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Year Ender 2022: पीएम मोदी के विजन से भारत में आई स्टार्टअप क्रांति, नए यूनिकॉर्न जोड़ने में चीन से आगे निकला भारत, वर्ष 2022 में अब तक 22 कंपनियां इस क्लब में शामिल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार नया-नया मुकाम हासिल कर रहा है। जिस तरह सरकार स्टार्टअप सेक्टर को सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रही है, उससे देश में यूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि का ही कमाल है कि स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। भारत के स्टार्टअप्स में निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। अमेरिका और चीन के बाद भारत को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े इकोसिस्टम के रूप में देखा जा रहा है। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम लगातार तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। पिछले साल देश को 44 यूनिकॉर्न मिले थे और इस साल सितंबर तक 22 यूनिकॉर्न मिल चुके हैं। भारत में सितंबर 2022 तक यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 107 हो गई है। खास बात यह है कि इन 107 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।

पीएम मोदी ने पहचाना भारत में उद्यमशीलता की भावना, स्टार्टअप को मिली रफ्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की वजह से महामारी के चलते लोगों के जीवन की उपयोगिता और रहन-सहन में आए अनदेखे बदलावों ने दुनिया भर में अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन बन चुकी स्टार्ट-अप कंपनियों की तरक़्क़ी को रफ़्तार दी है। भारत में यूनिकॉर्न की लहर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। देश में यूनिकॉर्न की संख्या 107 हो गई है। आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है। भारत में 5 मई 2022 तक 100 यूनिकॉर्न थे जिनका कुल मूल्‍यांकन 332.7 अरब डॉलर था। भारत में उद्यमशीलता की भावना देश के कोने-कोने में मौजूद है। सभी 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 647 जिलों में स्टार्टअप के प्रसार से यह बिल्‍कुल स्पष्ट है। घरेलू स्टार्टअप परिवेश आत्मनिर्भरता के मिशन की दिशा में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। आत्‍मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण स्टार्टअप परिवेश में गहराई से निहित है और वह आगामी वर्षों में भी जारी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2023 में ऑटो, फिनटेक, क्लीनटेक, एग्री-टेक, लाइफस्टाइल डीप टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाइमेट टेक जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप नई बुलंदी हासिल करेंगे।

चीन को पीछे छोड़ यूनिकॉर्न क्लब में दूसरे स्थान पर पहुंचा भारत

आज भारत उभरते हुए यूनिकॉर्न वाले देशों में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका है। यूनिकॉर्न वाले देशों में भारत अब दुनिया का नंबर 2 है, चीन से आगे हैं। हमारा मजबूत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र भारतीय स्टार्टअप को यूनिकॉर्न क्लब में ज़ूम करने में सक्षम बना रहा है। इससे पहले साल 2021 में भी भारत ने चीन को यूनिकॉर्न के मामले में पीछे छोड़ दिया था। साल 2021 में भारत में जहां 33 यूनिकॉर्न बनी थीं, तो चीन में यूनिकॉर्न की संख्या सिर्फ 19 रही थी। यूनिकॉर्न क्लब में नंबर एक की पोजीशन पर अमेरिका है। यूनिकॉर्न के तहत वे स्टार्टअप आते हैं जिनकी वैल्यू एक बिलियन डालर से ज्यादा होती है।

स्टार्टअप्स ने 5 लाख से अधिक रोजगार पैदा किए

जहां यूनिकॉर्न और स्टार्टअप से देश के आर्थिक विकास को गति मिली हैं, वहीं बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। स्टार्टअप्स ने 5 लाख से अधिक रोजगार पैदा किए हैं। आज कहा जा रहा है कि जितने ज्यादा स्टार्टअप होंगे उतना ही ज्यादा रोजगार होगा। आज युवा स्टार्टअप्स की दुनिया में भारत का झंडा बुलंद कर रहे हैं। इस क्षेत्र में भविष्य की संभावनाएं अपार हैं, क्योंकि डिजिटल इंडिया जैसी पहल के तहत गांवों में भी इन्टरनेट की सुविधाएं मिल रही हैं। इससे स्टार्टअप्स को भी गांवों की ओर बढ़ने का मौका मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

दूरदृष्टि ने दिलाई सफलता, छह साल पहले की योजना पर अब बरस रहे डॉलर

मोदी सरकार ने 2016 में स्टार्ट-अप इंडिया योजना शुरू की थी। इसका मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप को बढ़ावा देना, रोजगार पैदा करना और धन सृजित कर अर्थ-व्यवस्था को मजबूती देना है। स्टार्ट-अप इंडिया योजना कई लाभों के साथ आई- जैसे काम में आसानी, वित्तीय सहायता, सरकारी निविदा, नेटवर्किंग के अवसर, आयकर लाभ आदि। इस योजना ने एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण और भारत को स्टार्ट-अप के अनुरूप बदलने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए। काम में आसानी के लिए सरकार ने स्टार्टअप इंडिया हब की स्थापना की, जहां निगमन, पंजीकरण, शिकायत, हैंडलिंग आदि आसानी से नियंत्रित होते हैं। ऑनलाइन पोर्टल पर सरकार ने एक hassle free registration system बनाया, जिससे आप कहीं से भी और कभी भी पंजीकरण कर सकते हैं। स्टार्टअप्स को प्रेरित करने के लिए, वित्तीय सहायता और स्थापना के बाद पहले 3 वर्षों के लिए कर छूट उपलब्ध है।

Molbio Diagnostics सितंबर 2022 में बना भारत का 107वां यूनिकॉर्न

Molbio Diagnostics एक इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स फर्म और ट्रूनेट टेक्नोलॉजी के आविष्कार करने वाला स्टार्टअप है। इसे देश की 500 सबसे मूल्यवान कंपनियों की सूची में शामिल किया गया है। Burgundy Private Huron India 2022 की लिस्ट में Molbio Diagnostics को 275वें स्थान पर रखा गया है और यह इस लिस्ट में एकमात्र चिकित्सा उपकरण कंपनी है। यह प्रतिष्ठित सूची का दूसरा संस्करण है जो देश के 500 सबसे मूल्यवान संगठनों को उनके बाजार मूल्यांकन के आधार पर रैंक करता है। Molbio Diagnostics हाल ही में सिंगापुर स्थित निवेश कंपनी टेमासेक से 85 मिलियन अमरीकी डालर का निवेश प्राप्त करने के बाद गोवा का पहला और एकमात्र यूनिकॉर्न बन गया है। अपनी विकास योजनाओं के हिस्से के रूप में कंपनी अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में तेजी से विस्तार करने का इरादा रखती है। गोवा स्थित Molbio Diagnostics ने पोर्टेबल और बैटरी से चलने वाले रीयल-टाइम आरटी पीसीआर पॉइंट ऑफ केयर (पीओसी) परीक्षण प्रणाली के साथ भारत की कोविड-19 स्क्रीनिंग में महत्वपूर्ण समाधान पेश किया। इसने वित्त वर्ष 21 के दौरान अपने राजस्व में 25 गुना की वृद्धि दर्ज की। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (Roc) के वार्षिक वित्तीय विवरणों के अनुसार, मार्च 2021 में समाप्त वित्त वर्ष में कंपनी की कुल टॉपलाइन 1,272 करोड़ रुपये रही, जबकि वित्त वर्ष 20 में यह 51.53 करोड़ रुपये थी।

ShipRocket अगस्त 2022 में बना भारत का 106वां यूनिकॉर्न

लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म ShipRocket इस साल सीरीज ई दौर में 33 मिलियन डॉलर जुटाने के बाद यूनिकॉर्न बन गया, जिसमें पहली किश्त में ज़ोमैटो, टेमासेक और लाइटरॉक से निवेश किया गया। कंपनी ने टेमासेक और लाइटरॉक के नेतृत्व में सीरीज ई दौर के विस्तार के रूप में और $33 मिलियन जुटाए और प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश किया। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के साथ फाइलिंग के अनुसार, कंपनी ने 260 करोड़ रुपये (33.3 मिलियन डॉलर) जुटाने के लिए 43,394.13 रुपये प्रति शेयर के निर्गम मूल्य पर अपने चल रहे सीरीज ई दौर में 59,793 वरीयता शेयरों को आवंटित करने का प्रस्ताव पारित किया। ज़ोमैटो और टेमासेक ने सीरीज ई में 450 करोड़ रुपये (57.7 मिलियन डॉलर) और 446 करोड़ रुपये (57.2 मिलियन डॉलर) का निवेश किया, जबकि लाइटरॉक ने 315 करोड़ रुपये (40.4 मिलियन डॉलर) का निवेश किया वहीं मूर स्ट्रैटेजिक, इंफो एज, बर्टेल्समैन नेदरलैंड और अन्य व्यक्तियों ने सामूहिक रूप से शिपरॉकेट के नए दौर में 491 करोड़ ($ 62.9 मिलियन) का निवेश किया।

भारत का 105वां यूनिकॉर्न बना 5ire

पांचवीं पीढ़ी के ब्लॉकचेन 5ire ने सीरीज़ ए फंडिंग राउंड में यूके स्थित SRAM और MRAM ग्रुप से $100 मिलियन (करीब ₹798 करोड़) की फंडिंग जुटाई है। इसके साथ ही 5ire भारत का 105वां और 2022 में अब तक का 20वां यूनिकॉर्न बन गया है। फंडिंग के बाद 5ire की वैल्यूएशन $1.5 बिलियन के पार पहुंच गई है। फर्म ने कहा कि निवेश ने इसे भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्लॉकचैन यूनिकॉर्न बना दिया है। जुटाए गए धन का उपयोग व्यापार के विस्तार और एशिया, उत्तरी अमेरिका और यूरोप सहित तीन महाद्वीपों में भारत के संचालन के केंद्र और 5ire का विस्तार करने के लिए किया जाएगा। कंपनी ने एक बयान में कहा कि 5ire अपने ब्लॉकचेन को और मजबूत करने के लिए निवेश करना जारी रखेगी और यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगी कि यह विकेन्द्रीकृत तकनीक वैश्विक स्तर पर बड़े आधार को लाभ पहुंचाए। स्टार्टअप के 70% कर्मचारी भारत से बाहर के हैं। यह वर्तमान में अपने कर्मचारियों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 150 करने की योजना बना रहा है। स्टार्टअप की स्थापना भारतीय मूल के उद्यमियों प्रतीक गौरी और प्रतीक द्विवेदी ने अगस्त 2021 में वेब 3 फाइनेंसर विल्मा मटिला के साथ की थी।

फिनटेक स्टार्टअप OneCard बना था भारत का 104वां यूनिकॉर्न

पुणे स्थित फिनटेक स्टार्टअप OneCard भारत में 104वां यूनिकॉर्न बनी थी। Sliceके बाद क्रेडिट कार्ड चैलेंजर स्पेस में यह दूसरा यूनिकॉर्न है। रूपेश कुमार, अनुराग सिन्हा और विभव हाथी ने मिलकर 2019 में FPL Technologies के तहत OneCard की शुरुआत की थी। OneCard पहली बार क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को क्रेडिट स्कोर बनाने के लिए एक वर्चुअल, सेलफोन-बेस्ड कार्ड प्रोवाइड करता है। यह 3,000 रुपये और उससे अधिक की खरीद के लिए EMI की सुविधा भी देता है। स्टार्टअप OneScore नामक एक क्रेडिट स्कोर ट्रैकिंग और क्रेडिट मैनेजमेंट ऐप भी चलाती है। इस स्टार्टअप के लिए ताजा फंडिंग ऐसे समय में आई है जब buy now pay later (BNPL) प्लेटफॉर्म्स पर संभावनाओं के काले बादल मंडरा रहे हैं। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने आदेश में प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट प्रोवाइडर्स को नॉन-बैंक क्रेडिट लाइन ऑफर करने से रोक दिया है। OneCard के प्रतिस्पर्धियों में Slice, Karbon Card, Uni Card, और Kodo Card शामिल हैं। फिनटेक इंडस्ट्री अभी भी निवेशकों के बीच पसंदीदा हैं। इस इंडस्ट्री ने 2022 की पहली छमाही में 159 डील में 3.4 अरब डॉलर जुटाए हैं।

बैंकिंग प्लेटफॉर्म ‘ओपन’ बना था 100वां यूनिकॉर्न

स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एसएमई) के लिए नियो बैंकिंग प्लेटफॉर्म ‘ओपन’ ने मई 2022 में आईआईएफएल की अगुवाई वाले फंडिंग राउंड में 5 करोड़ डॉलर जुटाकर 1 अरब डॉलर से अधिक का बाजार मूल्यांकन हासिल कर लिया। इसके साथ ही ओपन भारत की 100वीं यूनिकॉर्न बन गई। ओपन ने यह कारनामा सीरीज डी फंडिंग राउंड में किया। इसमें आईआईएफएल के अलावा मौजूदा निवेशक टेमासेक, टाइगर ग्लोबल और 3वन4 कैपिटल ने हिस्सा लिया है। 6 महीने पहले कंपनी ने गूगल, टेमासेक, वीजा और जापान के सॉफ्टबैंक के नेतृत्व में 10 करोड़ डॉलर जुटाए थे तब कंपनी का मूल्यांकन 50 करोड़ डॉलर हो गया था। कंपनी की स्थापना अनीश अच्युथन, माबेल चाको, अजेश अच्युथन व डीना जैकब ने 2017 में की थी। इसका कारोबार छोटे व मध्यम आकार के व्यवसायों को चालू खाता प्रदान करने पर केंद्रित है। इस खाते में डिजिटल बैंकिंग, भुगतान, चालान और स्वचालित बहीखाता जैसी सेवाएं शामिल हैं। ओपन उन कुछ स्टार्टअप्स में से है जिनके संस्थापकों में 2 महिलाएं शामिल हैं। नियो बैंक का कामकाज 100 प्रतिशत डिजिटल होता है। इसकी कोई ब्रांच नहीं होती है। हर काम एप के जरिये होता है। नियो बैंक हर ऐसी बैंकिंग सुविधाएं देते हैं जो परंपरागत बैंक में मिलती है। भारत में करीब एक दर्जन नियो बैंक हैं। इनमें रेजरपेएक्स, ओपन, नियो शामिल हैं। भारत में अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक ने नियो बैंक को लाइसेंस नहीं दिया है। इस वजह से ये बैंक परंपरागत बैंकों के साथ मिलकर बैंकिंग सेवाएं देते हैं। इस मामले में आइसीआइसीआइ बैंक सबसे आगे है।

तेजी से बढ़ी यूनिकॉर्न की संख्या

प्रत्येक स्टार्टअप के लिए यूनिकॉर्न बनने की अपनी अनूठी यात्रा होती है, लेकिन भारत में स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने के लिए मिनिमम समय 6 महीने और अधिकतम 26 साल है। वित्त वर्ष 2016-17 तक हर साल लगभग एक यूनिकॉर्न तैयार होता था वहीं पिछले चार वर्षों में (वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से) यह संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या में सालाना 66 प्रशित की वृद्धि हो रही है।

पहले यूनिकॉर्न बनने में 14 साल लगे

वेंचर कैपिटल फंड ओरियोस वेंचर पार्टनर (Orios Venture Partners) की इंडियन टेक यूनिकॉर्न रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, एक स्टार्टअप बनने के लिए आठ साल की औसत समय अवधि अब कम हो रही है। इसकी वजह वैश्विक निवेश की उपलब्धता और सुलभ पूंजी उपलब्धता है। 2005 से पहले Naukri.com, MakeMyTrip की स्थापना की गई थी, जिसे यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने में 14 साल लगे। जबकि, Zomato, Flipkart और Policy Bazaar को लगभग 8.7 साल लगे। Nykaa और Oyo ने 5.8 वर्षों से भी कम समय लिया है। Udaan और Ola Electric को केवल तीन साल का समय लगा है।

यूनिकॉर्न के मामले में भारत तीसरे पायदान पर

यूनिकॉर्न के मामले में इस वक़्त भारत, अमेरिका की 487 और चीन की 301 के बाद दुनिया में तीसरी पायदान पर है। भारत ने इस मामले में ब्रिटेन, इज़राइल, सिंगापुर, जर्मनी और अन्य देशों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। 53 यूनिकॉर्न के साथ इज़राइल, भारत के बाद चौथे स्थान पर है।

सबसे ज्यादा फाइनेंसियल सेक्टर के स्टार्टअप्स को फायदा

वित्तीय भुगतान क्षेत्र यानी फाइनेंसियल सेक्टर में काम करने वाले स्टार्टअप्स को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। इसके बाद रिटेल और सास (सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर) का नंबर आता है। अन्य वर्टिकल में लॉजिस्टिक्स, डेटा एनालिटिक्स, ट्रैवल, फूड और गेमिंग वाले स्टार्टअप शामिल हैं।

बेंगलुरु को पछाड़ कर दिल्ली बनी स्टार्टअप्स राजधानी

बेंगलुरु को पिछले कई सालों से भारत का स्टार्टअप कैपिटल कहा जाता रहा है। लेकिन इस साल के इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक भारत की राजधानी दिल्ली ने बेंगलुरु से ये तमगा छीन लिया। अप्रैल 2019 और दिसंबर 2021 के बीच बेंगलुरु में 4,514 नए स्टार्टअप बने, जबकि दिल्ली में 5,000 से भी अधिक स्टार्टअप शुरू किए गए। इससे पहले 41% यूनिकॉर्न भारत की स्टार्टअप राजधानी बेंगलुरु से आते थे। इसके बाद दिल्ली में 34% और मुंबई में 14% स्टार्टअप्स थे।

जनवरी 2016 में हुई थी स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत

स्टार्टअप इंडिया अभियान के शुभारंभ यानी 16 जनवरी 2016 के बाद से 2 मई 2022 तक देश में 69,000 से ज्यादा स्टार्टअप को मान्यता दी गई है। खास बात ये है कि भारत में इनोवेशन सिर्फ कुछ सेक्टर तक ही सीमित नहीं है। आईटी सेक्टर में 13 प्रतिशत, स्वास्थ्य सेवा और जीवन विज्ञान से 9 प्रतिशत, शिक्षा 7 प्रतिशत, पेशेवर एवं वाणिज्यिक सेवाओं से 5 प्रतिशत, कृषि 5 प्रतिशत और खाद्य एवं पेय पदार्थों से 5 प्रतिशत के साथ 56 विविध क्षेत्रों में समस्याओं को हल करने वाले स्टार्टअप को मान्यता दी गई है।

पेटेंट आवेदनों में हुई जबरदस्त वृद्धि

इकोनोमिक सर्वे के मुताबिक, भारत में दायर पेटेंट की संख्या भी 2016-17 के 45,444 से बढ़कर 2020-21 में 58,502 हो गई। इसी तरह देश में दिए गए पेटेंट की संख्या भी 9,847 से बढ़कर 28,391 हो गई। खास बात यह है कि इस बार मल्टीनेशनल कंपनियों के बजाय भारतीयों की तरफ से पेटेंट आवेदनों की संख्या में तेजी से आ रही है। कुल आवेदनों में भारतीय निवासियों की हिस्सेदारी 2010-11 में 20 प्रतिशत थी। 2016-17 में यह बढ़कर लगभग 30 प्रतिशत हुई और 2020-21 में यह 40 प्रतिशत हो गई है।

2021 में स्टार्ट-अप कंपनियों ने 42 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई

2021 का साल भारत के तकनीकी इकोसिस्टम के लिए सच में मील का पत्थर साबित हुआ है। इस एक साल के दौरान भारत की स्टार्ट-अप कंपनियों ने 1583 सौदों के ज़रिए 42 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई। ये साल बाज़ार से बाहर जाने, विलय और ख़रीद और IPO का भी साल रहा है। इस साल तकनीक के कारोबार की दुनिया से बाहर जाने वालों के लिहाज़ से भी रिकॉर्ड बना और 17.4 अरब डॉलर की रक़म वापस की गई, जो 2020 में लौटाई गई रक़म (84.3 करोड़ डॉलर) से 20 गुना अधिक थी।

2021 में 11 स्टार्ट-अप कंपनियों ने अपने IPO पेश किए

वर्ष 2021 में 11 स्टार्ट-अप कंपनियों ने अपने IPO के ज़रिए 7.3 अरब डॉलर की रक़म जुटाई। इनमें से ज़्यादातर में ख़ुदरा निवेशकों ने कई गुना ज़्यादा निवेश किया। भारत की सॉफ्टवेयर उत्पाद कंपनी फ्रेशवर्क्स ने ख़ुद को ज़ोरदार स्वागत के बीच अमेरिका के शेयर बाज़ार नैस्डैक में लिस्ट कराया। फ्रेशवर्क्स, 20 साल पहले लिस्ट हुई इन्फोसिस के बाद अमेरिकी शेयर बाज़ार में लिस्ट होने वाली दूसरी भारतीय कंपनी है।

स्टार्टअप कंपनियों से 35 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा

पूर्वानुमान ये संकेत देते हैं कि वर्ष 2025 तक भारत में एक लाख से ज़्यादा स्टार्टअप कंपनियां होंगी जिनमें 35 लाख से अधिक लोग काम कर रहे होंगे और इनमें से 200 से ज़्यादा यूनिकॉर्न होंगी; जिनका कुल बाज़ार मूल्य एक ख़रब डॉलर के क़रीब होगा। जो कंपनियां आगे चलकर यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करेंगी और फिर ख़ुद को शेयर बाज़ार में लिस्ट करेंगी जिससे उनका कारोबार और दायरा भी बढ़ेगा।

देश में अपने ग्राहकों के लिए चीजों को आसान बना रहे हैं 62 प्रतिशत यूनिकॉर्न

करीब 62 प्रतिशत यूनिकॉर्न बिजनेस टू कंज्युमर (बी2सी) कंपनियां हैं। उनका लक्ष्य अपने ग्राहकों के लिए चीजों को आसान बनाना और दैनिक जीवन का हिस्सा बनना होता है। चीजों को किफायती रखना, स्टार्ट-अप की एक और अहम खासियत है। यूनिकॉर्न में एक और आम ट्रेंड यह है कि उनका बिजनेस मॉडल अमूमन टेक्नोलॉजी पर ही चलता है। उदाहरण के लिए, डिजिट ने ऐप के जरिए इंश्योरेंस की सुविधा दी। अर्बन कंपनी ने भारत में हैंडीमैन हायरिंग (छोटी-मोटी चीजों की मरम्मत करने आदि) के लिए ऐप डेवलप किया।

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम

अगर कारोबार की भाषा में कहें तो जैसे-जैसे तकनीकी समाधान मुख्यधारा में आए, तो भारत में इंटरनेट की उपलब्धता का बाज़ार साल 2021 में बड़ी तेज़ी से बढ़ा और देश भर में ग्राहकों ने अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाया। वहीं भारत में कारोबार की मुख्यधारा ने अपनी गतिविधियों को मज़बूत किया और एक आत्मनिर्भर भारत की ओर क़दम बढ़ाने में सहयोग दिया। आज देश में 44 करोड़ मिलेनियल्स हैं। ऐसे में इंटरनेट के ग्राहकों की संभावनाएं पिछले तमाम आकलनों से कहीं ज़्यादा हैं। आज 83 करोड़ से ज़्यादा भारतीय इंटरनेट के उपभोक्ता हैं।

देश के सभी यूनिकॉर्न का कुल वेल्यूएशन 332 अरब डॉलर के पार पहुंच गया

स्टार्टअप की दुनिया में जो स्टार्टअप 1 बिलियन डॉलर से अधिक का मूल्यांकन हासिल कर लेता है, उसे यूनिकॉर्न का दर्जा मिलता है। भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं, इन सभी यूनिकॉर्न का कुल वेल्यूएशन 332.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इस वैल्यूशन के बाद भारतीय स्‍टार्टअप परिवेश यूनिकॉर्न की संख्‍या के लिहाज से दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। एक अनुमान के अनुसार आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है। यूनिकॉर्न स्टार्टअप के मामले में भारत ने बड़ी सफलता हासिल की है। पिछले दिनों केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट के जरिये इसे बड़ी उपलब्धि बताया था। भारत पीएम मोदी के विजन पर चलते हुए अब तेजी से यूनिकॉर्न की संख्या बढ़ाएगा।

मोदी सरकार में स्टार्टअप्स को बढ़ावा

# एंजेल टैक्स की समस्या दूर कर टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाया।
# 9 श्रम और 3 पर्यावरण कानूनों के स्व-प्रमाणन की अनुमति दी।
# मोदी सरकार ने 25 हजार से अधिक अनुपालनों को हटाया।
# जीईएम प्लेटफॉर्म पर स्टार्टअप रनवे की सुविधा प्रदान की गई।
# 16 जनवरी को नेशनल स्टार्टअप डे मनाने की घोषणा की गई।
# 1,000 करोड़ रुपये का स्टार्ट-अप इंडिया फंड लॉन्च किया गया।

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