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मोदी सरकार के प्रयासों से कोरोना संक्रमण जांच की क्षमता पांच गुना बढ़ी, सरकारी लैब में हुई 85 प्रतिशत जांच

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना संकट से निपटने के लिए चौतरफा प्रयास कर रही हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मोदी सरकार हर स्तर पर खुद को तैयार कर रही है, ताकि कोरोना मरीजों की जांच और इलाज की बेहतर सुविधा मुहैया करायी जा सके। इसमें मोदी सरकार काफी सफल रही है। शनिवार को कोरोना की कुल जांच का आंकड़ा दस लाख पार कर गया। लॉकडाउन के 40 दिनों के भीतर टेस्टिंग की क्षमता पांच गुना बढ़ाकर मोदी सरकार ने यह मुकाम हासिल किया है।

आईसीएमआर के मुताबिक, 23 मार्च को भारत में 14915 सैंपल की जांच हुई थी, जो एक मई को पांच गुना बढ़कर 74507 प्रति दिन तक पहुंच गई। काबिले तारीफ यह है कि इसमें से 85 फीसदी जांच सरकारी लैब में की गई है। अगर एक अप्रैल की बात करें तो भारत में 38914 टेस्टिंग हुई थीं।
दस लाख के मील के पत्थर को छूने के साथ भारत में जांच का अनुपात प्रति दस लाख व्यक्तियों में 770 तक पहुंच गया है, जो 25 मार्च को लॉकडाउन के पहले दिन महज 18 ही था। जबकि 14 अप्रैल को लॉकडाउन का पहला चरण खत्म होने तक यह अनुपात 177 तक पहुंच गया था।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को उम्मीद है कि भारत रोजाना एक लाख टेस्ट करने की क्षमता अगले हफ्ते तक प्राप्त कर लेगा। यह कोरोना की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग का आंकड़ा है, जिसे डब्ल्यूएचओ ने मान्य किया है। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट सिर्फ निगरानी के लिए है और इससे संक्रमण के ताजा मामलों का पता नहीं चल सकता।

स्वास्थ्य मंत्रालय जांच के लंबित नमूनों की परेशानी पर भी ध्यान दे रहा है। दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान के नमूने सबसे ज्यादा लंबित हैं। इसलिए लगातार टेस्ट की क्षमता बढ़ायी जा रही है। इसके लिए सरकार विदेशी मदद के साथ अपने देश में ही जांच उपकरणों के निर्माण और विकास पर जोर दे रही है। इससे विदेशों पर भारत की निर्भरता खत्म होगी और मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा।

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