मुस्लिम तुष्टिकरण के मामले में कांग्रेस का चेहरा हमेशा दागदार रहा है, वह चाहे शाहबानो का केस हो या फिर हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ कोई भी विषय। यही कारण है कि दो दिन पहले कर्नाटक चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ मुसलमानों को भड़काने वाली कांग्रेस अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जिन्ना की तस्वीर को हटाने की मांग का समर्थन नहीं कर पा रही है।
कांग्रेस को जिन्ना से प्रेम था, तो भारत को क्यों बंटने दिया?
एएमयू में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर घमासान मचा हुआ है। राष्ट्रभक्त छात्रों की ओर से जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग के खिलाफ छात्रों का एक वर्ग वहां हिंसा पर उतारू है। मुस्लिम लीग के नेता और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को कांग्रेस ने अब तक देश के बंटवारे का एकमात्र दोषी ठहराया है। ऐसे में उनकी तस्वीर एएमयू में आजादी के बाद भी क्यों लगी रही और उसे अब भी क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए? इस पर वो कुछ भी नहीं बोलना चाहती। उल्टे जब उसके एक प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह से एक न्यूज चैनल में सवाल पूछे गए, तो उन्होंने आपा खोते हुए बहस में शामिल सारे पैनलिस्ट्स को ही आतंकवादी बता दिया।
जेएनयू में तो देशद्रोहियों के समर्थन में उतर आए थे राहुल
जेएनयू में छात्रों के एक वर्ग ने 9 फरवरी, 2016 को देशविरोधी नारेबाजी की थी। जेएनयू छात्र संघ के नेताओं की मौजूदगी में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा’ जैसी भड़काऊ नारेबाजी की थी। इन नारों को सुनने के बाद सारा देश स्तब्ध था, सरकार राष्ट्रद्रोहियों पर कार्रवाई में जुटी थी, लेकिन कांग्रेस भारत विरोधियों के समर्थन में कूद पड़ी थी। तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने तब जेएनयू पहुंचकर कहा था- “केंद्र सरकार छात्रों की आवाज नहीं सुन रही है। जो लोग छात्रों की आवाज दबा रहे हैं, वह सबसे बड़े राष्ट्र विरोधी हैं।”
रोहिंग्या मुसलमानों के लिए भी धड़कता है कांग्रेस का दिल
भारतीय जनता और सरकार शुरू से म्यांमार से आने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के भारत में आने के विरोध में खड़ी रही, लेकिन कांग्रेस ने कभी भी सीधी लाइन लेने की हिम्मत नहीं दिखाई। उसने भारत सरकार के फैसले पर ही सवाल उठाने की कोशिश की। मणिशंकर अय्यर और तरुण गोगोई जैसे वरिष्ठ कांग्रेसियों ने तो राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता किए बगैर खुलकर रोहिंग्या मुसलमानों की पैरवी की थी। यही नहीं पूर्व केंद्रीय मंत्रियों सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल और अश्विनी कुमार जैसे कांग्रेसियों ने तो अदालत में भी रोहिंग्या के लिए लड़ाइयां लड़ी हैं।
जिसने आतंकी का साथ दिया, उसे उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया
कांग्रेस ने वेंकैया नायडू के खिलाफ गोपाल कृष्ण गांधी को यूपीए से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया था। गौरतलब है कि गोपाल कृष्ण गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति को खत लिखकर 1993 के मुंबई धमाकों के दोषी आतंकी याकूब मेमन की फांसी रोकने की गुजारिश की थी। यही नहीं याकूब मेमन को फांसी पर चढ़ने से रोकने के लिए कांग्रेस के कई नेता भी खुलकर सामने थे। इनमें मणिशंकर अय्यर और केटीएस तुलसी जैसे लोग शामिल थे।
राज्यसभा में लटकाया ट्रिपल तलाक बिल
तीन तलाक बिल पर संसद में कांग्रेस का स्टैंड भी तुष्टिकरण से प्रभावित है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकसभा में तो उसने बिल का समर्थन करके पास कराने में सहयोग दिया था, लेकिन राज्यसभा में वह उसे अटकाए रखना चाहती है। क्योंकि, कांग्रेस को लगता है कि अगर वो नहीं चाहेगी, तो राज्यसभा में बिल का पास होना मुश्किल है। इसलिए तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के बहाने कांग्रेस इसे रोकना चाहती है। कांग्रेस की इस नीति के चलते आधी मुस्लिम आबादी को नैसर्गिक न्याय दिलाने वाला बिल अभी तक संसद से पास नहीं हो पाया है।