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अंबानी और अडानी पर मेहरबान रही हैं कांग्रेस की सरकारें, जानकर हो जाएंगे हैरान

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देश के नामी उद्योगपतियों से कांग्रेस का आजादी से पूर्व और उसके बाद बेहद करीबी रिश्ता रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मोहन दास करमचंद गांधी और बिड़ला समूह के संस्थापक घनश्याम दास बिड़ला के रिश्तों के बारे में आज भी चर्चा होती है। वे गांधीजी के मित्र, सलाहकार, प्रशंसक एवं सहयोगी थे। आजादी के बाद महात्मा गांधी ने अपने जीवन के अंतिम चार महीने दिल्ली में बिड़ला के आवास ‘बिड़ला हाउस’ में ही गुजारे थे। इसके बाद देश की विकास यात्रा में कई उद्योगपतियों का उदय हुआ। जिनका कांग्रेस से बेहद करीबी रिश्ता रहा है। उनमें धीरू भाई अंबानी का परिवार और गौतम अडानी भी शामिल है। लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मेंं केंद्र में सरकार बनने के बाद यहीं उद्योगपति कांग्रेस के निशाने पर आ गए। कांग्रेस और उसके सरपरस्तों ने राजनीतिक लाभ के लिए प्रधानमंत्री मोदी को इन उद्योगपतियों से जोड़कर बदनाम करने की शुरुआत की, जो आज भी जारी है। 

अंबानी और अडानी पर कांग्रेस की मेहरबानी

दरअसल देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान देने वाले इन उद्योगपतियों का उत्थान कांग्रेस के शासन में ही हुआ। समय के साथ कांग्रेस के नेताओं के साथ उनका रिश्ता गहरा होता गया और उनकी आर्थिक उन्नति होती गई। उन्हें कांग्रेस की सरकारों से पूरा संरक्षण और प्रोत्साहन मिला। जब केंद्र में कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई तो अंबानी, अडानी और कॉर्पोरेट का डर दिखाकर राजनीतिक हित साधा जाने लगा। लेकिन कुछ तस्वीरें ऐसी हैं, जो लोगों की आंखें खोलने वाली हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों के जरिए लोग सवाल भी पूछते रहे हैं कि ये रिश्ता क्या कहलाता है ? 

धीरूभाई अंबानी के साथ इंदिरा गांधी

ट्विटर पर एक यूजर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ धीरूभाई अंबानी के खाना खाते तस्वीर शेयर की और लिखा कि अंबानी पहले बहुत गरीब थे। लंगर में खाना खाते थे। फिर 2014 में मोदी आया और उन्हें अरबपति बना दिया।(लंगर में खाना खाते बड़े अंबानी की एक दुर्लभ तस्वीर)

एक दूसरी तस्वीर में इंदिरा गांधी और धीरूभाई अंबानी एक साथ नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर में धीरूभाई इंदिरा गांधी को रास्ता दिखा रहे हैं। उनके बगल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरके धवन भी है। यह तस्वीर भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

मनमोहन सरकार में Reliance Retail company की शुरुआत

अंबानी परिवार को बढ़ने में सोनिया गांधी की चाबी वाली मनमोहन सिंह की सरकार का भी प्रमुख योगदान रहा है। 2006 में तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार ने अंबानी को Reliance Retail company शुरू करने की अनुमति दी। सबसे पहले इस कंपनी ने हैदाराबद में रिलायंस फ्रेश स्टोर खोला था। 25,000 करोड़ रुपये की शुरुआत से कंपनी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, फार्मेसी और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराना शुरू किया। इसके बाद कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और कैश एंड कैरी बिजनेस में भी कदम रख। इलेक्ट्रॉनिक रिटेल चेन को कंपनी ने 2007 में लॉन्च किया था। इसके बाद 2008 और 2011 में रिलायंस ने फैशन और होलसेल बिजनेस में रिलायंस ट्रेंड्स और रिलायंस मार्केट के जरिए कदम रखा। 2011 तक रिलायंस रिटेल की सेल्स के जरिए कमाई 1 अरब डॉलर के पार पहुंच गई थी। 2014 में रेवेन्यू के मामले में फ्यूचर ग्रुप को पीछे छोड़ते हुए रिलायंस रिटेल देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी बन गई। 

मनमोहन सिंह की सरकार में Reliance Jio Infocomm को 4G का लाइसेंस जारी

मनमोहन सिंह की सरकार ने 2013 में मुकेश अंबानी की कंपनी Reliance Jio Infocomm को 4G का लाइसेंस जारी किया। दिग्गज निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) को देश भर में मोबाइल टेलीफोनी और हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएं देने की मंजूरी मिल गई। उस समय जियो देश की अकेली दूरसंचार ऑपरेटर थी, जिसके पास चौथी पीढ़ी यानी 4जी सेवा देने का स्पेक्ट्रम था। सभी 22 सर्किलों का एकीकृत दूरसंचार लाइसेंस हासिल करने के लिए कंपनी ने एक बार लगने वाली एंट्री फीस के तौर पर 1673 करोड़ रुपये जमा कराए थे। मुकेश अंबानी की इस कंपनी ने 21 अगस्त, 2013 को यूनिफाइड लाइसेंस के लिए डॉट के पास आवेदन किया था। इसमें जियो ने अपनी नेटवर्थ 5,033 करोड़ रुपये बताई थी।

UPA-2 की सरकार में अनिल अंबानी को मिले 1 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स

कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के अंतिम 7 सालों में अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप को 1 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स मिले थे। मनमोहन सिंह की सरकार अंबानी बंधुओं पर इस कदर मेहरबान थी कि अकेले अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को 11 हाईवे निर्माण का ठेका दिया गया था। पांच साल में ही रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी की किस्मत चमक कई। 5 साल पहले जिस कंपनी की पहचान इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन के तौर पर होती थी, वो 2011 तक देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बन गई। 16500 करोड़ रुपये के 12 प्रॉजेक्ट्स शुरू किए गए, जिससे आर-इंफ्रा देश में सबसे बड़ी प्राइवेट रोड डेवेलपर बन गई।’

कांग्रेस सरकारों ने अडानी को मुंद्रा में औने-पौने दाम में दी जमीन

अंबानी परिवार की तरह अडानी ग्रुप पर भी कांग्रेस की सरकारें हमेशा मेहरबान रही हैं। अडानी ने 1988 में अपना आयात और निर्यात कारोबार अडानी इंटरप्राइजेज के बैनर तले शुरू किया। इसके बाद कांग्रेस की सरकार ने अडानी को कई प्रोजेक्ट की मंजूरी दी। 1993 में केंद्र और गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने गौतम अडानी को औने-पौने दाम में मुंद्रा में जमीन दी। खुद गौतम अडाणी ने कहा, ‘जब हमने 1993 में मुंदड़ा में जमीन का अधिग्रहण शुरू किया तब तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने हमें 10 पैसे प्रति वर्ग मीटर की दर पर जमीन दी।” जिसके बाद अडानी ने देश के सबसे बड़े निजी पोर्ट बनाने का शुरू किया। कुल 15,946 एकड़ लैंडबैंक में सिर्फ एक तिहाई का अधिग्रहण नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में हुआ। वो जमीन 15 रुपये वर्ग मीटर के औसत मूल्य पर दी गई थी।

केरल की कांग्रेस सरकार में अडानी को विझिंजम पोर्ट का मिला ठेका

2015 में केरल में कांग्रेस की नेतृत्व वाली UDF की सरकार ने 7,525 करोड़ में विझिंजम पोर्ट का अडानी ग्रुप के साथ करार किया था।मैसर्स अदानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने विझिंजम बंदरगाह प्रोजेक्ट के लिए रियायतग्राही के रूप में चुने जाने के बाद दिसंबर 2015 से बंदरगाह का निर्माण शुरू कर दिया था। हालांकि, मछुआरे समुदाय द्वारा इसका इस आधार पर विरोध किया गया कि उचित पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन किया जाना चाहिए। मछुआरा समुदाय की ओर से सरकार के समक्ष कई मांगें भी उठाई गईं। यह चल रहे विरोधों के आलोक में अडानी पोर्ट और इसकी ठेका कंपनी होवे इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स ने केरल के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 1 सितंबर, 2022 को केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को मेसर्स अदानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड और इसकी अन्य कंपनी होवे इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन के कर्मचारियों और कामगारों को पुलिस सुरक्षा और निर्माण स्थल पर मुफ्त प्रवेश और निकास की मांग वाली याचिका की अनुमति दी।

पंजाब में कांग्रेस की सरकार का अडानी पॉवर ग्रुप के साथ बिजली समझौता

2020 में पंजाब में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने अडानी पॉवर ग्रुप के साथ 6100 मेगावाट का बिजली समझौता किया। बताया गया कि अडानी पॉवर ग्रुप ने ये टेंडर सबसे कम बोली लगाकर हासिल किया था। बिजली की दरों पर कोई खुलासा कंपनी या राज्य सरकार की तरफ से नहीं किया गया। माना गया था कि यह 3.35 रुपये से 3.59 रुपये के बीच हो सकती है। पंजाब को यह बिजली अडानी पॉवर समूह की मुंद्रा यूनिट और रायगढ़, छत्तीसगढ़ इकाई से सप्लाई की जाएगी। अडानी समूह ने रायगढ़ की बिजली कंपनी को जीएमआर ग्रुप से 3530 करोड़ रुपये में 2019 ही खरीदा था।

राजस्थान की गहलोत सरकार ने सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए अडानी से किया समझौता

यही नहीं इसी साल कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में अशोक गहलोत की कैबिनेट ने सोलर पार्क के लिए अडानी ग्रुप को 23,97 हेक्टेयर जमीन देने के फैसले पर मुहर लगाया। राजस्थान में सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए 11 जून 2022 और 15 दिसम्बर 2021 में राजस्थान के CM अशोक गहलोत की कैबिनेट ने डिसीजन लेकर 2397 हेक्टेयर जमीन अडानी रिन्यूएबल एनर्जी होल्डिंग कम्पनी को दी। जैसलमेर जिले में अडानी ग्रुप अपना एनर्जी प्लांट लगाएगा। अडानी एनर्जी यहां 1000 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट के प्रोजेक्ट पर काम की शुरुआत करेगी। यह आवंटन राजस्थान भू-राजस्व नियम-2007 के अंतर्गत किया जाएगा। सौर ऊर्जा नीति 2019 के तहत वर्ष 2024-25 तक 30,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। 

राहुल गांधी ने नीरव मोदी के साथ की थी कॉकटेल पार्टी

पूर्व कांग्रेसी नेता और वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाया था कि राहुल गांधी 2013 में भगोड़े नीरव मोदी से मिले थे। पूनावाला ने ट्वीट कर राहुल गांधी को खुली चुनौती दिया कि वह (राहुल) सितंबर 2013 की कॉकटेल पार्टी में नीरव मोदी से मिलने की बात से इनकार करें। इंपेरियल होटल में राहुल ने लंबा वक्त बिताया था। यही वह समय था जब मेहुल चोकसी और नीरव मोदी को ऋण दिया गया। एसपीजी के पास रिकॉर्ड होंगे या फिर लाई डिटेक्टेटर टेस्ट करा लीजिए। पूनावाला ने कहा कि वह कुरान की कसम तक खा सकते हैं।

गौतम अडानी के साथ सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा

सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें वायरल होती रही है, जिनमें उद्योगपति गौतम अडानी और सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा एक साथ नजर आ रहे हैं। रॉबर्ट वाड्रा और गौतम अडानी की ये तस्वीरें 2009 की हैं। उस वक्त वाड्रा गुजरात के मूंदड़ा में अडानी पोर्ट और अडानी पावर प्लांट को देखने गए थे। वाड्रा और गौतम अडानी एक साथ अडानी ग्रुप के निजी जहाज से वहां पहुंचे थे। एक तस्वीर में दोनों बैठकर कुछ बात कर रहे हैं और दूसरी तस्वीर में वॉक करते दिख रहे हैं।

उद्योगपति गौतम अडानी के साथ भूपेंद्र सिंह हुड्डा

सोशल मीडिया पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उद्योगपति गौतम अडानी की तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीर में हुड्डा गौतम अडानी का हाथ थामे देखे जा सकते हैं। इस तस्वीर में दोनों के पीछे विजय माल्या भी खड़ा है। लोगों ने तंज कसा है कि हुड्डा ने देश के सबसे गरीब किसान को कौड़ियों के भाव में सरकारी जमीन दी। जिसे बाद में बेचकर वह गरीब किसान अपनी बीवी वास्ते कुटिया बनवा सका।

मुकेश अंबानी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

सोशल मीडिया पर उद्योगपति मुकेश अंबानी और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की तस्वीर वायरल हो रही है। इस तस्वीर को खुद मध्य प्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, जिसमें लिखा गया है, ” मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ जी ने रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन श्री मुकेश अंबानी जी से मुलाक़ात की। मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने श्री अंबानी को मध्यप्रदेश में एग्रो एवं फ़ूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं के बारे में बताया।”

उद्योगपति अनिल अंबानी के साथ कपिल सिब्बल  

सोशल मीडिया पर कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल और उद्योगपति अनिल अंबानी की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें दोनों एक-दूसरे के हाथ थामे खड़े हैं। लोगों ने इस तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि इससे कपिल सिब्‍बल का डबल रोल पता चलता है। पहले अनिल अंबानी का विरोध किया, फिर उनके लिए कोर्ट में पेश हुए। कांग्रेस के अनिल अंबानी समूह के साथ करीबी रिश्ते हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता कपिल सिब्बल का कई मामलों में उद्योगपति के समूह का‘‘पक्ष लेना’’पार्टी का पर्दाफाश करता है।

यश बैंक के मालिक राणा कपूर के साथ मनमोहन सिंह 

एक ट्वीट वायरल हुआ, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम यश बैंक के मालिक राणा कापूर के साथ नजर आ रहे हैं। लोगों ने इस तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि दलाली कांग्रेस के खून में शामिल है।

कांग्रेस नेता अभय थिप्से ने नीरव मोदी के पक्ष में दी गवाही 

लंदन की एक अदालत में नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए केस चल रहे हैं। इस सुनवाई के दौरान नीरव मोदी के बचाव में 2 लोगों ने गवाही दी – पहले थे थियेरी फ्रिच और दूसरे थे भारत के पूर्व न्यायमूर्ति और कांग्रेस नेता अभय थिप्से। इन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से नीरव मोदी के बचाव में अपनी गवाही दी। बॉम्बे हाई कोर्ट से रिटायर्ड होने के बाद अभय थिप्से वर्ष 2018 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। 

गौतम अडानी के साथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार

सोशल मीडिया पर गौतम अडानी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमें दोनों एक साथ जाते हुए नजार आ रहे हैं। तस्वीर 2014 की है, जब महाराष्ट्र चुनाव परिणाम आने के बाद अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी ने अपने माउंट आबू के बंगले पर शरद पवार को आमंत्रित किया था। सूत्रों की माने तो इस दौरान ज्वलंत मुद्दो पर बातचीत के अलावा दोनों के बीच सीक्रेट डील भी हुई थी। 

उद्धव सरकार और अडानी ग्रुप के बीच 5 हजार करोड़ रुपये का एग्रीमेंट

महाराष्ट्र की तत्कालीन उद्धव सरकार ने अडानी लिमिटेड के साथ 5 हजार करोड़ रुपये का एग्रीमेंट किया था। इस समझौते को लेकर सोशल मीडिया में लोगों ने तीखी प्रतक्रियाएं दीं। लोगों ने कहा कि सड़क पर पीएम मोदी के खिलाफ अडानी-अंबानी का नारा शरद पवार-राहुल गांधी, विपक्षी पार्टियां और तथाकथित किसान व अधूरी जानकारी वाले उनके समर्थक/पत्रकार लगा रहे हैं! कितने पाखंडी हैं ये लोग?

इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि एक तरफ राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने के लिए अडानी-अंबानी के नाम का इस्तेमाल करते हैं। तो दूसरी तरफ कांग्रेस अडानी-अंबानी के लिए रास्ते तैयार करती है। साफ है, राहुल गांधी और उनके सरपरस्त अंबानी-अडानी का बार-बार नाम लेकर देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश करते हैं।

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