गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की 15 अप्रैल 2023 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस पर विपक्षी दलों ने न्याय की, क़ानून की और संविधान की हत्या करार दिया है। इस मुद्दे को लेकर हायतौबा मचाया गया कि कानून का राज खत्म हो गया। वहीं, पंजाब में 2022 में हिंदू नेता सुधीर सूरी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सूरी को पुलिस सुरक्षा मिली हुई थी क्योंकि उन्हें खालिस्तानियों से जान को खतरा था। लेकिन पंजाब में दिनदहाड़े हुई हिंदू नेता की हत्या पर यही विपक्षी दल चुप्पी साधे रहे। इसी तरह महाराष्ट्र के पालघर में 2020 में साधुओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी तब भी इन विपक्षी दलों ने उसकी निंदा तक नहीं की। इससे उनकी मंशा पर संदेह होना लाजमी है कि जब किसी हिंदू की हत्या होती है तो इन्हें सांप क्यों सूंघ जाता है। इससे साफ होता है कि ये विपक्षी दल अपने मुंह तभी खोलते हैं जब बीजेपी को बदनाम करना हो या फिर उसमें मुस्लिम तुष्टिकरण का तड़का हो।
अतीक अहमद एक गद्दार और आतंकवादी था… उसकी वकालत करने वाला हरेक व्यक्ति गद्दार और आतंकवादी ही है। #अतीक_अहमद pic.twitter.com/qCaN6YZOds
— Ach. Ankur Arya Official (@AchAnkurArya) April 17, 2023
गैंगस्टर अतीक अहमद की मौत पर विपक्षी दलों का हायतौबा
गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज में मेडिकल के लिए ले जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई। अतीक को गोली मारने वाले बदमाश मीडियाकर्मी बन कर आए थे। अतीक और अशरफ पुलिस की कस्टडी में थे। पुलिस ने तीनों हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना में भी हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्टल बरामद कर ली गई। विपक्षी दलों ने एक गैंगस्टर की मौत पर जिस तरह रोना रोया वह अचंभित करने वाला है। मुस्लिम तुष्टिकरण में वे यह भी भूल गए कि जिसके लिए वो रोना रो रहे हैं वह एक गैंगस्टर है।
We come from two india.
Where innocent palghar sadhus was linched my mob. at that time no question raised by opposition.
But for this Mafia , opposition giving sympathy like he was innocent.#अतीक_अहमद pic.twitter.com/Klx0FkXuwG— Rohit bhardwaj (@rohit823585) April 17, 2023
पंजाब में हिंदू नेता सुधीर सूरी की हत्या पर विपक्षी दलों ने चुप्पी साधी
जिस तरह पुलिस सुरक्षा में गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या हुई उसी तरह पंजाब के अमृतसर में 9 नवंबर 2022 को हिंदू नेता सुधीर सूरी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सूरी को पुलिस प्रोटेक्शन मिला हुआ था, इसके बावजूद उन्हें अमृतसर में गोपाल मंदिर के बाहर गोलियां मारी गईं। वे मंदिर के बाहर मूर्तियों की बेअदबी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। विपक्षी दलों का दोहरा मानदंड देखिए कि गैंगस्टर की मौत पर सवाल उठाने वाले हिंदू नेता की मौत पर चुप्पी साधे रहे।
विपक्षी दलों का मुस्लिम तुष्टिकरण पर भरोसा, पीएम मोदी ने किया बेमानी
इन दो घटनाओं को देखने यह साफ होता है एक घटना में मुसलमान गैंगस्टर की मौत हुई जिसने न जाने कितने लोगों की हत्या कराई थी वहीं दूसरी घटना में एक हिंदू नेता है जो कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहा था। मुसलमान गैंगस्टर की मौत पर सवाल उठाया जाता है जबकि हिंदू नेता की मौत पर कोई कुछ नहीं कहता। इससे साफ होता है कि विपक्षी दल आज भी अपने अस्तित्व के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण पर आश्रित हैं। जबकि पीएम मोदी ने सबका साथ सबका विश्वास और सभी वर्ग के लिए योजनाएं लाकर भारतीय राजनीति में लंबे समय से चले आ रहे टूल ‘मुस्लिम तुष्टीकरण’ को बेमानी कर दिया है।
असद के जनाजे में आई मुस्लिम महिलाओं टोंटीचोर के लिए कहा!
अखिलेश ने भी कहीं ना कहीं खेल खेला हैं योगी जी को भड़काने वालें अखिलेश हैं!
बाबाजी सही हैं उनको वोट देंगे अखिलेश व मायावती वोट मांगने आएंगे तो जूतें मारकर भगाएंगे! pic.twitter.com/0awtCCfrbA
— N K khaitan (@khaitan48) April 17, 2023
पीएम मोदी ने मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दलों का किया डब्बा गोल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद पिछले तीन-चार दशकों से मुसलमानों को वोटबैंक समझने वाले दलों का डब्बा गोल कर दिया है। उन्होंने सबका साथ सबका विकास का नारा दिया। किसी वर्ग के लिए अलग से योजनाएं नहीं शुरू की। जो भी योजनाएं लाई गई उसका लाभ हर वर्ग को मिला। जनसंघ के एक संस्थापक तथा भाजपा के विचारक प. दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति में दिए गए एक भाषण में नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘… पचास साल पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि मुसलमानों को न तो पुरस्कृत करो और न तिरस्कृत करो बल्कि उन्हें परिष्कृत करो। उन्हें न तो वोट की मंडी का माल बनाओ, न घृणा की वस्तु बनाओ। उन्हें अपना समझो।’
अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओं के लिए हमदर्दी दिखाने वालों से कुछ सवाल?
जब मुख्तार अंसारी ने कोतवाली में ताला लगवा दिया था, तब कानून का राज था?
जब अतीक अहमद ने 20 सिपाहियों को अपने घर में बंदी बना लिया था, तब भी कानून का राज था?
जब आजम खान ने एक एसएसपी को 3 घंटे अपने घर पर खड़ा होने की सजा दी थी, तब भी कानून का ही राज था?
जब 12 जजों की बेंच ने अतीक अहमद और मुख्तार के खिलाफ चलने वाले केसों को सुनने से मना कर दिया था, तब कानून का राज था?
‘सर तन से जुदा’ और 6 हिन्दुओं की निर्मम हत्या, विपक्ष ने साधी चुप्पी
नूपुर शर्मा के इस्लाम पर एक बयान के बाद पूरे देश में एक नारा गूंज रहा था ‘गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा।’ यह नारा हिन्दुओं के लिए खौफ का पर्याय बन गया। राजस्थान में कन्हैयाल लाल की निर्मम हत्या के बाद देशभर में हिन्दुओं पर लगातार हमले हुए। इस्लामिक जिहादी कन्हैया लाल से लेकर प्रवीण नेट्टारू तक 6 हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में विपक्षी दलों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया की चुप्पी हैरान करने वाली रही। सोशल मीडिया और पूरे हिन्दुस्तान में इस पर चर्चा होती रही कि आखिर झूठे मॉब लिंचिंग, अल्पसंख्यकों पर हमले और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर हाय-तौबा मचाने वाला विपक्ष और अंतरराष्ट्रीय मीडिया हिन्दुओं की निर्मम हत्या पर मौन क्यों है ?
मुलायम सिंह ने बलात्कार पर कहा था- लड़कों से हो जाती है गलती!
अप्रैल 2014 में सपा सुप्रीमो रहे दिवंगत मुलायम सिंह ने मुरादाबाद में एक रैली में विवादित बयान दिया था। मुलायम ने रैली के दौरान कहा, ‘लड़कियां पहले दोस्ती करती हैं। लड़के-लड़की में मतभेद हो जाता है। मतभेद होने के बाद उसे रेप का नाम दे देती हैं। लड़कों से गलतियां हो जाती हैं। क्या रेप केस में फांसी दी जाएगी?’ मुलायम ने कहा, ‘हमारी सरकार आएगी तो कानून बदलेंगे। ऐसे कानूनों को बदलने की कोशिश की जाएगी। दुरुपयोग करने पर सजा दी जाएगी और झूठ बोलने वालों को भी सजा मिलेगी। लड़कों से गलतियां हो जाती हैं।’ मुलायम ने यह बात भी मुस्लिम तुष्टिकरण को ध्यान में रखकर ही कही थी। जिससे चुनाव में उन्हें वोट का फायदा मिल सके।
अखिलेश यादव आज कहेंगे- लड़कों से हो जाती है गलती!
मुलायम सिंह के बलात्कार वाले बयान पर गौर करें तो फिर तो उस हिसाब से अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या में शामिल युवक भी 20-22 साल के हैं। मुलायम सिंह के बयान के हिसाब से उनके पुत्र और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को आज यह बयान देना चाहिए था कि अतीक अहमद की हत्या में शामिल लड़के हैं और लड़कों से गलतियां हो जाती है। लेकिन नहीं, अखिलेश ऐसा बयान नहीं देंगे क्योंकि उससे उनका एजेंडा उलट हो जाएगा, मुसलमान नाराज हो जाएंगे।
सफेदपोशों का नाम लेना बन गया अतीक और अशरफ का काल
माफिया अतीक अहमद को जिसके भी नाम लेने थे ले चुका। जो बंदा ये तक बता चुका हो कि उसने पाकिस्तान में कहां से हथियार उठाये, उसने बड़े नाम नही लिये होंगे ऐसा तो हो ही नहीं सकता। अतीक ने पुलिस पूछताछ में कई सफेदपोश के नाम भी लिए थे। अब अतीक अहमद की हत्या किये जाने के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सभी के में यही जानने की इच्छा हैं कि किसने कराई ये हत्या। अब सवाल ये हैं कि कौन थे वो सफेदपोश, अतीक ने जिनका नाम लिया था? जिन सफेदपोशों का नाम लेना अतीक-अशरफ के लिए काल बन गया। जानकारी के मुताबिक माफिया ने 45 सफेदपोशों का नाम लिया था। इनमें से 15 सफेदपोशों के घर ईडी छापा डाल चुकी है। बाकी 30 सफेदपोशों में अधिकांश प्रयागराज, लखनऊ के हैं। कई बड़े उद्योगपति, बिल्डर और कारोबारियों के नाम शामिल हैं। विपक्षी पार्टियों के सफेदपोशों का भी नाम उसके द्वारा लिया गया था। अब सवाल ये है कि कौन बंद करना चाहता था अतीक-अशरफ का मुंह?
हिंदू आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने की साजिश
अतीक के तीनों हत्या आरोपी ने गोली मारने के बाद जिस तरह जय श्री राम के नारे लगाए वो हिंदू आतंकवाद की थ्योरी पर फिट बैठाकर 2024 के चुनाव से पूर्व शायद बहुत बड़ा फसाद करवाने की नीयत से किया गया। तीनों हत्यारोपी अलग-अलग जाति ब्राह्मण, क्षत्रिय और शूद्र से चुने गए, जिन्हें ऐसे विदेशी अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध करवाए गए जो कि उनके आर्थिक स्थिति के हिसाब से आसान नहीं थे।
माफिया और आतंकी के साथ
विपक्ष का ये रिश्ता क्या कहलाता है ? pic.twitter.com/vQ0ECJxR8z— Social Tamasha (@SocialTamasha) April 17, 2023
अतीक अहमद की मौत पर विपक्षी दलों ने क्या कहा-
उप्र में अपराध की पराकाष्ठा- अखिलेश यादव
यूपी के पूर्व सीएम और सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा कि उप्र में अपराध की पराकाष्ठा हो गयी है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए- कांग्रेस
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि इससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था कैसी है। मुख्यमंत्री बार-बार कहते हैं कि उप्र में कानून व्यवस्था उत्तम है। ये एक बड़ी साजिश है, जांच होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।
मुख्यमंत्री खुद इस तंत्र में शामिल हैं- जयंत चौधरी
राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि किसी की सहानुभूति अतीक के साथ नहीं है, लेकिन मानवीय तौर पर देखा जाए तो किसी भी इस तरह हत्या होना ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री जी को जवाब देना चाहिए कि जब एनकाउंटर होता है तो पुलिस कर्मियों की पीठ थपथपाते हैं। क्योंकि पुलिस वालों की जिम्मेदारी बनती है कि वो अपराधी को सजा दिलवाएं। ग्राउंड पर कानून का कोई राज नहीं है। मुख्यमंत्री खुद इस तंत्र में शामिल हैं, आज उनकी खुद की जवाबदेही बनती है।
सब को मिट्टी में मिला दो- बीएसपी सांसद
बीएसपी सांसद दानिश अली ने कहा कि सब को मिट्टी में मिला दो। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की नृशंस हत्या यूपी में अराजकता की पराकाष्ठा है। ये ऊपर से आदेश के बिना नहीं हो सकता। किसी भी अन्य लोकतंत्र में कानून के शासन के खिलाफ इस तरह के जघन्य अपराध के लिए राज्य सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
एनकाउंटर राज का जश्न मनाने वाले भी ज़िम्मेदार- असदुद्दीन ओवैसी
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जिस समाज में हत्यारे हीरो होते हैं, उस समाज में कोर्ट और इंसाफ़ के सिस्टम का क्या काम? अतीक़ और उनके भाई पुलिस की हिरासत में थे। उन पर हथकड़ियां लगी हुई थीं। जयश्री राम (JSR) के नारे भी लगाये गये। दोनों की हत्या योगी के क़ानून व्यवस्था की नाकामी है.. एनकाउंटर राज का जश्न मनाने वाले भी इस हत्या के ज़िम्मेदार हैं।
चुनावी फायदा उठाने के लिए… – भीम आर्मी चीफ
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि लोग नारे लगाते हैं ‘गोली मारो सालों को’ यह उसी का उदाहरण है। यह पुलिस की कार्यशैली पर सवाल पर नहीं बल्कि यह पुलिस को निर्देश हैं उसकी वजह से हुआ है। चुनावी फायदा उठाने के लिए हमेशा से मुख्यमंत्री का व्यवहार रहा है। शहीदों ने इस दिन के लिए देश आजाद नहीं करवाया था कि सरकारें गोली से फैसला करें।
कपिल सिब्बल ने कहा- कानून के शासन की हत्या
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि यूपी में दो हत्याएं, पहली अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की, दूसरी कानून के शासन की।
विदेशी मीडिया आमतौर पर बीजेपी के खिलाफ ही रिपोर्ट करती रही है। अतीक अहमद की मौत पर विदेशी मीडिया की कवरेज
अमेरिकी अख़बार द न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिकी अख़बार द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का शीर्षक है- ‘किलिंग ऑन लाइव टीवी रिन्यूज़ अलार्म अबाउट इंडियाज़ स्लाइड टूवर्ड एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल वॉयलेंस’। इस रिपोर्ट में लिखा गया है, “तीन अलग-अलग रेड में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराधी से राजनेता बने अतीक अहमद से जुड़े चार लोगों को गोली मारी जिसमें अतीक अहमद के बेटे असद भी शामिल थे। एनकाउंटर जिसे आलोचक भारत में एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल हत्या भी कहते हैं, उसकी राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशंसा की।”
क़तर का अल जज़ीरा
अल जज़ीरा के एक ऑनलाइन लेख में कहा गया है, “भारत के पूर्व सांसद और अपहरण के मामले में दोषी अतीक अहमद और उनके भाई को लाइव टीवी पर गोली मारी गई वो भी तब, जब वो पुलिस की कस्टडी में थे। इस वाक़ये के बाद उत्तर प्रदेश की शासन व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं।” अल जज़ीरा लिखता है, “जिन दो लोगों की हत्या हुई वो मुसलमान थे।”
पाकिस्तान का अख़बार डॉन
पाकिस्तान के अख़बार डॉन ने लिखा, “पत्रकार बन कर बंदूकधारियों ने पूर्व भारतीय सांसद अतीक अहमद और उनके भाई को लाइव टीवी पर गोली मारी। मारे गए ये दोनों शख़्स भारत के मुसलमान हैं। और दोनों भाई भारत की अपराध की दुनिया में बड़ा नाम थे। अतीक अहमद पर 100 से ज़्यादा मामले थे और उन्हें जिन तीन हमलावरों ने मारा वो छोटे-मोटे अपराधी हैं।”
पाकिस्तानी अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून
पाकिस्तानी अख़बार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा, “भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में पूर्व सासंद जो अपरहण के एक मामले में दोषी थे और सज़ा काट रहे थे उन्हें और उनके भाई को पुलिस के सुरक्षा घेरे में घुस कर गोली मारी गई। हमलावरों ने हमले के बाद ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। 60 साल के अतीक अहमद की हत्या यूपी के प्रयागराज में हुई, जहां हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी की सरकार है।”