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मोदी सरकार के खिलाफ एक हफ्ते में मीडिया ने दिखाई 4 झूठी खबरें, साजिश का पर्दाफाश

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आखिर इस देश के लोग मीडिया पर विश्वास क्यों नहीं करते हैं, आखिर मीडिया से देश के जागरूक नागरिकों को इतनी नफरत क्यों है? अगर आप इस हफ्ते की चार खबरों पर भी नजर डाल दें तो सच्चाई सामने आ जाएगी और मीडिया पूरी तरह से नंगा नजर आएगा। आपको इस बात की भी सड़ांध आएगी कि कैसे मीडिया पहले की सरकार और मोदी सरकार के प्रति भेदभावपूर्ण नजरिया रखता है।

NEWS – 1

विषय – सरकारी दस्तावेज में महिलाओं को लेकर सलाह

मीडिया ने क्या कहा – मीडिया ने चीख-चीखकर लोगों को खबर दी कि मोदी सरकार ने गर्भवती महिलाओं को सेक्स नहीं करने और मांसाहारी खाना नहीं खाने की सलाह दी है।

सच्चाई क्या है: वास्तविकता ये है कि जिस बुकलेट को लेकर अभी विवाद पैदा किया जा रहा है, वो 2013 से ही प्रचलन में है। चूंकि मोदी सरकार सत्ता में है, इसीलिए इस विषय को भयावह बना दिया गया है!

मीडिया में जैसा दिखाया जा रहा है, वो पूरी तरह से झूठ साबित हुआ। ये बुकलेट सरकार की प्राथमिकताओं पर आधारित नहीं है। इसमें गर्भवती महिलाओं के लिए योग और नैचुरोपैथी की सलाह को ही शामिल किया गया है।

मीडिया के अनुसार बुकलेट में बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं को सेक्स के लिए मना करना चाहिए। लेकिन वास्तविकता ये है कि ‘No Sex’ जैसे शब्द बुकलेट में कहीं नहीं लिखा गया है।

NEWS – 2

विषय – माल्या मामले में कोर्ट की कार्यवाही

मीडिया ने क्या कहा : ब्रिटिश जज ने माल्या केस में सबूत देने में देरी पर भारत की खिंचाई की।

सच्चाई क्या है : मीडिया ने विजय माल्या और उसकी टीम के फर्जी प्रोपेगेंडा को मसाला लगाकर जमकर परोसा। सुनवाई के दौरान जब भगोड़े माल्या के वकील ने मार्च-अप्रैल, 2018 की तारीख मांगी तो सीपीएस के आरॉन वाटकिंस ने उसका विरोध किया। बाद की तारीख लेने के लिए बचाव पक्ष ने देरी का मुद्दा उठाया, जो कुछ नहीं सिर्फ उसके दिमाग की उपज थी। सीपीएस के विशेष अभियोजक ने इस बात की पुष्टि की है कि 13/6/2017 को सुनवाई के दौरान प्रत्यर्पण के अनुरोध पर या इस विषय पर भारत सरकार की किसी भी तरह की आलोचना नहीं हुई। वरिष्ठ जिला जज ने केस की अगली सुनवाई की तारीख 6 जुलाई, 2017 को तय की है। उसी दिन प्रत्यर्पण की सुनवाई की तारीख भी निश्चित होगी।

NEWS – 3

विषय – कोच्चि मेट्रो के उदघाटन समारोह में श्रीधरन की अनुपस्थिति पर

मीडिया ने क्या कहा – मीडिया ने बार-बार ये विवाद पैदा करने कोशिश की कि मेट्रो के जनक ई श्रीधरन का मोदी सरकार ने अपमान किया है, उनकी हैसियत कम की गयी है, उनके पर कतरे गये हैं। क्यों? क्योंकि उन्हें मंच पर जगह नहीं दी गयी।

सच्चाई क्या है – किसी कार्यक्रम में गणमान्य लोगों के बैठने की व्यवस्था आयोजक एसपीजी के साथ सलाह के साथ तय करते हैं। जबकि श्रीधरन के कथित तौर पर मंच से दूर रहने को लेकर हायतौबा मचाया जा रहा है, 2012 में इसी कोच्चि मेट्रो के शिलान्यास समारोह की तस्वीरें बताती हैं कि स्टेज पर तब भी ई श्रीधरन नहीं थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई राजनीतिक नेता देखे जा सकते हैं लेकिन श्रीधरन नहीं। आश्चर्य है कि पसंद-नापसंद के आधार पर हंगामा क्यों किया जा रहा है?

NEWS – 4

विषय – नागरिक उड्डयन मंत्रालय और GST

मीडिया ने क्या कहा – मीडिया ने दिखाया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय जीएसटी को अभी लागू करना नहीं चाहता है। उसे समय चाहिए। वह समय मांग रहा है।

सच्चाई क्या है – सच ये है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने न कोई ऐसा आग्रह भेजा, न कभी कोई बात कही और न ही ऐसी कोई कल्पना की। तो क्या सिर्फ कल्पना के आधार पर मीडिया ने इस खबर को गढ़ा।

साफ है कि मीडिया मोदी सरकार के विरोध में आई खबर की सच्चाई का पता लगाना भी उचित नहीं समझती या फिर खुद ही अफवाह फैलाने में जुट जाती है। यही नहीं एक ही खबर को लेकर अलग-अलग सरकारों के खिलाफ इसका रवैया भी अलग-अलग दिखता है। जाहिर है अगर इस देश की मीडिया पर आम जनता का भरोसा खत्म हुआ है, तो इसकी वजह भी यही है।

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