबाज चीन अपनी नापाक नीति पर सोचने को विवश होगा और दोबारा ऐसा करने से पहले कई बार सोचेगा।

भारत जल्द जारी करेगा चीन के साथ LAC का नया मैप
लोकसभा चुनाव में NDA की जीत के बाद भारत ने चीन के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को काउंटर करने के लिए भारत अब तिब्बत की 30 से ज्यादा जगहों के नाम बदलने जा रहा है। भारतीय सेना जल्द ही जगहों की लिस्ट के साथ चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का नया मैप जारी करेगी। दरअसल, चीन ने अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के नाम बदले थे। चीन की सरकार इन इलाकों को अपना क्षेत्र बताती है। ड्रैगन की इसी हरकत का जवाब देने के लिए भारत सरकार ने यह फैसला लिया है।

तिब्बत के नए नामों की लिस्ट जल्द ही सार्वजनिक होगी
तिब्बत के इलाकों का नाम बदलने के लिए काफी रिसर्च की गई। भारतीय भाषा में पुराने नामों को आधार बनाकर इन जगहों के नए नाम रखे गए हैं। भारतीय सेना की इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर डिवीजन को इलाकों के नाम बदलने का जिम्मा सौंपा गया था। नामों को लेकर तिब्बत के स्थानीय लोगों की राय ली गई है साथ ही और इस पर व्यापक शोध भी किया गया है। जानकारी के मुताबिक, तिब्बत के नए नामों की लिस्ट को जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। रिपोर्ट में ये बताया गया कि भारतीय सेना ने पिछले कुछ हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश के उन इलाकों का दौरा भी किया, जिन्हें चीन अपना बताता है। इस दौरान पत्रकारों के जरिए क्षेत्रीय लोगों से भी बात की गई। उन्होंने चीन के दावों को खारिज करते हुए खुद को भारतीय नागरिक कहा।

चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के नाम बदले थे
चीन ने 1 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर वहां की 30 जगहों के नाम बदल दिए थे। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इनमें 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। हालांकि, इन जगहों के नाम क्या रखे गए, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई। इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया था।

चीन ने 7 साल में चार बार अरुणाचल की जगहों के नाम बदले
पिछले 7 सालों में ऐसा चार बार हुआ, जब चीन ने अरुणाचल की जगहों के नाम बदले। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

भारत ने कहा- नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी
अरुणाचल में बढ़ते चीनी दखल और यहां की जगहों के नाम बदले जाने पर भारत का रुख साफ रहा है। भारत अरुणाचल को अपना हिस्सा मानता है। अप्रैल 2023 में विदेश मंत्रालय ने कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा था, है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।

चीन अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है
दरअसल, चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी। वह अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया।

गलवान में झड़प के बाद से भारत-चीन के रिश्ते सामान्य नहीं
भारत और चीन के बीच गलवान में मई 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच इस विवाद को लेकर 20 से अधिक बार सैन्य वार्ता हो चुकी है। हालांकि, अभी विवाद पूरी तरह से झुलसा नहीं है. ऐसे में भारत के इस कदम से दोनों के बीच रिश्तों में और तनाव आने की आशंका है।

तिब्बत था स्वतंत्र राष्ट्र, चीन ने 1949 में किया हमला
तिब्बत पर कभी मंगोलिया का शासन रहा तो कभी चीनी राजवंशों ने इस पर शासन किया लेकिन साल 1912 से तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था। लेकिन हमेशा से तिब्बत चीन की आंखों में खटकता रहा। चीन ने मौका देखकर तिब्बत पर कब्जा करने की नियत से हमला किया। साल 1949 में चीनी सैनिक तिब्बत पर चढ़ाई कर दी। सैनिकों ने पूर्वी तिब्बत के राज्यपाल के मुख्यालय पर अधिकार कर लिया। 11 नवंबर 1950 को तिब्बतियों ने संयुक्त राष्ट्र में अर्जी लगाई। लेकिन इस मुद्दे को टाल दिया गया। तिब्बतियों ने इसका विरोध किया। इसके बाद 9 सितंबर 1951 को चीनी सैनिकों ने ल्हासा में मार्च किया। आखिरकार धर्मगुरु दलाई लामा ने 17 बिंदुओं वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया। इसके साथ ही तिब्बत आधिकारिक तौर पर चीन का हिस्सा बन गया।

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से चलती है तिब्बत की निर्वासित सरकार
वर्ष 1951 के बाद भी तिब्बत पर चीन का अत्याचार जारी रहा। इसके बाद दलाई लामा 1959 में भारत के धर्मशाला में पहुंचकर शरण लिया। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से तिब्बत की निर्वासित सरकार चलती है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के लिए चुनाव होता है। इस चुनाव में दुनियाभर के तिब्बती शरणार्थी वोटिंग करते हैं। वोट डालने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है। चुनाव के जरिए लोग राष्ट्रपति चुनते हैं, जिनको सिकयोंग कहा जाता है। संसद का कार्यकाल 5 साल का होता है। तिब्बती संसद का मुख्यालय हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है।

नेहरू 1954 में तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया
तिब्बत के मामले में भारत की बड़ी लचर नीति रही है। साल 1914 में शिमला समझौते के तहत मैकमोहन रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा माना गया लेकिन 1954 में नेहरू तिब्बत को एक समझौते के तहत चीन का हिस्सा मान लिया।

भारत की प्रगति से बौखलाया चीन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आर्थिक विजन और उनकी सरकार के क्रांतिकारी सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत, तीव्र और आकर्षक बना दिया है। आज विश्व की अन्य अर्थव्यस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के रास्ते पर तीव्र गति से दौड़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद इतनी मजबूत हो चुकी है कि कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी चुनौतियां भी प्रभावित नहीं कर सकीं। मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों ने देश में बिजनेस फ्रेंडली माहौल तैयार किया, जिससे भारत दुनिया के बड़े निवेशकों के लिए सर्वाधिक आकर्षक बाजार बन चुका है। बाजार में खपत और डिमांड को देखते हुए निवेशक चीन को छोड़कर भारत की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं। इसका परिणाम है कि निवेश के मामले में चीन को पीछे छोड़कर भारत आगे निकल चुका है। भारत को लेकर चीन इससे भी बौखलाया हुआ है। इसी वजह से भारत को कमजोर करने के लिए वह तरह-तरह की चालें चलता रहता है।

पीएम मोदी ने कहा था- देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को मिली जीत के बाद 4 जून को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ’10 साल के बाद, लगातार तीसरी बार जनता जनार्दन का प्यार हमारा हौसला बढ़ाता है। हमारे संकल्प को नई मजबूती देता है। हमारे विरोधी एकजुट होकर भी उतनी सीटें नहीं जीत पाए, जितनी इस लोकसभा चुनाव में अकेले बीजेपी ने जीती है। मैं देशवासियों को दुबारा दुहराना चाहता हूं। आप 10 घंटे काम करेंगे तो मोदी 18 घंटे काम करेगा। आप दो कदम चलेंगे तो मोदी चार कदम चलेगा। हम भारतीय मिलकर चलेंगे, देश को आगे बढ़ाएंगे। तीसरे कार्यकाल में देश बड़े फैसलों का एक नया अध्याय लिखेगा और ये मोदी की गारंटी है।’

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