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निर्यात के मोर्चे पर उपलब्धिः दुबई के बाजार पहुंचा मणिपुर का अनानास और असमिया चावल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में निर्यात के मोर्चे पर भारत लगातार छलांग रहा है और इससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है। साल 2022 की पहली छमाही में जनवरी से जून के बीच व्यापारिक निर्यात 27 प्रतिशत बढ़कर 235 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि एक साल पहले इसी अवधि में व्यापारिक निर्यात सिर्फ 185.9 अरब डॉलर का था। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिली है। पूर्वोत्तर जो कि पिछली सरकारों में उपेक्षित रह जाता था अब वहां से निर्यात में अच्छी खासी वृद्धि देखने को मिल रही है। अब मणिपुर के अनानास और असम से चावल का दुबई में निर्यात किया गया है और वहां के बाजारों में लोगों को खूब पसंद आ रहा है।

मणिपुर के अनानास की दुबई में धूम

मणिपुर के अनानास की दुबई में धूम मची हुई है। इन्हें दुबई के लुलु हाइपरमार्केट में प्रदर्शित किया गया है। छोटे काश्तकारों के उत्पादन और आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के लिए इन बागवानी उत्पादों को इस मार्केट विशेष तौर पर प्रदर्शन के लिए रखा गया है। इसके तहत मणिपुर से अनानास का ‘इन-स्टोर प्रमोशन शो’ दुबई की प्रमुख सुपरमार्केट श्रृंखला लुलु ग्रुप के सहयोग से किया गया। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्थानीय रूप से उत्पादित कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority (APEDA) लगतार प्रयास कर रही है। इसे मणिपुर के बागवानी और मृदा संरक्षण विभाग के तहत मणिपुर ऑर्गेनिक मिशन एजेंसी (MOMA) द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किया गया और इसे विशेष रूप से “मणिपुर की उपज” के रूप में प्रदर्शित किया गया है। मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि मणिपुर के लोगों के लिए यह वास्तव में गर्व का क्षण है कि हमारे मणिपुर के बेहद स्वादिष्ट, रसीले और अनोखे ऑर्गेनिक अनानास को दुबई के लुलु हाइपरमार्केट में प्रदर्शित किया गया और विशेष रूप से मणिपुर के उत्पाद के रूप में प्रदर्शित किया गया।

10 लाख मीट्रिक टन असमिया चावल दुबई भेजा गया

पूर्वोतर के कृषि उत्पाद खाड़ी देशों में पसंद किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बीते दिनों APEDA के प्रयास के तहत असमिया चावल की 10 लाख मीट्रिक टन की खेप चेन्नई बंदरगाह से दुबई भेजी गई थी। जिसमें राज्य के चावल की दो प्रमुख किस्में “जोहा” और “एजुंग” शामिल थी। असम के नलबाड़ी और कामरूप जिलों के किसानों ने “जोहा” चावल शिपमेंट प्रदान किया, जबकि कामरूप जिले ने “ऐजुंग” किस्मों का निर्यात किया है। चावल की इस खेप को APEDA के अध्यक्ष एम अंगमुथु ने हरी झंडी दिखाई।

निर्यात के मोर्चे पर भारत की उपलब्धियों पर एक नजरः

भारत ने 2021-22 में 4.1 बिलियन डॉलर के मसालों का निर्यात किया

भारत वैश्विक स्तर पर मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 4.1 बिलियन डॉलर के मसालों का निर्यात किया। इस हिस्से से, 1.8 बिलियन डॉलर ने मुख्य मसालों – सूखी मिर्च, जीरा और हल्दी का गठन किया, इसके बाद टकसाल उत्पादों, मसाला तेलों और ओलेरेसिन के 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निर्यात किया गया। मिर्च, जीरा और हल्दी के निर्यात में भारत का पहला स्थान है। वित्त वर्ष 2022 में, चीन और अमेरिका ने भारत सबसे ज्यादा मसालों का आयात किए। चीन मिर्च, जीरा और विभिन्न टकसाल उत्पादों का भारत का शीर्ष आयातक है, अमेरिका मुख्य रूप से करी पाउडर और पेस्ट, मसाला तेल और ओलेरोसिन का आयात करता है। इसके अलावा, भारत बांग्लादेश को हल्दी और अदरक का निर्यात करता है और कुछ मुख्य मसाले जैसे छोटी इलायची सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात करता है। इन क्षेत्रों में सामूहिक रूप से भारत के मसाला निर्यात बाजार का 50% से अधिक शामिल है।

भारतीय कपड़े की विदेशों में बढ़ी मांग, निर्यात 99 प्रतिशत बढ़ा

मोदी राज में कपड़ा क्षेत्र को मिले प्रोत्साहन की वजह से देश में उत्कृष्ट कपड़ा का उत्पादन किया जा रहा है विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ी है। अप्रैल-जून 2013-14 में जहां भारत से 8638 करोड़ रुपये के कपड़े का निर्यात किया गया था वहीं अप्रैल-जून 2022-23 में 17204 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया। इस तरह मोदी काल में कपड़ों के निर्यात में 99 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में 44.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया था जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है। सरकार ने बताया कि निर्यात की सूची में हस्तशिल्प भी शामिल है तथा वित्त वर्ष 2021-22 में किया गया निर्यात 2020-21 और 2019-20 की तुलना में क्रमशः 41 प्रतिशत और 26 प्रतिशत अधिक है। भारत ने वित्तवर्ष 2021-22 में अब तक का सबसे बड़ा टैक्सटाइल एक्सपोर्ट कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का टैक्सटाइल एक्सपोर्ट में छठा स्थान है। यहां पर बाजी चीन ने मारी हुई थी, लेकिन भारत ने वैश्विक बाजार को देखते हुए अपनी रणनीति में बदलाव किया और उसका नतीजा हमारे सामने है। टैक्सटाइल निर्यात 44.4 अरब अमरीकी डॉलर का हुआ है, जिसमें हैंडीक्राफ्ट (हस्तशिल्प) उत्पादों की संख्या अच्छी-खासी है।

भारतीय कॉफी की विदेशों में मांग बढ़ी, निर्यात 90 फीसदी बढ़ा

भारत कॉफी उत्पादन में दुनिया के टॉप 10 देशों में शुमार है। हाल के वर्षों में विदेशों में भारतीय कॉफी की मांग बढ़ गई है। अब दुनिया के कई हिस्से में लोग सुबह उठने के बाद भारतीय कॉफी का आनंद लेकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किए जा रहे उपायों के असर की वजह से आज भारत हर सेक्टर में दमदार प्रदर्शन कर रहा है। मोदी काल में कॉफी निर्यात में 90 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रैल-जून 2013-14 में भारत से 979 करोड़ रुपये का कॉफी निर्यात किया गया था जबकि अप्रैल-जून 2022-23 में 1,864 करोड़ रुपये का कॉफी निर्यात किया गया। यही नहीं भारतीय कॉफी उद्योग को बढ़ावा देने की वजह से देश के कॉफी निर्यात में पिछले साल (2021-22) 42 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। कॉफी बोर्ड के अनुसार, एशिया के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक भारत से कॉफी शिपमेंट चालू कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में 19 प्रतिशत बढ़कर 2,24,293 टन हो गया। एक साल पहले की अवधि में देश ने 1,88,736 टन निर्यात किया था। इस अवधि के दौरान इटली, जर्मनी और बेल्जियम भारतीय कॉफी के प्रमुख निर्यात गंतव्य थे।

आठ साल में दवाओं का निर्यात 146 प्रतिशत बढ़ा

भारत के फार्मा सेक्टर ने निर्यात के मोर्चे पर दमदार प्रदर्शन किया है। अगर कहा जाए कि भारत दुनिया का सस्ता दवाखाना बनने जा रहा है तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह सब हो रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से जिन्होंने देश की सत्ता संभालने के बाद कहा था…”मैं देश नहीं झुकने दूंगा।” पीएम मोदी ने 2014 में देश सत्ता संभालने के बाद हर सेक्टर के विकास पर जोर दिया है और यही वजह है कि फार्मा सेक्टर ने पिछले आठ साल में निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। पिछले 8 वर्षों में इसमें करीब 10 बिलियन अमरीकी डॉलर की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसमें खास बात यह है कि कोरोना काल में विभिन्न बाधाओं के बावजूद भारतीय फार्मा कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। भारतीय औषध उद्योग को वैश्विक बाजार में अग्रणी भूमिका निभाने हेतु समर्थ बनाना और आम उपभोग के लिए अच्छी गुणवत्ताओं वाले औषध उत्पादों का उचित मूल्यों पर देश के अंदर प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित करना केंद्र सरकार का अहम लक्ष्य है जिसे पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। अप्रैल-जून 2013-14 में देश से दवाओं एवं अन्य मेडिकल उत्पादों का निर्यात जहां 15,260 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-जून 2022-23 में यह बढ़कर 37,609 करोड़ रुपये हो गए। पिछले आठ साल में निर्यात में 146 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह सब पीएम के देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने एवं देश को दुनिया के मंच पर आगे बढ़ाने की पहल से संभव हो पाया है।

भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों का निर्यात 500 प्रतिशत बढ़ा

आज से कुछ साल पहले तक भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों के निर्यात पर चर्चा भी नहीं होती थी क्योंकि हमारा निर्यात नगण्य था। आज पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में भारतीय वाद्ययंत्रों का निर्यात 500 प्रतिशत बढ़ गया है। अप्रैल मई 2013 में भारतीय वाद्ययंत्रों का निर्यात 11 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि अप्रैल मई 2022 में 65 करोड़ रुपये मूल्य के वाद्ययंत्रों का निर्यात किया गया। इस तरह पिछले आठ सालों में इसमें 494 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। आज भारतीय संगीत वाद्ययंत्र 173 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। वर्ष 2020-2021 (अप्रैल-नवंबर) में 2020-2021 (अप्रैल-नवंबर) में कुल निर्यात किए गए वाद्ययंत्रों की संख्या लगभग 10407888 थी। वर्ष 2018 में दुनिया भर में वाद्ययंत्र निर्यात की कुल मात्रा 8509628 थी। ये आंकड़े भारतीय वाद्ययंत्र के वैश्विक व्यापार में अपनी भागीदारी बढ़ाने और उनकी संख्या में सुधार करने की बड़ी क्षमता दिखाते हैं। वर्ष 2018 में भारत ने 2017 की तुलना में 38.25% की वृद्धि दिखाते हुए 8509628 मिलियन मीट्रिक टन संगीत वाद्ययंत्र का निर्यात किया था।

अदरक, केसर और हल्दी का निर्यात 192 प्रतिशत बढ़ा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुचारू और संगठित नीति के कारण भारतीय मसालों की मांग विश्व भर में बढ़ी है और निर्यात में जबरदस्त उछाल आया है। पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में हल्दी, अदरक और केसर के निर्यात में 192 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अप्रैल-मई 2013 में इन तीनों मसालों का निर्यात जहां 260 करोड़ रुपये का हुआ था वहीं अप्रैल-मई 2022 में यह बढ़कर 761 करोड़ रुपये हो गया।

चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन, 1200 प्रतिशत बढ़ा निर्यात

भारत ने चीनी निर्यात के मामले में पिछले आठ सालों में नया रिकॉर्ड बना लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुना करने और देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के आह्वान का असर दिखने लगा है। पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में चीनी एवं चीनी उत्पादों के निर्यात में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। अप्रैल-मई 2013 में चीनी एवं चीनी उत्पादों का निर्यात जहां 840 करोड़ रुपये का हुआ था वहीं अप्रैल-मई 2022 में यह बढ़कर 11,370 करोड़ रुपये का हो गया। यानी इन आठ सालों में 1253 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। इससे जहां देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है वहीं किसानों को भी इसका लाभ मिला है और उनके जीवन स्तर में सुधार देखने को मिला है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के मुताबिक, भारत ने सितंबर में समाप्त मार्केट ईयर 2021-22 में मई तक 86 लाख टन चीनी के निर्यात के रिकॉर्ड को पार कर लिया है। भारत ने विपणन वर्ष 2020-21 में कुल 70 लाख टन चीनी का निर्यात किया था, जबकि इसी अवधि में घरेलू उत्पादन तीन करोड़ 11.9 लाख टन का था। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चीनी के निर्यात में 65 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई। यह वृद्धि उच्च माल भाड़ा बढोतरी, कंटेनरों की कमी आदि के रूप में कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न लॉजिस्ट्क्सि संबंधी चुनौतियों के बावजूद अर्जित की गई। मोदी सरकार की नीतियां किसानों को वैश्विक बाजारों का दोहन करने के माध्यम से उनकी आय बढ़ाने में सहायता कर रही हैं।

शहद का 100 देशों में फैला कारोबार, निर्यात में 149 प्रतिशत वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती के अलावा कई अन्य कृषि उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहद (Honey) उत्पादन भी उनमें से एक है, जिसका उत्पादन कर किसान न सिर्फ रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि उनका शहद विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। दरअसल, शहद और उससे बने उत्पादों की मांग अब विदेशों में काफी बढ़ गई है और देश से हर साल उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया जाता है। देश में ‘मीठी क्रांति’ को बढ़ावा देने की कोशिशें का ही परिणाम है कि वर्ष 2013 में जहां शहद का निर्यात 124 करोड़ रुपए का हुआ था वहीं वर्ष 2022 में यह बढ़कर 309 करोड़ रुपए हो गया यानी इस दौरान शहद निर्यात में 149 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। शहद (Honey) इम्यूनिटी बढ़ाता है इसलिए दुनियाभर में शक्कर के बजाय इसका सेवन बढ़ गया है। भारत शहद का दुनिया में 9वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है। पिछले साल देश ने 716 करोड़ रुपए का शहद निर्यात(export) किया था। भारत ने 2020-21 में 716 करोड़ रुपये मूल्य के 59,999 टन प्राकृतिक शहद का निर्यात किया था। इसमें 44,881 टन अमेरिका को निर्यात किया गया था।

केले का निर्यात 700 प्रतिशत बढ़ा

मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले अप्रैल-मई 2013 में 26 करोड़ रुपये मूल्य के केले का निर्यात हुआ था जबकि अप्रैल-मई 2022 में 213 करोड़ रुपये के केले का निर्यात किया गया, यानी केला निर्यात में 703 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आज भारत सलाना आधार पर 600 करोड़ रुपये से अधिक का केला निर्यात करता है और इसके साथ नए बाजारों की तलाश का काम भी जारी है। बीते कुछ सालों में वैश्विक स्तरीय कृषि प्रक्रियाओं को अपनाने के चलते भारत का केला निर्यात तेजी से बढ़ा है। ये वृद्धि मात्रा और मूल्य दोनों के संदर्भ में देखी गई है। वर्ष 2018-19 में देश का कुल केला निर्यात 1.34 लाख टन था और इसका मूल्य 413 करोड़ रुपये था। वर्ष 2019-20 में ये बढ़कर 1.95 लाख टन हो गया और इसका मूल्य 660 करोड़ रुपये रहा। वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी और उसके चलते लगे प्रतिबंधों के बावजूद देश का केला निर्यात अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के बीच 1.91 लाख टन रहा और इसका मूल्य 619 करोड़ रुपये है।

भारतीय खिलौना निर्यात में हुई 61 % वृद्धि

आज के समय में भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों में जुटा हुआ है। इसका ताजा उदाहरण खिलौना उद्योग है जिसने कुछ ही वर्षों के भीतर विकास के नए आयाम गढ़े हैं। पिछले तीन साल में भारतीय खिलौना बाजार में जबरदस्त तेजी आई है। पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के प्रयासों से ही यह करिश्मा संभव हुआ है। दरअसल, इस दौरान केंद्र सरकार ने देश में खिलौना बाजार से जुड़े तमाम खिलौना निर्माताओं और कारोबारियों को प्रोत्साहित किया है। केवल इतना ही नहीं मोदी सरकार ने देश की जनता को घरेलू खिलौनों को खरीदने के लिए भी प्रोत्साहित किया। इसके चलते एक ओर भारत में खिलौनों का निर्यात बढ़ा तो वहीं खिलौनों का आयात भी घट गया। इससे न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली बल्कि खिलौना उद्योग के फलने-फूलने से लोगों को रोजगार भी मिला है। तीन-चार वर्षों पहले तक भारत खिलौने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था। खासतौर पर देश के खिलौना क्षेत्र पर चीन का बड़ा कब्जा था। भारत में 80 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आया करते थे। परंतु अब इसमें बहुत ही बड़ा बदलाव देखने को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान भारत के खिलौना क्षेत्र को बदल रहा है। देश में खिलौना उद्योग तेजी से फलने-फूलने लगा है। महज तीन सालों के अंदर भारत में खिलौने के आयात में 70 फीसदी की कमी आई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक तीन सालों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। केवल इतना ही नहीं भारत अब दूसरे देशों को भी अपने बनाए गए खिलौने निर्यात कर रहा है। तीन सालों में खिलौने के निर्यात में 61 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।

मेड इन इंडिया प्रोडक्ट का एक साल में 17 प्रतिशत बढ़ा निर्यात

भारत ने जून 2022 में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट के निर्यात में रिकार्ड कायम किया है। जून 2021 में जहां निर्यात 32.5 अरब डॉलर था वहीं जून 2022 में 37.9 अरब डॉलर का निर्यात दर्ज किया गया। जून 2022 में निर्यात का यह आंकड़ा किसी एक माह में सर्वाधिक है। इसके साथ ही यह एक साल में 17 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2021-22 में भारत ने 44 अरब डॉलर से अधिक राशि का एक्सपोर्ट किया और 2020-21 की तुलना में यह 41 प्रतिशत की वृद्धि है। 2020-21 की तुलना में कॉटन एक्सपोर्ट में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई इसी तरह हथकरघा से बने कपड़े के निर्यात में 2020-21 की तुलना में 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

निर्यात 421.8 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

मोदी सरकार ने कोरोना महामारी से उत्पन्न तमाम चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स को प्रोत्साहित करने के साथ ही निर्यात पर भी फोकस किया। इसका नतीजा है कि निर्यात के मोर्चे पर वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत ने इस दौरान करीब 421.8 अरब डॉलर का निर्यात करने में सफलता पाई है। निर्यात की दृष्टि से मार्च 2022 काफी महत्वपूर्ण रहा। इस महीने देश ने 40 अरब डॉलर का निर्यात किया जो एक महीने में निर्यात का सर्वोच्च स्तर है। इसके पहले मार्च 2021 में निर्यात का आंकड़ा 34 अरब डॉलर रहा था।

केमिकल्स एक्सपोर्ट 106 प्रतिशत बढ़कर 29.3 अरब डॉलर पर पहुंचा

भारतीय रसायनों के निर्यात ने वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 106 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का रसायन निर्यात रिकॉर्ड 29.29 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2013-14 में रसायनों का भारतीय निर्यात 14.21 अरब डॉलर था। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि निर्यात में वृद्धि से प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा मिलेगा।

गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि

मोदी सरकार के प्रोत्साहन से गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दस महीने में भारत के कृषि‍ न‍िर्यात में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एपीडा के तहत निर्यात 15.59 बिलियन डॉलर से बढ़कर 19.71 बिलियन डॉलर हुआ। चावल निर्यात में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई,जिससे 7,696 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई। प‍िछले साल की तुलना में व‍िदेशी बाजारों में भारतीय गेंहू की मांग में जबरदस्‍त उछाल आया है। अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान गेहूं के निर्यात में 1,742 मिलियन डॉलर की भारी वृद्धि दर्ज की गई, जो 2020-21 की इसी अवधि में 387 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जब यह 340.17 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

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