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गुजरात में 27 साल तक सरकार में रहने के बाद भी रिकॉर्ड तोड़ जीत ने साबित कर दिया, मोदी है तो मुमकिन है

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में बीजेपी ने अबतक की सबसे बड़ी जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। लगातार 27 साल से सत्ता में रहने, एंटी इंकम्बेंसी और तमाम चुनौतियों के बावजूद रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल करना अपने-आप में एक करिश्मे से कम नहीं है। कुल 182 सीटों में से 156 सीटों पर जीत प्रधानमंत्री मोदी के अथक परिश्रम, जनता के प्रति समर्पण और विकास से संभव हुआ है। इस जीत ने साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी पर जनता अटूट भरोसा करती है और यह भरोसा लगातार मजबूत हो रहा है। आज प्रधानमंत्री मोदी गुजराती अस्मिता के सबसे बड़े ब्रांड बन गए हैं।

पीएम मोदी के जादू के सामने एंटी इंकम्बेंसी हो गई धराशायी

दरअसल गुजरात में बीजेपी की इस प्रचंड जीत के पीछे प्रधानमंत्री मोदी का जादू है, जिसने इस बार 27 सालों के एंटी इंकम्बेंसी को भी बीजेपी के रास्ते में बाधा नहीं बनने दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने 2021 में पहले तो कैबिनेट फेरबदल के जरिए पाटीदारों की नाराजगी दूर करने और सौराष्ट्र को साधने की कोशिश की। इसके दो महीने बाद उन्होंने ऐसा मास्टरस्ट्रोक खेल दिया जिसने एंटी-इन्कंबेंसी की हवा निकाल दी। एक ऐसा प्रयोग जिसके बारे में सियासत के बड़े-बड़े शूरमाओं को भी अंदाजा नहीं रहा होगा। रातों-रात गुजरात की पूरी सरकार ही बदल गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से इस्तीफा ले लिया गया। पाटीदार भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। नए मंत्रिपरिषद में क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन साधा गया। चुनाव में बड़े पैमाने पर सिटिंग एमएलए के टिकट काटे गए।

पीएम मोदी बने ‘गुजरात मॉडल’ के शिल्पकार

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की 21 साल से कड़ी मेहनत ने गुजरात की दशा और दिशा को बदलकर रख दिया है। गुजरात के एक आधुनिक शिल्पकार के रूप में नरेन्द्र मोदी ने विकास का ऐसा ताना-बाना बुना, जिससे विकास का ‘गुजरात मॉडल’ सामने आया और पूरे देश में चर्चित हो गया। आज यह ‘गुजरात मॉडल’ देश में विकास का एक पैमाना बन चुका है। जहां भी विकास की बात होती है, वहां सहज रूप से ‘गुजरात मॉडल’ से तुलना होने लगती है। प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से पहले गुजरात को हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट की सौगात दी। ताबड़तोड़ शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रम हुए। बीजेपी ने ‘गुजरात के विकास मॉडल’ को शो केस किया।

विकास पुरुष बनकर किया गुजरात का संतुलित विकास

मुख्यमंत्री रहते नरेन्द्र मोदी ने गुजरात का संतुलित विकास किया। स्थान, परिस्थिति और आवश्यकता के मुताबिक योजनाएं बनाईं और उन्हें समय पर लागू किया। नरेन्द्र मोदी ने गांधीनगर, अहमदाबाद, सूरत जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ भरूच, पाटनपुर, मेहसाणा, केवड़िया जैसे छोटे-छोटे शहरों को भी कारोबार के नक्शे पर उभार दिया। उन्होंने पूरे गुजरात में निवेश आकर्षित करने के उचित माहौल बनाए जिससे विदेशी निवेशकों में होड़ लग गई। गुजरात में कुटिर उद्योगों के बढ़ावा दिया।

गुजरात में बेरोजगारी कभी नहीं बन पाया प्रभावी चुनावी मुद्दा  

गुजरात में उद्योगों के विकास, निवेश, बिजली, बुनियादी ढांचा और औद्योगिक माहौल से रोजगार के मौके बढ़े। आज गुजरात दूसरे राज्यों के लोगों के लिए भी रोजगार का बड़ा केंद्र बन चुका है। बड़ी बात यह है कि कुटिर उद्योगों के बढ़ावा देकर रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं को भी खूब सशक्त किया गया। यही वजह है कि गुजरात में बेरोजगारी कभी प्रभावी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता है। गांव-गांव तक सड़कें और बुनियादी ढाचों का निर्माण हुआ और जरूरी सुविधाएं सुनिश्चित की गईं। 

बूंद-बूंद को तरसते लोगों को दिया सिंचाई और पीने का पानी

नरेन्द्र मोदी ने नर्मदा नदी पर बांध बनाकर उन जगहों पर सिंचाई और पीने का पानी पहुंचा दिया जहां लोग पानी की बूंद-बूंद को तरसते थे। आज नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के कारण रेगिस्तानी इलाकों में सिंचाई की व्यवस्था तो हो ही गई, भारी मात्रा में बिजली पैदा होने से गुजरात दूसरे राज्यों को भी बिजली आपूर्ति करता है। इससे किसानों की हालत सुधारने मेंं मदद मिली। नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। सहकारी बैंक स्थापित हुए, सरकारी और निजी बैंकों को भी बढ़ावा दिया गया।

भूकंप से तबाह कच्छ और भुज का किया कायाकल्प

26 जनवरी, 2001 को गुजरात में ऐसा भूकंप आया कि वहां की विनाश लीला देखकर पूरा देश दहल गया। बतौर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने भूकंप से तबाह कच्छ और भुज के पुनर्निमाण की चुनौती थी। लेकिन नरेन्द्र मोदी ने उस चुनौती का बखूबी सामना किया और दोनों जिलों को नवजीवन दिया, उन्हें विकास के पथ पर ला खड़ा किया। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि जब संकल्प ले ले तो किसी भी चुनौती से पार पाई जा सकती है। दोनों जिले फिर से खड़े हो गए। वहां फिर से मकान बनाए गए, प्रभावितों को सभी बुनियादी सुविधाएं दी गईं और देखते ही देखते जनजीवन पटरी पर आ गया।

गुजरात को बनाया दंगा मुक्त और जगाया सुरक्षा का भाव

2002 के गुजरात दंगे ने नेरन्द्र मोदी के सामने एक कठिन चुनौती पेश की। उनके राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा थी। विपक्ष, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया सभी हमलावर थे। नरेन्द्र मोदी एक योद्धा की तरह लड़े और जनता की अदालत में खुद को निर्दोष साबित किया। 2002 से पहले अक्सर दंगे हुआ करते थे। इसके बाद गुजरात को दंगा मुक्त बनाकर नरेन्द्र मोदी ने सांप्रदायिक नफरत की भावना को हमेशा के लिए दफन कर दिया। गुंडों और आपराधिक तत्वों पर सख्ती से कार्रवाई की। इससे राज्य में सुरक्षा का माहौल बना। आज महिलाएं गुजरात की सड़कों पर रात में भी घूम सकती है। 

सहकारिता क्षेत्र के विकास को नई गति देकर सर्वस्पर्शीय बनाया

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने ‘सहकार से समृद्धि’ की अपनी परिकल्पना द्वारा सहकारिता से जुड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए 06 जुलाई 2021 को सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। अमित शाह को सहकारिता मंत्री बनाकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी। आज अमित शाह के कुशल नेतृत्व में मंत्रालय, सहकारिता क्षेत्र के विकास को एक नई गति देने, मजबूत करने और इसे सर्वस्पर्शीय व सर्वसमावेशी विकास का मॉडल बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। इससे गुजरात के सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने में मदद मिली है।

कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर बने गरीबों का मसीहा

प्रधानमंत्री मोदी गरीबों के मसीहा के रूप में उभरकर सामने आए हैं। कोरोना संकट में मोदी सरकार की गरीब कल्याण योजना गरीबों और वंचितों के लिए वरदान साबित हुई। उज्ज्वला योजना, किसान सम्मान निधि योजना जैसी कई योजनाओं की घोषणाओं से जनता का भरोसा जीता है। प्रधानमंत्री मोदी इन योजनाओं का सिर्फ घोषणा नहीं करते, उसके पूरा होने की तिथि भी तय करते हैं। अब केंद्र सरकार की हर योजना के लिए तिथि निर्धारित होती है और मंत्रियों को टास्क दिया जाता है वो वक्त से काम पूरा करके दिखाएं। कई योजनाओं को निर्धारित समय से पहले पूरा करने में सफलता भी हासिल हुई है।

गुजराती अस्मिता के सबसे बड़े ब्रांड हैं पीएम मोदी

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी गुजराती गौरव को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए। नर्मदा जिले के केवड़िया में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फुट ऊंची मूर्ति लगवाकर गुजराती गौरव का नया अध्याय लिखा। सरदार सरोवर बांध के करीब स्थापित यह मूर्ति स्थल देश के प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में उभर गया है। आज प्रधानमंत्री मोदी खुद गुजराती गौरव और अस्मिता के प्रतीक बन गए हैं। वे अपने ऊपर हुए व्यक्तिगत हमलों को भी अपने समर्थकों की संवेदानाएं कुरेदने में इस्तेमाल कर लेते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की साफ-सुथरी छवि होने के कारण मतदाता उनपर व्यक्तिगत हमलों को राजनीति से परे निजी दुश्मनी के रूप में देखते हैं और फिर वो ‘गालीबाजों’ को सबक सिखाने का मन बना लेते हैं जिसका सीधा फायदा प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी को होता है।

विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जनता से निरंतर संवाद 

बीजेपी से लाभार्थियों को जोड़ने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है। वो विभिन्न योजनाओं के लोकार्पण के समय या तो सीधे संवाद करते हैं या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लाभार्थियों से बात करते हैं। । उज्जवला योजना और डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम्स ने लाभार्थियों का बड़ा वर्ग तैयार किया है। इसने जाति-पाति के बंधन को तोड़ दिया है। वो बच्चों के साथ ‘परीक्षा पर चर्चा’ भी करते हैं, हर महीने के आखिरी रविवार को रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ भी और बड़े मौकों पर देश के नाम संबोधन भी।

जनता, पार्टी और सरकार तीनों के लिए बिना थके लगातार काम 

प्रधानमंत्री मोदी देश में हो या विदेश में, चाहे जितना व्यस्त हो, जनता और अपने लोगों से मिलने और उनसे संवाद करने का मौका नहीं चूकते। इसका देश और विदेश में काफी साकारत्मक संदेश जाता है। कोई भी चुनाव हो, पार्टी की जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं। गुजरात चुनाव में भी प्रधानमंत्री मोदी ने 31 रैलियां और तीन मेगा रोड शो किए। प्रधानमंत्री मोदी सरकार और पार्टी के बीच लगातार जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी कहते भी हैं कि उन्होंने आज तक एक दिन भी छुट्टी नहीं ली है। वो माइक्रो मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं। वो न केवल खुद कड़ी मेहनत करते हैं बल्कि अपने मंत्रियों से लेकर जिले के डीएम तक को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

 

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