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फ्री रेवड़ी कल्चरः APP सरकार आने के बाद कर्मचारियों को समय पर नहीं मिलते वेतन, फ्री सफर से बढ़ा आर्थिक बोझ, सरकार पर रोडवेज का 300 करोड़ रुपये बकाया

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले कुछ समय में देश का ध्यान इस ओर आकर्षित कर चुके हैं कि रेवड़ी संस्कृति किस तरह लोकतंत्र और अर्थतंत्र का बेड़ा गर्क कर रही है। यह वही संस्कृति है, जिसे मुफ्तखोरी की राजनीति भी कहा जाता है। यह राजनीति न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली भी है। यह किसी से छिपा नहीं कि रेवड़ियां बांटने की राजनीतिक संस्कृति ने न जाने कितने देशों को तबाह किया है। पीएम मोदी ने इसके नुकसान के बारे में पहले ही बताया था और लोगों को इससे बचने की सलाह दी थी। ‘रेवड़ी कल्चर’ भले ही चुनाव में लोगों को आकर्षित करता हो, लेकिन इसका नतीजा यह हो रहा है कि राज्यों की आर्थिक सेहत बिगड़ने लगी है और वो कर्ज की बोझ तले दबने लगे हैं। जाहिर है अगर खर्च ज्यादा हो और आमदनी कम हो, फिर कर्ज तो लेना ही पड़ेगा। हमारे देश के कई राज्यों में भी आज ऐसा ही हो रहा है। इनमें पंजाब की स्थिति सबसे खराब है। वित्त वर्ष 2021-22 में पंजाब पर उसकी GDP के 53 प्रतिशत हिस्से के बराबर कर्ज था और ये पूरे देश में सबसे ज्यादा था। इसे ऐसे समझिए कि अगर पंजाब की GDP 100 रुपये है तो 53 रुपये उस पर कर्ज है। सोचिए, जिस राज्य पर उसकी GDP के 53 प्रतिशत हिस्से के बराबर कर्ज है, उस राज्य की सरकार लोगों को बसों को मुफ्त यात्रा, मुफ्त बिजली देकर अपने कर्ज को और बढ़ा रही है। अब पंजाब की भगवंत मान सरकार के लिए आर्थिक तंगी से जूझ रहे विभागों को संकट से उबारना एक चुनौती बन गया है। हालत यह है कि रोडवेज कर्मचारियों को पिछले कई महीने से या तो सैलरी समय से नहीं दी जा रही या फिर किस्तों में दी जा रही है।

रोडवेज का सरकार पर 300 करोड़ रुपये बकाया

पंजाब में रोडवेज की PRTC और PUNBUS दो कंपनियां हैं। PRTC की बसों के ड्राइवर-कंडक्टरों समेत अन्य स्टाफ को हर महीने सैलरी का इंतजार रहता है, लेकिन पंजाब में AAP सरकार बनने के बाद से सैलरी देरी से दी जा रही है। पनबस के प्रेसिडेंट रेशम सिंह गिल के मुताबिक कर्मचारियों के लिए हर महीने सैलरी की समस्या खड़ी हो जाती है। वहीं पंजाब सरकार के पास PUNBUS का करीब 100 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि PRTC का 200 करोड़ रुपये बकाया है। पंजाब सरकार पर दोनों रोडवेज का कुल 300 करोड़ रुपए बकाया चुकाना है, लेकिन कर्मचारियों को समय से सैलरी ही नहीं दी जा रही है।

पंजाब में फ्री रेवड़ी कल्चर से सरकार पर बढ़ा आर्थिक बोझ

पहले की सरकारों के दौरान PUNBUS और PRTC का आर्थिक संकट इतना नहीं गहराया था, जितना वर्तमान AAP सरकार द्वारा बसों में फ्री सफर करने के बाद से बढ़ा है। पंजाब में महिलाओं का बस सफर फ्री रखा गया है। फ्री सफर की जो पेमेंट रोडवेज को मिलती है, वह अमाउंट भी 6 महीने से सालभर तक का पेंडिंग पड़ा है। फिलहाल जितनी कमाई है, उससे डीजल का बंदोबस्त भी मुश्किल से हो रहा है। बसों में महिलाओं का सफर फ्री होने पर उनकी संख्या अधिक बढ़ गई है और इससे एक सीट महज करीब 7 रुपए पर आ गई है जो कि पहले 35-40 रुपये होती थी। नकदी की सवारी करीब 10-15 ही रहती है, जबकि बस में भारी संख्या में सवारियां होती हैं।

आप सरकार बनने के बाद हर माह वेतन लेट मिल रहा

जून महीने का वेतन जब जुलाई में 11 तारीख तक नहीं मिला तो पंजाब रोडवेज, पनबस के कांट्रेक्ट कर्मियों ने रोडवेज डिपो के आगे रोष प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार और पंजाब रोडवेज की मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर नारेबाजी की था। इस अवसर पर पंजाब रोडवेज पनबस कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा था राज्य में जब से आप सरकार बनी है तब से रोडवेज कर्मियों को हर माह वेतन लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। मामूली वेतन पर काम करने वाले अस्थायी कर्मियों की दिक्कतों की राज्य सरकार और रोडवेज अधिकारियों को कोई चिंता नहीं है। समय पर वेतन न मिलने पर कर्मचारियों को बेहद आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह सिलसिला लगातार चल रहा है और राज्य सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है। यूनियन पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि सरकार कांट्रैक्ट कर्मियों को स्थायी करने के मामले में भी गंभीर नहीं है। जबकि चुनाव से पहले लालजीत सिंह भुल्लर सहित अनेक आप नेताओं ने उनके धरनों में शामिल होकर उनकी सरकार बनने पर स्थायी करने का वादा किया था। लेकिन अब ट्रांसपोर्ट मंत्री बनने के बाद लालजीत भुल्लर स्थायी करने के मामले में आनाकानी कर रहे हैं। उन्हें तो स्थायी क्या करना था, उल्टा पनबस में आउटसोर्स पर भर्ती की जा रही है और पीआरटीसी में प्राइवेट बस मालिकों की किलोमीटर स्कीम के तहत बसें डाली जा रही हैं।

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