Home समाचार पीएम मोदी के खिलाफ विरोधियों के फेक नैरेटिव और उसका सच देखिए

पीएम मोदी के खिलाफ विरोधियों के फेक नैरेटिव और उसका सच देखिए

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देश में अब जब कोरोना महामारी अपनी दूसरी लहर के रूप में अंधेर मचाने लगी है, इस संकट के दौर में एकजुट होकर सरकार का साथ देने की बजाए देश का विपक्ष और मोदी विरोधी फेक नैरेटिव तैयार करने के कुचक्र में जुटा है। जबकि सच्चाई यह है कि कोरोना महामारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनाए गए गलत नैरेटिव के आधार ही फेक है। आइए आपको विरोधियों के तैयार ऐसे ही कुछ नैरेटिव और उसकी सच्चाई के बारे में बताते हैं।

पहला फेक नैरेटिव- दूसरी लहर पर ध्यान नहीं दिया गया

जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 मार्च 2021 को ही मुख्यमंत्रियों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान ही राज्यों को कोरोना की दूसरी लहर के बारे में सचेत कर दिया था। इतना ही नहीं पीएम ने तत्काल ही कदम उठाने का आग्रह किया था। आपको जानकर हैरानी होगी जब पीएम मोदी ने कोरोना की दूसरी लहर से राज्य सरकारों को सचेत किया था उस समय देश में कोरोना के नए मामले आने की संख्या महज 30 हजार थी।

दूसरा फेक नैरेटिव- दुनिया में सबसे अधिक मामले भारत में

लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। विश्व के किसी भी देश की तुलना में हमारे देश की जनसंख्या ज्यादा है। पूरे यूरोप और उत्तरी अमेरिका को मिला दें फिर भी भारत की आबादी उससे अधिक है। ऐसे में मृतकों की कुल संख्या का बढ़ना लाजिमी है, लेकिन प्रति मिलियन आबादी के आधार पर तुलना कर के देखिए भारत का स्थान विश्व में 110 वें स्थान पर है। यानि भारत इस मामले में दुनिया के 109 देशों से पीछे है।

तीसरा फेक नैरेटिव- रैली और कुंभ से आई दूसरी लहर

ये जो तीसरा नैरेटिव सेट किया गया है, उसके आधार पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट ही घिरते नजर आ रहे हैं। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर देश के जिन राज्यों में रफतार पकड़ी उनमें अधिकांश राज्य कांग्रेस या अन्य दल शासित है। जैसे महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़ और पंजाब में दूसरी लहर की आफत ज्यादा बरपी है।

चौथा फेक नैरेटिव- कोरोना वैक्सीन का निर्यात क्यों 

यह नैरेटिव भी पूरी तरह मनगढ़ंत, फेक और सच से परे है। क्योंकि विदेश भेजे गए टीकों की संख्या महज एक तिहाई है। वह भी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से विदेशी देशों के किए गए करार पर आधारित है। इसका देश की सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। इनमें से भी अधिकांश डोज गरीब देशों को उनके अपने नागिरकों के लिए दिया गया है।  

पांचवां फेक नैरेटिव- गरीबों को नहीं मिलेगी कोरोना वैक्सीन

यह नैरेटिव तो विशुद्ध रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गरीबों को भड़काने की नियत से तय किया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि खरीदे जाने वाले कुल टीकों का 50 प्रतिशत हिस्सा स्वयं केंद्र सरकार खऱीदती है और राज्यों को तत्काल सौंप देती है। इतना ही नहीं देश के कई राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने नागरिकों को पहले से ही मुफ्त में टीका देने का ऐलान कर रखा है। ऐसे में गरीबों को मुफ्त में टीका नहीं मिलने की बात कहां से आती है। मोदी सरकार तो देश के हर नागरिक को स्वास्थ्य सुरक्षा और कोरोना से बचाव के प्रति प्रतिबद्ध है।

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