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कोरोना संकट काल में संकटमोचक भारत: महामारी से लड़ने में की पड़ोसी देश बांग्लादेश की मदद

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोरोना संकट की इस घड़ी में देश ही नहीं दुनिया भर को मदद पहुंचा रहे हैं। भारत ने रविवार को बांग्लादेश को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक लाख गोलियां और 50,000 सर्जिकल दस्ताने दिए। बांग्लादेश में भारत की उच्चायुक्त रीवा गांगुली दास ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक लाख गोलियां और 50,000 सर्जिकल दस्ताने सहित चिकित्सा सामग्री बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्री जाहिद मलिक को सौंपे। जाहिद मलिक ने कहा कि संकट की इस घड़ी में हमारे पड़ोसी देश से मिली मदद का स्वागत है। उच्चायुक्त दास ने कहा कि इससे पहले भारत ने चिकित्साकर्मियों के लिए हेड कवर और मास्क दिए थे। उन्होंने कहा कि हम आपके साथ हैं और भविष्य में भी आपके साथ बने रहेंगे।

अब भारतीय सेना करेगी सार्क के बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और अफगानिस्तान की मदद
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान को मदद के लिए भारतीय सेना अलग-अलग दल बनाकर यहां भेजने की तैयारी कर रही है। सार्क के सभी सदस्य देश कोरोना वायरस महामारी से परेशान हैं। संकट के समय मित्र देशों को मदद करने की नीति के तहत भारत ने अमेरिका, मॉरिशस और सेशेल्स समेत 55 देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति की है। भारत ने पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, मॉरिशस, श्रीलंका और म्यांमार को भी दवाएं भेजी हैं। पिछले महीने भारतीय सेना के एक 14 सदस्यीय दल को मालदीव में कोरोना वायरस टेस्ट लैब स्थापित करने और स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए भेजा गया था। इस महीने की शुरुआत में भारत ने सेना के 15 सदस्यीय एक दल को द्विपक्षीय सहयोग के तहत कुवैत भेजा था।

भारतीय ही नहीं विदेशियों को भी सुरक्षित निकाला
भारत ने राहतऔर बचाव अभियान के मामले में सबसे अधिक उड़ानें भरी हैं। चीन, ईरान, इटली और जापान जैसे देशों से हजारों भारतीयों को निकाल कर देश वापस लाया गया है। कोरोना प्रभावित इलाकों से भारत ने सिर्फ अपने नागरिकों को ही नहीं 10 से भी ज्यादा देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला। इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।

सार्क देशों के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने की चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 मार्च, 2020 को सार्क देशों के नेताओं के साथ कोरोना वायरस पर रोकथाम संबंधी चर्चा की। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सार्क देशों के नेताओं के साथ क्षेत्र में कोविड-19 से मुकाबले के लिए साझा रणनीति बनाने के लिए बातचीत की। सहयोग की भावना के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशों के स्वैच्छिक योगदान के आधार पर कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने का प्रस्ताव रखा। साथ ही भारत ने फंड के लिए शुरू में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी दिए। इस फंड का इस्तेमाल कोई भी सहयोगी देश अपने तात्कालिक कार्यों को पूरा करने के लिए कर सकता है। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर देशों में हालात से निपटने के लिए भारत डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक रैपिड रिस्पॉन्स टीम बना रहा है, जो टेस्टिंग किट और दूसरे उपकरणों के साथ स्टैंड-बाय पर रहेंगे। प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों के आपातकालीन प्रतिक्रिया दलों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कैप्सूलों की व्यवस्था करने और संभावित वायरस वाहकों और उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में मदद करने के लिए भारत के एकीकृत रोग निगरानी पोर्टल के सॉफ्टवेयर को साझा करने की भी पेशकश की। उन्होंने सुझाव रखा कि सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र जैसे मौजूदा तंत्र का इस्तेमाल सबसे अच्छे तरीके से पूल के लिए हो सकता है।

सार्क देशों ने शुरू की वेब आधारित मुहिम
भारत सहित सभी सार्क देशों में कोरोना वायरस का कहर जारी है। अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कोई कारगर दवा सामने नहीं आई है। ऐसे में कोरोना से निपटने का महत्वपूर्ण उपाय इस महामारी की रोकथाम के लिए उठाये जा रहे कदमों का बेहतर प्रबंधन है। इसके लिए भारत ने सार्क देशों के साथ मिलकर ई-प्लेटफॉर्म के माध्यम से मुहिम शुरू की है, जिसमें स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ प्रबंधन और रणनीति से जुड़े मुद्दों पर अनुभव साझा किए जा रहे हैं। ताकि सार्क देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठा सके।

आईटीईसी पोर्टल के माध्यम से वेब आधारित मुहिम
सार्क देशों के स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए विदेश मंत्रालय ने अपने आईटीईसी (भारतीय तकनीकी और आर्थिक कार्यक्रम) पोर्टल के माध्यम से वेब आधारित मुहिम शुरू की है। रायपुर एम्स के नेतृत्व में इसकी शुरुआत हुई है। सत्रह तारीख को पहला सत्र आयोजित हुआ। इसमें कोविड-19 संक्रमण से जुड़ीं प्रबंधन रणनीतियों व संबंधित पहलुओं पर सार्क और अन्य पड़ोसी देशों में स्वास्थ्य सेवा पेशेवर वेब आधारित लाइव वेबिनार से जुड़े। अधिकारियों के मुताबिक सार्क देशों के लिए मुफ्त और इंटरेक्टिव प्रशिक्षण कार्यक्रमों की एक शृंखला उपलब्ध कराई जा रही है। बुनियादी कोविड-19 प्रबंधन पर प्रशिक्षण के लिए ई-आईटीईसी वेबिनार 45 मिनट से 1 घंटे का इंटरेक्टिव सत्र है।

कोरोना संकट से निपटने के उपाय और अन्य मुद्दों पर चर्चा
इंटरेक्टिव सत्र में सवाल जवाब के जरिये हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन,प्लाज्मा तकनीक, टीका आदि से जुड़े कई मुद्दों पर जिज्ञासाओं का समाधान किया जा रहा है। चर्चा में  कोरोना वायरस, संक्रमण रोकथाम के उपाय, निदान और कोरोना मरीजों और संपर्कों के नैदानिक प्रबंधन, फील्ड निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। मौजूदा संकट से निपटने के उपाय और अन्य उभरते मुद्दों पर चर्चा की जा रही है।

साझा क्षमता निर्माण में सहायक
विदेश मंत्रालय को बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों से स्वास्थ्य पेशेवरों के आवेदन इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मिले हैं। विदेश मंत्रालय का मानना है कि ये पहल बहुत ही सामयिक है क्योंकि जिस तरह से सार्क देशों में मामले बढ़ रहे हैं उसके मद्देनजर साझा क्षमता निर्माण की तत्काल जरूरत है। इसके माध्यम से कोविड-19 के इलाज, बचाव और प्रबंधन की जानकारी साझा की जा रही है। ठीक हुए लोगों पर अपनाए गए अनुभव साझा हो रहे हैं। 

स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए सत्र आयोजित
एम्स रायपुर द्वारा कोरोना महामारी, रोकथाम और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के लिए प्रबंधन दिशानिर्देश विषय पर चार सत्र के बाद अब प्रबंधन के अन्य संबंधित पहलुओं पर पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स भुवनेश्वर के नेतृत्व में सत्र आयोजित होंगे। पूरी श्रृंखला जरूरत को देखकर आगे बढ़ाई जाएगी।

मॉडल को संस्थागत बनाने का प्रयास
विदेश मंत्रालय का मानना है कि सत्र दो तरह की प्रक्रियाएं होंगी। जहां देशों को कोरोना चुनौती से निपटने पर नए तरीके सीखने को मिलेंगे, वहीं एक दूसरे की मदद से समस्या को हल करने के प्रयास पर जोर होगा। भारत ने कहा है कि भविष्य में क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए इस तरह के मॉडल को संस्थागत बनाया जा सकता है।

भारत द्वारा सार्क के सदस्य देशों की मदद 
गौरतलब है कि भारत वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए सार्क देशों के बीच सहयोग और सहयोग का नेतृत्व कर रहा है। पड़ोसी देशों को उपकरण और दवा उपलब्ध कराने में प्राथमिकता दी गई है। सार्क देशों के सहयोग के लिए 10 मिलियन अमरीकी डालर का फंड देने के अलावा डॉक्टरों, विशेषज्ञों और परीक्षण उपकरणों की रैपिड रिस्पांस टीमों, चिकित्सा आपूर्ति के जरिये विभिन्न देशों की मदद की जा रही है।

पीएम मोदी ने की ‘कोरोना कवच’ की पेशकश
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्क देशों को एक महत्वपूर्ण पेशकश की। भारत COVID-19 ट्रैक करने के लिए हिन्दी, अंग्रेजी और दूसरी बड़ी क्षेत्रीय भाषाओं में ‘कोरोना कवच’ के नाम से एक एप लॉन्च करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क सदस्य देशों को यह वायरस ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर ऑफर किया है, जिनमें भारत के साथ उसके पड़ोसी पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, मालदीव और बांग्लादेश शामिल हैं।

कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने में सहायक
भारत ‘कोरोना कवच’ नाम के ऐंड्रॉयड एप की टेस्टिंग पर कुछ दिनों से काम कर रहा है। जानकारी के अनुसार इस एप से स्टेज 2 में यूजर्स के लोकेशन पर लगातार नजर रख कर कम्युनिटी ट्रांसमिशन को चेक कर कोरोना वायरस की रोकथाम हो सकेगी। इस एप में उन यूजर्स का भी डेटा होगा जिन्हें सेल्फ क्वारनटीन के लिए कहा गया है। हालांकि ये एप Covid-19 से इंफेक्टेड शख्स की पहचान जाहिर नहीं करेगा।

इस एप में हरे, पीले और लाल तीन कोड होंगे, जिसमें हरे कोड का मतलब है कि आप पूरी तरह सुरक्षित हैं। पीले कोड का मतलब है कि आप किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए हैं। जबकि लाल कोड का मतलब है कि आप कोरोना संक्रमति हो चुके हैं।

जल्द लॉन्च होगा ‘कोरोना कवच’
इस एप्लीकेशन को मिनिस्ट्री ऑफ इलैक्ट्रोनिक्स और नीति आयोग की तरफ से तैयार किया जा रहा है और जल्द ही जारी किया जाएगा और आप अपने मोबाइल पर इस एप को डा‍उनलोड करके के पता लगाकर निश्चिंत हो सकेंगे।

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