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गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पीएम मोदी और भारत को बदनाम करने की साजिश, पीएम मोदी के बढ़ते कद से परेशान एजेंडाधारी प्रोपेगेंडा फैलाने में जुटे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था- अब जुल्म बढ़ने वाला है। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की आहट जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। पीएम मोदी और भारत को बदनाम करने वाली ताकतें एक-एक कर बिल से बाहर निकल रही हैं। अपने को निष्पक्ष कहने वाले लेफ्ट लिबरल गैंग के लोगों को बिल से बाहर निकलते और भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होते सबने देखा। अब पीएम मोदी और भारत को बदनाम करने की पश्चिम की साजिश भी सामने आ गई है। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है – इंडिया: द मोदी क्वेश्चन। बीबीसी ने साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर ​निशाना साधते हुए दो पार्ट्स में एक सीरीज दिखाई थी। इसको लेकर ब्रिटेन में भारतवंशियों की ओर से काफी नाराजगी जताई गई और फिर डॉक्यूमेंट्री को चुनिंदा प्लेटफार्मों से हटा दिया गया। यह डॉक्यूमेंट्री पीएम मोदी की छवि को खराब करने के एजेंडे तहत बनाया गया है। इसमें नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में साल 2002 में हुई हिंसा में लोगों की मौत पर सवाल उठाए गए हैं। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट से भी पीएम मोदी को इस मामले में क्लीन चिट मिल गई है तो फिर आसानी से समझा जा सकता है कि पश्चिम के इस प्रोपेगेंडा का मकसद क्या है। मकसद वही है…भारत को कमजोर रखो। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत मजबूत हो रहा है तो मोदी की छवि खराब करो और किसी तरह उसे सत्ता से हटाओ।

बीबीसी ने कश्मीर पंडितों के नरसंहार पर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनाई

लेफ्ट लिबरल गैंग की तरह बीबीसी भी अपने को निष्पक्ष मीडिया संगठन कहता रहा है लेकिन उसके हिंदूफोबिया और हिंदू विरोधी एजेंडे की असलियत लोगों के सामने आती रही है। अक्टूबर 2022 में लीसेस्टर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प हुआ था। उस समय ब्रिटिश हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना को मुख्यधारा के ब्रिटिश मीडिया- द गार्जियन और बीबीसी द्वारा बढ़ाया गया था, जिसने लीसेस्टर में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दिया था। क्या आपने कभी सोचा कि अगर बीबीसी निष्पक्ष है तो उसने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर कोई डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनाई। वर्ष 2022 में भारत में जब ‘सर तन से जुदा’ की दिल दहला देने वाली घटनाएं हो रही थी तब बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनाई।

डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश विदेश विभाग की अप्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित बताया

इस डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश विदेश विभाग की अप्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित बताया गया है। ब्रिटिश विदेश विभाग की रिपोर्ट का दावा है कि मोदी साल 2002 में गुजरात में हिंसा का माहौल बनाने के लिए ‘प्रत्यक्ष रूप से ज़िम्मेदार’ थे। इस रिपोर्ट के बारे में बीबीसी ने ख़बर भी की थी। उसमें बताया गया कि कूटनयिकों की ये रिपोर्ट उस समय के ब्रिटिश विदेश मंत्री जैक स्ट्रॉ द्वारा ऑर्डर की गई जांच का हिस्सा थी। रिपोर्ट कहती है कि हिंसा का विस्तार, मीडिया में आई रिपोर्टों से कहीं अधिक था और दंगों का उद्देश्य हिंदू इलाक़ों से मुसलमानों को खदेड़ना था। जबकि भारत का सुप्रीम कोर्ट पहले ही प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात हिंसा में किसी भी तरह की संलिप्तता से बरी कर चुका है। ऐसे में यह साफ हो जाता है कि उन्होंने एजेंडे के तहत यह डॉक्यूमेंट्री बनाई।

लेफ्ट लिबरल को मिला टूल, इमरान हुसैन ने ब्रिटेन की सांसद में उठाया मुद्दा

बीबीसी ने जब पीएम मोदी के खिलाफ एजेंडा उछाल दिया तो लेफ्ट लिबरल गैंग को एक टूल मिल गया। उन्होंने इसे लपक लिया। सबसे पहले इसे लपका ब्रिटेन के सांसद इमरान हुसैन ने। हुसैन ये मुद्दा वहां की संसद में उठाया और पूछा कि क्या प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कूटनयिकों की इस रिपोर्ट से इत्तेफ़ाक रखते हैं जिसमें मोदी को गुजरात हिंसा के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया गया है? साथ ही विदेश मंत्रालय के पास मोदी की इस मामले में संलिप्तता के बारे में और क्या जानकारी है?

ब्रिटिश सांसद रामी रेंजर ने कहा- डॉक्यूमेंट्री निष्पक्ष नहीं, 100 करोड़ लोगों की भावना को ठेस पहुंची

ब्रिटेन के के सांसद लॉर्ड रामी रेंजर ने BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर 18 जनवरी को ट्वीट किया। उन्होंने बीबीसी से कहा- आपने भारत के 100 करोड़ से अधिक लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। एक लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री, भारतीय पुलिस और भारतीय न्यायपालिका की भावनाओं को ठेस पहुंची है। हम गुजरात दंगों की निंदा करते हैं, लेकिन आपकी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की भी आलोचना करते हैं।

ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक पीएम मोदी के समर्थन में उतरे, इमरान हुसैन की कर दी खिंचाई

ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने भारतीय पीएम मोदी के समर्थन में संसद में कहा कि वो इस डॉक्यूमेंट्री में उनके कैरेक्टरराइजेशन से सहमत नहीं हैं। सुनक ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस मामले पर यूके सरकार की स्थिति स्पष्ट है, जो स्टैंड लंबे समय से है वह बदला नहीं है। सुनक ने आगे कहा कि निश्चित रूप से हम उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, चाहे यह कहीं भी हो, लेकिन मैं उस चरित्र-चित्रण से बिल्कुल सहमत नहीं हूं, जो नरेंद्र मोदी को लेकर सामने रखा गया है।

डॉक्‍यूमेंट्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्‍प्रचार

भारत सरकार ने BBC की गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया ब्रीफ्रिंग में कहा- हम नहीं जानते कि डॉक्‍यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्‍प्रचार है। बागची ने कहा- यह डॉक्यूमेंट्री भारत के खिलाफ एक खास किस्म के दुष्प्रचार का नैरेटिव चलाने की कोशिश है। डॉक्यूमेंट्री में दिखता है कि इससे जुड़े हुए लोग और संगठन खास किस्म की सोच रखते हैं, क्योंकि इसमें फैक्ट ही नहीं हैं। यह औपनिवेशिक यानी गुलामी की मानसिकता को दर्शाती है। हम नहीं जानते कि इसके पीछे का एजेंडा क्‍या है?

सुप्रीम कोर्ट PM मोदी को दे चुका है क्लीन चिट

गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया था। कमेटी ने दंगों में नरेंद्र मोदी का हाथ नहीं पाया था। SIT ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था।

बीबीसी ब्रिटेन और पश्चिमी देशों के एजेंडे को आगे बढ़ाती रही है। पश्चिमी देशों का एजेंडा है भारत की प्रगति में अवरोध पैदा करना है। इस पर एक नजर-

बीबीसी कश्मीर में आतंकियों को क्यों कहता है चरमपंथी

बीबीसी कभी भी भारत के संदर्भ में आतंकियों को आतंकवादी नहीं कहता बल्कि चरमपंथी कहता है। इसी एजेंडे के तहत गुड आतंकवाद और बैड आतंकवाद जैसे शब्द गढ़े गए। पश्चिमी देशों और पाकिस्तान में होने वाली आतंकी घटनाएं बैड आतंकवाद पुकारे जाते। परंतु भारत में होने वाले आतंकवाद को गुड आतंकवाद कहा जाता है।

बीबीसी लगातार बढ़ाता रहा है हिंदूफोबिक एजेंडा

बीबीसी लगातार हिंदूफोबिक एजेंडे के तहत अपनी खबरें प्रकाशित व प्रसारित करता रहा है। इसी एजेंडे की वजह से पिछले साल लीसेस्टर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प भी हुआ। इसके खिलाफ ब्रिटेन में रह रहे हिंदू लामबंद भी हुए थे। दर्जनों ब्रिटिश हिंदू संगठनों ने बीबीसी के हिंदू विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने और हिंदूफोबिक होने के खिलाफ पोर्टलैंड के बीबीसी हाउस के सामने प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ब्रिटेन में हिंदुओं ने ट्विटर पर अभियान शुरू किया था।

हिंदुओं को असहिष्णु और चरमपंथी मानता है बीबीसी

ब्रिटिश हिंदू संगठनों का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लक्षित गलत सूचना को मुख्यधारा के ब्रिटिश मीडिया द गार्जियन और बीबीसी बढ़ावा देते हैं। इससे लीसेस्टर में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा मिला। बीबीसी का भारत और हिंदुओं को नकारात्मक तरीके से चित्रित करने का इतिहास पुराना है। बीबीसी और द गार्जियन इन दोनों मीडिया समूह ने लीसेस्टर और बर्मिघम घटनाक्रम की सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं की। इसी वजह से अक्टूबर 2022 में बीबीसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था।

बीबीसी भारत और हिंदुओं पर नकली आख्यान फैला रहा

पिछले साल ‘बीबीसी प्रोटेस्ट’ के कुछ आयोजकों में जाने-माने लोग शामिल रहे थे। इनमें प्रमुख थे डॉ. विवेक कौल, डॉ स्नेह एस कथूरिया, पंडित सतीश के शर्मा, नितिन मेहता और दर्शन सिंह नागी। इन प्रमुख लोगों का मानना है कि हिंदुओं के बारे में इस्तेमाल की जाने वाली बीबीसी की शब्दावली अतिरंजित है। इसकी रिपोर्टिंग में भारत का वर्णन करने के लिए केवल ‘डर, नफरत, हिंसा, हिंदू मुस्लिम, कश्मीर, गाय, भीड़ और विरोध’ शब्द शामिल हैं। अब तो ब्रिटिश सरकार को भी लगता है कि बीबीसी आदतन भारत और हिंदुओं पर नकली आख्यान फैला रहा है। ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक पर यह पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग स्पष्ट रूप से भारत और यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।

जिस देश ने सताए हुए पारसियों, यहूदियों, तिब्बतियों, बहाइयों को आश्रय दिया, वह असहिष्णु कैसे?

ब्रिटेन में रहने वाले दर्जनों ब्रिटिश हिंदू संगठन और भारतवंशियों ने बीबीसी का विरोध करते हुए अक्टूबर 2022 में कहा था कि बीबीसी नियमित रूप से घृणित सामग्री का प्रसारित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस देश ने सताए हुए पारसियों, यहूदियों, तिब्बतियों, बहाइयों और कई अन्य लोगों को आश्रय दिया है, वह असहिष्णु कैसे हो सकता है। इससे साफ जाहिर है कि एजेंडा के तहत भारत को असहिष्णु के रूप में कलंकित किया जा रहा है।

भारत के लिए बीबीसी की शब्दावली में ‘डर, नफरत, हिंसा, हिंदू मुस्लिम, कश्मीर, गाय, भीड़ और विरोध’ क्यों?

हिंदुओं के बारे में इस्तेमाल की जाने वाली बीबीसी की सीमित शब्दावली की ओर देखें तो पता चलता है कि इसकी रिपोर्टिंग में भारत के लिए केवल ‘डर, नफरत, हिंसा, हिंदू मुस्लिम, कश्मीर, गाय, भीड़ और विरोध’ शब्द शामिल हैं। बीबीसी के इसी नफरती एजेंडे से अगस्त से सितंबर तक छिटपुट लेकिन जारी हिंसा ने ब्रिटिश मीडिया घरानों के खिलाफ गुस्से को प्रज्वलित किया, जिसमें हिंदुओं की दुकानों, घरों, मंदिरों और कारों को निशाना बनाया गया।

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