पेट्रोल के दाम को लेकर इन दिनों कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल हायतौबा मचा रहे है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार के चार वर्षों के कार्यकाल में पेट्रोल के दाम आसमान पर पहुंच गए है, लेकिन कांग्रेस और यूपीए सरकार के दौरान उसके सहयोगी रहे राजनीतिक दलों को शायद अपना कार्यकाल याद नहीं है। आपको बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोल के दाम करीब ढाई गुना बढ़ गए थे।
यूपीए सरकार से पहले 29 रुपये प्रति लीटर था पेट्रोल
कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में 2004 में जब यूपीए-1 की सरकार बनी थी, उससे पहले 2003 में देश में पेट्रोल के दाम सिर्फ 29 रुपये प्रति लीटर थे। यूपीए की सरकार बनने के बाद ही पेट्रोल के दाम बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ जो कभी थमा नहीं। 2004 से लेकर 2014 तक दस वर्षों तक देश में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए की सरकार रही, लेकिन अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह भी पेट्रोल की कीमतों पर लगाम नहीं लगा सके। इन दस वर्षों में पेट्रोल के दाम 29 रुपये से 73 रुपये प्रतिलीटर पहुंच गए। यानी यूपीए के कार्यकाल में पेट्रोल के दामों में करीब 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। यदि औसत देखा जाए तो पेट्रोल की कीमत में प्रतिवर्ष करीब 4.4 रुपये प्रतिलीटर का इजाफा हुआ। 2013 के सितंबर महीने तो पेट्रोल की कीम 76 रुपये प्रति लीटर के पार भी पहुंच गई थी।
यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोल में लगी थी आग | |
वर्ष | पेट्रोल के दाम प्रति लीटर (रुपये में) |
2003 | 29 |
2004 | 33 |
2006 | 47 |
2010 | 51 |
2012 | 65 |
2013 (सितंबर) | 76.06 |
2014 (अप्रैल) | 73 |
प्रति वर्ष 4.4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी |
मोदी सरकार के 4 साल में सिर्फ 3.5 रुपये प्रति लीटर बढ़े दाम
आपने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पेट्रोल के दामों में बेतहाशा वृद्धि तो देख ली। अब आपको बताते हैं मोदी सरकार के चार वर्ष में पेट्रोल के कीमतों में कितनी वृद्ध हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली थी तब दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 73 रुपये प्रतिलीटर थी और आज 4 साल बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम 76.57 रुपये प्रति लीटर है। यानी चार वर्षों में सिर्फ साढ़े तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
मोदी सरकार के 4 वर्ष में बहुत कम बढ़े पेट्रोल के दाम | |
वर्ष | पेट्रोल के दाम प्रति लीटर (रुपये में) |
2014 | 73 |
2018 | 76.57 |
प्रति वर्ष सिर्फ 90 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी |
तो देखा आपने किस तरह कांग्रेस और दूसरी पार्टियां पेट्रोल के दामों को लेकर झूठ बोल रही हैं और यूपीए सरकार के दौरान के आंकड़ों को छिपा रही हैं। जबकि सच्चाई यह है कि मोदी सरकार पेट्रोल के दामों को स्थिर रखने में कामयाब रही है, अगर इन चार वर्षों में भी यूपीए सरकार की तरह पेट्रोल के दाम बढ़ाए जाते तो आज पेट्रोल की कीमत कहां होती इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।
अब सरकार के हाथ में नहीं पेट्रोल-डीजल के दाम
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में प्रतिदिन बदलाव होता है। इसी को मद्देनजर रखते हुए मोदी सरकार ने पिछले वर्ष पेट्रोल और डीजल के दामों के निर्धारण में सरकारी नियंत्रण को खत्म कर दिया था। नई व्यवस्था के तहत पेट्रोलियम कंपनियां प्रतिदिन पेट्रोल और डीजल के दामों में उतार-चढ़ाव करती है। यानि एक तरह से अब देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है और यह पूरी तरह से पेट्रोलियम कंपनियों की तरफ से निर्धारित किया जाता है। ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमत के लिए सरकार पर दोष मढ़ना कहां तक जायज है।