अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस के रथ पर सवार राहुल गांधी इस कदर अहंकार में डूब गए कि यही उनका काल बन गया। ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी और OBC समाज को अपमानित करने के मामले में सूरत कोर्ट ने दोषी ठहराने से पहले राहुल से कहा था कि वे चाहें तो माफी मांग सकते हैं। लेकिन राहुल ने कोर्ट में माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा, मुझे कोर्ट की दया नहीं चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने दो साल की सजा सुना दी। इसकी वजह से उनकी संसद सदस्यता भी खत्म हो गई। ऐसा भी नहीं है कि राहुल कोई पहली बार माफी मांगते। 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था- ‘चौकीदार चोर है’। इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर माफी मांग ली थी। देश को लगातार नीचा दिखाने पर तुले राहुल ने पिछले कुछ सालों में कई विवादास्पद बयान दिए हैं, जैसे- वीर सावरकर पर की थी विवादास्पद टिप्पणी, आरएसएस पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया, ‘चौकीदार चोर है’ आदि। इन मामलों में भी उनके खिलाफ केस हो चुके हैं।
चौकीदार के राज में करनी का फल सबको हर हाल में मिलेगा
हर भ्रष्टाचारी एक दूसरे से "डरो मत" कहता रहेगा
2024 मे कमल फिर देश भर में खिलेगा
क्योंकि हर देशभक्त फिर अपने चौकीदार को गर्व से चुनेगा#NamoFor2024 #RahulGandhi @BJP4India pic.twitter.com/NgzfrIUnup— Nishant🇮🇳 (@iNishant4) March 24, 2023
सूरत कोर्ट में राहुल ने कहा- मैं माफी नहीं मांगूंगा, मुझे दया नहीं चाहिए
सूरत सेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील ने कहा, “हम दया की भीख नहीं मांग रहे हैं। हम अपील करेंगे। जो भी विवाद है, यह जानबूझकर किसी को ठेस पहुंचाने के मकसद से नहीं किया गया। शिकायतकर्ता या किसी अन्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। ऐसे में राहुल गांधी को कम से कम सजा दी जानी चाहिए।”
सजा बरकरार रही तो राहुल 8 वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे
सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी अगर सुप्रीम कोर्ट तक गए और उनकी सजा बरकरार रही तो उन्हें दो साल जेल में रहना होगा और अगले 6 साल वह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, मतलब आने वाले 8 वर्ष वह कोई इलेक्शन नहीं लड़ पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट से तय प्रक्रिया के तहत खत्म हुई राहुल की संसद सदस्यता
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था। केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।
भाषा की ताकतः सिंहासन पर बैठा सकती है तो उतार भी सकती है
राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल की सजा सुनाए जाने और संसद सदस्यता खोने से एक बात बहुत स्पष्ट है कि कानून सर्वोच्च है। जहां न्याय का शासन हो वहां ठोस सबूत के बिना दूसरों पर आरोप लगाने के अभ्यस्त अपराधियों को मानहानि, झूठ और बदनाम करने वाली टिप्पणी से बचना चाहिए। भाषा बहुत मायने रखती है। यह आपको सिंहासन पर भी बैठा सकती है। यह आपको सिंहासन से हटा भी सकती है। यह एक मजबूत संदेश देता है कि पेशेवर या सार्वजनिक जीवन में किसी भी भाषा का उपयोग और अभिव्यक्ति कैसे की जाए।
राहुल ने अपने बयान से ओबीसी-पिछड़ों को किया अपमानित
राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक में कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? इस बयान को पूरे मोदी समाज के लिए अपमानजनक बताते हुए राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। अब जब ओबीसी वर्ग को गाली देने के मामले में अदालत ने सजा सुनाई है तो कांग्रेस के साथ सारे विपक्षी दल सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी के समर्थन में खड़े हो गये हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लताड़ लगा रहे हैं। यूजर्स का कहना है कि ये सब लोग मोदी जी को नफरत करते-करते ओबीसी वर्ग से नफरत करने लगे, ओबीसी वर्ग को गाली देने लगे। ओबीसी समुदाय के ऊपर राहुल गांधी की ओछी टिप्पणी कांग्रेस की सामंती सोच दिखाता है। गरीबों और पिछड़ों को लेकर कांग्रेस की सोच दर्शाती है कि वे इन समुदायों से कितना नफरत करते हैं।
राहुल गांधी जी को लगता था कि वो दुर्भाग्य से सांसद हैं।
भगवान ने उनकी सुन ली और कोर्ट के माध्यम से उन्हें उनके दुर्भाग्य से मुक्ति दे दी।
सदस्यता पर निर्णय कोर्ट का, कांग्रेस का हंगामा रोड पर…
आख़िर क्यों? pic.twitter.com/uEZExiwm7a
— Anurag Thakur (@ianuragthakur) March 24, 2023
दुर्भाग्य से मैं सांसद हूं…भगवान ने सुन ली, मुक्ति दे दी!
राहुल गांधी ने 16 मार्च 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ ऐसा बोल गए जो चौंकाने वाला था। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी के रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से मैं सांसद हूं। इस पर सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने अब प्रतिक्रया देते हुए कहा- राहुल गांधी जी को लगता था कि वो दुर्भाग्य से सांसद हैं। भगवान ने उनकी सुन ली और कोर्ट के माध्यम से उन्हें उनके दुर्भाग्य से मुक्ति दे दी। सदस्यता पर निर्णय कोर्ट का, कांग्रेस का हंगामा रोड पर है।
‘उन्हीं की सरकार ने ये ऑर्डिनेंस लाया था’
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘आज साहिबजादे (राहुल गांधी) के चाटुकार छाती पीट रहे हैं, हाय-तौबा कर रहे हैं। उन्हें याद रखना चाहिये आज जो फैसला हुआ है उन्हीं की सरकार में ऑर्डिनेंस के आधार पर हुआ है। आज जब उनकी सदस्यता गई तो, उन्हीं के पार्टी के पार्टी के लोग हाय-तौबा मचा रहे हैं।’
भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए कांग्रेस ने लाया था अध्यादेश
साल 2013 के सितंबर महीने में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया था। इसका मकसद उसी साल जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को निष्क्रिय करना था, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। उस समय देश भर में तत्कालीन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन चल रहे थे। इस अध्यादेश के आने के चलते उस समय की विपक्षी पार्टियों- बीजेपी, लेफ्ट पार्टी इत्यादि ने और जमकर कांग्रेस पर हमला शुरु कर दिया गया था। सरकार पर आरोप लग रहे थे कि वो भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देना चाह रही है, इसलिए ये अध्यादेश लाया गया है।
दागी संसदों के लिए लाए गए अध्यादेश को ही राहुल ने फाड़ा था
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हिसाब से देखें तो राहुल गांधी तो निपट गए। राहुल गांधी ने 2013 में दागी नेताओं को अयोग्य होने से बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश पर बयान देकर यूपीए सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था। इसी के खिलाफ वो अध्यादेश था जिसको राहुल गांधी ने फाड़ा था। साल 2013 के सितंबर महीने में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जब अध्यादेश पारित किया था। उस समय RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर भी चारा घोटाले को लेकर ‘अयोग्यता’ की तलवार लटक रही थी और राज्य सभा सांसद राशिद मसूद भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराए जा चुके थे। यानी कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए यह अध्यादेश लेकर आई थी।
मनमोहन सिंह और पूरी कैबिनेट के लिए थी ‘शर्मिंदगी’ वाली घटना
कांग्रेस ने 27 सितंबर 2013 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जहां पार्टी के नेता अध्यादेश की ‘अच्छाईयों’ को जनता के सामने पेश करने वाले थे। हालांकि, यहां अचानक से राहुल गांधी की नाटकीय अंदाज में एंट्री हुई। उन्होंने अपनी पार्टी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि ‘ये अध्यादेश पूरी तरह बकवास है, इसे फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए’। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी पूरी कैबिनेट के लिए यह एक बड़ी ‘शर्मिंदगी’ वाली घटना थी।
राहुल खुद को समझते देश से ऊपर, देश को नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ते
राहुल खुद को देश से ऊपर समझते हैं, राहुल गांधी को नियम तोड़ने की आदत हो गई है। यही वजह है कि उनके कर्म ने यह सजा दी है। लंदन जाकर देश को नीचा दिखाना, लोकतंत्र खतरे में है बताना और विदेशी ताकतों से हस्तक्षेप करने की बात करना इस तरह के अनगित उदाहरण हैं जब राहुल गांधी पीए मोदी बदनाम करने के लिए देश को नीचा दिखाते रहे हैं। ऐसा लगता है कि 9 साल से सत्ता सुख से वंचित राहुल इस कदर विचलित हो गए हैं कि वे अनाप-शनाप कुछ भी बोल देते हैं।
राहुल की संसद सदस्यता समाप्त होने पर हाय-तौबा समझ से परे
राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने पर कांग्रेस और विपक्षी दल जिस तरह हाय-तौबा मचा रहा है वह समझ से परे है। विपक्षी पार्टियों को आज संविधान से लेकर लोकतंत्र खतरे में दिखने लगा है। यह जानते हुए भी कि संसद सदस्यता एक तय प्रक्रिया के तहत समाप्त हुई है, फिर भी इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए जिस तरह भुनाया जा रहा है, यह शोभनीय नहीं है। इससे पहले भी कई दागी नेताओं की संसद सदस्यता समाप्त हो चुकी है।
यूटर्न मास्टर अरविंद केजरीवाल का दोरंगापन देखिए
U-Turn master again at his theatrics pic.twitter.com/kOSDn0HiSJ
— Prakash (@Gujju_Er) March 24, 2023
यूटर्न मास्टर अरविंद केजरीवाल का दोरंगापन देखिए। 2013 में दागी नेताओं को बचाने के लिए मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का विरोध करते हुए राष्ट्रपति से मिलने पहुंच गए थे और उनसे आग्रह किया था वे इस पर साइन न करें। तब वो कह रहे थे जो दागी लोग हैं वो संसद में न बैठ पाएं उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। अब 2023 में कह रहे हैं- और अभी राहुल गांधी की सदस्यता तुम लोगों ने समाप्त कर दी।
लालू यादव से लेकर आजम खान तक तक दागी नेताओं की जा चुकी सदस्यता
रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 आने के बाद से अब तक कई सांसद-विधायकों को सदस्यता गंवानी पड़ी है। इसकी फेहरिस्त लंबी है। इनमें लालू प्रसाद यादव, आजम खान, जयललिता, कुलदीप सेंगर, रशीद मसूद, अशोक चंदेल, कुलदीप सेंगर, अब्दुल्ला आजम जैसे लोगों के नाम शामिल हैं। लेकिन राहुल गांधी को लेकर जिस तरह का हायतौबा मचाया जा रहा है इस पहले कभी नहीं हुआ।
दागी नेताओं को पहले भी गंवानी पड़ी सदस्यता
मोहम्मद फ़ैजलः लक्षद्वीप से सांसद मोहम्मद फ़ैजल को हाल ही में 11 जनवरी, 2023 को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी. केंद्रशासित प्रदेश में एक अदालत ने उन्हें हत्या की कोशिश के मामले में दस साल की सज़ा सुनाई थी।
रशीद मसूद: रशीद मसूद (कांग्रेस) को साल 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी ठहराया गया और उन्हें राज्यसभा की अपनी सदस्यता गँवानी पड़ी।
लालू प्रसाद यादव: लालू प्रसाद यादव को भी साल 2013 में चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया और उनकी भी लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गई। उस समय वे बिहार में सारण से सांसद थे।
जगदीश शर्मा: जनता दल यूनाइटेड के जगदीश शर्मा भी चारा घोटाले के मामले में दोषी ठहराए गए और 2013 में उन्हें भी लोकसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी। उस समय वे बिहार के जहानाबाद से सांसद थे।
आज़म ख़ान: समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान को दोषी ठहराए जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी। रामपुर की एक अदालत ने उन्हें वर्ष 2019 के एक हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराया था और तीन साल की सज़ा सुनाई थी।
अब्दुल्ला आज़म: सपा नेता आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला आज़म की भी विधानसभा सदस्यता रद्द हुई। चुनाव लड़ते समय उन्होंने अपनी उम्र अधिक बताते हुए ग़लत शपथपत्र दिया था।
विक्रम सैनी: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विधायक रहे विक्रम सैनी की भी सदस्यता ख़त्म कर दी गई थी। उन्हें 2013 के दंगा मामले में दो साल की सज़ा दी गई थी।
अब तक इतने नेताओं की सदस्यता जा चुकी है। राहुल गांधी की भी चली गई तो इतना हल्ला क्यों मच रहा है?#RahulGandhi pic.twitter.com/aPHdPELKZN
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) March 24, 2023
2022 से अब तक 8 दागी नेता ठहराए जा चुके अयोग्य
अगर वर्ष 2022 से मार्च 2023 तक की अवधि पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश से तीन, बिहार से दो, झारखंड से दो, केरल से एक यानि कुल 8 दागी नेता अयोग्य घोषित किए जा चुके हैं। बाकी मामलों में तो कोई हो-हल्ला नहीं हुआ, लेकिन राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त होने पर जिस तरह का शोर हो रहा है उससे यह बात साफ हो जाती है देश की विपक्षी पार्टी के भ्रष्टाचारी सकते में आ गए हैं और उन्हें भी इस बात का खौफ सताने लगा है कि कभी उनपर गाज गिर सकती है। इसीलिए आज वो एकजुटता दिखा रहे हैं कि तुम्हारे मामले में मैं आवाज उठा रहा हूं और मेरा मामला आएगा तो तुम आवाज उठाना।
अयोग्य घोषित किए गए नेताओं की राज्यवार सूची
उत्तर प्रदेश
रशीद मसूद – 2013
बजरंग बी सिंह – 2015
अब्दुल्ला आजम – 2020 और 2023
आजम खान – 2022
विक्रम सैनी- 2022
खब्बू तिवारी – 2021
अशोक चंदेल – 2019
कुलदीप सेंगर- 2019
बिहार
लालू यादव- 2013
जगदीश शर्मा- 2013
अनिल कुमार साहनी -2022
अनंत सिंह- 2022
राजबल्लभ यादव- 2018
इलयास हुसैन- 2018
झारखंड
केके भगत -2015
अमित महतो- 2018
योगेंद्र महतो- 2018
एनोस एक्का- 2018
बंधु टिर्की- 2022
ममता देवी- 2022
तमिलनाडु
जे जयललिता- 2000
जे जयललिता- 2014
टीम सेल्वागणपति- 2014
पी बालाकृष्णा रेड्डी- 2019
केरल
पी जयराजन- 2001
पीसी थॉमस- 2006
केएम शाजी- 2016
ए राजा- 2023
हरियाणा
प्रदीप चौधरी- 2021
कर्नाटक
वतल नागराज- 1973
सुभाष कल्लूर- 2002
पटना और रांची में भी दर्ज हैं राहुल के खिलाफ केस
राहुल गांधी को मानहानि के केस में सजा मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा- पटना के CJM कोर्ट में मैंने भी राहुल गांधी पर ‘सारे मोदी सरनेम वाले चोर हैं’ के मुद्दे पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कर रखा है। जमानत पर हैं। सूरत कोर्ट के समान पटना में भी सजा की पूरी संभावना है।” इसके अलावा झारखंड के रांची में भी राहुल गांधी पर तीन मामले दर्ज हैं। इनमें एक मोदी सरनेम को लेकर है। इस केस को प्रदीप मोदी ने दर्ज करवाया था। कांग्रेस नेता ने इसे रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। हालांकि वहां ये याचिका खारिज हो गई।
राहुल गांधी को पहले भी मुश्किल में डाल चुके हैं उनके बोल
वीर सावरकर पर की थी विवादास्पद टिप्पणी
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 17 नवंबर, 2022 को राहुल गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि सावरकर ने सजा से डरकर अंग्रेजों से माफी मांग ली थी। ऐसा करके उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल समेत सभी को धोखा दिया। राहुल के इस बयान पर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया है। लखनऊ में एक अधिवक्ता ने भी इस मामले में केस दर्ज कराया है।
आरएसएस पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप
2014 में चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी ने आरएसएस को महात्मा गांधी की हत्या का जिम्मेदार ठहराते हुए टिप्पणी की थी। रैली महाराष्ट्र के भिवंडी में थी। वहीं के एक स्थानीय आरएसएस कार्यकर्ता ने इस मामले में राहुल पर मामला दर्ज कराया था। यह मामला अभी लंबित है। हाल ही में लंदन में आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करने के मामले में भी राहुल पर मामला दर्ज कराया गया है।
‘चौकीदार चोर है’ पर मांग ली थी माफी
2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था। राहुल ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान सौदे में घोटाले का दावा करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। इस मामले में भी उन पर मानहानि का मामला दर्ज हुआ था। हालांकि बाद में राहुल ने हलफनामा देकर माफी मांग ली थी। उन्होंने लिखा था, ‘अदालत का अपमान करने की मेरी कोई मंशा नहीं थी और न ही मैंने जानबूझकर ऐसा किया। मैं न्यायिक प्रक्रिया में बाधा नहीं पहुंचाना चाहता। भूलवश मुझसे ये गलती हुई। इसके लिए मैं माफी चाहता हूं।’
राहुल गांधी नपे, कई और बड़े नेता जांच के घेरे में
कांग्रेस नेता एवं मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से ईडी पूछताछ कर चुकी है। खरगे ने कहा था, केंद्र सरकार जांच एजेंसियों की मदद से विपक्ष को एकत्रित नहीं होने दे रही। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल भी ईडी का सामना कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। शिवसेना के संजय राउत ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। वे भी जेल में रह कर आए हैं। टीएमसी सांसद अभिषेक से भी पूछताछ जारी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से ईडी ने पूछताछ की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। शरद पवार के भतीजे अजित पवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। पूर्व मंत्री नवाब मलिक, ईडी मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं।
जांच एजेंसी के घेरे में इन नेताओं पर रहेगी नजर
यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम भी माइनिंग घोटाले में आया था। चारा घोटाले में सजा होने के बाद लालू प्रसाद यादव पर रेलवे में जमीन लेकर नौकरी देने का मामले की जांच शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ में राम गोपाल अग्रवाल, भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव, गिरीश देवांगन, आरपी सिंह, विनोद तिवारी और सन्नी अग्रवाल के निवास एवं कार्यालयों पर ईडी की रेड हो चुकी है। पूर्व सीएम ओपी चौटाला भी सलाखों के पीछे रहे हैं। आरजेडी के एमएलसी सुनील सिंह, सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय भी जांच एजेंसियों की रडार पर हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी ईडी की सुई घूम रही हैं। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के करीबियों पर ईडी छापा मार चुकी है। ममता बनर्जी के खिलाफ चिट फंड मामला है तो कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार भी ईडी के निशाने पर आ चुके हैं।
राहुल गांधी को भारत का जेलेंस्की बनाना चाहता था डीप स्टेट!
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल के समय में चीन का जिक्र बार-बार किया था। चीन भारत में घुसपैठ कर रहा है। चीनी सैनिक भारतीय जवानों को पीट रहे हैं। चीन में काफी सद्भावना है। इस तरह के न जाने कितने ही बयान हैं। लेकिन हाल में ब्रिटेन के दौरे के दौरान उनके जुबान से वह बात भी निकल गई जिसका उन्हें सब्जबाग दिखाया गया था। उन्होंने कहा- जैसा रूस ने यूक्रेन में किया, वही भारत के खिलाफ दोहरा सकता है चीन। दरअसल पश्चिमी देशों के डीप स्टेट (दुनिया को अपने हिसाब से चलाने वाले) और अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस ने मई 2022 में राहुल गांधी के मेकओवर और पीएम उम्मीदवार बनाने की पटकथा तैयार की गई थी। उस वक्त राहुल भी ब्रिटेन के दौरे पर थे। उसी वक्त यह तय हुआ था कि जिस तरह यूक्रेन में आंदोलन खड़ा कर जेलेंस्की को प्रधानमंत्री बनाया गया उसी तरह 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ आंदोलन खड़ा कर राहुल की ताजपोशी करवाई जाएगी। अब जब राहुल को सजा हो चुकी है तो डीप स्टेट का अगला कदम क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।