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PM Modi की जीरो टॉलरेंस नीति का कमाल, लगातार ऑपरेशन ने नक्सली और आतंकियों की तोड़ी कमर, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में नक्सली गतिविधियां सिमटीं

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पीएम नरेन्द्र मोदी ने नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ जो जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है, उससे आतंक के सरगना बुरी तरह परेशान हैं। मोदी सरकार की सख्ती ने इन समाजकंटकों की कमर तोड़कर रख दी है। यही वजह है कि जहां एक ओर छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र तक नक्सलवादी गतिविधियों में कमी आई है, वहीं धरती के स्वर्ग कश्मीर में युवा पत्थरबाजी छोड़कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। पाक से करीब सरहदी जिलों में कुछ छिट-पुट वारदातों के अलावा कश्मीर घाटी में अमन के चलते पर्यटकों की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई है। कभी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश सरकार नक्सलियों और अपराधियों पर अंकुश लगाने में बिल्कुल नाकाम साबित हुई थी। लेकिन अब सुरक्षा बलों के लगातार ऑपरेशन के चलते छत्तीसगढ़ में नक्सली सिमटने लगे हैं। नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाले बस्तर में ही अब इनका क्षेत्र 15 हजार वर्ग किमी से घटकर 3-4 हजार वर्ग किमी ही रह गया है। उधर महाराष्ट्र में तो नक्सली आतंक की राह को छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटकर घर बसाने लगे हैं।कांग्रेस सरकार के जंगलराज और नक्सलवाद पर डबल इंजन सरकार का करारा प्रहार
पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार आतंकवाद और नक्सलवाद को लेकर काफी सख्त रुख अपनाए हुए है। कभी छत्तीसगढ़ के जंगलराज में कांग्रेस की भूपेश सरकार नक्सलियों और अपराधियों पर अंकुश लगाने में बिल्कुल नाकाम साबित हुई थी। यहां तक कि कांग्रेस सरकार इसलिए और ज्यादा शक के घेरे में आई, क्योंकि चुन-चुनकर आधा दर्जन से ज्यादा भाजपा नेताओं को मौत के घाट उतारा गया। कांग्रेस सरकार का जंगलराज और नक्सलवाद चुनावों में भी मुद्दा बना था। पिछले साल छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद सुरक्षा बलों ने 40 से ज्यादा ऑपरेशन चलाकर नक्सलवादियों की कमर तोड़कर रख दी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कभी बस्तर के 15 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले नक्सली अब 4 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में रह गए है।

फोर्स की नक्सलियों से 72 मुठभेड़ में 137 नक्सली मारे गए
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद ही नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज हुए। लगभग 11 हजार वर्ग किमी पर अब सीधा – सुरक्षा बलों के नियंत्रण में है। इन इलाकों में सुरक्षा बलों के 150 से ज्यादा कैंप स्थापित हो चुके हैं। खासकर नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले बस्तर इलाके पर फोकस किया गया। यहां पर 32 नए कैंप खोले गए। इस वर्ष जनवरी से अब तक बस्तर के कोर इलाके में फोर्स की नक्सलियों से 72 मुठभेड़ हो चुकी हैं, जिसमें 137 नक्सली मारे गए हैं। अकेले बस्तर के अबूझमाड़ में ही 71 नक्सली मारे गए हैं, जो यह दर्शाता है कि फोर्स का पूरा फोकस इस वक्त अबूझमाड़ पर है। नक्सलियों की अघोषित राजधानी अबूझमाड़ में फोर्स नक्सलियों का प्रभाव कम करने में जुटी हुई है।

छत्तीसगढ़ में अब ना नक्सलियों की नई भर्ती और ना ही ट्रेनिंग कैंप
सुरक्षा बलों की मौजूदगी के चलते अबूझमाड़ व नेशनल पार्क इलाके अब ना तो नक्सलियों की नई भर्ती हो पा रही है, और ना ही ट्रेनिंग कैंप दिखाई देते हैं। नक्सलियों के पीएलजीए के सशस्त्र लड़ाके अब बस्तर के गांवों में फैले मिलिशिया सदस्यों तक अपनी पहुंच नहीं बना पा रहे हैं। मिलिशिया सदस्यों की मीटिंग तक लड़ाके नहीं ले पा रहे हैं। अब मिलिशिया कैडर नक्सलियों के प्रभाव से बाहर निकलते दिख रहे हैं। दरअसल, करीब 12 हजार जन-मिलिशिया नक्सलियों के समर्थक और हमदर्द हैं। नक्सलियों की आंख और कान होने के अलावा, वे विचारधारा का प्रचार-प्रसार भी करते हैं और लोगों का दिमाग भी धोते हैं। इसके अलावा वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि नक्सलियों के लिए हथियार या नकदी की खेप जमा हो और जरूरत पड़ने पर मुहैया कराई जाए। नक्सलियों और जन-मिलिशिया के बीच खाई बस्तर में नक्सलियों के लिए बड़ा नुकसान है।सिमट रहा नक्सलियों का प्रभाव, अब बस पांच इलाकों में सक्रिय
मोदी सरकार की सख्ती और केंद्रीय सुरक्षा बलों और राज्य की फोर्स की सक्रियता के चलते नक्सली अब पांच कोर इलाके तक ही सिमटकर रह गए हैं। इनमें इंद्रावती नेशनल पार्क, बैलाडीला की पहाडियों का तराई वाला इलाका, अबूझमाड़ और सुकमा जिले में बासागुड़ा-जगरगुंडा-भेज्जी ट्राएंगल व बीजापुर का पामेड़ इलाका शामिल है। बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज ने मीडिया को बताया कि बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में हम तेजी से बढ़ रहे हैं। फोर्स को बीते छह महीने में कई बड़ी सफलताएं मिली हैं। नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र सिमटता जा रहा है। नक्सल प्रभाव वाले दो तिहाई क्षेत्र में अब नक्सलियों को जनता ने भी नकार दिया है। नक्सल मुक्त बस्तर का जो लक्ष्य है उसे पाने के लिए हम रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।महाराष्ट्र की नवजीवन कालोनी में नक्सलियों को मिला ‘नवजीवन’
मोदी सरकार एक ओर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक ऑपरेशन चला रही है, दूसरी ओर महाराष्ट्र में नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए अनूठा प्रयास चल रहा है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की नवजीवन कॉलोनी में इन दिनों बच्चों की किलकारियां सुनाई देती है। यहां आत्मसमर्पण करने वाले 12 नक्सली अब पिता बनकर परिवार के साथ हंसी खुशी रह रहे हैं। दरअसल, ये नक्सली जब बागियों के कैंपों में रहते थे, तब नक्सल कमांडरों ने इनकी जबरन नसबंदी करा दी थी। ताकि ये परिवार न बसा सकें। सरकार ने अब इन सभी पुरुषों की रिवर्स नसबंदी की सर्जरी करा दी। अब ये सभी देश की पहली पूर्व नक्सलियों की नवजीवन कॉलोनी में रहते हैं। परिवार का साथ और मुख्यधारा में शांतिपूर्ण जीवन का आनंद उठा रहे हैं। नक्सलियों को अपराध की राह से हटाने का सरकार का ये कदम सफल साबित हुआ है।नक्सलियों से मुक्त होगा महाराष्ट्र, 250 ड्रोन से रोज निगरानी
दूसरी ओर हथियार नहीं डालने वाले नक्सलियों सरकार की सख्ती भी जारी है। एक दशक में सुरक्षा बलों और पुलिस फोर्स ने गढ़चिरौली में करीब 483 नक्सलियों का सफाया किया है। नक्सल विरोधी दस्ते के विशेष डीआईजी संदीप पाटिल के अनुसार यहां अब केवल 67 नक्सली बचे हैं। जबकि 2009 में यहां 500 से ज्यादा नक्सली सक्रिय थे। गढ़चिरौली में अब बड़े उद्योग आने लगे हैं। यहां 35 हजार करोड़ का स्टील उद्योग है। पांच साल में यहां 1 लाख करोड़ का निवेश होगा। गढ़चिरौली को नक्सलियों से मुक्त कराने के लिए सरकार ने पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए हैं। यहां 12 हजार पुलिस कर्मी तैनात किए हैं। लगभग 3 हजार वर्ग किमी के जंगलों में नक्सलियों पर निगरानी के लिए एक हेलिकॉप्टर और 250 ड्रोन तैनात किए गए हैं। प्रत्येक ड्रोन की कीमत एक करोड़ रुपए हैं। ड्रोन रोज गश्त लगाते हैं। मोबाइल सिस्टम को मजबूत करने के लिए जल्द ही 500 टावर भी लगाए जाएंगे। गढ़चिरौली जिले में छह नए थाने भी बनाए गए हैं।पीएम मोदी ने बदल दी जम्मू-कश्मीर की तकदीर और तस्वीर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दस साल में जम्मू-कश्मीर की तकदीर और तस्वीर बदल दी है। केंद्र की सत्ता में आने के बाद जहां वित्तीय पैकेज के माध्यम से विकास को गति दी, वहीं अनुच्छेद-370 हटाने का साहिसक और ऐतिहासिक फैसला किया। इस फैसले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इससे जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के प्रयास को सुप्रीम समर्थन मिल गया है। अब जम्मू-कश्मीर विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ सकेगा। राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो संशोधन विधेयक पारित किए गए। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आंकड़ों के जरिए दावा किया कि पिछले दस सालों में पत्थरबाजी, आतंकी घटनाओं और टेरर फंडिंग में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि जो युवा पत्थर लेकर घूमते थे, प्रधानमंत्री मोदी ने उनके हाथों में लैपटॉप थमाने का काम किया है। कश्मीर में यह बदलाव हुआ है कि जनता अब लोकतंत्र और विकास की बात करती है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक ने न सिर्फ घाटी के विकास को पंख लगाए हैं, बल्कि आतंकी घटनाओं में भी कमी ला दी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया और आतंकवाद को जन्म दिया। अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में अलगाववाद की भावना नहीं रही। इसके चलते अब  आतंकवाद भी खत्म हो जाएगा। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनों के आकंड़े पेश करते हुए दावा किया कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि अनुच्छेद 370 हटाने को अभी चार साल ही बीते हैं।

शहीद होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी  

कांग्रेस के शासन और बीजेपी के शासन में आतंकी घटनाओं की तुलना की बात करें तो गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक  2004 से 2014 के बीच आतंकवाद की 7,217 घटनाएं हुईं, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2197 आतंकी घटनाएं हुईं। वर्ष 2004 से 2014 तक कश्मीर में कुल 2829 सुरक्षा कर्मी और नागरिक मारे गए, जबकि 2014 से 2023 तक 891 सुरक्षा कर्मी और नागरिक मारे गए, जो पहले की तुलना में 70 प्रतिशत कम है। शहीद होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या में भी 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

इसलिए बंद हुई हैं घाटी में पत्थरबाजी की घटनाएं

इसके अलावा पत्थरबाजी की घटनाएं कमोबेश बंद ही हो गई हैं।  2010 में पत्थरबाजी की 2656 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि अनुच्छेद 370 हटने के सिर्फ चार साल बाद पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुईं। 2010 में पथराव से 112 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई, इसलिए किसी की मृत्यु का सवाल ही नहीं है। गृह मंत्रालय के मुताबिक  वर्ष 2010 में पत्थरबाजी के कारण घाटी के 6235 नागरिक जख्मी हुए थे, लेकिन 2023-24 में यह आंकड़ा शून्य है। पत्थरबाजी की घटनाएं इसलिए भी बंद हुई हैं, क्योंकि मोदी सरकार ने तय किया है कि अगर किसी अभ्यर्थी के परिवार में पथरबाजी का केस है तो उसे सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। 2010 में सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं 70 थीं जो 2023-24 में सिर्फ 6 हैं। इसी तरह 2010 में घुसपैठ के प्रयास 489 बार हुए, जबकि डेढ़ साल में सिर्फ 48 हुए हैं। 

आतंकवाद को फंडिंग करने वालों पर भी कसा शिकंजा

दरअसल, पिछली कांग्रेस सरकारों से इतर एनडीए सरकार ने सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ आवाज ही नहीं उठाई है, बल्कि आतंकवाद के पूरे इकोसिस्टम को खत्म करने का काम किया है। साथ ही आतंकवाद को फंडिंग करने वालों पर भी कार्रवाई की गई है। मोदी सरकार में एनआईए ने टेरर फाइनांस के 32 केस दर्ज किए हैं, जबकि 2014 से पहले एक भी केस दर्ज नहीं किया गया था। स्टेट इनवेस्टिगेशन एजेंसी ने टेरर फाइनेंस के 51 केस दर्ज किए, जबकि पहले स्टेट इनवेस्टिगेशन एजेंसी की जरूरत ही महसूस नहीं की गई थी। टेरर फाइनेंस के मामलों में 229 गिरफ़्तारी हुई, 150 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त की गई, 57 प्रॉपर्टी सीज की गईं है। इसके अलावा एनआईए ने 134 बैंक खातों में लगभग 100 करोड़ रुपए से अधिक की रकम को फ्रीज करने का काम किया है।

आतंकियों के जनाजों से स्थानीय लोगों ने बनाई दूरी

आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद आतंकवाद और आतंकियों के प्रति लोगों के नजरिए में भी बदलाव आया है। 2014 से पहले कश्मीर में आतंकवादियों के जनाजों में 25-25 हजार लोगों की भीड़ जमा होती थी लेकिन अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद ऐसे दृश्य दिखना बंद हो गए। यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि मोदी सरकार ने निर्णय किया कि किसी भी आतंकवादी के मारे जाने के बाद संपूर्ण धार्मिक रीति-रिवाज के साथ घटनास्थल पर ही उसे दफना दिया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि अगर किसी के परिवार का कोई सदस्य पाकिस्तान में बैठकर भारत में आतंकवाद को प्रोत्साहन देता है तो उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। टेलीफोन रिकॉर्ड के आधार पर अगर साबित होता है कि किसी के परिवार का कोई व्यक्ति आतंकवाद को बढ़ावा देने में लिप्त है तो उसे नौकरी से बर्खास्त करने के सर्विस रूल्स बनाए गए हैं।105 करोड़ रुपए की लागत से आतंकवादियों के लिए बन रही है जेल

 

गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। जीरो टेरर प्लान और कंप्लीट एरिया डॉमिनेशन के माध्यम से पूरे आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र को सुरक्षित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि जेल पहले अड्डे थे, लेकिन पीएम मोदी सरकार ने जेलों में जैमर लगाकर सख्ती करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में 105 करोड़ रुपए की लागत से आतंकवादियों के लिए एक जेल बनाई जा रही है, जिसकी सुरक्षा कोई भेद नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति सहानुभूति रखने वाले बार काउंसिल के लोगों को भी संदेश दे दिया गया है। इसके अलावा रोजगार, पासपोर्ट एवं सरकारी ठेकों के लिए भी हमने ऐसे ही ढेर सारे कदम उठाए हैं।

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