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‘जनसेवा’ की आड़ में ‘धनसेवा’: 27 कंपनियों से करोड़ों की अवैध कमाई की मलाई काट रहे थे महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख

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महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री पर संकट गहराता जा रहा है। पहले ईडी ने मनी लॉड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया और अब ईडी की पूछताछ में बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं। ईडी अनिल देशमुख से लगातार पूछताछ कर रही है। जैसे-जैसे मनी लॉड्रिंग केस की जांच आगे बढ़ रही है। वैसे-वैसे अनिल देशमुख की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।

 

गिरफ्तारी से पहले ईडी ने 5 बार जारी किया था समन

गिरफ्तारी से पहले ईडी ने अनिल देशमुख को पांच बार समन जारी किया था, लेकिन वे ईडी के सामने पेश नहीं हुए। जब बॉन्बे हाई कोर्ट ने ईडी के समन को रद्द करने की उनकी अपील को ठुकरा दिया, तब अनिल देशमुख को ईडी के सामने पेश होना पड़ा। खबरों के मुताबिक अब ईडी की पूछताछ में सामने आया है कि अनिल देशमुख जम कर अवैध कमाई की मलाई काट रहे थे। वे अपराध से प्राप्त कमाई के ‘मुख्य लाभार्थी’ थे और धन शोधन के अपराध में सीधे तौर पर शामिल थे।

6 नवंबर को हुई अनिल देशमुख की गिरफ्तारी

6 नवंबर तक महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को ईडी हिरासत में भेजा गया है। इस दौरान इनसे पूछताछ में सामने आया है कि वे इस मामले के मास्टरमाइंड थे और उनपर 100 करोड़ रुपये की वसूली के आरोप भी लगे हैं । दैनिक भास्कर के मुताबिक अनिल देशमुख अलग-अलग नामों से 27 कंपनियां चला रहे थे, इनमें से कई कंपनियां फर्जी थीं। 27 में से 13 कंपनिया अनिल देशमुख और उनके बेटों के सीधे केंट्रोल में थी। बाकि 14 कंपनियों से भी वे जुड़े थे। खबरों के मुताबिक इन कंपनियों में कुछ शेल कंपनियां भी हो सकती है।  

कंपनियों की आड़ में बड़ी मात्रा में फंड की हेराफेरी 

ईडी की जांच में जो बातें सामने आ रही हैं उसके मुताबिक इन्हीं कंपनियों की आड़ में अनिल देशमुख बड़ी मात्रा में फंड की हेराफेरी कर रहे थे। सबसे हैरानी की बात है कि इन कंपनियों में कोई बड़ा कारोबार नहीं हुआ, लेकिन बड़े पैमाने पर पैसों का फ्लो हुआ, साफ है इस फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर पैसों को इधर से उधर करने में हो रहा था। 

अनिल देशमुख की बढ़ने वाली है मुश्किलें 

अनिल देशमुख की मुश्किलें यहीं नहीं खत्म होने वाली हैं। ईडी तो अभी सचिन वझे से जुड़े मामले में उनकी जांच कर रही है । सचिन वझे ने ये पैसे मुंबई के कई होटलों और रेस्तरां से वसूले थे। इन पैसों को देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को दिए, संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे पहले ही ईडी की हिरासत में हैं । महाराष्ट्र के पुर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर इससे भी गंभीर आरोप हैं, ये आरोप है 100 करोड़ रूपयों की वसूली का। ये आरोप मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने लगाए हैं , सीबीआई इस मामले की जांच भी कर रही है। 

अनिल देशमुख पर 100 करोड़ वसूली का आरोप
परमबीर सिंह ने देशमुख पर 100 करोड़ रुपए की वसूली का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच भी तेजी से जारी है और इसे लेकर कुछ गिरफ्तारियां भी की गई हैं । www.india.com के मुताबिक इस मामले में परबीर सिंह ने हलफनामा दाखिल करा दिया है और कहा है कि उनके पास इस मामले में साझा करने के लिए कोई और सबूत नहीं है। 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के शिकंजे में महराष्ट्र के गृहमंत्री 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 16 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी 4.20 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अनिल देशमुख की जब्त संपत्ति का मौजूदा बाजार मूल्य 300 करोड़ रुपये से अधिक है। यह संपत्ति अनिल देशमुख और उनके परिवार के नाम पर है। 

ईडी सूत्रों के अनुसार, पीएमएलए एक्ट के तहत अनिल देशमुख की कुछ ऐसी संपत्तियों की कुर्की के प्रारंभिक आदेश जारी किए गए हैं, जो सीधे उनके नाम पर तो नहीं हैं, लेकिन इन संपत्तियों पर उनका कब्जा है। इनमें मुंबई के वर्ली स्थित एक फ्लैट भी शामिल है। यह फ्लैट उनकी पत्नी के नाम पर है। इसकी कीमत 1.54 करोड़ रुपये आंकी गई है। 2004 में खरीदे गए इस फ्लैट की पूरी कीमत नकद चुकाई गई थी, लेकिन इसकी रजिस्ट्री 2020 में हुई। जब अनिल देशमुख राज्य के गृहमंत्री थे।

 

ईडी ने देशमुख परिवार की रायगढ़ जिले के उरण के धूतुम गांव में स्थित 267 करोड़ रुपये के 25 भूखंड को भी कब्जे में ले लिया है। यह संपत्ति उनके परिवार की हिस्सेदारी वाली एक कंपनी प्रीमियर पोर्ट लिंक्स प्रालि के नाम पर है। ईडी का कहना है कि इस कंपनी के पास भूखंड व कुछ दुकानें मिलाकर 5.34 करोड़ की संपत्ति है। कंपनी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी देशमुख परिवार ने सिर्फ 17.95 लाख रुपये देकर खरीदी थी। यह रकम भी काफी बाद में अदा की गई थी। अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोग का आरोप लगने के बाद ईडी व सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं।

 

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने इसी वर्ष मार्च में आरोप लगाया था कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने सरकारी आवास पर पुलिस अधिकारियों को बुलाकर मुंबई के आर्क्रेस्ट्रा बार व रेस्टोरेंट्स से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूल करने का टार्गेट दिया था। ईडी के अनुसार, मुंबई पुलिस के बर्खास्त एपीआइ सचिन वाझे ने देशमुख के आदेशानुसार कुछ बारों से सिर्फ तीन महीने में 4.70 करोड़ रुपये वसूलकर देशमुख के एक सहायक को दिए। ये पैसे दिल्ली की 11 फर्जी कंपनियों को हवाला के जरिए भेजे गए। जहां से 4.18 करोड़ रुपये दान स्वरूप अनिल देशमुख के एक पारिवारिक ट्रस्ट को भेजे गए। 

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