प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से भारत ने ‘दिव्यास्त्र’ हासिल कर लिया। भारत ने 11 मार्च, 2024 को कई हथियारों को ले जाने वाली सबसे दुर्जेय अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने 5,000 किमी से अधिक की मारक क्षमता वाले स्वदेशी अग्नि-5 मिसाइल का पहला फ्लाइट टेस्ट किया। यह मिसाइल मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेड री-एंट्री व्हिकल (MIRV) तकनीक से लैस है। स्वदेशी अग्नि-5 मिसाइल के पहला फ्लाइट टेस्ट कई मायनों में अहम है। इससे एक ही मिसाइल कई स्थानों पर कई हथियार को तैनात कर सकती है। इससे चीन सहित पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। खास बात यह भी है कि इस मिशन की परियोजना निदेशक एक महिला है और इसमें महिलाओं का अहम योगदान है। इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मिशन दिव्यास्त्र के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों पर हमें गर्व है।
मिशन दिव्यास्त्र के डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्वः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 मार्च, 2024 को DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के उन वैज्ञानिकों पर गर्व जताया, जिन्होंने ‘मिशन दिव्यास्त्र’ को सफल कर के दिखाया है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि स्वदेश में विकसित ‘अग्नि-5’ मिसाइल की पहली फ्लाइट टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। इसके लिए ‘मल्टीपल इंडेपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल’ (MIRV) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
Proud of our DRDO scientists for Mission Divyastra, the first flight test of indigenously developed Agni-5 missile with Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle (MIRV) technology.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 11, 2024
अग्नि-5 की जद में चीन और यूरोप
अग्नि-5 एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है। इस मिसाइल की खासियत है कि यह वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करने से पहले अंतरिक्ष में जाती है। यह मिसाइल तीन चरणों वाले ठोस ईंधन वाले इंजन का उपयोग करती है। अग्नि-5 मिसाइल बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ 5,000 किलोमीटर तक लक्ष्य पर प्रहार करने में सक्षम है। इस तरह से अग्नि-5 की मारक क्षमता चीन के सबसे उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया तक हो सकती है। यह भारत के हथियार कार्यक्रम के इतिहास में सबसे दूर तक मार करने वाली मिसाइल है। अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की मारक क्षमता 700 किमी से 3,500 किमी तक है। इन मिसाइलों को पहले ही तैनात किया जा चुका है।
MIRV तकनीक में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता
‘मल्टीपल इंडेपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल’ (MIRV) तकनीक के तहत किसी मिसाइल में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है और इन हथियारों से अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। इसकी एक खासियत यह भी है कि इसे सड़क मार्ग से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इससे पहले की अग्नि मिसाइलों में यह सुविधा नहीं थी। वैज्ञानिक कई वर्षों से एमआईआरवी तकनीक पर काम कर रहे हैं। नए टेस्ट के साथ भारत मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) क्षमता वाले देशों की खास सूची में आ गया है। इस अत्याधुनिक प्रणाली में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह उपलब्धि भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता को भी दर्शाती है।
दुश्मन को चकमा देने में सक्षम हैं MIRV मिसाइलें
एमआईआरवी मिसाइलों में दुश्मन के डिफेंस सिस्टम्स को चकमा देने के लिए असली हथियार के साथ-साथ फर्जी हथियार भी हो सकते हैं। ओडिशा तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर कई री-एंट्री वीइकल्स के साथ अग्नि-5 मिसाइल का तीन चरणों वाला फ्लाइट टेस्ट की विभिन्न टेलीमेट्री और रडार स्टेशनों द्वारा ट्रैक और निगरानी की गई थी। इस मौके पर डीआरडीओ ने कहा, ‘मिशन तय मापदंडों पर खरा उतरा है।’
मिशन दिव्यास्त्र के साथ भारत को मिलेगी नई पहचान
मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी (MIRV) क्षमता है। यह प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणालियों और उच्च सटीकता सेंसर पैकेजों से सुसज्जित है, जो यह सुनिश्चित करती है कि पुन: प्रवेश करने वाले वाहन वांछित सटीकता के भीतर लक्ष्य बिंदुओं तक पहुंचें। यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति की प्रतीक है।
एलीट क्लब में शामिल हुआ भारत
अभी सिर्फ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के पास पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाली एमआईआरवी मिसाइलें हैं तो चीन के पास जमीन से उड़ान भरने वाली। वहीं, रूस के पास जमीन और समुद्र, दोनों से लॉन्च होने में सक्षम एमआईआरवी मिसाइलें हैं। उधर, पाकिस्तान भी एमआईआरवी मिसाइल विकसित कर रहा है।
भारत के इस परीक्षण से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ी
अग्नि-5 के सफल परीक्षण और ताज़ा तकनीक से भारत अपनी सुरक्षा को सुदृढ़ करने में भी सक्षम होगा। भारत के इस परीक्षण से पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों की नींद उड़नी तय है। तकनीक की बात करें तो अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत नए आयाम लिख रहा है।
रक्षा उत्पादन पहली बार 1 लाख करोड़ रुपए
पीएम मोदी के विजन से भारत आज रक्षा के क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा उत्पादन पहली बार 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया। पिछले वर्ष के आंकड़ों की बात करें तो यह उनकी तुलना में लगभग 12 प्रतिशत तक बढ़ा है। भारत रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन बढ़ाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है। भारत आत्मनिर्भर तो ही रहा है साथ ही निर्यात में नए रिकार्ड बना रहा है।
वित्त वर्ष 2024-25 तक 25 अरब डॉलर रक्षा उत्पादन लक्ष्य
वित्त वर्ष 2024-25 तक 25 अरब डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपये) का रक्षा उत्पादन लक्ष्य रखा है जिसमें 35,000 करोड़ रुपये के सैन्य उत्पादों का निर्यात करने का लक्ष्य भी शामिल है। सरकार रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भरता कम करना चाहती है और इसी कोशिश में घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
भारत ने करीब 16,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया
भारत ने रक्षा निर्यात के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में लगातार आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों के साथ वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने करीब 16,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया। वर्ष 2013-14 में रक्षा निर्यात मात्र 686 करोड़ रुपये रहा था। रक्षा मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष यानी 2022-23 में करीब 16 हजार करोड़ रुपए का रक्षा निर्यात हुआ है। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 3000 करोड़ रुपए ज्यादा है। जबकि 2016-17 की तुलना में 10 गुना ज्यादा है।
पिछले नौ साल में 23 गुना बढ़ा रक्षा निर्यात
रक्षा विभाग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2013-14 में भारत से रक्षा निर्यात मात्र 686 करोड़ रुपये के आसपास था। जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 15,940 करोड़ हो गया है। मात्र 9 साल में रक्षा निर्यात के मोर्चे पर 23 गुना की वृद्धि वैश्विक रक्षा निर्माण क्षेत्र में भारत की बढ़ती धाक को प्रदर्शित करती है।
रक्षा लाइसेंस में 200 प्रतिशत की वृद्धि
रक्षा विनिर्माण में कारोबारी सुगमता को बढ़ाने के साथ एमएसएमई एवं स्टार्टअप की भागीदारी के जरिये रक्षा उत्पादों के स्वदेशी डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है। पिछले सात-आठ वर्षों में उद्योगों को दिए गए रक्षा लाइसेंस में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सैन्य महत्व वाली 928 वस्तुओं के आयात पर लगा प्रतिबंध
‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में सैन्य महत्व वाली 928 वस्तुओं के आयात पर चरणबद्ध प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले के अंतर्गत सैन्य महत्व के 928 सब-सिस्टम और पुर्जों के आयात पर प्रतिबंध लगाते हुए चौथी स्वदेशीकरण सूची (PIL) को मंजूरी दे दी गई है। इन वस्तुओं का विवरण सृजन पोर्टल पर उपलब्ध है। अब इन्हें सूची में निर्धारित की गई समय सीमा के बाद भारतीय-उद्योग से ही खरीदा जा सकेगा। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (DPSU) के आयात को न्यूनतम करने के लिए यह कदम उठाया गया है।