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अस्पतालों को ईसाई धर्मांतरण का केंद्र बनाने की चाहत रखने वाले जयलाल के नेतृत्व में यह भी करता है IMA!

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योगगुरु स्वामी रामदेव और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आईएमए ने 26 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बाबा रामदेव के खिलाफ देशद्रोह की कार्रवाई करने की मांग की है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि पतंजलि प्रॉडक्ट्स के मालिक बाबा रामदेव के द्वारा टीकाकरण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को रोका जाए और उनपर देशद्रोह की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए।

इसके साथ ही आईएमए उत्तराखंड ने स्वामी रामदेव को 1000 करोड़ रुपए की मानहानि का नोटिस भेजा है। उनसे अपने बयान का खंडन कर लिखित और वीडियो के जरिए माफी की मांग की गई है। नोटिस के अनुसार 15 दिन में माफी नहीं मांगने पर उनसे 1000 करोड़ रुपए की मांग की जाएगी।

इसके पहले एलोपैथी को लेकर बाबा रामदेव के एक वीडियो के बाद विवाद की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन की आपत्ति पर उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली थी। लेकिन बाबा रामदेव ने आईएमए और दवा कंपनियों के लिए 25 सवालों की सूची जारी करते हुए पूछा था कि आपकी दवा 4-6 घंटे ही असर करती हैं, वह भी साइड इफेक्ट के साथ। क्या इनका कोई स्थायी समाधान है?

बाबा रामदेव ने कहा कि आज भी ऐलोपैथिक के पास कई ऐसे मर्ज जिसका कोई निदान नहीं है जबकि आयुर्वेद में बीपी, सुगर, थॉयराइड जैसी बीमारियों को इलाज है। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा एक टीवी डिबेट में कहा कि मैं डॉक्टरों का सम्मान करता हूं, मॉडर्न मेडिकल साइंस का सम्मान करता हूं। सबका सम्मान करते हुए मैं कहता हूं आयुर्वेद का अपमान क्यों किया जाता है? आयुर्वेद की आलोचना करना, उसे गाली देना, छद्म विज्ञान बताना गलत है? उन्होंने कहा कि एलोपैथी की आलोचना नहीं करता हूं। पूरी फार्मा इंडस्ट्री है, लेकिन डॉक्टर उसका शिकार क्यों हो जाते हैं? डॉक्टर किसी फॉर्मा कंपनी का प्रतिनिधि नहीं होता है। बाबा रामदेव के बयान से बौखलाए आईएमए ने उनके खिलाफ शिकायत कर दी। इसी बीच मामले में नया मोड़ तब आया जब बाबा रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सारे देश को ईसाई धर्म मे तब्दील करने के षड्यंत्र के तहत बाबा रामदेव को टारगेट किया जा रहा है और योग तथा आयुर्वेद को बदनाम किया जा रहा है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश के हेल्थ प्रोफेशनल्स के सबसे बड़े परिषद ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के अध्यक्ष डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल कट्टर ईसाई हैं और मोदी सरकार और हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रति अपनी खुन्नस जाहिर करते रहते हैं। वे चाहते हैं कि अस्पतालों का इस्तेमाल भी ईसाई धर्मांतरण के लिए हो। डॉक्टर जयलाल ने हाल ही में ‘Haggai इंटरनेशनल’ पर एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रवादी सरकार आधुनिक दवाओं को पश्चिमी बता कर उन्हें नष्ट करना चाहती है। वे अपने पद का इस्तेमाल ईसाई मिशनरी गतिविधियों के लिए भी करना चाहते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने 30 मार्च, 2021 को कट्टर ईसाई पत्रिका Christianity Today को एक इटरव्यू दिया। यह पत्रिका भारत में ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार पर नजर रखती है। एक भारतीय ईसाई डॉक्टर, जो कोविड 19 में आशा की लहर देख रहा है (An Indian Christian Doctor Sees COVID-19’s Silver Linings) शीर्षक से प्रकाशित इस इंटरव्यू में जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल किस प्रकार आधुनिक चिकित्सा का प्रयोग ईसाइयत को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं, यह इस प्रकाश डालता है और किस प्रकार वह हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा के लिए आधुनिक चिकित्सा को ढाल बना रहे हैं। इसमें यह भी लिखा गया है कि कैसे महामारी ने चर्च को एक्शन में ला दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी ने सांसदों एवं विधायकों को भी नहीं छोड़ा है इसलिए लोगों को यह यकीन हुआ कि केवल “ग्रेस ऑफ गॉड ऑलमाइटी” ही उन्हें बचा सकता है।

डॉ जयलाल की ट्विटर प्रोफाइल देखकर आप समझ जाएंगे कि वे लगातार प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए अपनी विचारधारा और मंशा को उजागर करने वाली खबरें, कार्टून और हैशटैग शेयर, रिट्वीट या लाइक करते रहते हैं।

आईएमए प्रमुख डॉ. जयलाल अक्सर मोदी विरोधी पोस्ट और कार्टून साझा करते हैं। ईसाई डॉक्टर बाबा रामदेव और उनकी कंपनी को महामारी की शुरुआत के बाद से परेशान कर रहे हैं। उनको ‘झोलाछाप डॉक्टर’ कहने से लेकर आयुर्वेद को पूरी तरह बदनाम करने के काम में लगे हुए हैं।

उन्होंने आयुष मंत्रालय पर भी लगातार हमले किए हैं और उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले केंद्र के खिलाफ विरोध अभियान शुरू किया था।

जयलाल ने सरकार की आलोचना के लिए किसानों के विरोध को भी समर्थन दिया।

इतना ही नहीं आईएमए का कहना है कि पतंजलि आयुर्वेद के प्रमोटर बाबा रामदेव जनता को डर दिखा कर उससे एक तरह की फिरौती वसूल रहे हैं और वैज्ञानिकों दवाओं को बदनाम कर के अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं, जो कि एक अक्षम्य अपराध है। वैसै बाबा रामदेव तो खुद कहते रहे हैं कि वो व्यापारी हैं और व्यापार तो दुनिया के किसी भी कोने में एक कानून सम्मत कार्य है। लेकिन आईएमए खुद कई तरीकों से रुपए कमाने में लगा हुआ है। कोई सरकारी या सरकार पोषित संस्था नहीं होने पर भी आईएमए प्राइवेट कंपनियों के प्रोडक्ट्स को इस तरह सर्टिफिकेट देने का काम करता है जैसे कोई नियामत संस्था हो।

आईएमए एक तरह से प्राइवेट कंपनियों के प्रोडक्ट्स को सर्टिफिकेट देकर उसका प्रचार करता है, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से ऐसा नहीं कहता। आईएमए किसी भी प्रोडक्ट को स्वास्थ्य के लिए ठीक होने का सर्टिफिकेट भी बांटता है, लेकिन वह ये नहीं बताता कि इसके लिए उसे कितने पैसे मिलते हैं। 

यह डॉक्टरों की संस्था होने का दावा करने वाला आईएमए ‘एंटी-माइक्रोबियल LED बल्ब’ के साथ तेल, पेंट और आरओ वॉटर प्यूरीफायर को भी सर्टिफिकेट देता है।

सवाल उठता है कि आखिर यह सब आईएमए किस हैसियत से करता है।

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