बीबीसी (ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन) ब्रिटेन और पश्चिमी देशों के एजेंडे को आगे बढ़ाती है। पश्चिमी देशों का एजेंडा है भारत की प्रगति में अवरोध पैदा करना। यह इस बात से जाहिर होती है कि बीबीसी कभी भी भारत के संदर्भ में आतंकियों को आतंकवादी नहीं कहता बल्कि चरमपंथी कहता है। इसी एजेंडे के तहत गुड आतंकवाद और बैड आतंकवाद जैसे शब्द गढ़े गए। पश्चिमी देशों और पाकिस्तान में होने वाली आतंकी घटनाएं बैड आतंकवाद पुकारे जाते। परंतु भारत में होने वाले आतंकवाद को गुड आतंकवाद कहा जाता है। बीबीसी लगातार हिंदूफोबिक एजेंडे के तहत अपनी खबरें प्रकाशित व प्रसारित करता रहा है। बीबीसी हिंदुओं को असहिष्णु और चरमपंथी के रूप में प्रचारित करता है। सवाल यह हहै कि जिस देश ने सताए हुए पारसियों, यहूदियों, तिब्बतियों, बहाइयों और कई अन्य लोगों को आश्रय दिया है, उसे असहिष्णु कैसे कहा जा सकता है। बीबीसी का दोहरा चरित्र तब उजागर हो जाता है जब कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी घटनाएं होती हैं तो वह वहां आतंकवादी को आतंकवादी नहीं कहता वह चरमपंथी कहता है।
बीबीसी के इसी हिंदू विरोधी एजेंडे की वजह से सितंबर 2022 में लीसेस्टर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प भी हुआ। इसके खिलाफ ब्रिटेन में रह रहे हिंदूओं ने लामबंद होकर प्रदर्शन भी किया। दर्जनों ब्रिटिश हिंदू संगठनों ने बीबीसी के हिंदू विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने और हिंदूफोबिक होने के खिलाफ यहां पोर्टलैंड के बीबीसी हाउस के सामने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ब्रिटेन में हिंदुओं ने ट्विटर पर अभियान शुरू किया था।
Hindu groups protest outside BBC HQs in London against #Hinduphobhia in their reportage since years. pic.twitter.com/PHmbbFB2ow
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) October 29, 2022
हिंदुओं को असहिष्णु और चरमपंथी मानता है बीबीसी
ब्रिटिश हिंदू संगठनों का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लक्षित गलत सूचना को मुख्यधारा के ब्रिटिश मीडिया द गार्जियन और बीबीसी बढ़ावा देते हैं। इससे लीसेस्टर में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा मिला। इससे दशकों से बहु-सांस्कृतिक सद्भाव के लिए प्रसिद्ध लीसेस्टर की साख को बट्टा लगा। प्रदर्शन के आयोजकों का कहना है कि बीबीसी का भारत और हिंदुओं को नकारात्मक तरीके से चित्रित करने का इतिहास पुराना है। इस प्रदर्शन के माध्यम से बीबीसी और द गार्जियन को कड़ा संदेश दिया गया है। इन दोनों मीडिया समूह ने लीसेस्टर और बर्मिघम घटनाक्रम की सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं की। आयोजकों ने साफ किया कि बीबीसी के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन सितंबर के अंत में द गार्जियन अखबार के खिलाफ हुए विरोध के क्रम में किया गया है। इस विरोध के दौरान अखबार कार्यालय के बाहर तख्तियां रखी गई थीं। इनमें इस अखबार में छपे वह लेख थे जो भारत और हिंदुओं को असहिष्णु और चरमपंथी के रूप में प्रचारित करते हैं।
@thebritishhindu speaking at the protest outside BBC HQ yesterday about the bias & unfair reporting by @BBCNews against Hindus.#HindusUnderAttackInUK pic.twitter.com/Uls0AcJUJ7
— 🦋Anjna🦋🇮🇳 (@SaffronQueen_) October 30, 2022
बीबीसी भारत और हिंदुओं पर नकली आख्यान फैला रहा
बीबीसी की असाधारण रूप से कड़ी निंदा में प्रदर्शन से पहले आयोजकों ने बयान भी जारी किया। इसमें कहा गया – ‘इस्लामवादियों द्वारा लीसेस्टर हिंदुओं पर हिंसक हमलों की बीबीसी की कवरेज अब तक देखी गई सबसे खराब रिपोर्टिंग थी। इन संगठनों का कहना है कि वे तब तक विरोध करने के लिए कृतसंकल्प हैं जब तक कि ‘बीबीसी वैश्विक स्तर पर हिंदुओं के प्रति अमानवीयता और अमानवीयकरण को बंद नहीं कर देता। ‘बीबीसी प्रोटेस्ट’ के कुछ आयोजकों में जाने-माने लोग शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं डॉ. विवेक कौल, डॉ स्नेह एस कथूरिया, पंडित सतीश के शर्मा, नितिन मेहता और दर्शन सिंह नागी। इन प्रमुख लोगों का मानना है कि हिंदुओं का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बीबीसी की शब्दावली अतिरंजित है। इसकी रिपोर्टिंग में भारत का वर्णन करने के लिए केवल ‘डर, नफरत, हिंसा, हिंदू मुस्लिम, कश्मीर, गाय, भीड़ और विरोध’ शब्द शामिल हैं। आयोजकों ने यह भी दावा किया कि लाइसेंस शुल्क देने वाले ब्रिटिश नागरिकों की बढ़ती संख्या और यहां तक कि ब्रिटिश सरकार को भी लगता है कि बीबीसी आदतन भारत और हिंदुओं पर नकली आख्यान फैला रहा है। ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक पर यह पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग स्पष्ट रूप से भारत और यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।’
Exclusive from Britain UK 👇👇
What they do in India ,they do it in UK & Rest of The world
Watch Out & Listen !! 😠😡
Zaheer Khan 51,
Groomed a 14yr CHILD,
Pestered her with 100s of phone calls
Facilitated a Meet
Then Sexual Exploitation@RadharamnDas @VlKASPR0NAM0 pic.twitter.com/bPSPheHCqf
— Saffron Swamy (@SaffronSwamy) October 30, 2022
जिस देश ने सताए हुए पारसियों, यहूदियों, तिब्बतियों, बहाइयों को आश्रय दिया, वह असहिष्णु कैसे?
दर्जनों ब्रिटिश हिंदू संगठन बीबीसी का विरोध कर रहे हैं, जिसे वे अंतरराष्ट्रीय प्रसारक के ‘हिंदू-विरोधी और भारत-विरोधी पूर्वाग्रह’ कहते हैं, जो कई सालों से नॉनस्टॉप चल रहा है। यह सितंबर में द गार्जियन अखबार के खिलाफ ब्रिटिश हिंदुओं द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के समान है, जहां समुदाय ने कहा था कि अखबार की लीसेस्टर की कवरेज ‘पक्षपाती समाचार’ पर आधारित थी। आयोजकों का कहना है कि बीबीसी के कवरेज में एक अंतर्निहित हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह है जो पिछले 18 वर्षों में बदतर हो गया है। आयोजकों ने कहा कि बीबीसी नियमित रूप से घृणित सामग्री का प्रसारित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस देश ने सताए हुए पारसियों, यहूदियों, तिब्बतियों, बहाइयों और कई अन्य लोगों को आश्रय दिया है, उसे असहिष्णु के रूप में कलंकित किया गया है!
Thank you Adit for protesting against #BBC’s agenda of hate & discrimination. BBC being a major media outlet perpetuates news that is anti Hindu & antiIndia.They should set up a rigorous editorial process & procedures before publishing any news that could hurt people’s sentiments pic.twitter.com/kL6NHe2w5C
— REACH 🇮🇳 (UK) Chapter (@reachind_uk) October 29, 2022
भारत के लिए बीबीसी की शब्दावली में ‘डर, नफरत, हिंसा, हिंदू मुस्लिम, कश्मीर, गाय, भीड़ और विरोध’ क्यों?
हिंदुओं का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बीबीसी की सीमित शब्दावली की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्टिंग में भारत का वर्णन करने के लिए केवल ‘डर, नफरत, हिंसा, हिंदू मुस्लिम, कश्मीर, गाय, भीड़ और विरोध’ शब्द शामिल हैं। आयोजकों ने कहा कि ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक पर आपकी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग स्पष्ट रूप से भारत और यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है…’ अगस्त से सितंबर तक छिटपुट लेकिन जारी हिंसा ने ब्रिटिश मीडिया घरानों के खिलाफ गुस्से को प्रज्वलित किया, जिसमें हिंदुओं की दुकानों, घरों, मंदिरों और कारों को निशाना बनाया गया। द गार्जियन और बीबीसी के पत्रकारों द्वारा हिंदुओं को हमलावरों में बदलने के लिए फर्जी जानकारी प्रकाशित की गई थी। जांच में पाया गया कि कश्मीर में हिंदुओं और सिखों के जातीय सफाए के एक रिप्ले में मुस्लिम युवक हिंदू परिवारों को लीसेस्टर छोड़ने के लिए आतंकित करते पाए गए।
Did you know people in the UK have to pay a TV licence fee to watch live broadcasts ?
The fee is £159 per year & around 85% goes to funding the BBC!!
They have to pay this fee even if they only want to watch non-BBC channels!
— 🦋Anjna🦋🇮🇳 (@SaffronQueen_) October 30, 2022
यूके में टीवी लाइसेंस शुल्क का 85% बीबीसी को मिलता है
क्या आप जानते हैं कि यूके में लोगों को लाइव प्रसारण देखने के लिए टीवी लाइसेंस शुल्क देना पड़ता है? शुल्क 159 पाउंड प्रति वर्ष है और इसमें से लगभग 85% बीबीसी को वित्त पोषण करने के लिए जाता है। उन्हें यह शुल्क देना होगा भले ही वे केवल गैर-बीबीसी चैनल देखना चाहते हों! आयोजकों ने यह भी दावा किया कि लाइसेंस शुल्क देने वाले ब्रिटिश नागरिकों की बढ़ती संख्या और यहां तक कि ब्रिटिश सरकार को भी लगता है कि बीबीसी आदतन भारत और हिंदुओं पर नकली आख्यान फैला रहा है।
लेस्टर में हिंदुओं पर हमले स्वयंभू मौलवी की साजिश
ब्रिटेन के शहर लेस्टर में पिछले दिनों हुई हिंसक घटनाओं की साजिश एक स्वयंभू मौलवी ने रची थी। जांच एजेंसियों ने जांच में पाया है कि मोहम्मद हिजाब नाम के इस मौलवी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को धर्म के नाम पर न केवल एकजुट किया, बल्कि उन्हें हिंसा के लिए भड़काया भी। फिर हमले में भीड़ का नेतृत्व भी किया था।
हिंदुओं पर बोतलों और पत्थरों से हुआ था हमला
17 सितंबर को लेस्टर में जब दंगा भड़का तो इसका एक वीडियो सामने आया था। एक नकाबपोश भीड़ को संबोधित कर रहा था। जांच के दौरान एजेंसियों को पता चला कि यह मोहम्मद हिजाब है। उसके संबोधन के बाद भीड़ उग्र हो गई। इस घटना के विरोध में ग्रीन लेन इलाके में हिंदू युवाओं ने प्रदर्शन किया, फिर मार्च निकाला। जैसे ही यह मार्च मुस्लिम कारोबारियों की दुकानों के आगे से गुजरने लगा, इमारतों से बोतलों और पत्थरों से हमला हो गया।
मोहम्मद हिजाब ने हिंदुओं के खिलाफ मुसलमानों को भड़काया
लेस्टर में हुए दंगे से ठीक पहले का वीडियो सामने आया था। इस वीडियो में मोहम्मद हिजाब भीड़ से कह रहा था- ‘इन हिंदुओं में पुनर्जन्म जैसी मान्यताएं हैं। ये कमजोरों की निशानी है। मैं तो एक हिंदू के तौर पर जन्म लेने के बजाए टिड्डे के तौर पर जन्म लेना पसंद करूंगा।’ भीड़ को संबोधित करते हुए पूछा- ‘ये हिंदू लोग गुंडागर्दी पर उतर आए हैं। क्या वे अब दोबारा यहां सड़क पर निकल पाएंगे? जवाब में भीड़ ने कहा- कभी नहीं। उसने फिर पूछा कि अगर वे निकले तो क्या हम यहां होंगे या नहीं? सबने एक सुर में कहा- हां होंगे। हिजाब ने इंस्टाग्राम पर कुछ फोटो और वीडियो भी पोस्ट किए थे। इसमें वह नकाबपोश समर्थकों के साथ खुद को लेस्टर का रक्षक बता रहा है। कुछ युवा उसे संभलकर बोलने की हिदायत भी देते दिखे। इसी वीडियो में 200 से ज्यादा लोगों की भीड़ स्मेथविक में मां दुर्गा मंदिर में जबरन घुसने की कोशिश करते दिखे।
हिंदुओं के खिलाफ 10 गुना बढ़े नफरत के मामले: पाक-ईरान से रची जा रही साजिश
15 सितंबर 2022: कनाडा के स्वामी नारायण मंदिर में कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की। दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे। 19 सितंबर 2022: ब्रिटेन के लेस्टर शहर में शिव मंदिर में घुसकर कुछ लोगों ने वहां लगे धार्मिक झंडे को नीचे गिरा दिया। मंदिर में तोड़फोड़ की। ये दो घटनाएं तो हिंदुओं के खिलाफ नफरत और हिंसा की बस बानगी हैं। दरअसल, पिछले 3 साल में दुनियाभर में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और नफरत के मामलों में 10 गुना तक इजाफा हुआ है। यानी 3 साल पहले अगर इस तरह की 10 घटनाएं होती थीं, तो अब ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 100 हो गई है। ये बात अमेरिका की ‘नेटवर्क कॉन्टेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ यानी NCRI ने अपनी रिपोर्ट में बताई है।
सोशल मीडिया पर यहूदियों से मिलते-जुलते हिंदू विरोधी मीम्स शेयर हो रहे
NCRI ने जुलाई 2022 में हिंदुओं के खिलाफ सोशल मीडिया के जरिए दुनियाभर में फैलाई जा रही नफरत को लेकर रिसर्च की थी। 21 सितंबर 2022 को वाशिंगटन डीसी में आयोजित कार्यक्रम में NCRI के को-फाउंडर जोएल फिंकेलस्टीन ने इस रिपोर्ट की अहम बातें वहां मौजूद लोगों से शेयर की। कार्यक्रम में जोएल फिंकेलस्टीन ने कहा, ‘3 साल में हिंदुओं के खिलाफ 1000% तक दुनियाभर में नफरत की घटना बढ़ी है। सोशल मीडिया पर यहूदियों से मिलते-जुलते हिंदू विरोधी मीम्स शेयर किए जा रहे हैं। दुनिया भर के कई देशों के इस्लामिक कट्टरपंथी इस साजिश में शामिल हैं। यही वजह है कि अमेरिका समेत कई देशों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और नफरत बढ़ी है।’ NCRI ने ट्विटर पर इन हैशटैग की पड़ताल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से की तो बड़ी जानकारी सामने आई। जैसे- 3 साल में 10 लाख से ज्यादा हिंदू विरोधी ट्वीट तो सिर्फ ईरान के ट्रोल्स ने किए हैं। रिसर्च में इन सोशल मीडिया पोस्ट के नेचर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को भड़काने वाले हैं। इन पोस्ट में हिंदू देवता, प्रतीकों, संस्कृति और रहन-सहन के तरीकों को टारगेट किया गया है।
“For the first time I saw violence against Hindus and I see it’s because of the misreporting by the BBC”#BBCProtest pic.twitter.com/wD4sO33v1G
— Poonam Joshi (@PoonamJoshi_) October 29, 2022
BBC is the daddy of Hindu haters. It must be exposed. https://t.co/N3ESiY5H1V
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) October 29, 2022
Open letter of @bbc_protest to BBC about their motivated hatred towards India and Hindus in Particular. #Hinduphobic #Hindutva #HinduLivesMatters https://t.co/FvpKz9cOIE
— Poli-tickle Chanakya (@prakashtwetters) October 30, 2022
Finally the hindus find a voice,even outside India, to protest against anti hindu bias of leftist media sharks like the BBC. Hats off to them 🙏#BritishIndians #ProtestAgainstAntiHinduReporting https://t.co/FHtYsJfXV3
— Sanatan Joddha (@SanatanJoddha) October 30, 2022
@bbc_protest team submitting the memorandum to @BBCNews executives on their concerns related to misinformation and nonstop biases.
"We demanding BBC must stop negativity against India and Hindus with immediate effect." #IndiaphobicBBC and #HinduphobicBBC pic.twitter.com/ptgrsP4fPu— Satyaagrah (@satyaagrahindia) October 30, 2022
@bbc_protest organisers are submitting the memorandum to @BBCNews executive Mr. Frans Van Der Merwe. @SnehKathuria is raising the concerns about anti india and anti hindu narrative by BBC for years. Hope @BBCWorld will acknowledge it and take corrective actions. pic.twitter.com/Iunm4KsD52
— BBC Protest (@bbc_protest) October 29, 2022