Home समाचार राफेल के बाद अब ड्रोन पर जनता में भ्रम फैलाने में जुटे...

राफेल के बाद अब ड्रोन पर जनता में भ्रम फैलाने में जुटे कांग्रेसी नेता, कांग्रेस को भारी पड़ेगी चीन से प्रेम!

SHARE

वर्ष 2020 में ईरान के शीर्ष सैन्य नेता कासिम सुलेमानी अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था। इस हमले को इराक में एक अमेरिकी ठिकाने से संचालित किया गया था। उस वक्त दुनियाभर के लोग इस हमले को देखकर दंग रह गए थे। इस ड्रोन का नाम MQ-9 रीपर था। यह दुनिया का सबसे घातक ड्रोन है। अब भारत अमेरिका से 30 MQ- 9 रीपर ड्रोन खरीद रहा है। जिससे भारत की सुरक्षा मजबूत की जा सके। खासकर चीन के नापाक रवैये को देखते हुए इसकी खासा जरूरत महसूस की जा रही थी। लेकिन भारत को कमजोर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने वाली कांग्रेस ने राफेल की तरह इस पर भी भ्रम फैलाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस कह रही है कि मोदी सरकार इन ड्रोनों को अधिक कीमत पर खरीद रही है। दिलचस्प बात ये है कि अभी कीमत तय नहीं हुई है। अभी ड्रोन निर्माता जनरल एटॉमिक्स ने केवल कोटेशन भेजे हैं और कीमत पर बातचीत भी शुरू नहीं हुई है। लेकिन कांग्रेस ने पहले ही डील का विरोध करना शुरू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले में कांग्रेस पहले ही गलत साबित हो चुकी है। ऐसा लगता है कि चीन से प्रेम (समझौता) को निभाने के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है और ड्रोन मामले में भी अपनी जगहंसाई करवाने का मन बना चुकी है।

कांग्रेस ने कहा- महंगी ड्रोन खरीदी जा रही, जबकि कीमत अभी तय ही नहीं हुई
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो राफेल डील में हुआ, वही अब प्रीडेटर ड्रोन्स की खरीद में भी दोहराया जा रहा है। भारत 110 मिलियन डॉलर यानी करीब 880 करोड़ प्रति ड्रोन के हिसाब से 31 ड्रोन की खरीद कर रहा है और इस पर कुल खर्च 25,000 करोड़ रुपए का होगा। ब्रिटेन, इटली, ताइवान, स्पेन आदि देशों ने भारत से चार गुने कम कीमत पर इस ड्रोन को खरीदा है इसीलिए हम इस प्रीडेटर ड्रोन सौदे में पूरी पारदर्शिता की मांग करते हैं। सरकार के स्तर पर अभी ड्रोन की कीमत ही तय नहीं हुई लेकिन कांग्रेस ने ड्रोन की कीमत भी लगा दी। दरअसल यह सब भ्रम फैलाने के लिए किया जा रहा है।


नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार ने कहा- सेना की क्षमता बढ़ाएगा प्रीडेटर ड्रोन
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि प्रीडेटर ड्रोन सशस्त्र सेनाओं की क्षमताओं को बढ़ाएगा। सेना इसकी खरीद को लेकर उत्सुक है। इन ड्रोनों का संचालन भारतीय नौसेना करती रही है। ये हेल (हाई अल्टीट्यूड लांग एंडुरेंस ड्रोन) वर्ग में आती हैं। हमने महसूस किया है कि बेहतर निगरानी और समुद्री क्षेत्र में पहुंच बढ़ाने के लिए इनकी आवश्यकता है।

वर्ष 2020 में दो ड्रोन को लिया गया था लीज पर
नौसेना प्रमुख ने कहा कि हमने इनमें से दो को नवंबर 2020 से लीज पर लिया था। तब से संचालन कर रहे हैं। सेना इससे मिलने वाले फायदे और बढ़त को जानती है। यह बड़े क्षेत्र पर निगरानी में मदद कर सकती है। हम अभी जिसका उपयोग कर रहे हैं, उसकी क्षमता निकट भविष्य में खरीदे जाने वाले उपकरणों की तुलना में काफी कम है।

समुद्र में जाना पड़ता है 2500 से 3000 मील तक
नौसेना प्रमुख ने कहा कि हिंद महासागर में आपको 2500 से 3000 मील तक जाना पड़ता है। शांति के समय में हम ड्रोन का प्रयोग खुफिया जानकारी प्राप्त करने, निगरानी और टोही मिशन के लिए करते हैं। साथ ही संकट या युद्ध की स्थिति में पता लगाने, नजर रखने और निशाना बनाने में प्रयोग संभव है।

प्रीडेटर ड्रोन 33 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम 
प्रीडेटर ड्रोन लगभग 33 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है। यह समुद्र के सुदूर इलाकों तक पहुंच सकता है, जिन्हें हम निरंतर निगरानी में रखना चाहते हैं। यह वास्तव में उपग्रह द्वारा संभव नहीं है। अभी हमारे पास इन हेल यूएवी के लिए तकनीक नहीं है। वे 40,000 फीट से ऊपर उड़ सकते हैं।

अमेरिका से भारत आएंगे 10 ड्रोन
नौसेना प्रमुख ने कहा मुझे लगता है कि शुरुआती दस ड्रोन अमेरिका में निर्मित होकर यहां आएंगे। बाकी का निर्माण यहां होगा, जिससे हमें विभिन्न प्रौद्योगिकियों का लाभ मिलेगा। यह एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाएगा और भारत को नवाचार के लिए वैश्विक मानव रहित हवाई प्रणाली केंद्र में बदलने की सुविधा प्रदान करेगा।

रक्षा सौदों में कांग्रेस का अड़ंगा क्या कहता है?
जब भी भारत कोई रक्षा तकनीक हासिल करने के करीब होता है तो कांग्रेस नींद से जाग जाती है और उसका विरोध करना शुरू कर देती है। यह वास्तव में कांग्रेस की मंशा पर संदेह पैदा करता है। एक तरफ मोदी सरकार भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर काम कर रही है वहीं कांग्रेस हमेशा दूसरे देशों से खरीदारी में विश्वास करती है। मोदी सरकार सरकार से सरकार के बीच सौदे पर जोर देती है। इससे बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह खत्म हो जाती है। यहां तक ​​कि भविष्य में अगर कांग्रेस या कोई पार्टी सत्ता में आएगी तो उसे सरकार से सरकार के जरिए ही खरीद करनी होगी। जबकि कांग्रेस हमेशा बिचौलियों के माध्यम से खरीद करती थी। बिचौलियों के माध्यम से खरीद में रिश्वत, भ्रष्टाचार और कमीशन की खुली छूट रहती है। आज कांग्रेस हाथ यह कमीशन नहीं लग रहा इसीलिए वह हर स्तर पर इसमें अडंगा लगाने से बाज नहीं आती।

कांग्रेस को जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए
MQ9 रीपर्स दुनिया का सबसे अच्छा सैन्य लड़ाकू ड्रोन है। अगर भारत कोई रक्षा तकनीक खरीदता है तो इससे पाकिस्तान और चीन को चिंता होगी। यदि कांग्रेस भारत की किसी भी रक्षा खरीद प्रक्रिया को रोकती है तो इससे अंततः पाकिस्तान को मदद मिलेगी। कांग्रेस को अवश्य यह बात समझनी चाहिए। कांग्रेस को जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए और अपनी तुच्छ राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में नहीं डालना चाहिए।

ड्रोन खरीद के विरोध के पीछे चीनी प्रेम तो नहीं!
सीमावर्ती राज्यों में हाल की चीनी आक्रामकता देखते हुए इस ड्रोन की खरीद को जायज ही कहा जा सकता है। किसी को इस बात का आश्चर्य हो सकता है कि ड्रोन खरीदने का कांग्रेस के विरोध के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी ने बार-बार इसी बात को दोहराया कि चीनी सैनिकों ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है। लेकिन उन्होंने आज तक कांग्रेस और चीन की सीसीपी द्वारा हस्ताक्षरित 2008 के अनुबंध के बारे में कभी नहीं बताया। उस वक्त कहा गया था कि ‘महत्वपूर्ण मुद्दे’ पर विचार-विमर्श के लिए यह समझौता किया गया लेकिन वे ‘महत्वपूर्ण मुद्दे’ क्या हो सकते हैं, इसका अंदाज़ा किसी को नहीं है।

इसे भी पढ़ेंः जानिए, राहुल गांधी ने किस प्रकार राफेल डील पर बोला झूठ, सुप्रीम कोर्ट दे चुका है सौदे को क्लीन चिट

Leave a Reply