कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर पहुंच गया है। राज्य में 12 मई को मतदान होना है और सभी पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। पर लगता है कि कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जिस तरह पांच वर्ष तक सोते रहे उसी तरह प्रचार का समय भी सोते हुए गुजार देना चाहते हैं। दरअसल सोमवार को कालाबुर्गी की एक चुनावी रैली में सीएम सिद्धारमैया मंच पर सोते हुए नजर आए। एएनआई ने एक वीडियो जारी किया है कि, जिसमें दिख रहा है कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मंच पर बैठे सीएम सिद्धारमैया मजे से सो रहे हैं। हद तो तब हो गई जब उन्हें एक बार जगाया गया, लेकिन वो फिर सो गए। आप भी देखिए “सोतारमैया” का वीडियो।-
#WATCH Karnataka Chief Minister Siddaramaiah seen dozing off during a rally in Kalaburagi earlier today. pic.twitter.com/PjlNVKovlP
— ANI (@ANI) 30 April 2018
सिद्धारमैया के सोते हुए इस वीडियो पर लोगों ने ट्विटर पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है। कोई सिद्धारमैया को “सोतारमैया” कह रहा है, तो किसी ने “स्लीपिंग सिद्धा, स्लीपिंग सरकार” कहा है। एक यूजर ने कहा है कि “निद्दारमैया दिन में सरकार बनाने के सपने देख रहे हैं।” एक शख्स ने लिखा है कि “जल्द ही इनके पास सोने का ढेर सारा वक्त होगा।” आप भी देखिए सोते हुए सिद्धारमैया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं-
He is born to sleep ! pic.twitter.com/1UTSYhshkp
— VISHAL (@vsurywanshi87) 30 April 2018
Sotarammaya… ???
— Priyanshu Singh (@amazpriyanshu) 30 April 2018
Sleeping Niddaramaiah, busy in day dreaming Congress’ Karnataka win?
— कट्टर मार्वेल फैन? (@BharatiyaDeshb1) 30 April 2018
Nidramaiah
— Armaan malik (@armaan_sir) 30 April 2018
@INCIndia Siddaramaiah Sir, are you sleeping…You are CM Sir… If you will do this then who will walk up to the people…??? @RahulGandhi @AmitShah @narendramodi @BSYBJP @KirenRijiju @sambitswaraj pic.twitter.com/QzUY3fGotf
— Deepak Singh Bisht (@Deepak_Bisht123) 30 April 2018
Bahut thak gaya hai yeh ab isse rest ki jarrurat hai wait till 15 may phir sona hi sona @siddaramaiah
— nitin sharma?? (@nccssharma) 30 April 2018
Party ka president Parliament me sota hai to CM kam se km rally me hi so le
— Shivam Agrahari DSP?? (@DSP_Shivam) 30 April 2018
एक बार फिर देखिए किस तरह कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया चुनावी रैली के दौरान सो गए।-
विधानसभा में सोते रहते थे सीएम सिद्धारमैया
यह कोई पहला वाकया नहीं है इससे पहले भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया खास मौके पर झपकी लेते हुए दिखाई दिए हैं। कई बार तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया विधानसभा में बहस के दौरान ही सो गए। तब भी सीएम सिद्धारमैया की खूब खिंचाई होती थी, लेकिन इन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। पांच वर्षों तक कर्नाटक की जनता को यह समझ में नहीं आया कि सिद्धारमैया को काम करने के लिए चुना है या फिर सोने के लिए।
Ever sleeping CM #KarnatakaElections2018 pic.twitter.com/k095aVdvsJ
— Kailash Wagh ?? (@kailashwg) 30 April 2018
हमेशा सोते रहने वाले सीएम सिद्धारमैया ने चुनाव से कुछ महीने पहले राज्य के लोगों की आंखों में विकास के नाम पर धूल झोंकने की कोशिश की। झूठे दावे करना और लोगों को बरगलाना मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की फितरत है। सिद्धारमैया अधूरी परियोजनाओं का लोकार्पण कर जनता को गुमराह कर चुके हैं। चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने हर हथकंडा अपनाया, फिर चाहे वो हिंदुओं को बांटना हो या फिर मुस्लिम तुष्टिकरण। एक नजर डालते हैं सिद्धारमैया सरकार के कारनामों पर।
कर्नाटक में लोगों की जान जोखिम में डालते सिद्धारमैया
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धारमैया सरकार ने जबदस्त तरीके से शिलान्यास और उद्घाटन का खेल खेला। पांच वर्षों में कर्नाटक में क्या हुआ यह किसी से छिपा नहीं है। सिद्धारमैया के शासन में आम आदमी बेहाल हुआ है, किसानों की हालत खराब हुई है। चुनाव सिर पर खड़े थे तो सीएम सिद्धारमैया और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी धड़ाधड़ा अधूरी परियोजनाओं का उद्घाटन करने में लगे रहे। अधूरी परियोजनाओं को शुरू करने की वजह से राज्य के लोगों की जान पर बन आई। इतना ही नहीं कर्नाटक सरकार कई नई योजनाएं भी लांच की। चुनाव से पहले कर्नाटक के सभी शहरों में उद्घाटन और शिलान्यास कर जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई।
अधूरे सिग्नल फ्री कॉरिडोर का उद्घाटन
एक मार्च 2018 को सीएम सिद्धारमैया ने बैंगलुरू में ओकलीपुरम-यशवंतपुर सिग्नल फ्री कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। बताया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट अभी सिर्फ 65 प्रतिशत ही पूरा हुआ है।
बैंगलुरू में निर्माणाधीन फ्लाईओवर का उद्घाटन
4 मार्च, 2018 को सीएम सिद्धारमैया ने बैंगलुरू में करीब एक किलोमीटर लंबे Hennur flyover का उद्घाटन किया था। 920 मीटर लंबे इस फ्लाईओवर का काम अभी पूरा नहीं हुआ है और 9 सालों से लटका हुआ है।
सीएम ने किया अधूरी सड़क का उद्घाटन
4 मार्च को ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बेगुर से केंपेगौडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए वैकल्पिक सड़क का भी उद्घाटन किया था। यह सड़क भी अभी पूरी तरह नहीं बनी है।
केंगेरी में अधूरे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन
14 मार्च को सीएम सिद्धारमैया ने बैंगलुरू के केंगेरी में 60 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन किया था। बताया जा रहा है कि यह प्लांट अभी बन ही रहा है और इसे शुरू करने में कई महीने लग सकते हैं।
कारवर में अर्धनिर्मित रॉक गार्डन का उद्घाटन
सिर्फ बैंगलुरू ही नहीं, अधूरी परियोजनाओं के उद्घाटन का सिलसिला पूरे राज्य में जारी है। हाल ही में कर्नाटक के उद्योग मंत्री आर वी देशपांडे ने कारवर शहर में रवींद्रनाथ टैगोर बीच पर निर्मित रॉक गार्डन का उद्घाटन किया था। इस रॉक गार्डन का निर्माण अभी जारी है।
उत्तर कन्नड़ जिले में ‘canopy walk’ का उद्घाटन
18 फरवरी, 2018 को उत्तर कन्नड़ जिले के कुवेशी क्षेत्र में देश के पहले ‘canopy walk’ का उद्घाटन किया गया था। यह परियोजना भी अभी पूरी तरह नहीं बनी है। यहां पर्यटकों के लिए पानी और टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधाएं भी अभी उपलब्ध नहीं हैं।
कालाबुर्गी में तालुका का उद्घाटन
कर्नाटक सरकार में मंत्री शरन प्रकाश पाटिल ने 10 मार्च को कालाबुर्गी जिले में नवगठित कालागी और कमालपुर तालुका और 11 मार्च को यदरामी और शाहाबाद तालुका का उद्घाटन किया था। हकीकत यह है कि इन तालुकाओं के ऑफिस में अभी पर्याप्त संसाधन नहीं है, कई विभागों में कर्मचारियों की तैनाती भी नहीं हुई है।
कालाबुर्गी में निर्माणाधीन ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन
कालाबुर्गी जिले में ही 28 फरवरी, 2018 को राज्य के मंत्री शरन प्रकाश पाटिल ने अधूरे बने ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन किया था।
मंगलुरू में मोटर बोट का उद्घाटन
हाल ही में राज्य सरकार में खाद्य और नगरिक आपूर्ति मंत्री यू टी खादर ने मंगलूरू जिले में पवूर उलिया द्वीप के निवासियों के लिए मोटर बोट का उद्घाटन किया था। बताया जा रहा है कि आधी-अधूरी सुविधायों के साथ इस मोटर बोट को चला दिया गया है, जो कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है
उडुपी में सीता नदी पर बने पुल का दो बार उद्घाटन
चुनाव से पहले उद्घाटन की जल्दबादी में लगी कर्नाटक सरकार ने उडुपी जिले में सीता नदी पर बने पुल का डेढ़ महीन के भीतर दो बार उद्घाटन कर दिया। यह पुल दिसंबर 2017 में बनकर तैयार हुआ था।
उडुपी में भूमिगत ड्रेनेज सिस्टम का शिलान्यास
अधूरे प्रोजेक्ट का उद्घाटन ही नहीं, कर्नाटक सरकार धड़ाधड़ शिलान्यास करने में भी जुटी है। इसी वर्ष 8 जनवरी को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उडुपी शहर में भूमिगत ड्रेनेज सिस्टम और पानी की पाइपलाइन बिछाने की परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। दो महीने से ज्यादा गुजरने के बाद भी इन परियोजनाओं के लिए टेंडर भी जारी नहीं किए गए हैं।
हावेरी में नगर पालिका परिषद भवन का उद्घाटन
कर्नाटक सरकार में मंत्री रुद्रप्पा लमानी कुछ दिन पहले 4 करोड़ की लागत से बन रहे निर्माणाधीन नगर पालिका परिषद भवन का उद्घाटन करने वाले थे, लेकिन बीजेपी पार्षदों के विरोध के कारण यह उद्घाटन कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। अब इस भवन का पूरा बनने के बाद ही उद्घाटन किया जाएगा।
सविरुचि मोबाइल कैंटीन योजना लांच
अपने आखिरी दिनों में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार नई योजनाओं को लांच करने में भी जुटी रही। 27 फरवरी, 2018 को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सविरुचि मोबाइल कैंटीन योजना लांच की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने दिव्यांगों को दुपहिया वाहन भी बांटे थे।
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज योजना ‘आरोग्य कर्नाटक’ लांच
2 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज योजना ‘आरोग्य कर्नाटक’ लांच की थी। इस योजना के तहत तहत राज्य के 1.43 करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचेगा और इससे सरकार पर प्रतिवर्ष 1,011 करोड़ का बोझ पड़ेगा। हालांकि जिस राज्य में एक-दो महीने में चुनाव होने वाले हैं, वहां ऐसी योजनाओं शुरू करने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है।
ये तो थी उद्घाटन और शिलान्यास की बात, इसके अलावा सिद्धारमैया राज्य में हिंदुओं को बांटने और मुस्लिम तुष्टिकरण में भी लगे रहे हैं। देखिए-
तुष्टिकरण की राजनीति में लगी राज्य सरकार
कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पास विकास के नाम पर तो कुछ दिखाने के लिए है नहीं, ऐसे में वो चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी के पुराने हथकंडे, मुस्लिम तुष्टिकरण को हवा देने में लगे रहे। कर्नाटक में एक तरफ टीपू सुल्तान को लेकर राज्य सरकार लोगों की भावनाएं भड़का कर मुस्लिमों को अपने पाले में करने का खेल खेला, वहीं दूसरी तरफ अल्पसंख्यकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस ले लिया। जनवरी, 2018 में कर्नाटक सरकार ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ पिछले 5 सालों में दर्ज सांप्रदायिक हिंसा के केस वापस लिए जाने का आदेश दिया गया। साफ है कि यह ‘मुस्लिम तुष्टीकरण’ की वजह से किया गया।
कर्नाटक के लिए अलग झंडे की सियासत
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पता है कि विकास और जनहित का कोई काम दिखाकर तो चुनाव नहीं जीता जा सकता है। इसलिए वह ऐसी बातों को हवा देने में लगे हैं, जिनमें राज्य के निवासियों की भावनाओं पर असर हो और वे कांग्रेस के पक्ष में झुक जाएं। चुनाव से पहले सीएम सिद्धारमैया ने कर्नाटक के लिए अलग झंडे का शिगूफा छोड़ा। देश में सिर्फ जम्मू-कश्मीर ही ऐसा राज्य हैं जिसका अपना अलग झंडा है। देश का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है, लेकिन सिद्धारमैया ने प्रदेश के लिए अलग झंडे को मंजूरी देकर विवाद खड़ा कर दिया। वह कर रहे हैं कि कन्नड़ भाषी लोगों की अस्मिता के प्रतीक के लिए अलग झंडा बनाने का फैसला किया है। मतलब साफ है कि सिद्धारमैया किसी भी प्रकार से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाना चाहते हैं।
कांग्रेस सरकार के दौरान बढ़ी हिंसा और अपराध
सिद्धारमैया सरकार ने विकास तो नहीं किया, कानून व्यवस्था के मामले में भी फेल साबित हुई है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के दौरान अब तक 7,748 हत्याएं, 7,238 बलात्कार और 11, 000 अपहरण की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त दंगों के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवकों की हत्याओं का दौर भी लगातार जारी है। मतलब साफ है कि हिंसा और अपराध का सहारा लेकर कर्नाटक सरकार चुनाव की वैतरणी पार करना चाहती है।
‘बांटने’ की राजनीति करते रंगे हाथ पकड़े गए सिद्धारमैया!
कर्नाटक के मुख्यमंत्री प्रदेश में ‘बांटने’ की राजनीति को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। पहले हिंदू-मुस्लिम को बांटा, फिर हिंदू-हिंदू को बांटा,फिर लिंगायत-लिंगायत को बांटा, फिर हिंदी-कन्नड़ को बांटा, फिर उत्तर-दक्षिण को बांटा, फिर देश से प्रदेश को बांटा… और अब अपने समर्थकों को रिश्वत बांटते रंगे हाथों पकड़े गए हैं।
देखें, समर्थकों को पैसे बांटते नज़र आए कर्नाटक सीएम @siddaramaiah pic.twitter.com/MqYOHe7ujC
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) 30 March 2018
वीडियो में साफ दिख रहा है कि सिद्धारमैया ने कर्नाटक के मैसूर में चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं को पैसे बांटे। एक मंदिर के बाहर सिद्धारमैया के स्वागत के लिए खड़ी महिलाओं को उन्होंने दो-दो हजार रुपए के नोट देते हुए वे कैमरे में कैद हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी की शिकायत पर शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की चुनाव आयोग जांच भी कर रहा है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए उन्होंने जान-बूझकर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया।
स्पष्ट है कि सिद्धारमैया को नैतिकता की नहीं चुनाव में जीत की अधिक जरूरत है, इसलिए ही उन्होंने ये रिश्वत भी बांटी है। दरअसल सिद्धारमैया ने चुनाव जीतने के लिए हर तरह की नैतिकता से तौबा कर लिया है और लगातार ‘बांटने’ की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं। आइये हम उनकी ‘बांटने’ की राजनीति पर एक नजर डालते हैं-
हिंदू-मुस्लिम को ‘बांटने’ की राजनीति
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में दंगों में शामिल सभी मुसलमानों पर से केस हटा लिया है। जनवरी, 2018 में एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ पिछले 5 सालों में दर्ज सांप्रदायिक हिंसा के केस वापस लिए जाने का आदेश दिया गया। जाहिर है इस सर्कुलर के आधार पर सिद्धारमैया सरकार ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ का कार्ड खेल रही है और यहीं से हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है।
हिंदू-हिंदू को ‘बांटने’ की राजनीति
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए उसने केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव को भेज भी दिया है। दरअसल सिद्धारमैया की मंशा यह नहीं है कि किसी का भला हो, बल्कि हिंदुओं को बांट कर उन्हें कमजोर किया जा रहा है ताकि चुनाव में जीत हासिल की जा सके।
लिंगायत-लिंगायत को ‘बांटने’ की राजनीति
सिद्धारमैया सरकार ने एक ही परंपरा से आने वाले वीरशैव लिंगायत और लिंगायत में भी फूट डाल दी है। गौरतलब है कि वीरशैव परंपरागत रूप से भगवान शिव के साथ हिदू देवी-देवताओं को भी मानते हैं, जबकि लिंगायत समुदाय में भगवान शिव को ईष्टलिंग के रूप में पूजने की मान्यता है। हालांकि ये किसी भी प्रकार से हिंदू समुदाय से अलग नहीं हैं, लेकिन लिंगायत को अलग धर्म और वीर शैव को अल्पसंख्यक का दर्जा देकर सिद्धारमैया ने दोनों समुदायों में फूट डाल दिया है।
उत्तर-दक्षिण को ‘बांटने’ की राजनीति
पिछले दिनों कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि- कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र केंद्र से जितना पाते हैं उससे ज्यादा का टैक्स केंद्र सरकार को देते हैं। उन्होंने दलील दी है कि उत्तर प्रदेश को प्रत्येक एक रुपये के टैक्स योगदान के एवज में उसे 1.79 रुपये मिलते हैं, जबकि कर्नाटक को 0.47 पैसे। कर्नाटक कांग्रेस के इस ट्विटर अकाउंट पर भी यही बातें लिखी गई हैं।
“For every 1 rupee of tax contributed by UP that state receives Rs. 1.79
For every 1 rupee of tax contributed by Karnataka, the state receives Rs. 0.47
While I recognize, the need for correcting regional imbalances, where is the reward for development?”: CM#KannadaSwabhimana https://t.co/EmT7cY60Q0
— Karnataka Congress (@INCKarnataka) 16 March 2018
हिंदी-कन्नड़ को ‘बांटने’ की राजनीति
राहुल गांधी और कांग्रेस की हिन्दी भाषा से नफरत जगजाहिर है। इस मुद्दे पर राहुल ने सिद्धारमैया को कर्नाटक में खुली छूट दे रखी है। सिद्धरमैया ने कर्नाटक में हिंदी भाषा के विरूद्ध अभियान छेड़ दिया है। वे कई माध्यमों से दलील दे रहे हैं कि- यूरोप के कई देशों से कर्नाटक बड़ा है, अगर मैं एक कन्नड़ नागरिक हूं और कर्नाटक में हम ज्यादातर कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल करते हैं, और हिंदी भाषा के थोपे जाने का विरोध करते हैं।