प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शासन की पारदर्शिता में विश्वास करते हैं और अपने शासन काल के दौरान कार्यशैली का हिस्सा बनाने का भरसक प्रयास किया है। उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को देश की कई योजनाओं से जोड़ा जिससे इसके अच्छे परिणाम अब सामने आ रहे हैं। टाइम्स नाऊ में सरकार के अधिकारी के हवाले से छपी खबर के अनुसार DBT के जरिये सरकार को बड़ी बचत हुइ है।
डीबीटी से 83,000 करोड़ की बचत
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से अब तक 82,985 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है। यह आंकड़ा मार्च 2017 तक हुई 57, 029 करोड़ रुपये से 45 प्रतिशत अधिक है। गौरतलब है कि इस योजना में सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खाते में दिए जाने का प्रावधान है जिससे जनवरी, 2018 के पूर्व पहले दस महीने में ही 25, 956 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है।
लाभार्थियों की संख्या 118 करोड़ पहुंची
एक जनवरी, 2013 से शुरू की गई इस योजना में बीते दस महीने में ही 45 प्रतिशत की वृद्धि ये दर्शाती है कि अब जरूरतमंदों को ही इसका लाभ मिल रहा है। पहले जो लीकेज और घोटाले में हजारों करोड़ रुपयों की चपत सरकार को लगती थी, वह बंद हो गई है। इसी तरह लाभार्थियों की संख्या में भी जबरदस्त वृद्धि के साथ यह संख्या 118.3 करोड़ हो गई है।
2.75 करोड़ फर्जी राशन कार्ड का खुलासा
डीबीटी योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के तहत जोड़ने से बीते जनवरी, 2018 से पहले के दस महीनों में 12,792 करोड़ रुपये की बचत हुई है। गौरतलब है कि सरकार ने 2,75 करोड़ नकली और बिना पहचान के राशन कार्ड को हटा दिया है। सरकार की इस सख्ती के कारण डीबीटी के तहत पीडीएस का कुल बचत 38, 877 करोड़ रुपये हो गया है।
3.85 करोड़ लोगों ने छोड़ी गैस सब्सिडी
डीबीटी योजना से जुड़ने के कारण एलपीजी सब्सिडी में भी 38,877 करोड़ रुपये की बचत हुई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार 3.85 करोड़ निष्क्रिय और नकली उपभोक्ताओं के लिए रसोई गैस की सब्सिडी बंद कर दी ही है। इसके साथ एक उपलब्धि ये है कि 2.29 करोड़ उपभोक्ताओं ने सब्सिडी का दावा नहीं किया है। ये संख्या 1.04 करोड़ के उन उपभोक्ताओं से अतिरिक्त है, जिन्होंने ‘गिव इट अप’ अभियान के तहत गैस सब्सिडी छोड़ी है।
मनरेगा में 15 हजार करोड़ की बचत
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुमान के अनुसार 10 प्रतिशत जॉब कार्ड फर्जी है। मनरेगा में भी जनवरी, 2018 तक अब तक कुल 15, 374 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है।