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लखीमपुर खीरी से लखनऊ तक फर्जी किसानों का तांडव, गाड़ियों में लगाई आग, अखिलेश ने पुलिसकर्मियों पर ही लगाया पुलिस जिप्सी में आग लगाने का आरोप

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लखीमपुर खीरी की आग आज (4 अक्टूबर, 2021) लखनऊ पहुंच गयी। लखीमपुर खीरी जाने से रोके जाने के बाद अखिलेश यादव अपने समर्थकों के साथ लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग पर स्थित घर के पास धरने पर बैठ गए। उनके धरनास्थल से चंद कदम की दूरी पर पुलिस की जिप्सी फूंक दी गई। जिप्सी गौतमपल्ली थाने के बाहर खड़ी थी। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी तुरंत आग बुझाने लगे। चंद मिनट में ही आग पर काबू पा लिया गया। लेकिन फर्जी किसान और समाजवादी पार्टी के गुंडे पूरे राज्य को अराजकता की आग में झुलसाने की कोशिश कर रहे हैं।  

हैरानी की बात यह है कि अखिलेश यादव ने जिप्सी में आग लगाने के मामले में पुलिसकर्मियों पर ही आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘अगर गाड़ी थाने के बाहर जली है तो पुलिस ने जलाई होगी, अगर पुलिसवाले जला रहे हैं तो इसलिए जला रहे हैं ताकि आंदोलन कमजोर हो जाए, किसानों पर गाड़ी क्यों चढ़ाई? ताकि किसानों का आंदोलन कमजोर हो जाए।’

इससे पहले रविवार (3 अक्टूबर, 2021) को लखीमपुर खीरी में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे फर्जी किसानों ने कानून को अपने हाथ में लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को काले झंडे दिखाने के लिए जमा हुए किसानों से पहले पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं की झड़प हुई। इसके बाद फर्जी किसानों ने जमकर तांडव किया। आक्रोशित किसानों ने तीन गाड़ियों में तोड़फोड़ के बाद उन्हें आग के हवाले कर दिया। इससे पहले आक्रोशित किसानों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी जमकर पीटा।

गौरतलब है कि फर्जी किसानों ने ड्राइवर हरिओम मिश्रा की भी पीट-पीट कर हत्या कर दी। इस दौरान वो जान की भीख मांगते रहे। वो केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के यहां कार्यरत थे। उनकी अंतिम चीखें दिल दहला देने वाली है। अपनी जान की भीख मांग रहे एक निर्दोष पर फर्जी किसानों को जरा भी तरस नहीं आया। उनकी मॉब लिंचिंग कर दी गई। भीड़ जबरन ये कबूल करने का दबाव बना रही थी कि वो ये बोलें कि मंत्री ने उन्हें किसानों को मारने के लिए भेजा है। ड्राइवर हरिओम मिश्रा बार-बार ‘दादा… दादा, छोड़ दो’ की गुहार लगा रहे थे, लेकिन गुंडों का दिल नहीं पसीजा। उनसे जबरन कबुलवाया जा रहा था कि वो किसानों पर गाड़ी चढ़ाने आए हैं। उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें मंत्री ने भेजा है, लेकिन इसके लिए नहीं।

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