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पीएम मोदी राज में सनातन-पुरातन स्थलों तक पहुंच हो रही आसान, जल्द ही 18 हजार फीट ऊपर उत्तराखंड के तीर्थ आदि कैलाशा पर सीधे कार से पहुंच कर सकेंगे दर्शन

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को फिर से हासिल करने और उनके संरक्षण की दिशा में बहुत ऐतिहासकि कार्य किया है। देश की आर्थिक प्रगति के लिए पर्यटन के महत्व को समझते हुए पीएम मोदी विरासत एवं ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही धार्मिक स्थलों के विकास पर खासा जोर दे रहे हैं। 1962 के युद्ध के बाद वीरान पड़ी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी फिर गुलजार होने जा रही है। इस बार वजह नेपाल, चीन, तिब्बत के व्यापारी नहीं, बल्कि करीब 18000 फीट ऊंचाई पर ओल्ड लिपुलेख पांस की चोटी पर बन रहा कैलाश व्यू पॉइंट है। पिथौरागढ़ जिला प्रशासन का मानना है कि इस व्यू पॉइंट को केंद्र सरकार सेना की निगरानी में नए तीर्थ के रूप में विकसित कर रही है। दरअसल, उनका प्राचीन काल से ही भारत के अद्भुत तीर्थक्षेत्र के अर्थशास्त्र पर अटूट विश्वास है। आजादी के बाद देश पर दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया और अंग्रेजों की मानसिकता के साथ देश पर शासन किया। वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली तो तीर्थक्षेत्र के अर्थशास्त्र को नई ऊंचाई देने का काम शुरू किया है।पीएम मोदी के विजन से निखर रहा है प्राचीन भारत का गौरवशाली वैभव
पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए सरकार तीर्थयात्रा पर्यटन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार पर जोर दे रही है। सालों से ऐसे स्थल बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे थे। अब पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार इन स्थलों का पुरोद्धार कर रही है। लोग यहां धार्मिक भावनाओं की वजह से जाते रहे हैं। अब जब सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है तो यहां पर्यटन बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी मंदिरों को भव्य बनाने पर जोर दे रहे हैं। पिछले कुछ सालों में तीर्थ क्षेत्रों में विस्तार और सुविधाओं में बढ़ोतरी से भक्तों की संख्या यहां इतनी अधिक हो गई है कि अब पर्यटन से इतर हिंदू तीर्थ क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में एक अलग आर्थिक क्षेत्र भी बनता दिख रहा है। यह सब पीएम मोदी के विजन से संभव हो पाया है। भारत की यह अनोखी अर्थव्यवस्था सैकड़ों सालों से चली आ रही है और अब 2014 के बाद पीएम मोदी भारत को प्राचीन वैभव दिला रहे हैं।उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी फिर होने जा रही है गुलजार
मोदी सरकार ने पिछले नौ साल के कार्यकाल में ऐसे कई तीर्थक्षेत्रों का विकास किया है जिससे न केवल देश में पर्यटन को नई ताकत मिली है बल्कि सनातन संस्कृति के उत्थान से अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। अब उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी के फिर गुलजार होने की बारी है। इस दुर्गम स्थल पर मोदी सरकार ने युद्धस्तर पर काम शुरू कराया हुआ है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने धारचूला से 70 किमी दूर गुंजी और गुंजी से नाभीढांग तक का 19 किमी लंबा रास्ता पहाड़ों को काटकर बना दिया है। नाभीढांग से 7 किमी दूर ओल्ड लिपुलेख पास तक भी कच्ची सड़क बिछ गई है। ओल्ड लिपुलेख से 1800 फीट ऊपर कैलाश व्यू पॉइंट तक 10 से 12 फीट चौड़ा रास्ता भी 70% बन गया है। इस सुरम्य और दुर्गम स्थल पर अगले साल बाद पर्यटक कार से सीधे पहुंच सकेंगे। पूरे रास्ते पर पत्थर बिछा दिए गए हैं। बीआरओ की देखरेख धारचूला से नाभीढांग तक का रास्ता बन रहा है। इसके शुरू होने के बाद चीन बॉर्डर तक भारतीयों की सीधी पहुंच होगी। यहां जेएंडके राइफल्स के जवान भी तैनात हैं।

अदम्य जज्बे से दुर्गम स्थल पर भी जनता के लिए बनाए जा रहे राहत के रास्ते
यह पीएम मोदी सरकार का ही अदम्य जज्बा है कि ऐसे दुर्गम स्थल पर भी जनता-जनार्दन के लिए राहत के रास्ते बनाए जा रहे हैं। धारचूला से पिथौरागढ़ मुख्यालय से 92 किमी दूर है। यहां से गुंजी गांव तक का रास्ता बेहद कठिन है। गुंजी से आगे 14372 फीट ऊपर नाभीढांग और 15000 फीट ऊपर जौलीकॉन्ग तक 27 किमी का रास्ता उससे भी जटिल है। इन्हीं हालातों के चलते दोनों स्थलों के बेहद सुरम्य और अलौकिक होने के बाजवूद यहां सालभर में चार-पांच सौ पर्यटक ही पहुंच पाते हैं। इस बार अब तक 290 लोग आए हैं। धारचूला के बाद से रास्तेभर में आईटीबीपी, एसएसबी और सेना के जवानों की तैनाती है। नाभीढांग से ओल्ड लिपुलेख पास से कैलाश व्यू पॉइंट मात्र 6.5 किमी दूर है।नाभीढांग में पवित्र ओम पर्वत जौलीकॉन्ग में आदि कैलाश के होंगे सुगम दर्शन
नाभीढांग में पवित्र ओम पर्वत, नाग पर्वत के दर्शन पर्यटक करते हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि 11 या 12 अक्टूबर को पीएम मोदी कैलाश व्यू पॉइंट पर या फिर जौलीकॉन्ग जा सकते हैं। जौलीकॉन्ग गुंजी से 19 किमी दूर है। यहां पवित्र आदि कैलाश पर्वत और पार्वती कुंड है। नाभीढांग में पवित्र ओम पर्वत है, जबकि जौलीकॉन्ग में आदि कैलाश पर्वत। पिथौरागढ़ जिला प्रशासन यहां के निर्माण कार्यों की निगरानी की नोडल एजेंसी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां की कलेक्टर का दावा है कि जुलाई 2024 के बाद दोनों रास्ते लगभग पक्के मिलेंगे। फिलहाल नाभीढांग में कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के हट्स हैं, इनकी बुकिंग धारचूला या पिथौरागढ़ से रही है। तीर्थयात्रियों के बढ़ने के चलते कुछ नए हट्स बढ़ाए जा रहे हैं। देश ही नहीं पीएम मोदी दुनियाभर में बचा रहे हैं भारत की सनातन संस्कृति
पीएम मोदी देश ही नहीं दुनिया भर में सनातन का पताका फहरा रहे हैं। साल 2019 में पीएम मोदी की सरकार ने मनामा और अबू धाबी में भगवान श्रीकृष्ण श्रीनाथजी के पुनर्निर्माण के लिए 4.2 मिलियन डॉलर देने का ऐलान किया था। इसके साथ ही 2018 में उन्होंने अबू धाबी में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी। उन्होंने 16 मई, 2022 को नेपाल के लुंबिनी में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देवबा के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र का शिलान्यास किया। यही नहीं पीएम मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से ऐसे सैकड़ों प्राचीन वस्तुओं एवं मूर्तियों को विदेशों से वापस लाने में सफलता मिली है, जिन्हें दशकों पहले चोरी और तस्करी के जरिए विदेश भेज दिया गया था। इसी तरह विरासत स्थलों की बात करें तो 2022 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल की सूची में भारत के तीन स्थलों को संभावित स्थलों की सूची में शामिल किया गया। पीएम मोदी के केंद्र की सत्ता में आने से पहले विश्व धरोहर स्थल में भारत के 30 स्थल थे जबकि 2014 के बाद 10 स्थलों को इस सूची में शामिल किया गया है। इससे साफ जाहिर है कि पीएम मोदी इन सांस्कृतिक स्थलों के उत्थान को लेकर कितने गंभीर हैं।

आइए जानते हैं PM Modi के उन कुछ ऐतिहासिक कदमों के बारे में, जो उन्होंने मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए और सनातन संस्कृति की देश-दुनिया में पताका फहराने के लिए निरंतर उठाए…

1. काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर, 2021 को 500 साधु संतों और मंत्रोच्चार के साथ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही काशी को उसके स्तर के मुताबिक बुनियादी ढांचा देने का ऐलान कर दिया। 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार का काम शुरु कर दिया और चार साल के रिकॉर्ड समय में यह कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया। वाराणसी से लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसके निर्माण में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। अब काशी विश्वनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। गंगा घाट से सीधे कॉ‍रिडोर के रास्‍ते बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं।

एक साल के भीतर काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे 7 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु

वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण ने समृद्धि के द्वार खोल दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों का काशी विश्वनाथ धाम अपने नए कलेवर में 2022 में एक साल पूरा किया। जहां कभी संकरी गालियां थीं वह आज भव्य आकर्षण का केंद्र है। चाहे गंगा द्वार हो, वीविंग गैलरी हो या फिर मंदिर चौक हो, हर तरफ भव्यता भक्तों को अपनी तरफ खींच रही है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के साल भर के भीतर ही साढ़े सात करोड़ श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। इससे जहां शहर में समृद्धि आई है वहीं मंदिर प्रशासन की आय में भी वृद्धि हुई है।

विश्वनाथ धाम में भक्तों ने 100 करोड़ रुपये दान दिया

वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकापर्ण के बाद पहले ही साल भक्तों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया है। काशी विश्वनाथ मंदिर में कारीडोर बनने के एक साल भीतर नकदी के अलावा 60 किलो सोना, 10 किलो चांदी, 1500 किलो तांबा भी भक्तों ने चढ़ाया है। श्रद्धालुओं ने 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी दान में दी है। कुल मिले दान का 40 फीसदी ऑनलाइन आया है। मंदिर प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते साल के मुकाबले 2022 में आय में 500 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

काशी का पर्यटन व्यवसाय निखरा, फूल कारोबार 40 फीसदी बढ़ा

कॉरिडोर बनने के बाद से वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद में कई गुना इजाफा हुआ है। इस एक साल के भीतर बाबा के दिव्य धाम ने काशी के पर्यटन व्यवसाय को निखारा है। धाम को विकसित करने की आगे और भी योजनाएं हैं। पूर्वांचल की पहली सिग्नेचर बिल्डिंग और उस पर स्काई वॉक काशी के विकास में चार चांद लगा देंगे। पतितपावनी गंगा में एक साथ चार क्रूज दुनिया भर के सैलानियों को गंगा की लहरों में आध्यात्म के साथ पर्यटन का लुत्फ दिलाएंगे। काशी में भक्तों की आवक बढ़ने से पर्यटन व्यवसाय बूम पर है। यही नहीं फूल व्यवसाय में भी 40 प्रतिशत का उछाल आया है।

2. महाकाल लोक कॉरिडोर धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी

पीएम मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान का उद्देश्य महाकाल मंदिर को पुरानी पहचान वापस दिलाना है। महाकाल लोक कॉरिडोर काफी भव्य है और अब ये मंदिर के क्षेत्र को 10 गुना तक बढ़ा देगा। कॉरिडोर में भगवान शिव से जुड़ी कई मूर्तियां लगाई गई हैं, जो अलग अलग कहानी बताती है और भक्तों को भगवान शिव से जोड़ती हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 300 मीटर में बना है, जबकि इसकी लंबाई 900 मीटर है। इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भव्य माना जा रहा है। इस पर 856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जितना भव्य यह कॉरिडोर बना है उससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में यह धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगी।

900 मीटर लंबा है महाकाल लोक 

साल 2022 में 11 अक्टूबर को महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण पीएम मोदी द्वारा किया गया था। यह पूरा कॉरिडोर 900 मीटर लंबा है। इस कॉरिडोर में 190 मूर्तियां हैं, जो भगवान शिव के अलग-अलग रूपों को दिखाती है। यहां दो भव्य प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बने हैं। इसमें त्रिशूल के डिजाइन के 108 स्तंभ हैं। साथ ही शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 भित्ति चित्र बनाए गए हैं। उज्जैन में बना कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर से आकार में करीब 4 गुना बड़ा है। अभी महाकाल कॉरिडोर के पहले फेज का उद्घाटन किया गया है, जिसकी लागत 350 करोड़ रुपये है। दूसरे फेज की लागत 450 करोड़ रुपये होगी। महाकाल कॉरिडोर में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सर्विसेस भी तैयार किया जा रहा है।

3. सोमनाथ मंदिर परिसर का विकास

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 अगस्त 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण के लिए विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इससे यहां का पर्यटन बढ़ा है और लोगों में समृद्धि आई है। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इसका निर्माण कुल 30 करोड़ रुपये के परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है। इन परियोजनाओं के अंतर्गत मंदिर के पीछे समुद्र तट पर 49 करोड़ रुपये की लागत से बना एक किलोमीटर लम्‍बा समुद्र दर्शन मार्ग, पुरानी कलाकृतियों से युक्‍त नवनिर्मित सभागार और मुख्‍य मंदिर के सामने बने नवीनीकृत अहिल्‍याबाई होल्‍कर मंदिर यानी पुराना सोमनाथ मंदिर को भी शामिल किया गया है।

महमूद गजनवी ने 1025 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया

सोमनाथ मंदिर हिंदुओं के लिए एक पावन स्थल है क्योंकि मिथकों के अनुसार इसे शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। कहते हैं कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी। अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा जिससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 1025 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया। इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया।

सोमनाथ मंदिर पर कई बार हुआ हमला, संपत्ति लूटी

सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे फिर गिराया गया। सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और विनाश का सिलसिला जारी रहा। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। इसके बाद पीएम मोदी ने इसकी सुध ली और अब इसका पुराना गौरव बहाल किया जा रहा है।

4. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का पीएम मोदी ने किया भूमि पूजन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 5 अगस्त 2020 को विधि-विधान के साथ अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की नींव रखी। प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन के बाद अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया। इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया। अब जल्द ही इसके बनकर पूरी तैयार हो जाने की संभावना है। पीएम मोदी के विजन से आज राम मंदिर के रूप में भारत के गौरव का प्रतिबिंब खड़ा हुआ है। इतिहास से सीखकर, वर्तमान को सुधारने की एक नया भविष्य बनाने की कहानी है। यह केवल भौगोलिक एवं वैचारिक निर्माण नहीं है। यह हमारे अतीत से जोड़ने का प्रकल्प है। हमने अतीत के खंडहरों पर आधुनिक गौरव का निर्माण किया है।

अयोध्या में चौमुखी विकास की गंगा बह रही

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के साथ विकास की योजनाएं परवान चढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अंतरराष्ट्रीय स्तर का बस स्टॉप, अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन, राम की पैड़ी, भजन संध्या स्थल जैसी विकास की योजनाएं लगातार चल रही है। अयोध्या में चौमुखी विकास की गंगा बह रही है। जिसको लेकर आम जनमानस उत्साहित है। धर्म नगरी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी कई विशेष सौगात है जैसे कि चौड़े मार्ग यात्री सुविधा युक्त यात्रियों की मूलभूत सुविधाएं, राम नगरी की अपनी अमिट पहचान इन सब को विकसित और सुरक्षित करने का कार्य सरकार कर रही है।

बाबर ने तोड़वाया अयोध्या में राम मंदिर

भारत में मुगलवंश की स्थापना करने वाले आक्रांता बाबर के हुक्म पर उसके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में राम मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बनवाई थी। बताते हैं कि मंदिर तोड़ते वक्त 10 हजार से ज्यादा हिंदू उसकी रक्षा में शहीद हो गए थे और अंत में मंदिर को तोपों से उड़ा दिया गया। मीर बाकी ने मंदिर तोड़कर उसका नाम बाबरी मस्जिद रखा था।

5. पावागढ़ के कालिका मंदिर में 500 साल बाद शिखर पर फहराया ध्वज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू स्वाभिमान के प्रतीक है। उनका शासनकाल हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण का काल है। 18 जून, 2022 को हर हिन्दू गर्वान्वित महसूस किया, जब 500 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उसके शिखर पर पताका फहराया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से ही 11वीं सदी में बने इस मंदिर का पुनर्विकास योजना के तहत कायाकल्प किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर के ऊपर पांच सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी। लाखों भक्तों का सपना आज उस समय पूरा हो गया जब मंदिर प्राचीन काल की तरह अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है।

मंदिर पहाड़ी पर होने से माता के दर्शन थे दुर्लभ

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा क‍ि पहले पावागढ़ की यात्रा इतनी कठिन थी कि लोग कहते थे कि कम से कम जीवन में एक बार माता के दर्शन हो जाएं। आज यहां बढ़ रही सुविधाओं ने मुश्किल दर्शनों को सुलभ कर दिया है। दरअसल 125 करोड़ रुपये की लागत से महाकाली मंदिर का पुनर्विकास किया गया है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है। नया मंदिर परिसर तीन स्तरों में बना है और 30,000 वर्ग फुट दायरे में फैला है।

6. मोदी सरकार ने कश्मीर में किया मंदिरों का पुनरोद्दार

कश्मीर में 05 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने श्रीनगर में कई पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण शुरु किया। मंदिरविहीन हो चुकी घाटी में गुलमर्ग का शिव मंदिर ऐसा पहला मंदिर है, जिसे 1 जून, 2021 को जीर्णोद्धार के बाद जनता के लिए खोल दिया गया। इस दौरान सेना की गुलमर्ग बटालियन द्वारा एक भव्य उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया था। भारतीय सेना ने स्थानीय लोगों की मदद से गुलमर्ग के इस शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य किया है। सेना के जवानों ने मंदिर की ओर जाने वाले रास्तों को भी नया रूप दिया है। शिव मंदिर को व्यापक जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी, क्योंकि लंबे समय से इस मंदिर में कोई जीर्णोद्धार कार्य नहीं हुआ था। गुलमर्ग में आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों की एक बड़ी संख्या ने मंदिर को उसकी मूल स्थिति में देखने की इच्छा व्यक्त की थी।

2300 साल पुराना कश्मीर के शारदा पीठ मंदिर का उद्घाटन

कश्मीर में एलओसी के पास माता शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया गया। कश्मीर पंडित लंबे समय से सदियों पुराने इस मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे थे। अब मोदी सरकार ने इसे पूरा कर दिया गया है। हालांकि इस मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए सरकार आगे भी बहुत कुछ करने जा रही है। शारदापीठ देवी सरस्वती का प्राचीन मन्दिर है जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में शारदा के निकट किशनगंगा नदी (नीलम नदी) के किनारे स्थित है। इसके भग्नावशेष भारत-पाक नियन्त्रण-रेखा के निकट स्थित हैं। इस पर भारत का अधिकार है। इसके आसपास का इलाका बहुत सुंदर और मनोरम है। शारदा पीठ मुजफ्फराबााद से लगभग 140 किलोमीटर और कुपवाड़ा से करीब 30 किलोमीटर दूर है।

झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण

मोदी सरकार के आकलन के मुताबिक कश्मीर में कुल 1842 हिंदू मंदिर या फिर पूजास्थल हैं। इनमें से 952 मंदिर हैं जिनमें 212 में पूजा चल रही है जबकि 740 जीर्ण शीर्ण हालत में है। मोदी सरकार ने सबसे पहले झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण किया। भगवान राम का ये मंदिर महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में बनवाया था। इसके अलावा अनंतनाग का मार्तंड मंदिर, पाटन का शंकरगौरीश्वर मंदिर, श्रीनगर के पांद्रेथन मंदिर, अवंतिपोरा के अवंतिस्वामी और अवंतिस्ववरा मंदिर के पुनरोद्धार का काम चल रहा है। अनंतनाग जिले में एएसआई द्वारा संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर में मई 2022 में सुबह 100 से अधिक तीर्थयात्रियों ने कुछ घंटों तक पूजा-अर्चना की। इस कार्यक्रम के जरिए सूर्य मंदिर में पहली बार शंकराचार्य जयंती मनाई गई है। कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी के इस मंदिर को सिकंदर शाह मिरी के शासन के दौरान 1389 और 1413 के बीच नष्ट कर दिया गया था।

7. पीएम मोदी की पहल से चार धाम परियोजना का विकास

मोदी सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड के लिए चार धाम परियोजना शुरू की है। केदारनाथ बद्रीनाथ की यमुनोत्री और गंगोत्री के चारधाम परियोजना- रणनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाली 900 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चारों धामों के लिए हर मौसम में सुलभ और सुविधाजनक रास्ता देना है। चारधाम परियोजना एक तरह से ऑल वेदर रोड परियोजना है, जो उत्तराखंड में केवल चार धामों को जोड़ने की परियोजना भर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है। इसके जरिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही पड़ोसी चालबाज देश चीन को चुनौती देने के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है। इसके अलावा ऋषिकेश को रेल मार्ग से कर्णप्रयाग से जोड़ने का काम चल रहा है। ये रेलवे लाइन 2025 से शुरू हो जाएगी।

केदारनाथ, बद्रीनाथ में 3400 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अक्टूबर 2022 को केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना की और विकास कार्यों का जायजा लिया। केदारनाथ में पीएम मोदी ने आदिगुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के दर्शन किए। उन्होंने केदारनाथ, बद्रीनाथ व माणा में 3400 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें केदारनाथ व हेमकुंड साहिब रोपवे और चीन सीमा से लगे माणा क्षेत्र में दो राजमार्गों से संबंधित योजनाएं शामिल हैं। बाबा केदार के भक्त प्रधानमंत्री ने सबसे पहले केदारनाथ पहुंचकर लगभग 946 करोड़ की लागत से बनने वाले अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 13 किमी लंबे सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास किया। साथ ही पुनर्निर्माण के तहत हो रहे कार्यों का जायजा लिया।

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